RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
उन्होने भी मुझे किस किया और अपने से चिपका लिया. “इसमें डरने की क्या बात है, राज. तुम मुझे कहीं भी छू सकते हो, और जो चाहे मेरे साथ कर सकते हो. लेकिन अभी, इसी वक़्त, मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत में चाहिए.” उन्होने मेरे खड़े और तने हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया, और उसके सुपाडे को अपनी गीली चूत के होंठों पर रख दिया. “क्या तुमने आज से पहले कभी किसी को चोदा है, बेटा?”
मैं अब काँपने लगा था, जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि उनकी गीली चूत का रस मेरे लंड को भिगो कर चिकना कर रहा है. “हां, मम्मी एक दो बार किया है... लेकिन मुझे ऐसा लगता है, कि मैं ज़्यादा अच्छे से नही कर पाता.”
वो थोड़ा खिलखिलाई. “ तुम विश्वास करो, सब कुछ ठीक होगा. और हम दोनो प्रॅक्टीस करके और ज़्यादा एक्सपर्ट हो जाएँगे, हम खूब प्रॅक्टीस करेंगे. लेकिन मैं तुम को पहले की बता दूँ, मैं बहुत ज़्यादा आवाज़ें निकालती हूँ, और मैं नोचती, खंसोटती और काटती भी ज़्यादा हूँ. मैं चुदाई करवाते समय मानो पागल हो जाती हूँ. तो फिर तय्यार हो?” ऐसा कहते हुए, वो थोड़ा खिसक कर उपर हो गयी, और मेरे लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के गीले, मुलायम होंठों के बीच घुसने लगा. हम दोनो के मूँह से एक साथ, आआआह्ह्ह्ह की आवाज़ निकल गयी.
"ओह, येआः!" मैं बोला. शायद बोलने की जगह मैं चीखा. "वाह, मम्मी, आप तो बहुत ज़्यादा टाइट हो... तान्या से भी ज़्यादा!"
“ये तो कुछ भी नही है,” वो बोली, “बस थोड़ी देर रूको...” उन्होने मेरी गान्ड की गोलाईयों को अपने दोनो हाथों में पकड़ कर, अपनी तरफ दबा लिया, अब मेरा पूरा 7 इंच का लंड उनकी चूत में घुस चुका था.
जैसा मैं फील कर रहा था उसको शब्दों में बयान नही किया जा सकता. वो इतनी ज़्यादा टाइट थी, कि मानो मेरा लंड किसी मुलायम, टाइट शिकंजे में जकड चुका हो. उनकी धीरे धीरे कराहने की आवाज़ अब ज़ोर की आवाज़ों में बदलने लगी थी. उनकी चूत की मसल्स को मैं अपने लंड को जकड़ते हुए महसूस कर रहा था. वो अजीब अजीद आवाज़ें निकालते हुए अपने सिर को इधर उधर करने लगी.
मुझे लगा कि मम्मी बस झड्ने ही वाली हैं, जबकि मैने तो अभी झटके लगाने शुरू भी नही किए थे.
"मम्मी, आप ठीक हो ना?" मैने पूछा.
उन्होने मेरी तरफ देखा. उनकी आँखों में थोड़े से आँसू से आ गये थे, और उनकी साँसें भी सामान्य नही थी. वो हान्फते हुए बोली, “हां, मैं ठीक हूँ.” उन्होने मेरी गान्ड पर ज़ोर लगाते हुए मेरे लंड को और ज़्यादा अपने अंदर घुसा लिया. “चोदो, बेटा, अब चोद दो मुझे!” मैं अब अपनी गान्ड हिलाने लगा, और धीरे धीरे रफ़्तार पकड़ने लगा. “ज़ोर से बेटा !! चोद दो मुझे!!” वो अपनी गान्ड को उछाल उछाल के मेरे लंड को और ज़्यादा अंदर लेने का प्रयास करने लगी, वो मेरी स्पीड से दोगुनी स्पीड से अपनी गान्ड उछाल रही थी.
मेरे को अंदाज़ा हो गया, और मेरी भी समझ में आ गया, मैं भी उनकी चूत के द्वार पर ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा, और एक पिस्टन की तरह मेरा लंड उनकी चूत के अंदर बाहर होने लगा. मैं इस बीच उनकी चूत को अपने लंड के गिर्द खुलता और फिर से सिकुड़ता महसूस कर रहा था, और उनकी चूत से निकलते हुए लिसलिसे गीलेपन से अपने लंड को गीला होते हुए महसूस कर रहा था. मेरे लंड को ऐसा महसूस हो रहा था मानो वो किसी शिकंजे में जकड चुका है, मुझे नही मालूम था कि मैं कितनी देर अपने आप को रोक पाउन्गा, लेकिन फिर भी मैं झटके पर झटके मारे जा रहा था. मेरे माथे पर आई पसीने की बूँदें, अब मेरे चेहरे पर गिरने लगी थी.
"हां, हां!!" वो चीख रही थी. "भगवान, हे भगवान, राज, चोद दो मुझको !! राज चोद दो मुझे, अंदर तक डाल दो अपने लंड मेरी चूत में, मुझे अपनी रंडी बना ले !! भगवान, हे भगवान, आाआघ!!!" उनकी आवाज़ें अब थोड़ा स्थाई रूप ले चुकी थी, सब कुछ मिश्रित था, कराहना, चीखना, और गंदी बातें, और उनके हाथों की उंगलियों के नाख़ून मेरी पीठ में चुभ रहे थे. मुझे विश्वास नही हो रहा था कि ये औरत और कोई नही बल्कि मेरी प्यारी सग़ी माँ है ! “मेरे इन मम्मों को चूसो बेटा, आअहह, काट लो इन मम्मों को !!’
मैं अपने लंड को उनकी चूत में पेलते हुए, उनके दोनो निपल्स को चूसने और काटने लगा, कुछ देर बाद लगा, कि मैं भी अब झडने वाला हूँ.
"मम्मी ,मैं होने ही वाला हूँ." मैं जैसे ही अपना लंड उनकी चूत से बाहर खींचने ही वाला था, उन्होने मेरी गान्ड की गोलाईयों को अपने दोनो हाथों से पकड़ के अपनी तरफ खींच लिया.
"ना! इसको बाहर निकालने की तो सोचना भी मत, हिम्मत भी मत करना ! मैं चाहती हूँ कि तुम मेर अंदर ही हो जाओ, मैं तुम्हारे वीर्य के पानी को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ, मुझे इस की सख़्त ज़रूरत है !!”
उन्होने अपने दोनो पैर मेरे गिर्द जकड लिए, और मेरे लंड पर नीचे लेटे हुए ही उछल उछल कर उसको और जल्दी जल्दी अपने अंदर बाहर करने लगी, मानो मेरे लंड में से दूध निकाल रहीं हो, और मुझे अपना वीर्य छोड़ने पर मजबूर कर रही हो.
"ओके, मम्मी, ये लो... अभी इसी वक़्त... उन्नघ. आह! आह!! हे भगवान, मम्मी ! ओह!! मैं झड रहा हूँ!!" मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और उस चरम आनंद का मज़ा लेने लगा. मुझे मालूम था कि मेरा ज़्यादा पानी नही निकलेगा, लेकिन महसूस ऐसा हो रहा था, मानो मैं उनकी चूत में वीर्य के पानी की नदियाँ बहा रहा हूँ. वो अनुभूति अविश्वसनीय थी, मैं उस परम आनंद में, मानो कुछ पलों के लिए इस दुनिया में ही नही था.
"हां, बेटा, हां!!" वो चिल्लाई. “भर दो अपने लंड के पानी से अपनी मम्मी की चूत को !! तुम भी मेरे साथ ही हो जाओ, बेटा !! हे भगवान, हां, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है, मैं तुम को अपने अंदर झाड़ते हुए महसूस कर रही हूँ!!!"
आख़िर में हम दोनो ही झड चुके थे. उन्होने अपनी गान्ड को मेरी तरफ उँचकाना बंद कर दिया था, और में बेसूध उनके उपर लेटा हुआ था. हम दोनो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे, और मेरी छाती उनके पसीने से गीले हो चुके मम्मों को दबा रही थी, मैं, हम दोनो की तेज़ी से चल रही दिल की धड़कनों को सुन रहा था. मम्मी अब थोड़ा होश में आ गयी थी, और वो मुझे देख रही थी.
“ओह, राज बेटा, आइ’म सो सॉरी. मैं अपना इतना ज़्यादा होश खोने देना नही चाहती थी. तुम ठीक तो हो ना?”
“हां मम्मी, मैं ठीक हूँ.”
मुझे मालूम है, मैं कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से चीखते हुए ना जाने क्या क्या बकने लगती हूँ, मुझे होश ही नही रहता. मैने कुछ ग़लत तो नही बोला ना?”
“हां, वो सब थोड़ा अलग तरह का था... लेकिन मुझे अच्छा लगा. मुझे आप जो कुछ कर रही थी, बहुत अच्छा लग रहा था. मम्मी...... आप अच्छी वाली हो गयी ना?”
वो ठहाका मार कर हँसने लगी. मैने सोचा, शायद वो इसलिए हंस रही हैं कि शायद मैं उनकी चुदाई उतनी अच्छी नही कर पाया. मेरा चेहरा लाल हो गया, और मैं अपना लंड, उनकी चूत से बाहर निकालने लगा, लेकिन उन्होने मेरी गान्ड पर हाथों से दबाव डाल कर, मुझे अंदर ही डाले रखने का इशारा किया.
“सॉरी बेटा, मैं तुम्हारे उपर नही हंस रही हूँ. तुम ने तो मेरी कमाल की चुदाई की! तुम तो कमाल का प्यार करते हो. मैं तो इसलिए हंस रही थी, कि मैं तो पहली बार उसी टाइम झड गयी थी, जब तुमने अपने लंड मेरे अंदर घुसाया था, और जब तक तुम नही झडे, और तुमने हिलना बंद नही किया, ना जाने मैं तो कितनी बार हो गयी. मैं तो इसी तरह होती हूँ. मैं जब चुदवाती हूँ, तो मैं तब अक ना जाने कितनी ही बार हो जाती हूँ, जब तक मेरी चूत वीर्य की धार से भर ना जाए. थोड़ा अजीब है, हैं ना?”
मैने उनको किस कर लिया. “कुछ अजीब नही है मम्मी, ये तो बहुत अच्छा है. अच्छी बात ये है कि आप इतनी ज़्यादा बार हो जाती हो. मुझे ऐसा करके, और सुन कर बहुत अच्छा लग रहा है, और ये सोच कर कि मैं आप के साथ ऐसा कर रहा था.”
"मेरे इस तरह ज़ोर ज़ोर से चीखने से तुमको परेशानी तो नही हुई बेटा?”
"नही, मम्मी, मैं तो और ज़्यादा मज़ा आ रहा था. बस वो सोच के ही मेरा तो दोबारा करने का मन कर रहा है."
"तो फिर ठीक है!" उन्होने अपने हाथ को हम दोनो के बीच लाकर मेरे लंड को नीचे से अपनी मुट्ठी में भर लिया, और अपनी गान्ड हिलाने लगी. "अभी एक बार फिर से करोगे?"
"वाउ, मम्मी. और हमेशा आप मुझसे कहती रहती हो, कि मेरा कभी मन नही भरता!"
"ओह, मुझे लगता है, तुम्हारी मुन्नी बुआ सही ही कह रही थी...” ऐसा कहते हुए वो मेरी तरफ कुटिलता से मुस्कुराइ, लेकिन जैसे ही मैं लंड को अंदर बाहर करने लगा, उनकी मुस्कान, आहों और कराहों में बदलने लगी.
"लगता है मुन्नी बुआ ने आप को सब कुछ बता दिया है," मैं एक ज़ोर का झटका मारते हुए बोला.
मम्मी फिर से अपनी गान्ड उछालने लगी, और पानी छोड़ने लगी. "हां, ओह, हां राज, चोद दो मुझे, डाल दो अपना मोटा लंड मेरी चूत में !! निकाल दो अपना पानी अपनी मम्मी की चूत में, जैसे उस दिन तुमने मेरे चेहरे पर निकाला था, हे भगवान, बेटा, ज़ोर से चोदो !!”
जिंदगी बिंदास है.... बस सब किस्मत की बात है......
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