RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
उनका इतना सब करने से मेरा लंड खड़ा हो गया, और बस कुछ ही पलों में मैं कराहते हुए अपने मूँह से अजीब अजीब आवाज़ें निकालने लगा, और अपना माल मम्मी के सॉफ्ट, गरम मूँह में निकाल दिया. उन्होने थोड़ा सा अपना मूँह खोले हुए ही मेरी तरफ देखा, और मैने देखा कि वो मेरे वीर्या को अपने सारे मूँह में अपनी जीभ से फिरा रही हैं. उन्होने अपनी आँखें बंद कर ली, और फिर सारा माल सटक गयी, और फिर अपने होंठों पर जीभ फिराई और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी.
"वाउ, मम्मी, थॅंक्स!" मैं बोला. "लेकिन..."
"लेकिन क्या, बेटा?"
"जब आप कपड़े पहने रहती हो तो उतना मज़ा नही आता. आपके नंगे शरीर को देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है."
"ओह. तो इसमें कौन सा टाइम लगने वाला है." वो उठ कर खड़ी हुई, और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिए, और फिर मेरे पास नंगी होकर लेट गयी. मैने उनकी टाँगों को अपनी दोनो टाँगों के बीच फँसाने का प्रयास किया, लेकिन वो पलट कर साइड से लेट गयी, और अपनी गान्ड मेरी तरफ कर दी.
”राज, मैं तुमको बताना चाहती हूँ, कि जब भी तुम्हारा मन करे, मैं हमेशा तुम्हारी हेल्प करने को तय्यार हूँ. हाथ से, मूँह से.... जैसा भी तुम चाहो. और दिन में जितनी बार भी चाहो.”
मैने भी पलट कर, पहली बार अपने हाथ उनके सेक्सी मम्मों पर रख दिए. मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा, "एम्म्म, बहुत अच्छा लग रहा है!" वो बोली. वो मेरे और करीब आकर मुझसे चिपक गयी, और मेरा लंड उनकी गान्ड की दरार में घुसने लगा. मैं उनके दोनो मम्मों से खेलने लगा, और उनके हार्ड हो चुके निपल्स पर ज़्यादा ध्यान देने लगा. फिर मेरा हाथ नीचे जाके चूत के होंठों से खेलने लगा. वो थोड़ा कराही और अपनी गान्ड मेरे खड़े हुए लंड के उपर दबा दी.
"मम्मी, क्या मैं जिस तरह से आप को छू रहा हूँ वो सही है?"
उन्होने एक गहरी साँस ली, और फिर मेरी तरफ करवट ले ली, उनका चेहरा अब मेरे सामने था. “नही बेटा. हम जो कुछ भी पिछले कुछ दिनों से कर रहे हैं वो कुछ भी सही नही हैं.”
“लेकिन, मेरा मतलब था...”
“मुझे मालूम है, लेकिन मुझे बोलने दो. हम जो कुछ भी कर रहे हैं वो सगे संबंधियों में यौन संपर्क है, इसको अँग्रेज़ी में ‘इन्सेस्ट’ कहते हैं. तुमने सुना है इस शब्द के बारे में?
“हां,” मैं बोला.
हमारा समाज इन्सेस्ट को ग़लत मानता है, क्योंकि जब सगे संबंधियों के बच्चे होते हैं, तो उनके बीमार होने की संभावना ज़्यादा होती है.
“मुझे मालूम है, मैने पढ़ा है.”
“और वैसे भी, लोगों को डर रहता है, कि अगर माँ बाप अपने बच्चों के साथ सेक्स करेंगे, तो बच्चे बिगड़ जाएँगे, उनका दिमाग़ खराब हो जाएगा.”
“ऐसा मेरे साथ कुछ नही होगा, मम्मी.”
“मुझे मालूम है, राज. तुम बहुत कुछ मेरे जैसे ही हो.”
मैं मम्मी की आगे बोलने का इंतेजार करने लगा.
"बेटा, मैं हमेशा से ऐसे दकियानूसी पुराने ख़यालात वाली नही रही हूँ."
"मम्मी, आप तो हमेशा मॉडर्न ही रही हो!"
“मेरी एक बात सुनो. मैने पहली बार सेक्स, शादी के बाद तुम्हारे पापा के साथ ही किया, मैं शादी पर बिल्कुल कुँवारी थी. मुझे सेक्स बहुत पसंद था, मैं शादी से पहले अपनी उंगली से हस्तमैथुन करती थी. लेकिन शादी के बाद मुझे सेक्स का ऐसा चस्का लगा, कि मैं और तुम्हारे पापा रोजाना सेक्स करते थे. मुझे लगता है मेरी सेक्स की भूख और लॅडीस से कहीं ज़्यादा है. मुझे रोजाना सेक्स की ज़रूरत होती है.” मम्मी थोड़ा देर रुकी और फिर बोली, “जैसा कि मुन्नी बुआ ने तुमको बताया ही होगा, कि तुम्हारे पापा का पिछले एक साल से किसी औरत के साथ चक्कर चल रहा है, वो मुझे अब इग्नोर करने लगे हैं. पिछले एक साल से मैं अपनी सेक्स की ज़रूरत किसी तरह दबा कर उस पर कंट्रोल कर रही हूँ. लेकिन उस दिन मैने जब तुम्हारा खूबसूरत नंगा शरीर देखा, और तुम्हारा लंबा लंड, तो मुझे अपने आप पर कंट्रोल नही हुआ, राज.”
मैं इस सब को सुन कर थोड़ा भौंचक्का रह गया था. मैने मम्मी के मूँह से लंड या इस इस तरह का कोई शब्द कहते हुए नही सुना था. ज़्यादा से ज़्यादा वो “ओह, शिट” ही कहती थी, जब कुछ घोर अनपेक्षित हो जाए.
“सब कुछ इतना धीरे धीरे हुआ कि संभलने का मौका ही नही मिला. पहले, तुमने हर सुबह अपने नंगे शरीर को दिखाना शुरू किया, मैने अपने मन को समझाया, कि इसमे ऐसी कोई ख़ास बुराई नही है, फिर तुम मुझे नंगा देखने की ज़िद करने लगे, फिर भी मैने सोचा कि चलो ये भी ठीक है. लेकिन फिर जब मैने तुम्हे मूठ मारते हुए देखा, तो मेरा मन किया, कि क्यों ना ये काम मैं ही तुम्हारे लिए कर दूँ, और तुमने भी मेरे लिए सब कुछ आसान कर दिया. और वैसे भी, अगर एक माँ, जो अपने बेटे से बेहद प्यार करती हो, वो अपने बेटे की खुशी और उसको थोड़ा आराम पहुँचाने के लिए, अगर ऐसा कुछ करती है, तो इसमे क्या बुराई है?”
“आप सही कह रही हो, मम्मी!”
“और वैसे भी मुझे लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है, तो तुम्हारा लंड अपने मूँह में लेना तो स्वाभाविक था. हाथ से हिलाने से अच्छा तो चूसना ही है, एंड रिज़ल्ट तो वो ही निकलना है, लेकिन अगर हम दोनो को ऐसा कर के और ज़्यादा अच्छा लग रहा हो, तो ठीक है ना?”
"हां मम्मी, आप सही कह रही हो." उनकी ये गंदी गंदी बातें मुझे और ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी.
“और वैसे भी मुझे लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है, तो तुम्हारा लंड अपने मूँह में लेना तो स्वाभाविक था. हाथ से हिलाने से अच्छा तो चूसना ही है, एंड रिज़ल्ट तो वो ही निकलना है, लेकिन अगर हम दोनो को ऐसा कर के और ज़्यादा अच्छा लग रहा हो, तो ठीक है ना?”
"हां मम्मी, आप सही कह रही हो." उनकी ये गंदी बातें मुझे और ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी.
वो बेड पर पीठ के बल सीधी हो कर लेट गयी, और छत की तरफ देखने लगी. “ आज कुछ देर पहले जब तुम मेरी चूत से खेल रहे थे, तो मेरे दिमाग़ में एक बात सॉफ हो गयी थी, कि मैं तुम से चुदवाना चाहती हूँ. मैं तुम्हारे मस्त मोटे लंबे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती हूँ, और वो भी अभी इसी वक़्त. क्या तुम ऐसा करोगे, बेटा? क्या तुम बिना ज़्यादा सोचे, और बिना अपना ज़्यादा दिमाग़ खराब किए हुए अपनी मम्मी को चोदोगे?”
"ओह मम्मी..." मैने उनके उपर करवट लेते हुए, उनको एक जोरदार जी भर के किस कर लिया और बोला, “मैं तो जाने आपको कब से चोदना चाहता था, लेकिन मैं तो आपको छूने से डरता था!”
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