RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
"मैं समझ गया, मम्मी." मैने नीचे अपने लंड और टट्टो की तरफ देखा. “मुहे भी अपनी वॅक्सिंग करवा लेनी चाहिए. उमा मौसी क्या मेरी भी वॅक्सिंग कर देंगी. ऐसा नही था, कि मैं वॅक्सिंग करवाना चाहता था, मुझे वो बाल उखाड़ने का दर्द बर्दाश्त करना बिल्कुल अच्छा नही लगता, मैं तो ये चाहता था कि मम्मी मुझे वहाँ छू कर देखें.
"इस बारे में बाद में सोचेंगे...चलो अभी जाकर नहा लो, बेटा."
"ओके, मम्मी," मैं बोला. मैने आगे बढ़कर उनकी एक झप्पी ली. मैं मम्मी से बस थोड़ा ही लंबा था, और जब झप्पी देते हुए हमारे नग्न शरीर एक दूसरे से चिपक रहे थे, तब मेरा लंड मम्मी की चिकनी चूत को छू रहा था. मुझे उनकी त्वचा पर अपने प्रेकुं की चिकनाई का एहसास हुआ. वो थोड़ा सा काँपी और फिर मुझे ज़ोर की झप्पी दे दी. जब उनका हाथ मेरे हिप्स पर प्यार भारी चपत लगा रहा था, तब मैने भी अपना हाथ उनकी नंगी गान्ड पर फिरा दिया. वो फिर से थोड़ा सा काँपी, और फिर मुझे हल्का सा धक्का देकर दूर कर दिया.
मैं चाइ का कप उठाकर बाथरूम की तरफ चल दिया, मेरा खड़ा हुआ लंड मुझे रास्ता दिखा रहा था.......
अगले कुछ दिनों तक, मम्मी नंगी ही मेरे लिए सुबह की चाइ लेकर मेरे रूम में आती, और मैं भी अपने बेड से नंगा ही उतरता. मुझको इस सब में बहुत मज़ा आ रहा था, मेरी नींद पहले ही खुल जाती, और मैं मम्मी के आने का इंतेजार करने लगता. जब मैं उठता तो मेरा लंड तन कर खड़ा होता, मम्मी उसको देख देख कर गरम हो जाती. हम दोनो एक दूसरे को नंगे होकर जो झप्पी देते, वो सारे दिन की सबसे अच्छी चीज़ होती, मेरे को अपना लंड दिखाने में अब मज़ा आने लगा था.
अगले दिन मैने कुछ नया करने की सोची. मंडे को, मैं जल्दी उठ गया, मेरा लंड तन कर खड़ा हुआ था, मैने आज बाथरूम की जगह बेड में ही मूठ मारने का प्लान बनाया. मैने अपने कानों पर एंपी3 प्लेयर के हेडफोन्स लगा लिए, लेकिन एंपी3 प्लेयर को ऑन नही किया. मैने कंबल को अपने उपर से हटा कर, अपने नंगे शरीर को सारा उघाड़ते हुए, अपनी आँखें बंद कर ली, और धीरे धीरे अपने खड़े हुए लंड की पूरी लंबाई को सहलाने लगा.
जब मम्मी मेरे रूम में दाखिल हुई, मैने हेडफोन लगाए हुए ही, उनके कराहने की आवाज़ सुनी. उनको तो ऐसा ही लगा होगा, जैसे कि मैं म्यूज़िक सुनते हुए, आँखें बंद कर के मूठ मार रहा हूँ. मम्मी की आँखें मेरे लंड पर टिक गयी, और उन्होने बेड के पास रखे स्टूल पर चाइ का कप रख दिया. मैने सोचा अब वो चली जाएँगी, लेकिन वो वहीं पर खड़ी रही, और बस कुछ फीट की दूरी से मुझे मूठ मारते देखने लगी.
मैने अपनी आँखें बंद करे हुए ही, अपना दूसरा हाथ लंड की निचले हिस्से पर ले जाकर, अपनी गोलियों को सहलाने लगा. मैने एक आहह की आवाज़ सुनी, और फिर मम्मी का हाथ अपनी बिना झान्टो वाली चिकनी चूत पर पहुँच गया, और दूसरे हाथ से वो अपने निपल्स को सहलाने लगी. सारे रूम में सेक्स की मादक गंध भर चुकी थी, पहले से कहीं ज़्यादा. मैं अपनी मम्मी को ही गरम कर रहा था.
मैं बहुत एग्ज़ाइटेड हो चुका था. मम्मी के सामने मूठ मारने के कारण उत्तेजना और ज़्यादा बढ़ चुकी थी. मैं सोच रहा था, कि वो मेरे झड़ने तक मुझे देखती रहेंगी, लेकिन यकायक उनको कमरे से बाहर जाता देख, मैं निराश हो गया. मुझे लगा कि मेरे ऐसा करने से वो शरमा गयी हैं, या फिर अपने ही सगे बेटे को मूठ मारते देखना शायद कुछ ज़्यादा ही हो गया था. लेकिन बस एक मिनिट बाद, वो एक छोटी से शीशी हाथ में लेकर लौटी. वो मेरे पास बेड पर ही बैठ गयी, और अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया.
मैने थोड़ा चौंकने का नाटक करते हुए कहा, “ओओओह्ह्ह, आइ’म सॉरी मम्मी,” मैने एक हाथ से लंड को पकड़े हुए ही, दूसरे हाथ से अपने हेडफोन्स हटाए.
"दट'स ओके, बेटा." उन्होने मेरे तने हुए लंड की तरफ देखा, और अपने होंठों पर जीभ फिराई. “जो तुम कर रहे हो, वो तुम्हारी उमर के लड़कों के लिए नॅचुरल और हेल्ती चीज़ है. मैं इसको और ज़्यादा एंजायबल बनाने के लिए तुम्हारे लिए एक चीज़ लाई हूँ.
उन्होने अपने हाथ में पकड़ी हुई शीशी उपर उठा के दिखाई, मैने पढ़ा, उस पर लिखा था, “जॉनसन्स बेबी आयिल.”
"हां," उन्होने शीशी का ढक्कन खोलते हुए कहा. "मैं भी इसे उसे करती हूँ जब मैं...ये सब कुछ अच्छे से चिकना कर देता है." उन्होने शीशी में से एक बूँद अपनी हथेली पर निकाल के अपने दोनो हथेलियों पर रब किया, और फिर वो हथेली मेरी बाँह पर घिसी. “देखा, एक बार उसे करना चाहोगे?” उन्होने वो शीशी मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा.
"हां, क्यों नही," मैं बोला."लगा दो आप."
उन्होने मेरी तरफ देखा, और बोली, "तुम्हारा मतलब, मैं ये लगाऊं?"
"हां, तो क्या हुआ," मैं बोला. मुझे लगा शायद वो उसकी एक दो बूँद मेरे लंड पर डाल देंगी, या फिर मेरी हथेली पर टपका देंगी. लेकिन उन्होने, उसकी कुछ बूँदें अपनी एक हथेली पर ली, और फिर दोनो हथेलियों को आपस में मल लिया. मैं मम्मी के हाथों को मेरे फन्फनाते हुए लंड की तरफ बढ़ता हुआ देखने लगा.
जब उनके हाथों ने मेर लंड को छुआ तो मेरे मूँह से आहह निकल गयी. मुझे बहुत अच्छा लगा! पहले उन्होने दोनो हाथों से मेरे लंड को सहलाया, और थोड़ा सा घुमाते हुए उपर नीचे करने लगी, और बेबी आयिल से पूरे लंड को चिकना करने लगी. फिर वो अपना एक हाथ, मेरी गोलियों पर ले गयी, और बेबी आयिल से मेरे टट्टों को भी चिकना कर दिया, उनका दूसरा हाथ मेरे लंड पर अपना काम जारी रखे हुए था.
मैने उनके चेहरे की तरफ देखा, वो घूर कर देख रही थी, कैसे उनके हाथ को मेरे तने हुए लंड पर उपर नीचे, बेबी आयिल की चिकनाहट में फिसल रहे हैं. उनकी साँसें भी तेज तेज चलने लगी थी, और उनके निपल्स भी खड़े हो गये थे. फिर वो मेरे लंड से हाथ हटा कर, खड़ी हो गयी.
“अब ठीक है, अब तुम को और ज़्यादा आसानी रहेगी,” मम्मी बोली.
“प्लीज़ मम्मी, बहुत मज़ा आ रहा है, आप ही कर दो ना प्लीज़!”
उन्होने बिना कुछ बोले, मुझे घूर के देखा, मुझे लगा की कहीं मैने कुछ ज़्यादा ही डिमॅंड तो नही कर लिया. लेकिन तभी, वो फिर से बेड पर बैठ गयी, और मेरे तने हुए लंड को फिर से अपने हाथ में ले लिया. जैसे ही वो मेरे लंड को अपने हाथ से उपर नीचे करने लगी, मेरे मूँह आहह ऊहह की आवाज़ें निकलने लगी.
मैं कराहते हुए बोला, “ओह मम्मी, हां ऐसे ही” और वो जल्दी जल्दी अपना हाथ मेरे लंड पर चलाने लगी. बेबी आयिल की वजह से और ज़्यादा मज़ा आ रहा था, सूखा सूखा मूठ मारने से कहीं ज़्यादा. और उसकी वजह से आवाज़ भी आ रही थी, मम्मी का हाथ जैसे उपर नीचे होता, फॅक फॅक, स्लिप स्लॅप की आवाज़ आती. कुछ देर बाद, मुझ से बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया, और मैं बोला, “मम्मी, मैं बस होने ही वाला हूँ.”
जवाब में उनके मूँह से बस एक आहह निकली, और वो अब तेज़ी से मूठ मारने लगी. मेरी गोलियों की बेचैनी अब उपर की तरफ बढ़ती जा रही थी, मेरे पेट और पैरो की तरफ. शुपाडे के छेद में से निकलते वीर्य के पानी की पहली पिचकारी को मैं देख रहा था, पहली पिचकारी बड़ी ज़ोर से निकली, पानी करीब डेढ़ फीट उपर तक हवा में गया, और फिर मेरे पैरों और मम्मी की बाहों पर गिर गया.
"ओह्ह! आआआः! आआआः! गॉड! आआआः!" मेरे मूँह से अपने आप तरह तरह की आवाज़ें निकल रही थी, और मेरा लंड पानी की पिचकारी पर पिचकारी छोड़ के मुझे और मम्मी की बाहों को गीला कर रहा था. मैं झड़ते हुए परम सुख में खोते हुए, मम्मी की पीठ पर हाथ रख के ज़ोर से दबाने लगा.
"हां बेटा,हो जाओ" वो फुसफुसाई.
मैं इतना ज़ोर से झडा था, कि मानो मुझे तारे नज़र आ गये हो, और मैं करीब करीब बेहोश सा हो गया था. कुछ देर बाद, धीरे धीरे, मुझे कुछ सॉफ दिखाई देने लगा, और मेरे लंड ने वीर्य के पानी की पिचकारियाँ मारना बंद किया. मम्मी के हाथ ने भी अब मूठ मारना बंद कर दिया था, और वो अपने अंगूठे से, मेरे लंड के सुपाडे के उपर वीर्य को मल रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था.
"ठीक है, अब अच्छा फील कर रहे हो?" मम्मी ने पूछा.
मैं किसी तरह साँस लेते हुए बोला, “मम्मी, मज़ा आ गया. ये बेबी आयिल तो कमाल की चीज़ है, और जब कोई दूसरा कर रहा हो, तो और भी ज़्यादा मज़ा आता है.”
उन्होने मेरी तरफ देखा, वो अब भी मेरे लंड के सुपाडे को अपने अंगूठे से गोल्गोल घुमा कर घिस रही थी. “क्या तुम ये रोज करते हो, बेटा?”
“हां, ज़्यादातर नहाते समय बाथरूम में.”
वो दूसरी तरफ देखने लगी, और कुछ देर खामोश रहने के बाद बोली, “अगर तुम चाहो तो... मैं हर रोज तुम्हारे लिए ये कर सकती हूँ, राज.”
"आप मज़ाक तो नही कर रही ना,"मैं बोला. "क्या आप रोज मेरे लिए ये करोगी? लेकिन?"
उन्होने फिर से मेरी तरफ देखा. “हां , बेटा. क्योंकि तुम्हे इसकी ज़रूरत है, और मैं तुमको बहुत प्यार करती हूँ.. और वैसे भी मुझे भी तो.... ऐसा कर के मज़ा आया."
"कभी कभी मैं एक दिन में दो या तीन बार कर लेता हूँ,” मैने आशा भरी आवाज़ में कहा.
वो हँसी और उठ कर खड़ी हो गयी. “हम को शुरुआत में बस सुबह उठने तक ही सीमित रखना होगा.” जब वो ये बोल रही थी, तभी उनकी बाहों से मेरे वीर्य का पानी नीचे टपकने लगा. “मैं सॉफ करने के लिए कुछ लेकर आती हूँ,” वो बोली.
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