RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं समझ रहा था. लेकिन जो कुछ मैने सुना, मुझे अपने कानों पर विश्वास नही हो रहा था. मैं सपने में भी नही सोच सकता था, कि मेरी मम्मी किसी और के साथ संबंध बनाएगी. मेरी मम्मी उस तरह की नही थी, और ना ही उनका स्वाभाव और कॅरक्टर उस तरह का था. मैने ये सब बातें जब मुन्नी बुआ को बोली, तो थोड़ी देर बुआ सुनती रही, फिर बोली, “राज, तुम्हारी मम्मी की जिस्मानी जारूरतें जो कि पूरी नही हो रही हैं, किसी भी और नॉर्मल औरत की ही तरह हैं.”
“अब हम बेकार में टाइम वासे कर रहे हैं, तुम्हारी मम्मी ना जाने कब शॉपिंग से लौट कर आ जायें. अब बिना टाइम वेस्ट किए, तुम यहाँ आओ, मैं तुम्हारे लंड को चूस लेती हूँ.” बुआ तो जैसे वियाग्रा की तरह थी, अभी थोड़ी देर पहले तो मैं मूठ मार के आया था, लेकिन जैसे ही उन्होने मुझे अपने मम्मे दिखाए, मेरा लंड फिर तन के खड़ा हो गया, मानो मैने शिलाजीत खा रखी हो.
बुआ बेड के किनारे पर बैठे हुए, मेरे लंड पर अपनी जीभ फिरा कर उसे गीला करने लगी, और फिर अपनी जीभ लंड के सुपाडे पर फिराने लगी, मैने देखा बुआ ने वो डाइमंड के एअर रिंग्स पहन रखे थे. “बुआ, हम क्यों ना एक तरकीब निकालें, जिस से ग़लती होने की संभावना बिल्कुल ना रहे?” मैने पूछा.
“कैसी तरकीब? तुम कहना क्या चाहते हो?” मेरे लंड को अपने मूँह में घुसाए हुए ही बुआ ने पूछा.
“आपके ये एअर रिंग्स. मैं आप के इन एअर रिंग्स को देख के आप को पहचान लूँगा, कि ये आप ही हो.”
बुआ लंड को चूस्ते हुए, हंस को बोली, ये तो बहुत इंट्रेस्टिंग है.
"ठीक है, मैं हमेशा इन एअर रिंग्स को पहने रहूंगी, जिस से ये ख़तरा तो नही रहेगा, कि ग़लती से तुम पीछे से जाकर अपनी मम्मी के मम्मों को ही ना दबाने लगो.”
"बुआ, विश्वास करो, ऐसा फिर कभी नही होगा,"मैने कॉन्फिडेंट्ली कहा. "मुझसे ऐसी ग़लती फिर कभी नही होगी."
“ऐसी ग़लती अब करना भी मत, अब बहुत बातें हो गयी. तुम क्या चाहते हो मैं क्या इसको चूसति ही रहूं?” बुआ ने कामुक अंदाज में कहा. मैने अपने मूँह पर ताला लगा लिया, और अपने हाथ नीचे ले जाकर, बुआ के मम्मों को दबाने और मसल्ने लगा. आअहह... मम्मों को दबाने का मज़ा ही कुछ और है, मैने मन ही मन सोचा. “बक्चोदि से ये लाख गुना बेहतर है.....!”
अगले कुछ दिनों तक मैने और बुआ ने, जो भी मौका मिला उसका भरपूर फ़ायदा उठाया. हालाँकि मैं बुआ से ज़्यादा एक्सपीरियेन्स्ड था, लेकिन फिर भी मैने बुआ से बहुत कुछ सीखा. तान्या से अब फोन पर बातें होने लगी थी, वो भी फिर से मेरे साथ फ्लर्ट करने लगी थी. मैं हमेशा बुआ से के साथ ज़्यादा से ज़्यादा टाइम बिताने का प्रयास करता.
उस दिन मैं जब घर लौटा तो शाम के 7 बज रहे थे. जैसे ही मैं घर के अंदर घुसा, मैने देखा, कि पापा की कार वहाँ नही थी, मैं जल्दी से मेन डोर से अंदर दाखिल हुआ, मैं सोच रहा था, शायद पापा किसी डिन्नर पार्टी में गये हैं. भूख तो मुझे भी लग रही थी, मैं जल्दी से किचन में घुसा, घुसते हुए मैं किसी से बस टकराते टकराते बचा, मैने सोचा शायद मम्मी से टकराया हूँ, तभी मेरी नज़र उन डाइमंड एअर रिंग्स पर पड़ी. “मुन्नी बुआ!” “आपको पता है मम्मी पापा कहाँ गये हैं?”
मैने पूछा. बुआ कुटिल मुस्कान के साथ बोली, “तुम्हारे पापा मुंबई किसी बिज़्नेस ट्रिप पर गये हैं. तुम्हारी मम्मी उनको एरपोर्ट तक छोड़ने गयी हैं. बस थोड़ी देर पहले आ जाते तो तुम्हारी मुलाकर हो जाती.”
"मम्मी कब तक लौट कर आएँगी?" मैने शरारात भरे लहजे में पूछा.
"उनको तो अभी 2-3 घंटे लगेंगे,” मुन्नी बुआ ने जब ये बोला यो उनकी आँखों में चमक आ गयी. बुआ ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा “चलो आज तुम्हारे मम्मी पापा के बेड पर करते हैं, जिस से कुछ अलग स्पेशल लगेगा, फिर जानें हम कब मिलें?.”
मैने पूछा, “क्यों बुआ, इतनी जल्दी, क्या हुआ?”
बुआ ने थोड़ा उदास होते हुए बताया, “राजीव क्रिस्मस की छुट्टियों पर घर आ रहा है.”
"शिट." मैं कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से बोल गया, मुझे अपनी फीलिंग्स को इस तरह एक्सप्रेस नही करना चाहिए था. “मैं आप को बहुत मिस करूँगा बुआ,” मैं बुआ का हाथ पकड़ते हुए बोला. फिर हम दोनो मम्मी पापा के बेडरूम में चले गये.
बेडरूम में पहुँच कर मैं बोला, “तो फिर आज की इस शाम को यादगार बना देते हैं.” मुन्नी बुआ थोड़ा मुस्कुराइ, लेकिन मैं देख रहा था, वो थोड़ा परेशान और नर्वस थी.
" राज, चिंता मत करो, थोड़े दिनों में तुम्हारी शादी हो जाएगी, सब ठीक हो जाएगा. और वैसे भी मैं इस बार की तरह कभी इतने ज़्यादा दिनों तक यहाँ रुकने वाली नही हूँ. कुछ साल बाद जब तुम्हारे बच्चे हो जाएँगे तो वो मुझे दादी-दादी बुलाया करेंगे, जैसे तुम मुझे बुआ-बुआ बुलाते थे.
"तो ठीक है फिर... तो आज की ये शाम हम दोनो के लिए बहुत ज़्यादा स्पेशल है !” मैने बुआ का हाथ फिर से अपने हाथों में लेते हुए कहा. फिर बुआ ने अपना गाउन उतारना शुरू कर दिया. मुझे बिल्कुल सर्प्राइज़ नही हुआ, कि बुआ ने गाउन के नीचे कुछ भी नही पहना हुआ था. मैने भी जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारे और बुआ के साथ बेड पर लेट गया.
"मुझे प्यार करो राज...बहुत देर तक, धीरे धीरे. मैं इसको अपने आंदार बहुत दिनों तक समेटे रखूँगी, मुझे इसकी बहुत ज़रूरत पड़ने वाली है.” मैं समझ रहा था बुआ क्या कहना चाह रही हैं; उनको किसी मर्द के साथ सेक्स करने का सुख ना जाने अब कब मिलने वाला था, मैं ये बात जानता था.
"ठीक है, तो फिर मैं आज आपको वो सब दिखाता हूँ जो कुछ पिछले कुछ दिनों में, सच में मैने बस आप से ही सीखा है, “ मैं बोला. फिर कामुक, हवस भरे अंदाज में बोला, “पहले मैं थोड़ी आपकी छूट चाट लेता हूँ.”
"ओह राज...बहुत मज़ा आएगा," मुन्नी बुआ बोली. "हां, प्लीज़...आ जाओ तो फिर!" मैं बुआ की दोनो टाँगों के बीच घुस गया, और बुआ ने किस तरह उनकी चूत को मज़ा देना सिखाया था, उसको याद करने लगा. मुन्नी बुआ कराह रही थी, आहें भर रही थी, और उनका पेट उपर नीचे हो रहा था, वो अपनी गान्ड उपर की तरफ उठा रही थी. बुआ बहुत ज़्यादा गरम हो गयी थी, जल्दी ही बुआ मेरे मस्त चूसने से अच्छी वाली झाड़ के दो बार पानी छोड़ गयी. फिर बुआ मेरे लंड को चूस ने लगी, मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया, बहुत मज़ा आ रहा था, मेरे लंड को बुआ बहुत अच्छी तरह चूस रही थी. फिर मैने बुआ के उपर आते हुए, अपने फन्फनाते लंड को बुआ की गीली चूत में घुसा दिया, हम दोनो के शरीर इस तरह रिक्ट कर रहे थे, मानो हम कितने सालों से एक दूसरे के साथ चुदाई कर रहे हो. हम दोनो करीब 2 घंटे तक मम्मी पापा के बेड पर चुदाई करते रहे. तभी गेट खुलने और कार की आवाज़ सुनाई दी, हम दोनो सतर्क हो गये, और समझ गये कि हमारा तिलिस्मी साथ अब शायद ख़तम हो चुका है. हम दोनो ने फटाफट अपने अपने कपड़े संभाले.
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