RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
"ऐसा मज़ा पहले कभी नही आया, हुह?" बुआ ने मुस्कुराते हुए कहा, उनकी आँखे बता रही थी, कि उनके शरीर के अंदर अभी भी बहुत आग और गर्मी बाकी है. मैं कुछ नही बोला, मेरे दिमाग़ में तरह तरह के ख्याल चल रहे थे. अभी अभी बुआ ने मेरे लंड को चूस कर मेरे माल निकाला है, ये बात मेरे दिमाग़ में चल रही थी, साथ ही साथ, ये बात भी चल रही थी कि मैं बुआ को जल्द से जल्द चोदना चाहता हूँ.
"मैं भी सूसू करके आता हूँ...." ऐसा कहते हुए, मैं रूम से बाहर निकलने ही वाला था, तभी मुन्नी बुआ मुझे जाते देख, एक शरारत भरी मुस्कान अपने चेहरे पर ले आई. जैसे ही मैं उठ कर खड़ा हुआ, बुआ बोली, “जल्दी वापस आ जाओ, अभी तुम्हे मेरी चूत का स्वाद भी चखना है... पहले चाटी है, कभी किसी की चूत?”
“नही... बुआ, आज से पहले किसी ने ऐसा मौका ही नही दिया, आप बता देना कैसे क्या करना है.” मैने एक बार फिर से झूठ बोला. बुआ अब भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी.
"डॉन'ट वरी, मैं तुम को सब सिखा दूँगी. फिर कहीं तान्या को विश्वास ही नही होगा, कि तुमने ये सब कहाँ से सीखा!" मुन्नी बुआ बोली. ऐसी बातें सुनकर, मेरा लंड जो कुछ मिनिट्स पहले ही माल निकालकर ठंडा पड़ा था, फिर से खड़ा होने लगा. मुझे सूसू बड़ी ज़ोर से लगी थी, मैं जल्दी से लंड को हाथ में पकड़ कर बाथरूम की तरफ चल दिया...
जब मैं पेशाब कर के अपने रूम में पहुँचा, मुन्नी बुआ अपनी दोनो टाँगें खोल के लेटी हुई थी, और मेरा इंतेजार कर रही थी. मैं दरवाजे में से मुन्नी बुआ को अपने आप से खेलते हुए देखा, “हे भगवान...... मुन्नी बुआ!” बस ये ही मेरे मूँह से निकला.
"यहाँ आओ," बुआ बोली. "कभी किसी लड़की की चूत देखी है?"
मैने ना में सिर हिलाया. मेरा गला सूखने लगा था और मैं अपना होश खोने लगा था.
"तो फिर तुमको सीख लेना चाहिए," बुआ ने अपनी टाँगों को और ज़्यादा फैलाते हुए कहा.
मैं बुआ की तरफ फेस करके, उनकी दोनो टाँगों के बीच चमक रही गीली चूत को देखते हुए, बेड के किनारे पर बैठ गया. मुन्नी बुआ अपनी चूत को अपने हाथों से फैलाते हुए, मुझे अपनी गीली चूत के दोनो फांकों के बीच उपर उस गुलाबी दाने को दिखाने लगी.
"मैं इसको चूत का निपल कहती हूँ," बुआ ने उसको सहलाते हुए दोस्ताना अंदाज में समझाते हुए कहा. "जब मैं अपने निपल्स छूती हों, तो यहाँ खुजली होने लगती है,” बुआ ने चूत के दाने पर उंगली घुमाते हुए नशीले अंदाज में कहा . “और जब मैं इस चूत के दाने पर अपनी उंगली फिराती हूँ, इस तरह.... तो मेरे निपल्स खड़े हो जाते हैं. और अगर कोई इस पर अपने जीभ फिराए तो और ज़्यादा अच्छा लगता है. याद है, मैं जब तुम्हारे लंड को चूस रही थी, तब कैसा लग रहा था? मूठ मारने से ज़्यादा मज़ा आ रहा था ना?” मैं बस चुप चाप बैठे हुए, हां में गर्दन ही हिला पाया. “ठीक उसी तरह, मुझे भी अच्छा लगता है, जब कोई मेरे साथ उस तरह करता है. तो फिर राज, अब तुम सीखना चाहोगे, कैसे करते हैं?”
"ओह हां बुआ!" मैं एक गहरी साँस लेते हुए कहा. "दिखाओ बुआ, दिखाओ मुझे!" मैने उत्सुकता से पूछा. मैं बुआ की दोनो टाँगों के बीच आराम से बैठ गया. बुआ की चूत मेरे चेहरे से बस कुछ इंच दूर थी, मैं सब कुछ अपने अंदर समाहित कर रहा था, बुआ की चूत की खुश्बू, चुदाई से पहले हवस की महक, जो बहुत मादक थी, और मैं बुआ को चोदने की हवस के नशे में डूबता जा रहा था.
"बस वैसा ही करते रहो, जैसा मैं तुम से कहूँ," बुआ फुसफुसाते हुए बोली. "मैं तुम्हे आज ऐसा चूत चाटना सिखाउन्गि, कि लड़कियाँ तुम्हारे से चूत चटवाने का इंतेजार किया करेंगी."
मैने अपने सिर पर बुआ के हाथ का हल्का सा दबाव महसूस किया, वो मुझे अपनी गरम गरम चूत की तरफ गाइड कर रही थी. अपने आप, मैने अपनी जीभ को नुकीला करके, जीभ के टिप को चूत के दाने को छेड़ दिया. “धीरे धीरे” मुन्नी बुआ ने सिखाते हुए कहा. “अपनी जीभ को एक पंख की तरह समझो. और उसको इस तरह घिसो जैसे मेरी चूत को कोई पंख फिरा कर छेड़ रहे हो.” मैने वैसा ही किया, और जान बूझकर जीभ ज़्यादा दबाव नही डाला, और किसी तरह का घर्षण नही होने दिया.
”हां राज, ऐसे ही, बहुत बढ़िया, बस ऐसे ही करते रहो मेरी जान, बससस्स आईसीई हीईिइ!” मैने चूत के दाने को हल्के से छेड़ा, और फिर कुछ मिनिट्स तक, बस ज़रा सा उसको छूता रहा. “थोड़ा अपनी जीभ को घुमा सकते हो?” बुआ ने पूछा.
मैने हां में सिर हिलाते हुए, बुआ की पूरी चूत को चाट लिया.
बुआ खिलखिला उठी. “बढ़िया. तुम्हे मालूम है, कैसे लगा था जब मैने तुम्हारे लंड के निचले हिस्से को चाटा था?” मैने फिर हन में सिर हिलाया, और फिर से पूरी छूट को चाट लिया, और मेरी जीएभ छूट के स्पर्श का आनंद लेने लगी.
बुआ फिर से खिलखिल्ला उठी, “व्हूफ...जान, बहुत मज़ा आ रहा है, लेकिन इसको बाद के लिए बचा के रखो,” बुआ ने मुझसे सीख दी. “मैं चाहती हूँ कि तुम अपनी जीभ को घुमा कर, मेरी चूत के दाने को उसमे लपेट लो, और फिर उसको फँसा के थोड़ा उपर नीचे करो... एक बार फिर से... धीरे हल्के से.”
मैने वैसे ही किया, अपनी जीभ से उस चूत के दाने के संवेदनशील हिस्से को चोदने लगा.
बुआ अब ज़ोर ज़ोर से साँसें लेने लगी, और खुश होकर मीठी मीठी आहे भरने लगी. “ऐसे ही चोद दो मेरी जान, ऐसे ही, पर्फेक्ट!” बुआ धीरे से करहाई. “अब ऐसा करो, तुम थोड़ा उपर आ जाओ और अपने हाथों से मेरे निपल्स से खेलना शुरू कर दो, और नीचे वैसे ही अपनी जीभ से करते रहो.”
मैने अपने दोनो हाथ उपर की तरफ बढ़ा कर, बुआ के दोनो मम्मों को अपनी हथेलियों में भर लिया, और फिर मज़े से उनकी सॉफ़टनेस्स्स और फर्मनेस का अंदाज़ा लगाने लगा, और फिर उनको दबाने, मींजने लगा, और अपनी उंगलियों को उनके उपर घुमा घुमा कर, बुआ के हार्ड निपल्स, जो खड़े हो चुके थे, उनको उंगली और अंगूठे से उत्तेजित होकर उत्सुकता में मींजने लगा, जिस से वो और ज़्यादा खड़े होने लगे.
मुन्नी बुआ अब और ज़ोर से साँसें ले रही थी, और बीच बीच में उनकी साँस फूल भी जाती थी, मैं अब भी बुआ की चूत के दाने को अपने जीभ से छू छू कर छेड़ रहा था.
“ओके राज... अब चूसना शुरू करो. इस चूत के दाने को अपने मूँह मे ले लो, और फिर आराम से इसको चूसना शुरू करो.”
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