Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 03:14 PM,
#93
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं अपनी घर में पहनने वाली शर्ट को उठाने लगा, तभी बुआ बोली, “अभी कपड़े मत पहनो, ऐसे ही अच्छा लग रहा है, और अगर तुम पहनोगे तो मुझे भी पहनने पड़ेंगे. मैने नज़रें उठा के बुआ की तरफ देखा, एक बार फिर से मेरी नज़रें बुआ के मस्त मम्मों पर अटक गयी.


"मुझे विश्वास नही होता, कि तुमने कुछ नही किया होगा," बुआ ने कुछ देर सोच के बोला.

"ऐसा नही है बुआ, कि कुछ नही किया, लेकिन....." मैं थोड़ा सावधान होते हुए बोल रहा था, क्यों कि मुझे मालूम था, कि मैं जो कुछ बुआ को बताउन्गा, वो पहले मम्मी और फिर मम्मी से पापा को पता चल ही जाएगा. अब मुझे इस तरह बुआ से बातें करते हुए उतना असहज महसूस नही हो रहा था.

मैने कुछ देर सोच के बुआ से पूछा, “मम्मी ने आपको क्या क्या बताया है.”

बुआ शायद इस सवाल के लिए तय्यार थी, “राज, तुम्हारी मम्मी बहुत समझदार हैं, वो इस उमर में लड़कों की शारीरिक ज़रूरतों को समझती हैं. तुम्हारी मम्मी और डॉली बहुत क्लोज़ थी, और एक दूसरे से कोई बात नही छुपाती थी. तान्या और तुम्हारे बीच सेक्स को छोड़ के जो कुछ भी हुआ है, उसका तुम्हारी मम्मी को पता है. डॉली ने तुम्हारे और तान्या के बीच जो कुछ हुआ है वो मम्मी को बता रखा है. लेकिन तुम दोनो ने इतने दिनों तक केवल टच और मास्टरबेशन तक अपने आप को कैसे सीमित रखे हुए हो, मुझे विश्वास नही होता.”

यका यक, मेरे दिमाग़ की बत्ती जल गयी, मैं समझ गया कि मेरे और तान्या के बीच जो कुछ भी हो रहा था, उसके बारे में तो मम्मी को मालूम है, लेकिन दीदी ने मेरी और तान्या की चुदाई के बारे में कुछ नही बताया है, और ना ही मम्मी को मेरी और दीदी की करतूतों के बारे में कुछ पता है. सब कुछ अब मेरे दिमाग़ में सॉफ होने लगा था.

“लेकिन तान्या के घर पर तो तुम 2 या 3 रात रुके हो, क्या उसको अभी तक नही चोद पाए,” बुआ ने फिर से सवाल दागा.

“बुआ, आप को मालूम ही है, आज कल की ये पढ़ी लिखी लड़कियाँ कितनी तेज हैं, शादी से पहले चुदाई को तय्यार ही नही होती, कहती हैं, बस उपर उपर से ही कर लो,” किसी तरह मैने असलियत छुपाने की कोशिश की.

“उपर उपर से मतलब,” बुआ ने ख़ुफ़िया लहजे में पूछा.

“मतलब, मैने उसकी चूंचियाँ दबाई हैं, उसको केवल पैंटी में देखा है, लेकिन अभी तक उसके अंदर नही घुसाया है. वो अपने कपड़े उतार के, मेरे लंड को हिला हिला के इसका पानी निकालती है,” मैने विस्तार में बुआ को समझाया.

कुछ देर हम दोनो के बीच खामोशी छा गयी.

"क्यों राज, वो सालों पुरानी यादें ताज़ा हो गयी, जब हमने ऐसी बातें की थी?" बुआ ने मेरा हाथ अपने हाथों के बीच दबाते हुए पूछा, और फिर बोली, “कितने सालों के बाद हमको इस तरह अपनी बातें एक दूसरे को बताने का मौका मिला है.


"अच्छा बुआ, अब आप अपने बारे में बताओ, आपने अभी तक अपने बारे में कुछ नही बताया है, आप का कैसे चल रहा है.” मेरी भी बियर के नशे में सारी झिझक खुल गयी थी. 

मेरे इस सवाल ने बुआ को थोड़ा सोचने पर मजबूर कर दिया.

"क्या तुम सच में असलियत सुनना चाहोगे?" बुआ ने मुझसे पूछा. मैने हां में सिर हिला दिया, मुझे नही मालूम था, कि बुआ क्या बताने जा रही हैं.

"मैने तुम्हारे फूफा जी को किसी दूसरी औरत के साथ चुदाई करते हुए पकड़ा था.” बुआ ने बताना शुरू किया. “शायड उन दोनो का पिछले बहुत महीनों से अफेर था, मुझे ही इतने दिनों बाद पता चला था."

"लेकिन फूफा जी ने ऐसा क्यों किया?" मैने पूछा, लेकिन फिर तुरंत मुझे एहसास हुआ, कि मुझे इस तरह नही पूछना चाहिए थे. ऐसा लगा मानो बुआ अभी रो देंगी. 

"क्यों कि वो मेरे से आधी उमर की कच्ची कली थी, उसकी उमर के हिसाब से बहुत बड़ी बड़ी चूंचियाँ थी, और सबसे बड़ी बात वो हमारे ही एक ग़रीब मजदूर की बेटी थी. अपनी ग़रीबी से तंग आकर वो माँ बाप अपनी बेटी को तुम्हारे फूफा जी से चुदवाते थे. रोज रात को ये शराब पीकर, अपनी जीप निकालते, और उस की झोंपड़ी में जाकर उसके माँ बाप के सामने उसकी चुदाई करते. जिस रात इनका आक्सिडेंट हुआ, उस रात भी ये कुछ ज़्यादा शराब पीकर, उस लड़की को ही चोदने जा रहे थे, लेकिन जीप पर कंट्रोल नही कर पाए, और तेज रफ़्तार में जीप एक पेड़ से टकरा गयी थी,” बुआ ने मुझे बताया. मैने देखा ये सब बताते बताते रोने लगी थी.

"ओह शिट बुआ...आइ'म सॉरी, रियली." मेरे कुछ समझ में नही आ रहा था, कि और क्या कहूँ, और कहीं बिना सोचे हुए, नशे की इस हालत में कहीं कुछ ग़लत ना बोल दूं. फिर बुआ थोड़ा संभाली, और बोली, “चलो जो होता है, अच्छा ही होता है, मैं अपने रहते वो सब देख भी नही सकी थी. मुझे छोड़ कर वो किसी और की चुदाई करें. क्यों राज, कौन औरत बर्दाश्त करेगी?”

मैने इस तरह के सवाल के लिए बिल्कुल तय्यार नही था, मैने एकदम सकपका कर पूछा, “क्या बुआ?”

बुआ ने हंसते हुए कहा, “चुदाई और क्या?” बुआ का इतना कहते ही हम दोनो हँसने लगे. हम दोनो हंसते हंसते पास आ गये, हमारे शरीर एक दूसरे को छूने लगे, मुझे लगा मुझे थोड़ा दूर हो जाना चाहिए, बुआ की चूंची मेरी बाहों को छू रही थी, और थोड़ा दब भी रही थी. लेकिन मैं उसी पोज़िशन में बैठा रहा, और उस उत्तेजक एहसास अक आनंद लेता रहा, बुआ के निपल्स अब खड़े होने लगे थे, और मेरी स्किन को छू रहे थे. मेरे अंदर बहुत तरह की फीलिंग्स आ रही थी, उतेजक, लंड भी थोड़ा थोड़ा खड़ा हो रहा था, थोड़ी शरम भी आ रही थी, थोड़ा नशा भी चढ़ा हुआ था, और थोड़ा डर भी लग रहा था.

मुन्नी बुआ बेड पर खिसक कर मेरे और ज़्यादा पास आ गयी, और मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी. 

मैने भी बुआ की तरफ देखा, और स्लो मोशन में, उनको अपने पास आता महसूस कर रहा था. बुआ के खुले हुए होंठ, मुझे मानो आमंत्रित कर रहे हो. तभी मैने बुआ को मेरे करीब आते हुए महसूस किया, तो मेरे होंठ अपने आप खुल गये, और बुआ ने जैसे ही अपने होंठों को मेरे होंठों पर दबाया, मेरे होंठों ने उनको तुरंत स्वीकार कर लिया.


"मुझे तुम्हारी ज़रूरत है, राज." मुन्नी बुआ बोली. और उस वक़्त मुझे भी, इस से ज्याद और कुछ नही चाहिए था.

"मुझे भी." बस मैं इतना ही बोल पाया. लेकिन इतना कहना ही बहुत था. मुन्नी बुआ ने मेरे बॉक्सर में हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया.

"सच में आज तक किसी ने इसको नही चूसा है?" मुन्नी बुआ ने पूछा. मेरे दिमाग़ में डॉली दीदी और तान्या के मेरे लंड चूसने की तस्वीरें घूम गयी, लेकिन मैने अपने आप को संयत रखा.

"आह... नही, बुआ कभी नही." मेरे मूँह से किसी तरह ये शब्द बाहर निकले, तभी बुआ ने मेरे लंड को अपने मूँह में भर लिया.

“ओह... बेहनचोद ! बुआ !” बहुत दिनों के बाद मुझे ये सुख मिल रहा था. मुन्नी बुआ के मूँह का एहसास, प्यार से चूमना, चूसना और लंड को सहलाना, इसका आनंद ही कुछ और था. "ओह, प्लीज़...बुआ, रुक जाओ प्लीज़!" मैने मानो चेतावनी देते हुए कहा. आज पहली बार मैं इतना जल्दी झड़ने वाला था, ना जाने बुआ के मूँह और जीभ में क्या जादू था. “बुआ... बुआ! रूको! रूको! मैं बस झड़ने ही वाला हूँ!” मैने गुर्राते हुए कहा. टट्टों के अंदर गोलियाँ टाइट होकर उपर चढ़ने लगी थी, सुपाडे के छेद में से जैसे ही लावा फुट कर बाहर निकला, उसने बुआ के मूँह को भर दिया, बुआ लंड को चूसे जा रही थी, और ज़्यादा से ज़्यादा माल निकालने की कोशिश कर रही थी. मैं तो मानो जन्नत में पहुँच चुका था, बुआ के नंगे शरीर को अपने पास लेटा देख, अपने आप पार काबू करना बहुत मुश्किल था. क्या खूबसूरत शरीर की मालकिन थी मेरी बुआ, हर जगह सही अनुपात में माँस चढ़ा हुआ था, बिल्कुल हार्ट का शेप लिए हुए उनकी गान्ड. बुआ अब भी मेरे पास लेटे हुए, मेरे लंड को चाट और चूसे जा रही थी, और ये सुनिश्चित कर रही थी, कि वीर्य की एक भी बूँद, उनकी जीभ के चाटने से ना रह जाए. मैने अपनी आँखें खोली, मुन्नी बुआ अब भी मेरे लंड के सुपाडे को सॉफ्टी आइस क्रीम के कोन के माफिक चाट रही थी.
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