RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी मेरे लंड की तरफ झुकी और मेरे खड़े लंड को अपने गरम मूँह में भर लिया, उनकी पानी चू रही चूत अभी मेरे चेहरे के सामने थी. दीदी को कोई शक नही था कि मैं भी ज़्यादा देर नही टिकने वाला, और जल्द ही झड़ने वाला हूँ. मैने जहाँ से छोड़ा था, वहीं से अपना काम शुरू कर दिया, और दीदी के मूँह में लंड को ऐसे घुसाने लगा, मानो दीदी की चूत चोद रहा हो, अंदर तक, ज़ोर से. मैं लंड को दीदी के मूँह में पूरा अंदर घुसा के, हर धक्के के साथ, सुपाडे को उनके गले से टकरा रहा था. दीदी अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़े थी, और उसे आगे पीछे कर रही थी, जिस से मूँह पर लंड का सही निशाना लग सके, और मूँह के अंदर घुसते हुए लंड को गाइड कर रही थी.
जैसे ही मैं झड़ने के करीब पहुचा, तभी मेरे झटकों की रफ़्तार धीमी पड़ गयी, और मेरी कमर अपने आप आगे पीछे होने लगी. दीदी ने अपना मूँह और ज़्यादा खोल लिया, और सुपाडे के सामने अपने मूँह को खोल के सेट कर रखे था, वो अब भी मेर लंड को हाथ से आगे पीछे करते हुए मुस्कुरा रही थी. आज शायद दीदी को झड़ने में मेरे से ज़्यादा मज़ा आया था, लेकिन इस वीडियो को देख के मैं ना जाने आज के बाद, कितनी बार अच्छे से मूठ मारके झड़ने वाला था.
मेरे मूँह से अपने आप आहह ऊओ की आवाज़ें निकलने लगी. जब मैने पहली पिचकारी छोड़ी तो हवा में होता हुए वीर्य की धार, सीधी दीदी के गले से जाकर टकराई, दीदी ने उस गरम वीर्य का स्वाद लिया और उसको निगल गयी. दीदी का मूँह थोड़ा नीचे होने के कारण थोड़ा पानी दीदी के हाथ और मेरे लंड पर भी गिरा. तभी मेरा लंड दूसरी पिर्चकारी के लिए तय्यार था. दीदी ने इसको जीभ को फिराते हुए ज़्यादा से ज़्यादा अपने मूँह में लिया. इस से पहले की वो उसको निगल पाती अगली धार आती देख, दीदी ने अपने होंठ मेरे लंड से चिपका लिए, और उनके मूँह बे भरा वीर्य, उनके होंठों से मेरे लंड को छूता हुआ, टपकने लगा.
दीदी के होंठों पर से अपने वीर्य को टपकते देख, मेरा ध्यान थोड़ा विचलित हो गया, और मेरी अगली पिचकारी, जो पहली पिचकारियों से थोड़ी कम तेज थी, वो दीदी के बालों पर गिरी, और पानी लुढ़क कर दीदी के चेहरे पर आ गया. दीदी ने अपने होंठ मेरे लंड के सुपाडे से बिल्कुल सटा लिए, और उसके बाद, मेरे लंड ने जितना वीर्य उंड़ेला, वो दीदी ने सारा अपने गरमगरम वीर्य मूँह में ले लिया. दीदी अब भी अपने होंठों को खोले हुए थी, जिस से वीर्य उनके मूँह में ही गिरे, या फिर उनके हाथों पर से बहता हुआ मेरे लंड पर बहे.
मेरे शरीर में अपने आप अजीब से कंपन्न हो रहे थे, और धीरे धीरे मैं शांत होता जा रहा था, जैसे जैसे मेरी गोलियों में जमा वीर्य दीदी के मूँह में बाहर निकल रहा था. दीदी मेरे लंड को धीरे धीरे सहलाते हुए उपर नीचे कर रही थी, मेरे वीर्य के पानी ने दीदी के हाथ और मेरे लंड के बीच चिकनाई पैदा कर, सब तरफ फैल गया था.
थोड़ी देर बाद मेरा कांपना बंद हुआ, लेकिन फिर भी दीदी के लंड को सहलाते रहने के कारण, जो लंड से पानी की छोटी छोटी बूँदें निकलती, वो भी मुझे थोड़ा थोड़ा हिला देती. दीदी ने आख़िर में एक बार फिर से अपनी चूत मेरे मूँह पर लास्ट टाइम चाटने के लिए रख दी. दीदी अब भी मेरे लंड को प्यार से, कभी इधर घुमा के तो कभी उधर घुमा के, चाटे जा रही थी, मानो वीर्य की एक भी बूँद छोड़ना ना चाहती हो. दीदी जीभ को लंड के उपर नीचे इस तरह उसकी मालिश करते हुए, साथ ही उसको सॉफ करते हुए फिरा रही थी, मानो कोई बिल्ली अपने बच्चे को चाट रही हो. आख़िर में जब लंड पूरी तरह सॉफ हो गया, दीदी ने अपना हाथ हटाया, और सीधी होकर बैठ गयी.
दीदी ने कॅमरा की तरफ देखा, और फिर अपने वीर्य से सने हाथों को अपने होंठों के पास लाकर, मेरे वीर्य के पानी को चाटने लगी. शायद ये उन वीर्य की शुरुआती पिचकारियों जितना टेस्टी तो नही था, लेकिन इतना बुरा भी नही था, दीदी हर एक बूँद का चाट कर आनंद ले रही थी.
मैने दीदी की दोनो टाँगों के बीच से निकलते हुए बोला, “वाह, दीदी मज़ा आ गया, थॅंक यू.”
दीदी ने कॅमरा की तरफ फेस करते हुए कहा, “नही राज, थॅंक योउ, तो मुझे बोलना चाहिए.”
जब हम एक दूसरे को निहार ही रहे थे, और मन ही मन सोच रहे थे कि जाने आज के बाद ऐसा कभी संभव हो भी पाएगा या नही, तभी डोर पर किसी ने नॉक किया. हम दोनो ने फटाफट अपने कपड़े पहने, और दीदी ने पूछा कौन है?
डोर के दूसरी तरफ से आवाज़ आई, “मॅ’म वी आर फ्रॉम शहनाज, यू हॅड बुक्ड और अपायंटमेंट फॉर ब्राइडल मेक-अप.”
मैने डोर खोला और खुद बाहर निकलते हुए, उनको अंदर वेलकम किया.
दीदी की शादी धूम-धाम से संपन्न हो गयी, दीदी विदा होते समय, जिस तरह से मेरे गले लगकर रोई, उसको मेरे और दीदी के सिवाय कोई और नही समझ सकता था. मेरी आँखों में भी आँसू थे, और दिल में ऐसी कसक, मानो मैने आज तक जो कुछ हासिल किया था, वो मेरे हाथों से निकला जा रहा हो...
बॅकग्राउंड में गाना बाज रहा था:
तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रही, मुझको सज़ा दी प्यार की, ऐसा क्या गुनाह किया, तो लूट गये, हां लूट गये, तो लूट गये हम तेरी मोहब्बत में ...
दीदी की शादी में आए सभी रिश्तेदार 2-4 दिनों के बाद चले गये. लेकिन मुन्नी बुआ को मम्मी पापा ने रोक लिया. जैसा कि आप को पता ही है, मुन्नी बुआ, जो कि मेरे पापा की छोटी बेहन थी, वो पास ही के शहर में अकेली रहती थी, आज से 8 साल पहले मेरे फूफा जी की एक आक्सिडेंट में डेत हो गयी थी. फूफा जी के पास बहुत दौलत थी, इस वजह से मुन्नी बुआ को फूफा जी की डेत के बाद भी, कोई ज़्यादा फाइनान्षियल प्राब्लम नही हुई. मुन्नी बुआ का एकलौता बेटा आइआइएससी बंगलोर में पढ़ रहा था. इसलिए मुन्नी बुआ अकेली ही फूफा जी की सारी जायदाद, और प्रॉपर्टी को संभालती थी.
मुन्नी बुआ की शादी बहुत कम एज में हो गयी थी, जब वो केवल 18 साल की थी. फूफा जी को वो किसी फॅमिली फंक्षन में पसंद आ गयी थी. इतना अच्छा रिश्ता आया देख मेरे दादाजी भी मना नही कर पाए थे और उनकी इतनी कम उमर में शादी कर दी थी, हालाँकि उनके और मेरे पापा के बीच 8 साल का एज डिफरेन्स था. मुन्नी बुआ की शादी के 1 साल बाद ही पापा की शादी हो गयी थी. मुन्नी बुआ की शादी के अगले साल ही राजीव पैदा हो गया था, जो आज कल बंगलोर में है. राजीव फूफा जी की डेत के समय केवल 10 साल का था.
बुआ वैसे तो हमारे यहाँ राखी, भैया दूज और दूसरे त्योहारों पर आती रहती थी. लेकिन वो बस 1 या 2 दिनों के लिए ही आई थी, या फिर सुबह आकर शाम को लौट जाती थी.
जब मैं सीबीएससी के 10थ क्लास के एग्ज़ॅम दे रहा था, उन दिनों वो हमारे घर कुछ दिनों के लिए रुकी थी, क्योंकि उनके बेटे राजीव का एनडीए एग्ज़ॅम सेंटर हमारे ही शहर में पड़ा था. बुआ मुझको बहुत प्यार करती थी, और उन दिनों जब भी हम दोनो अकेले होते, बुआ मुझसे मेरी क्लास में पढ़ने वाली लड़कियों के बारे में पूछ कर मुझे परेशान किया करती थी. जब भी मैं किसी लड़की के लिए उनको बताता, कि वो बहुत सुंदर है, तो वो झट से पूछा करती थी, “अच्छा राज बताओ, तुमको उसकी कौन सी चीज़ सुंदर लगती है?” मुझे वो सब बातें अब भी याद थी.
दीदी की शादी के बाद घर में छाये सूनेपन को दूर करने के लिए मम्मी पापा ने उनको रोक लिया था.
अभी मुन्नी बुआ की उमर 38 साल की थी, उनकी शकल मधुबाला से बहुत मिलती है. बुआ की बालों का कलर लाइट ब्राउन है, इस उमर में भी उन्होने अपने आप को मेनटेन कर रखा है और अपने शरीर पर ज़रा भी चर्बी नही चढ़ने दी, उनमे अब भी वो लड़कियों वाली बात है.
हालाँकि मेरे पापा को मालूम था कि इंडिया में एसएसआइ का कुछ मतलब नही है, इंडिया में केवल सर्विस इंडस्ट्री ही सर्वाइव कर सकती है, लेकिन फिर भी पापा ने रिस्क लेते हुए मेरे लिए एक छोटा सा मॅन्यूफॅक्चरिंग यूनिट खोल दिया. इंडिया में किसी मॅन्यूफॅक्चरिंग यूनिट को सेट अप करने के लिए कितनी तरह की परमीसंस चाहिएं, और कितनी घूस एक बंदा दे सकता है, मेरे को पहली बार मालूम पड़ा. मैं आज कल कॉलेज भी अटेंड कर रहा था, और साथ ही अपनी न्यूली एस्टॅब्लिश्ड छोटी सी मॅन्यूफॅक्चरिंग यूनिट को भी देख रहा था.
उस दिन मैं सुबह सुबह जल्दी ब्रेकफास्ट लेकर, कॉलेज अटेंड करने के बाद, अपनी नयी फॅक्टरी जाने का सोच के नीचे डाइनिंग टेबल पर आया. मम्मी किचन में ब्रेकफास्ट तय्यार कर रही थी, और साथ ही साथ किसी के साथ मोबाइल पर बात भी कर रही थी.
मम्मी ने मोबाइल पर बात करते हुए ही मेरे गुड मॉर्निंग विश का जवाब दिया, और कुछ देर बार ऑमेलेट्ट और सॅंडविच मेरे ब्रेकफास्ट के लिए लाकर, मेरे पास वाली डाइनिंग चेर पर बैठ गयी.
मम्मी: डॉली के जाने के बाद, तुमको ज़्यादा अकेलापन ना लगे, इसलिए हमने तुम्हारी मुन्नी बुआ को रोक किया है, क्यों ठीक किया ना? मुन्नी बुआ, डॉली के रूम में रहेंगी, तुम्हे कोई प्राब्लम तो नही है ना?
मम्मी: आज मुझे और तुम्हारे पापा को शाम को एक बिज़्नेस डिन्नर पर जाना है, तुम आज शाम को प्लीज़ कहीं मत जाना, मुन्नी बुआ के साथ ही रहना, नही तो सब घर से उनको अकेला छोड़ के चले गये उनको बुरा लगेगा
वैसे भी दीदी की शादी के बाद से ही मैं थोड़ा अनमना सा रहने लगा था, तान्या से भी बहुत दिनों से कोई बात नही हुई थी, पता नही उस इन्सिडेंट के बाद उसके दिमाग़ में क्या चल रहा था. हालाँकि, तान्या और उसके मम्मी पापा, दीदी की शादी में आए थे, लेकिन तान्या मुझसे दूर डोर ही रही, इस बात को शायद मेरी मम्मी ने शादी वाली रात नोटीस कर लिया था.
राज: हां मम्मी, अच्छा है, मुझे कोई प्राब्लम नही है, वैसे भी बुआ से बहुत सालों बाद बातें करने का मौका मिलेगा.
मैने ऐसा कहते हुए मम्मी को प्यार में गाल पर हल्का सा किस कर लिया, और उनको समझाते हुए कहा, “चलो अच्छा है, मुन्नी बुआ आ जाएँगी तो घर में अकेला पन नही लगेगा.” हालाँकि, मैं मन ही मन मुन्नी बुआ के साथ उन पुरानी बातों के बारे में सोच कर, अंदर ही अंदर खुश हो रहा था. हो सकता है, मुन्नी बुआ मेरे साथ आज अकेले में, इस बार भी पहले की तरह वैसी की अंतरंगता भरी, प्राइवेट बातें करें.
मैं दोपहर बाद कॉलेज से, अपनी फॅक्टरी पर होता हुआ, घर पर करीब शाम को 5 बजे पहुँचा, और सीधा उपर अपने रूम में घुस गया, हालाँकि मुझे मालूम था कि मुन्नी बुआ घर में ही हैं, और शायद दीदी वाले रूम में हो, मैने दिमाग़ में ही नही आया कि वो मेरे रूम में भी हो सकती हैं. जैसे ही मैं अपने रूम में घुसा, मैने देखा, मेरे बेडरूम पर दो सूटकेस खुले हुए पड़े हैं. तभी मेरी नज़र मुन्नी बुआ पर पड़ी, उन्होने अपने बालों पर सिर्फ़ तौलिया बाँध रखी थी, और नीचे..... बिल्कुल नंगी थी !!
"ओह गॉड! बुआ! आइ'म सॉरी! मुझे नही पता था, कि आप मेरे रूम में हो!" मैं हकलाते हुए बोला, और वापस डोर की तरफ जाने लगा. मुझे वहाँ देख कर, बुआ को भी थोड़ी देर कुछ समझ नही आ रहा था. लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ, कि बुआ ने आल्मिराह या पर्दों के पीछे भागकर, अपने नंगे बदन को छिपाने के लिए, कोई कोशिश नही की. बस अपने बालों से तौलिया खोलकर अपने सामने कर के पकड़ ली. लेकिन ऐसा करने के बाद भी, जो कुछ मैं देख चुका था, उसको ज़्यादा नही छुपा पा रही थी.
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