RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी मेरे लंड को धीरे धीर सहला रही थी, और मेरे गीले लंड को निहार रही थी. मेरा लंड एक दम फनफना रहा था, उसका सुपाड़ा एक दम गहरा लाल हो गया था, और प्रेकुं की बूँदें अब भी छोड़े जा रहा था. दीदी के होंठों की लिपस्टिक मेरे प्रेकुं में घुलकर, लंड के साइड में लग गयी थी.
दीदी फुसफुसाई, “अभी नही मेरे बच्चे, आओ यहाँ पर आकर लेट जाओ.” दीदी ने बेड पर थपथपाते हुए मुझे इशारा किया. दीदी घूमकर बेड के दूसरी तरफ चली गयी, वो अब कॅमरा के व्यू से बाहर थी. जब मैं अपनी जीन्स उतार के बेड पर लेटा, दीदी भी अपने घुटनों को दूर दूर करके घोड़ी बनते हुए मेरे पास आ गयी. दीदी ने थोड़ी सी अपनी स्कर्ट उठाई, जिस से कॅमरा में उनकी गीली चूत और मेरा फन्फनाते हुए लंड की तस्वीर आ जाए. दीदी ने एक हाथ से मेरे गीले लंड को पकड़ लिया, और उसे धीरे धीरे प्यार से,उपर नीचे कर सहलाने लगी. दीदी इस चीज़ का ध्यान रखे हुए थी, और बस इतना धीरे ही सहला रही थी, जिस से कहीं लंड अपना लावा दीदी के हाथों पर ही ना उगल दे.
जब दीदी मेरे लंड को उपर नीचे कर के अपने हाथ से सहला रही थी, तभी दीदी अपने होंठों को लंड के सुपाडे के करीब ले आई. जैसे ही दीदी का हाथ लंड के नीचे की तरफ जाता, सुपाडे के छेद में से प्रेकुं की एक बूँद बाहर निकल आती, और दीदी उसको चाट लेती. हर बार बूँदों का साइज़ बड़ा होता जा रहा था, ना जाने कितना प्रेकुं मेरे अंदर समाया हुआ था. मुझे लगा कहीं झड़ने से पहले ही सब कुछ खाली ना हो जाए. दीदी बेफिकर होकर मेरे कड़क फन्फनाते लंड के सुपाडे को चूस रही थी.
मैने देखा कि मेरे लंड में से ही नही, बल्कि दीदी की चूत में से भी पानी निकल रहा है. मेरे लंड के अलावा, दीदी की चूत पर भी ध्यान देने की ज़रूरत थी. मजेदार वीडियो बनाने के लिए, मैने दीदी का ध्यान उस तरफ खींचा. दीदी उठी और बेड के चारों तरफ घूमी, इस तरह कि उनकी गान्ड कॅमरा के सामने व्यू में रहे. फिर दीदी धीरे से थोड़ा झुकते हुए, मेरे लंड के पास अपना चेहरा ले आई. दीदी ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया, और इस तरह अपने सिर को उपर नीच करके चूसने लगी, मानो मेरा लंड उनके मूँह में नही, बल्कि उनकी चूत में हो. दीदी ने अपने फ्री हाथों से अपनी स्कर्ट को उपर कर लिया. कॅमरा दीदी के पिछवाड़े से उनकी मस्त मुलायम गोल गोल गान्ड, गान्ड के गुलाबी छेद और हल्की हल्की झान्टो से घिरी गीली चूत के दृश्य को क़ैद कर रहा था.
दीदी ने अपने पैर चौड़ाते हुए, अपनी हाइ हील पर बॅलेन्स बनाकर, अपना हाथ दोनो टाँगों के बीच लाते हुए, अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. दीदी अपने खजाने की सबसे ज़्यादा पर्सनल चीज़ों को कॅमरा में दिखा रही थी, और चूत को सहला रही थी. दीदी ने ज़्यादा आगे ना जाते हुए,इस चीज़ को ध्यान रखते हुए कि हम वीडियो बना रहे हैं, अपने आप पर कंट्रोल किया. दीदी ने एक उंगली अपनी चूत में डाल ली. दीदी बिल्कुल गरम हो चुकी थी, अगर थोड़ा सा ज़ोर का घिस्सा वो चूत के दाने पर लगा लेती, या फिर ज़ोर से उंगली अंदर बाहर कर लेती, तो उसी वक़्त झड जाती.
दीदी मेरे लंड को अपने मूँह में भर के, होंठों को मेरे लंड को चूस्ते हुए, उपर नीचे कर रही थी. और जितना भी प्रेकुं उसके छोटे भाई के लंड के सुपाडे के छेद में से निकल रहा था, उसको चाटे जा रही थी. तभी ना जाने मुझे क्या हुआ और मैं दीदी के मूँह में ज़्यादा से ज़्यादा अपने लंड को घुसाने लगा. ज़ोर से, जल्दी जल्दी. मैं दीदी के मूँह को दीदी की चूत समझ के चोदे जा रहा था....
इस सब उत्तेजक हरकतों का दीदी पर भी गजब असर हो रहा था. दीदी का शरीर भी अब बीच बीच में झटके मारने लगा था, और वो भी अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी. दीदी हालाँकि इतना जल्दी नही झड़ना चाहती थी, लेकिन उसकी चूत से अब बर्दाश्त नही हो रहा था.
दीदी बोली, “राज, जब मेरा चेहरा अपने छोटे भाई की टाँगों के बीच है, तो फिर तुम भी अपना चेहरा अपनी दीदी की टाँगों के बीच क्यों नही घुसा लेते. क्या तुम अपनी दीदी की चूत के पानी का स्वाद नही चखना चाहोगे?”
मेरी तो हालत खराब थी, मैं ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहा था. मैं कोई जवाब देने की स्थिती में नही था. दीदी बोली, “कम ऑन राज, इस तरफ घूम जाओ.”
मैं इस समय कुछ भी करने को तय्यार था. दीदी ने मुझे इस तरह घुमाया के मेरे पैरो के पंजे का मूँह कॅमरा की तरफ हो गया. फिर दीदी ने बेड के गिर्द घूमते हुए, अपनी स्कर्ट को गान्ड के उपर से उठाकर उसकी एलसॅटिक में फँसा लिया, जिस से कॅमरा से दूर जात हुए, कॅमरा दीदी की नंगी गान्ड को क़ैद करता रहे. दीदी मुस्कुराते हुए गान्ड को मटका रही थी. फिर वो घूम कर, कॅमरा की तरफ चेहरा कर के, बेड पर चढ़ गयी. दीदी ने मेरे चेहरे के उपर चूत को लाते हुए, अपने पैरों को चौड़ा लिया. दीदी की मस्त गीली चूत मेरे इंतेजार कर रहे होंठों से बस अब कुछ ही इंच ही दूर थी.
दीदी के शरीर पर जो भी थोड़े बहुत कपड़े थे, उस से मुझे उलझन हो रही थी. मैं दीदी के शरीर की नग्न त्वचा को बिना किसी रुकावट के महसूस करना चाहता था. दीदी शायद मेरी उलझन को समझ गयी, और उसने अपने टॉप को गले में से उतार के बेड पर दूर फेंक दिया. फिर दीदी ने अपने दोनो चुचियों को अपने हाथों में दबोच लिया, और अपने आप अपने निपल्स को अंगूठे और पहली उंगली से पकड़ के घुमाने लगी. क्या मस्त सीन था, दीदी अपनी चूंचियों से अपने आप खेल रही थी, और उनकी चूत से ज़रा नीचे मेरे चेहरा था. दीदी बहुत ज़्यादा गरम हो चुकी थी, और मेरे होंठों को अपनी दोनो टाँगों के बीच देख, वो अपने आप पर कंट्रोल नही कर पा रही थी. तभी दीदी की चूत के छेद से निकाल कर लिसलिसे पानी की एक बूँद मेरे होंठों पर गिर पड़ी.
मेरे मूँह से आहह निकल गयी , और मैने दीदी के दोनो नंगे चूतड़ो को अपने हाथों में कस के पकड़ लिया. मैने अपना सिर थोड़ा उपर उठाया, और दीदी की चूत को अपने चेहरे पर दबा लिया. मैं किसी भूखे शेर की तरह दीदी की चूत को जल्दी जल्दी चाटने लगा, चाटने की वजह से निकल रही आवाज़, माहौल को और ज़्यादा उत्तेजक बना रही थी. मैं दीदी की चूत में से निकल रहे पानी को चाटे जा रहा था. दीदी बस कुछ सेकेंड्स में झड़ने ही वाली थी. दीदी के मूँह से अजीब अजीब आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयी थी, और वो अपने हाथों से अपनी चूंचियों को मसले जा रही थी.
दीदी की चूत के छेद को ढूँढती मेरी जीभ को सफलता मिल ही गयी, मैने अपनी जीभ दीदी की चूत में घुसा दी. इसका एक दम असर हुआ, दीदी तुरंत जोरदार तरीके से झड गयी, और दीदी ने अपनी चूत मेरे मूँह पर मसलनी शुरू कर दी, मानो मेरी जीभ को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुस्वाना चाह रही हो. दीदी की साँसें रुक गयी थी और आँखें बंद हो गयी थी, उनका ध्यान सिर्फ़ अपनी चूत की तरफ था, जहाँ से अपार आनंद की प्राप्त हो रही थी. मैं अब भी दीदी की चूत को चाटे जा रहा था, दीदी को झड्ते हुए पानी छोड़ने में चरम सुख प्राप्त हो रहा था, और उनका शरीर काँप रहा था. दीदी अपनी चुचियों को हाथों से दबा रही थी, और अपनी गान्ड को कभी उछाल के, कभी गोल गोल घुमा के चूत से ढेर सारा पानी छोड़े जा रही थी.
कॅमरा रेकॉर्ड कर रहा था, कैसे अपने छोटे भाई के मूँह पर सवारी करते हुए दीदी अब पूरी तरह झड चुकी थी. दीदी की जांघें चूत के पानी से गीली हो गयी थी, और मेरे पूरा चेहरा दीदी के चूत से निकले पानी से गीला हो चुका था. करीन 6-7 बार पानी छोड़ने के बाद, जब दीदी तृप्त हो गयी, तब दीदी ने अपनी आँखें खोली. दीदी ने मेरे चूत के पानी से सने हुए चेहरे को देखा, मैं अब भी चूत से निकल रहे पानी को चाट के निगले जा रहा था. दीदी के निपल्स अभी भी खड़े थे, उनकी चूंचियाँ गुलाबी होकर चमक रही थी.
दीदी फिर धीरे धीरे ठंडी पड़ने लगी. दीदी को साँस लेने में अभी भी परेशानी हो रही थी, वो अभी भी ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. दीदी अब भी अपनी चूत को मेरे मूँह पर घिसे जा रही थी, और मेरे गीले होंठों को अपनी चूत के होंठों को चाटते हुए महसूस कर रही थी. कुछ देर बाद, जब मेरा उनकी हद से ज़्यादा गीली और मुलायम हो चुकी चूत को चाटते रहना, दीदी की बर्दाश्त से बाहर हो चुका था, दीदी ने ना चाहते हुए मेरे चेहरे के उपर से अपनी चूत को हटा लिया.
दीदी ने कॅमरा की तरफ देखते हुए, अपनी एक चून्चि को अपने मूँह में भर लिया. फिर नीचे मेरी तरफ देखते हुए दीदी बोली, “अब तुम्हारी बारी है, राज.”
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