RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी ने पूछा, “अपने हाथ में पकड़ के रेकॉर्डिंग नही करोगे?” मैने दीदी को बताया कि इस तरह से रेकॉर्डिंग में एक प्रोफेशनल लुक आएगा, जिसमे बेड पूरा कवर हो रहा हो, और ड्रेसिंग टेबल का शीशा भी कवर हो रहा हो, और रूम का डोर भी. इस तरह कॅमरा तीन आंगल्स से रेकॉर्डिंग कर पाएगा, और फिर एडिटिंग सॉफ्टवेर से उन तीनों को मिला के एक बढ़िया मूवी बना लूँगा. दीदी मेरी इस बात को सुनकर मुस्कुरा दी, और बोली, “दीवाना हो रहा है अपनी दीदी का.”
दीदी ने मेरे गालों पर किस किया, और बोली, “दो मिनिट रूको, मैं वीडियो के लिए तय्यार होकर आती हूँ. तुम भी अपने कपड़े और बाल ठीक कर लो. अब जब तुम वीडियो बना ही रहे हो, तो थोड़ा सेक्सी बनाना पड़ेगा, अपने छोटे भाई की खुशी के लिए.” मैने भी दीदी के गालों को अपने हाथों मे भरते हुए, दीदी के चेहरे को अपने पास खींचा, और दीदी के होंठों पर अपने होंठ रखते हुए एक जोरदार किस कर लिया, और दीदी के मूँह में अपनी जीभ घुसा दी. फिर दीदी मुझसे दूर होते हुए अपने सूटकेस में से कपड़े निकालने लगी.
दीदी ने एक शॉर्ट स्कर्ट, एक टाइट टॉप और हाइ हील्स के सॅंडल्ज़ निकाले, और उनको निकाल के बेड पर रख दिया. शायद दीदी ये सब अपने हनिमून पर ले जाने के लिए सूटकेस में रख के लाई थी. दीदी इस वक़्त केवल पैंटी पहने हुए थी, इस बीच दीदी की पैंटी पर गोल गीला निशान बन चुका था, दीदी ने उसको भी उतार के बास्केट में फेंक दिया. दीदी के शरीर पर अब कोई कपड़ा नही था, मैं दीदी को एक टक देखे जा रहा था. दीदी ने मुझे अपनी तरफ घूरते देख मुस्कुराते हुए कहा, “बस थोड़ा इंतजार करो.” फिर दीदी ने वो शॉर्ट स्कर्ट और टाइट टॉप पहन लिया.
दीदी ड्रेसिंग टेबल के सामने गयी, और हल्का सा मेकप किया, और होंठों पर डार्क ब्राउन लिपस्टिक लगा ली. फिर अपने आप को शीशे में निहारने लगी. हाइ हील्स की वजह से दीदी की टाँगें और ज़्यादा लंबी लग रही थी, और सॅंडल में से आगे की तरफ से निकलती हुई आधी उंगलियाँ कातिल लग रही थी. उस टाइट टॉप में से दीदी के खड़े हुए निपल्स सॉफ नज़र आ रहे थे. दीदी कपड़े पहन कर भी, नंगी नज़र आ रही थी.
दीदी रूम के गेट की तरफ बढ़ती हुई बोली, “मैं रूम को नॉक कर के अंदर आउन्गि, तुम कॅमरा चालू कर देना.” दीदी ने डोर खोल के अपने सिर बाहर निकाल के देखा, कॉरिडर में कोई है तो नही, चेक करने के बाद, दीदी रूम से बाहर निकल गयी.
मैने अपने कॅमरा ऑन कर दिया, और कॅमरा के पास ही खड़ा हो गया. दीदी ने डोर नॉक किया, और अंदर घुसते हुए, डोर को लॉक कर दिया. दीदी ऐसी मादक चाल से चल कर मेरी तरफ आ रही थी, मानो कह रही हो, “मुझे चोद दो, राज, डाल दो मेरी चूत में अपना लंड, भुजा दो मेरी चूत की प्यास.” मैं दीदी के टॉप में से नज़र आ रहे उनके खड़े निपल्स को, और उस छोटी सी स्कर्ट में से दिखाई देती उनकी नंगी टाँगों को घूर रहा था. इसमे कुछ शक नही था, कि दीदी पूरे मूड में थी. दीदी चल कर सीधे मेरे पास आई, और मेरे सिर के पीछे हाथ लेजाकर, मेरे सिर को अपनी तरफ खींचा और एक गरमा गरम गीली किस ले ली. जब किस लेकर हम दोनो दूर हुए, तो दोनो की साँसें तेज तेज चल रही थी. मैं बोला, “शुरू करें?”
दीदी बेड पर आकर बैठ गयी. डॉली दीदी ने अपनी एक टाँग के उपर दूसरी टाँग चढ़ा रखी थी, यानी वो टाँगों को क्रॉस कर के बैठी थी, जिस से कॅमरा में उनकी नंगी टाँगें, ज़्यादा से ज़्यादा शो हो सके, फिर दीदी ने मुझे अपनी तरफ एक उंगली से इशारा करके बुलाया. मैने दीदी के पास जाकर स्माइल करता हुआ खड़ा हो गया, दीदी के चेहरे से मेरा लंड बस कुछ ही इंचों के दूरी पर था.
“तो मेरा छोटा भाई अपनी दीदी से लंड चुसवाना चाहता है?”दीदी ने फुसफुसाते हुए पूछा. फिर दीदी ने आगे बढ़कर, मेरी जीन्स के बटन को खोला, और मेरी जीन्स उतार दी. अब मेरे लंड और दीदी के बीच बस अंडरवेर था, जिस पर सामने, सुपाडे के छेद से निकले प्रेकुं का गीला निशान बन चुका था. दीदी ने अंडरवेर के उपर से ही मेरे लंड की लंबाई को नापते हुए सहलाना शुरू कर दिया. फिर दीदी ने अंडरवेर के अंदर हाथ डाल के प्रेकुं को अपने हाथों से पोंछ लिया. और फिर मेरी तरफ देखते हुए, हाथ बाहर निकाल के उस पर लगे प्रेकुं को अपनी जीभ से चाट कर हाथ सॉफ कर लिया.
“म्म्म्मम. बहुत टेस्टी है,”दीदी मुस्कुराते हुए बोली. दीदी चाहती थी कि ये वीडियो यादगार बने, और इसके लिए वो सब कुछ कर रही थी. दीदी ने अपनी होंठों पर जीभ फिराकार ये दिखाया कि मेरा प्रेकुं कितना टेस्टी है.
दीदी ने मेरी जीन्स और अंडरवेर को पकड़ कर खींच के नीचे उतार दिया. मेरा लंड एक दम अकड़ के बाहर निकल कर, दीदी के सामने उपर नीचे होकर सलामी मारने लगा. दीदी अचरज से मेरे लंड को देखने लगी, मानो मेर लंड को पहली बार देख के सोच रही हो, कि इतना बड़ा लंड छोटी सी चूत में कैसे घुसता होगा.
मेरा लंड एक दम तना हुआ था, मेरा रंग गोरा होने के कारण, मेरा लंड भी गोरा है, और उसका सुपाड़ा एक दम डार्क पिंक हो गया था, मेरा लंड खड़ा होकर उपर नीचे होकर, मानो अपनी तरफ दीदी का ध्यान आकर्षित कर रहा हो. दीदी मन ही मन शायद सोच रही थी, अब कल से उसके जाने के बाद, राज को फिर से इसको हिला हिला के मूठ मार के, इसका माल निकालना पड़ेगा. जैसे ही दीदी ने मेरे लंड को अपने हाथ में मुट्ठी बनाते हुए पकड़ा, मेरे मूँह से हल्की से आहह निकल गयी, और सुपाडे के छेद में से प्रेकुं की कुछ और बूँदें निकल आई. दीदी ने मेरे लंड को थोड़ा नीचे किया, जिस से वो उनके होंठों के करीब आ गया.
दीदी ने लंड के सुपाडे पर आई प्रेकुं की बूँदों को देखते हुआ कहा, “ऊवू, हम इसको बरवाद नही जाने देंगे. आज तुम्हारे लंड से निकले सारे माल को मैं चाट कर अपने अंदर निगल लूँगी, क्यों ठीक है ना?”दीदी ने अपनी पूरी जीभ निकाली और लंड के सुपाडे को चाट लिया. एक बार, दो बार और फिर सुपाडे के छेद से निकले सारे प्रेकुं को चाट के अंदर निगल गयी.
दीदी ने जब एक बार लंड को मूँह में ले लिया, उसके बाद दीदी को अपने आप पर कंट्रोल नही हुआ. दीदी ने फिर से मूँह खोला और धीरे से लंड को मूँह में ले गयी. दीदी मेरे गरम गरम लंड को मूँह में लेकर खुश हो गयी, दीदी मेरे लंड की लंबाई और मोटेपन को अपनी हाथों और जीभ से लगा कर निहार रही थी. दीदी अपने होंठों को लंड की लंबाई के साथ और नीचे जाते हुए, उस को ज़्यादा से ज़्यादा मूँह में लेने का प्रयास कर रही थी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, दीदी बिल्कुल सही तरह से चूस रही थी. दीदी मुझे ऐसा एहसास करा रही थी, मानो ये मूँह ना होकर उसकी चूत हो, एक दम गरम, टाइट और मुलायम. जब दीदी ने लंड को पूरा मूँह में अंदर तक ले लिया, तब दीदी के होंठ मेरी गोलियों को छूने लगे, और लंड दीदी की गले तक पहुँच गया था. मैं सोच रहा था, शायद दीदी लंड को मूँह में इतना अंदर लेकर थोड़ा गूणगून की आवाज़ निकालेगी, लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ. दीदी तो एक दम नॉर्मल थी, मानो उसका मूँह बना ही मेरे लंड को चूसने के लिए हो.
दीदी थोड़ा पीछे हुई, और लंड उनके मूँह से निकल गया. लेकिन मैने लंड को फिर से दीदी के मूँह में डाल दिया, और हल्के हल्के धक्के मारकर उनके मूँह की चुदाई करने लगा, हर धक्के के साथ मेरे मूँह से आहह... ऊहह की आवाज़ें निकल रही थी. कुछ देर में झटकों की स्पीड बढ़ गयी, और मैने दीदी के बालों को अपने हाथों में पकड़ के, अपने झटकों के साथ उनके सिर को आगे पीछे करने लगा. दीदी का मूँह और मेरा लंड ताल से ताल मिला रहे थे, हर झटके के साथ, आगे पीछे होते हुए, मेरे लंड का सुपाड़ा दीदी के गले से जाकर टकराता. ऐसा लग रहा था जैसे दीदी कोई कॉल गर्ल हो, और उनका इस्तेमाल मैं अपने मज़े के लिए कर रहा हूँ.
तभी मेरे झटकों की गति बदल कर अनियंत्रित हो गयी, दीदी समझ गयी कि मैं अब झड़ने वाला हूँ. दीदी तो इसी चीज़ का मानो इंतेजार कर रही थी, कि कब मेरे वीर्य के फव्वारे उनके गले को गरारे करने पर मजबूर कर देंगे, और कब वो मेरे लंड से निकले माल का स्वाद लेकर निगल जाएगी. लेकिन तभी मेरे दिमाग़ में आया, कि अगर ये सब इतना जल्दी हो गया तो वीडियो बढ़िया नही बन पाएगा. दीदी भी शायद इस बात को समझ गयी, और उन्होने अपने मूँह में से मेरा लंड निकाल दिया, और अपने होंठों को आपस में पास लाकर मूँह बंद कर लिया.
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