RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मुझे तो बस इतना ही सुनना था, मैने और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए, और कुछ ही सेकेंड्स में अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया. आज रात मैं दूसरी बार झडा था, और तान्या शायद 4 बार झड चुकी थी.
तान्या जब झड रही थी उस समय उसकी चूत ने मेरे लंड को जकड लिया, और मेरे लंड से ज़्यादा से ज़्यादा वीर्य निचोड़ने की कोशिश करने लगी. उसकी चूत जिस तरह से मेरे लंड को निच्चोड़ रही थी मैं अपने होश खो बैठा, और बस इसी वक़्त मुझसे एक भूल हो गयी, और बिना सोचे मेरे मूँह से निकल गया, “बहुत मज़ा आ रहा है दीदी.” जैसे ही मैने ये कहा, मेरे दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया, ये मैं क्या बोल गया था.
तान्या ने अचंभित होकर, एक घृणा और हिकारत भरी नज़रों से मेरी तरफ देखा. उसने मुझे अपने उपर से दूर किया, और बेड से उतर गयी. वो अपने कपड़े पहनते हुए ना जाने मुझको कौन कौन सी गालियाँ दे रही थी, मुझे कुछ याद नही, मेरा दिमाग़ बिल्कुल काम नही कर रहा था. मैं एक दम शॉक होकर बेड पर लेटा हुआ था. उस रात मैं उस होटेल के कमरे में रुका, घर पर दोस्त के घर रुकने का बहाना बना दिया. मेरे दिमाग़ में बस एक ही बात चल रही थी, कि ऐसा कैसे हो गया? मेरे मूँह से दीदी का नाम कैसे निकल गया? मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मैं अब भी डॉली दीदी की दीवानापन, पागलपन या उनके प्रति अपने विचारों को अपने दिमाग़ से अभी निकाल नही पाया हूँ. तान्या को आज मैने चोदा ज़रूर था, लेकिन अपने विचारों में चोदते समय आज भी मैं दीदी को ही चोद रहा था....
अगली सुबह जब मैं घर लौटा, तो मैं चेहरे पर एक अजीब से खुशी से भरी मुस्कुराहट लिए मम्मी पापा के सामने आया, लेकिन वो शायद मेरी बनावटी मुस्कान को पहचान गये. अब मैं उनको ये ते नही बता सकता था, कि कल तान्या को चोदते समय, मैं दीदी की कल्पना कर रहा था, और मेरे मूँह से ग़लती से दीदी का नाम निकल गया था. मैं अपने कमरे में चला गया, और सारे दिन ज़्यादातर टाइम मैं अपने कमरे में ही रहा, बस दोनो टाइम खाना खाने के लिए ही बाहर निकला. रात को डिन्नर के टाइम मुझे एक अच्छी खबर मिली कि अगले हफ्ते दीदी वापस आ रही है, और फिर शादी तक कहीं और नही जाएगी, क्योंकि उसका मन वहाँ भी नही लग रहा था.
डिन्नर करने के बाद जब मैं अपने कमरे मे वापस आया तो मैं बहुत खुश था. जब मैने अपनी आँखें बंद की तो दीदी की तस्वीर मेरे दिमाग़ में घूम गयी, और मैने अपने लंड को हाथ में ले लिया. बस थोड़ी देर में, अपने दिमाग़ में चल रही सुखद कल्पनाओं की वजह से मैं जल्द ही झड गया. मेरे मूँह में गुर्राने के साथ डॉली दीदी का नाम निकला, और मेरे लंड ने वीर्य के फव्वारे को पूरे कमरे में फेंक दिया. मैं अपने बेड पर धडाम से गिर गया, और अपने थोड़ा मुरझाए हुए लेकिन अभी खड़े हुए लंड से खेलने लगा. फिर मैं कल रात तान्या के साथ हुए उस हादसे के बारे में सोचने लगा, फिर मुझे विश्वास होने लगा कि जब तक मेरे दिल में दीदी की मूरत और सूरत बसी है, मैं किसी और का नही हो सकता, और यदि होता भी हूँ तो हमारे संबंध नॉर्मल नही हो सकते.
एक हफ्ते बाद दीदी घर आ गयी, वो थोड़ी कमजोर नज़र आ रही थी. दीदी ने उस दिन पूरे टाइम अपने कमरे में आराम किया, और ज़्यादातर टाइम सोती रही. दीदी को फिर से चोदने की इच्छा से ज़्यादा अब मैं दीदी की सेहत और स्वास्थ्य के बारे में सोचने लगा.
उस रात करीब 12 बजे मुझे दीदी के रूम से रोने की आवाज़ सुनाई दी. मैं अपने रूम से निकल के बाहर आया, और दीदी के रूम के दरवाजे पर हल्के से खखटाया. “दीदी, मैं राज, आप ठीक तो हो ना?” दीदी ने बिना कुछ बोले डोर खोल दिया, और मुझे अंदर आने दिया. हम दोनो दीदी के बेड पर बैठकर रात भर बातें करते रहे. अभी भी दीदी इस बात को स्वीकार नही कर पा रही थी कि धीरज अपने घरवालों से बहुत नाराज़ था, क्योंकि उसको ज़बरदस्ती यूके भेजा गया था, वो ना तो अपने घरवालों से फोन पर बात कर रहा था, और ना ही उसने वहाँ पहुँचने के बाद, दीदी को एक भी बार फोन किया था. दीदी बता रही थी, कि वो धीरज के इस तरह के बिहेवियर से बहुत परेशान है, और उसको इस वजह से नींद भी नही आती है, और ना किसी काम में मन लगता है. दीदी ने बताया कि कैसे वो मन ही मन धीरज को अपना दिल दे बैठी है, आज इस घर में आने के बाद ड्रॉयिंग हॉल में उसको धीरज के साथ उस रात किए गये सेक्स की यादें और तस्वीरें ही उसके दिमाग़ में घूमती हैं. मैने दीदी को बहुत सांत्वना देने की कोशिश की, उस को समझाया कि बस 5-6 वीक्स की बात है, फिर तो उसकी शादी धीरज के साथ हो ही जाएगी. और वो भी कौन सा वहाँ पर खुश है, वो भी तो परेशान है, उसका वहाँ जाना बहुत ज़रूरी था. जब मैं दीदी को ये सब समझा रहा था, मेरे लंड ने अंगड़ायाँ लेनी शुरू कर दी थी. मैं अपने खड़े लंड को छिपाने की कोशिश करने लगा.
जब दीदी ने दरवाजा खोला था, तब उन्होने एक छोटी सी टी-शर्ट और उसके नीचे बस पैंटी पहन रखी थी. जब हम बातें कर रहे थे, तब मैं अपनी सपनों की रानी को इतना करीब पाकर गरम होने लगा था. कुछ देर बाद मुझे आत्म ग्लानि होने लगी, एक तरफ तो दीदी इतना ज़्यादा परेशान है, और मेरे दिमाग़ में उसके बारे में ऐसे ख्याल आ रहे हैं. मैने जैसे तैसे वो रात बिना कुछ ग़लत किए काटी. आख़िर में डॉली दीदी सो गयी, और मैं अपने रूम में आ गया.
अगले कुछ दिनों में थोड़ा थोड़ा सब नॉर्मल होने लगा. दीदी को अब टाइम से नींद आने लगी, और वो पहले से बेहतर नज़र आने लगी, वैसी ही डॉली दीदी, जिसकी मैं कल्पना करता था और जिसको मैं दिल से चाहता था. मैं और डॉली दीदी अपने अपने कॉलेज और क्लासस में फिर से व्यस्त हो गये, और अगले कुछ दिनों, ज़्यादा मुलाकात का टाइम नही मिला. मैं जब भी कभी मौका मिलता, दीदी को कनखियों से देख लेता, और कभी कभी उनकी मस्त चूंचियों की झलक भी मिल जाती.
तभी हमारे मम्मी पापा की शादी की 25थ मॅरेज एनिवर्सरी आ गयी, मैने और दीदी ने एक 5 स्टार होटेल में सर्प्राइज़ पार्टी प्लान कर ली. हमने अपने चाचा, चाची और मुन्नी बुआ को भी बुला लिया, वो तीनों हमारे घर में ही एनिवर्सरी वाली रात रुकने वाले थे. हम जब प्लान कर रहे थे तो ये डिसाइड हुआ कि, मुन्नी बुआ तो हर बार की तरह ड्रॉयिंग हॉल में सो जाएँगी. लेकिन जब चाचा-चाची के सोने के बारे में हम डिसाइड कर रहे थे, तब मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब दीदी अपना रूम चाचा-चाची को देने के लिए तय्यार हो गयी, और खुद मेरे रूम में, ज़मीन पर गद्दा डाल कर सोने के लिए अपने आप बोली.
एनिवर्सरी की पार्टी बहुत धूमधाम से हुई, हम सब लोगों ने बहुत मस्ती की, और हम सब शॅंपेन और वाइन पीने के कारण थोड़ा सुरूर में भी आ गये थे. हम सब रात के 1:00 बजे होटेल से घर वापस लौटे, सब थक चुके थे, और आते ही सब सोने को तय्यार हो गये. सब को अपनी अपनी जगह सुला कर, मैं और दीदी रात के 2:00 बजे मेरे रूम में पहुँचे.
सुबह करीब 3 बजे मुझे लगा कि दीदी मेरे बेड पर आ गयी हैं. मैने दीदी से पूछा, क्या हुआ?, दीदी ने बताया की गद्दा पतला होने के कारण, वो वहाँ पर कंफर्टबल फील नही कर रही थी, और उसको ज़मीन चुभ रही थी. मैने नीचे जाने के लिए बोला, तो दीदी बोली, कोई बात नही, एक रात हम दोनो एक ही बेड शेर कर लेते हैं. कुछ देर बाद हम दोनो सो गये, फिर करीब एक घंटे के बाद मेरी नींद फिर से खुल गयी, मुझे लगा दीदी अपनी गान्ड मेरे लंड के उपर दबा रही है. दीदी छोटे छोटे ख़र्राटे मार के सो रही थी, लेकिन उसकी गान्ड मेरे खड़े हुए लंड को दबा रही थी. कुछ मिनिट्स के बाद, मेरा लंड पूरी तरह खड़ा होकर फनफनाने लगा, और दीदी की गान्ड के बीच की दरार में घुसने लगा. मैं तो पागल हुआ जा रहा था. उसी वक़्त मैं अपने आप पर नियंत्रण खो बैठा, जो मैने इतने दिनों से किसी तरह से किया हुआ था.
मैं दीदी से थोड़ा पीछे हटा और फिर बेड पर इतना नीचे सरक आया कि मेरा चेहरा दीदी की गान्ड के सामने था. मैने देखा दीदी सिर्फ़ –शर्ट और पैंटी में ही सो रही थी. बाहर से आती हुई चाँदनी की रोशनी, दीदी की गान्ड का दीदार करने के लिए पर्याप्त थी. मैने हाथ बढ़ा के दीदी की गान्ड की गोलाईयों को हल्के हल्के महसूस करना शुरू कर दिया. मेरे छूने पर दीदी थोड़ा कुन्मुनाई, लेकिन फिर भी वो खर्रांते मारती रही. दीदी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना आती देख, मैं थोड़ा और ज़्यादा उत्साहित हो गया, मैने दीदी की पैंटी को नीचे खिसकाना शुरू कर दिया, जब तक कि दीदी की गान्ड पूरी तरह मेरी आँखों के सामने नंगी नही हो गयी. मैं थोड़ा आगे झुका और दीदी की गान्ड की गोलाईयों को किस कर लिया, पहले धीरे से और फिर थोड़ा ज़ोर से. दीदी की दोनो टाँगों के बीच से मादक खुश्बू आ रही थी, जैसे ही मैने दीदी की चूत को एक उंगली से छू कर देखा, तो पता चला कि दीदी की चूत भी गीली हो चुकी थी.
जब मैने दीदी की चूत को फिर से छूआ, तो डॉली दीदी थोड़ा फिर से कराही और फिर करवट लेकर पेट के बल होकर लेट गयी. दीदी ने अपने पैर थोड़ा चौड़ा रखे थे, इस की वजह से मुझे मेरे खजाने के सॉफ सॉफ दर्शन हो रहे थे. दीदी को चोदने की हवस मेरे दिमाग़ में इस कदर चढ़ चुकी थी, कि मैने बिना कुछ सोचे दीदी की गान्ड की दोनो गोलाईयों को धीरे से अलग अलग कर के उनकी गान्ड के छेद को देखने लगा. दीदी थोड़ा कसमसाई, लेकिन फिर भी ऐसा नही लगा, कि वो उठ गयी हो. मैं अपनी जीभ को थोड़ा नीचे गान्ड से हटाकर चूत पर ले आया, और उनकी गीली चूत में अपनी जीभ को पैना कर के घुसा दिया. क्या मस्त स्वाद था दीदी की चूत का, जैसे ही मैने चूत को फिर से चाटा, तभी दीदी जाग गयी.
मैं तुरंत बेड पर उपर सरक आया, डॉली दीदी ने मेरी आँखों में आँखें डाल के देखा. मुझे समझ में नही आ रहा था, कि दीदी क्या सोच रही हैं. मैं कुछ बोलना चाहता था, लेकिन समझ में नही आ रहा था कि क्या बोलूं. कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे की तरफ देखते रहने के बाद दीदी ने पूछा, “आख़िर क्यों, तुमको मालूम है ना, कि मेरी जल्दी ही शादी होने वाली है, लास्ट टाइम हम दोनो ने डिसाइड भी किया था, कि अब हम ये सब नही करेंगे, फिर तुम क्या चाहते हो राज?”
मैने दीदी की आँखों में गहराई तक देखते हुए कहा, “क्यूंकी दीदी मैं आप से बहुत प्यार करता हूँ, मैं कुछ नही जानता लेकिन मैं आपको अपनी बेहन की तरह नही, बल्कि एक लड़की के रूप में प्यार करता हूँ. मैं आपको अपने आप से ज़्यादा चाहने और प्यार करने लगा हूँ. मैं बस हमेशा आपको खुश देखना चाहता हूँ.” मैं जो कुच्छ बोलता जा रहा था, वो ना तो मुझे और ना ही दीदी को कुछ समझ में आ रहा था....
दीदी ने मेरी तरफ देख के स्माइल किया और फिर मेरे होंठों को चूम लिया. जैसे ही हमारे होंठ मिले, मेरे शरीर को मानो 440 वॉल्ट का झटका लगा हो. दीदी ने मुझे फिर से किस किया, इस बार थोड़ा टाइटली किस किया, कुछ सेकेंड बाद मुझे होश आया तो मैने भी दीदी को किस कर लिया. अपने होंठों को खोल के अब हमारी जीभें आपस में अठखेलियाँ कर रही थी. हम एक दूसरे को किस करके काफ़ी देर तक ऐसे ही सहलाते रहे, जब तक दीदी ने किस करना बंद नही कर दिया. दीदी ने थोड़ा खिसक कर और हाथ आगे बढ़ाकर, बेड के पास लगे लॅंप शेड की लाइट को ऑन कर दिया. बिना कुछ बोले दीदी ने अपनी टी-शर्ट और फिर पैंटी उतार के ज़मीन पर फेंक दी. और फिर मुस्कुराते हुए, अपने उपर ओढ़े हुए कंबल को भी अपने पैरों में फँसा के ज़मीन पर फेंक दिया. “अब जब करना ही है, तो ढंग से करो, मेरा भाई अपनी बड़ी बेहन को ढंग से देख तो ले.” दीदी ऐसा बोलते हुए बेड पर लेट गयी और अपने पैर फैला कर, अलग अलग करते हुए चौड़ा दिए.
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