RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
2 साल पहले की सारी बातें मेरे जेहन में घूमने लगी, कैसे दीदी के बाथरूम से निकलने के बाद, तौलिया गिरने की तस्वीर मेरे जेहन में 1 महीने तक छाइ रही थी, और मैने उस सीन को सोच सोच के ना जाने कितनी बार मूठ मारा था. उस दिन के बाद मैं दीदी को नंगा देखने के लिए हर प्रयास करता था, और कभी कभी कामयाब भी हो जाता था. उसके बाद अभी 3 महीने पहले की वो घटना जब दीदी ने मुझे पॉर्न देखते पकड़ा था, सब कुछ मेरे दिमाग़ में घूमने लगा
कुछ महीनों में दीदी की शादी हो जाएगी, और उसके बाद शायद मेरी शादी भी तान्या के साथ हो जाए, लेकिन दीदी के साथ बिताए हुए दिनों को मैं कभी नही भूला पाउन्गा.
उसके कुछ दिनों के बाद रोका की रसम हो गयी और 1 महीने बाद की मँगनी की डेट और 3 महीने के बाद शादी की डेट फिक्स हो गयी.
रोकका की सेरेमनी के कुछ दिन बाद जब मैं अपने रूम में अकेला था तब दीदी मेरे रूम में आई. हम दोनो बहुत देर तक शांत बैठे रहे, फिर दीदी बोली, राज अब तक हम दोनो के बीच जो कुछ चल रहा था, वो अब मेरी मँगनी के बाद हमको बंद करना होगा. मैने कहा, “दीदी, मँगनी को तो अभी बहुत दिन हैं, उसके बाद बंद कर देंगे जब तक तो कर सकते हैं?”
दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरी मँगनी को बस एक वीक बचा है हम बस एक लास्ट बार करेंगे, और उसके बाद कभी नही.”
मैने खुश होकर आँखें मारते हुए कहा, “ओके दीदी, जब भी और जैसे भी आप चाहो, लेकिन उसके बाद भी जब कभी आप को लगे तो बिना संकोच बता देना.”
दीदी ने बनावटी गुस्से में कहा, “अब तान्या पर ध्यान लगाओ, और मुझे भूल जाओ, मुझे तो मेरा मिल गया है.”
मैं भी तुरंत बोला, “दीदी, नेवेर से नेवेर.”
दीदी: ओके, देख लेंगे, मैं अपनी बात पर कायम रहती हूँ या तुम्हारी बात सच्ची निकलती है?
राज: दीदी, लेकिन आपके लास्ट टाइम की डेट और टाइम आप जल्दी डिसाइड कर लेना.
अगले सॅटर्डे को ब्रेकफास्ट के बाद दीदी ने मेरे साथ लोंग ड्राइव पर जाने के लिए पूछा तो मैं यकायक विश्वास नही कर पाया. मैं तुरंत मान गया, और हम दोनो ट्रॅक सूट्स पहन के लोंग ड्राइव पर जाने को तय्यार हो गये, जाने से पहले दीदी ने फ्रिड्ज में से एक पीने के लिए वॉटर बॉटल निकाल ली. हम दोनो मेरी कार में लोंग ड्राइव के लिए निकल पड़े, हम दोनो को एक साथ जाते देख मम्मी भी ऐसा लग रहा था मानो बहुत खुश थी, हो सकता है वो भी घर में थोड़ी शांति या थोड़ा चेंज के लिए अकेलापन चाहती हों.
शहर से बाहर निकलते हुए हम दोनो के बीच ज़्यादा कोई बातचीत नही हुई, जो भी बात हुई वो संक्षेप में और आराम से हुई. हम उसी रास्ते पर जा रहे थे, जिस रास्ते पर कुछ दिन पहले हम दोनो जा चुके थे. करीब 60-65 किमी ड्राइव करने के बाद थोड़ा सुनसान सा दिखाई दिया, चारों तरफ बस खेत ही खेत थे.
हम दोनो कार से उतरकर, खेत की पगडंडी पर चलने लगे. गर्मी और उमस उस दिन कुछ ज़्यादा थी, कुछ दूर चलने के बाद ही हम दोनो पसीने में तरबतर हो गये, हवा थोड़ी तेज चल रही थी, पेड़ों के पीले पत्ते उड़ कर हमारे सिर और चेहरे पर आ रहे थे, खेतों की धूल से हमारे शूस गंदे हो गये थे. कुछ दूर एक ट्यूबिवेल की झोंपड़ी में से एक अधेड़ जोड़ा अपने कपड़े सही करते हुए बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया. जब वो वहाँ से दूसरी तरफ दूर चले गये तो डॉली दीदी ने एक लंबी साँस ली, और मेरे करीब आ गयी, अब हमारे कंधे एक दूसरे से टकराने लगे. दीदी ने चलते हुए, मुझे अपनी एक बाँह में, मेरी बाँह डाल के पकड़ लिया.
हम लास्ट टाइम जितना दूर गये थे, इस बार उस से हम काफ़ी आगे निकल आए थे, अब चारों तरफ खेत ही खेत थे, ज़्यादातर खेतों में मूँग की फसल हो रही थी और कुछ में गन्ने की. आसमान में बादल छा गये थे, और गहरे काले बादल छाने लगे थे, हवा उनको अपने साथ बहा के दूर ले जा रही थी.
वहीं पास में एक झोपड़ी नुमा चीज़ बनी हुई थी, शायद रात को रखवाली के लिए किसान इसी में सोता होगा. हम उसके अंदर पड़ी चारपाई पर जा कर थोड़ा आराम करने को बैठ गये, मैने पूछा, "आप ठीक हो दीदी?"
"हां, लेकिन आज मेरी कुछ ज़्यादा ही वॉक हो गयी."
हम काफ़ी देर वहाँ पर बैठ कर आराम करते रहे, हम दोनो के बीच एक अजीब सी शांति थी, दीदी मुझे लगातार देख रही थी, उनके चेहरे पर निश्चय और उत्सुकता के भाव थे. दीदी के बालों की लटो को गरम हवा बार बार छेड़ कर उड़ा रही थी.
"दीदी, मैं एक बात पूछूँ?"
"हां... हां" दीदी ने अपने कंधे उँचकाते हुए कहा.
"सोचो तो, हम दोनो ही एक अजीब सी परिस्थिति में हैं, और मैं बस यकीन करने के लिए आपसे पूछ रहा हूँ. क्या हम जो करे रहे हैं या करने की सोच रहे हैं, वो आपके हिसाब से सही है?" मैने पूछा.
दीदी ने मेरी तरफ देखा, और फिर अपने चेहरे पर आई बाल की लट को हटाया, फिर बोली " तुम्हे क्या लगता है, कि मैं हम दोनो जो चुदाई कर रहे हैं, उसकी वजह से मैं परेशान हूँ?"
मैने किसी तरह साहस कर के बोला, “हाँ, दीदी”
“लेकिन क्यों”, दीदी ने पूछा.
कुछ भी बोलने से पहले मैं तोड़ा रुका, "ठीक है, लेकिन आप ने ही पहली रात को बोला था, की ये इन्सेस्ट है."
कुछ देर हम दोनो फिर से शांत बैठे रहे.
"अगर मैने वो सब बोला था, तो साथ में ये भी बोला था कि मुझे तुम्हारे साथ चुदाई कराने में बहुत मज़ा आता है, मुझे इस बात का कोई अफ़सोस नही है, अब तुमको पता चला मैं क्या फील करती हूँ?" डॉली दीदी ने पूछा.
मैने बस हां में गर्दन हिला दी.
दीदी मेरे कुछ और पास आई और बोली, "राज, मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करने का कोई पछतावा नही है, आइ लव यू."
उस वक़्त की भावनाओं में कही गयी इन नाज़ुक लेकिन गहरी बातों ने मेरे दिल में दीदी के लिए और ज़्यादा जगह बना दी थी. मेरी डॉली दीदी के प्रति दीवानगी पहले से और ज़्यादा बढ़ गयी, ये मूवीस में दिखाए जाने वाला प्यार नही था, और ना सिर्फ़ रोमॅन्स था, और ना ही ये हवस थी, बल्कि ये वो गहरा प्यार था, जिसको मैं पहले भी महसूस कर चुका था. वो मेरी सग़ी बेहन डॉली दीदी थी, मेरा खून थी, मेरा परिवार थी, मेरी एक दोस्त थी, और साथ में मेरी प्रेमिका भी, और साथ में एक अविवाहित लड़की भी. दीदी मेरा एक अभिन्न अंग थी, जैसे कि मैं दीदी का.
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