RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी अपने पैर फैला के चौड़ा के लेटी थी, हमारी झान्टे एक दूसरे के साथ गीली होकर उलझ गयी थी. हम दोनो की झान्टो के घुंघराले बालों का कलर भी ही एक जैसा ब्लॅक ब्राउन था, मानो ये बता रहा हो कि हम दोनो बेहन भाई हैं. मैने दीदी के गालों पर आँसू देख महसूस किया कि मेरी आँखों से भी आँसू निकल रहे हैं. हम दोनो ने आज वो कर दिया था, जिसकी ना जाने कब से तमन्ना थी.
मदहोशी के साथ एक दूसरे को चूम्ते हुए हम मानो किस को किसी मदिरा की तरह पी रहे थे, हम इस नशे में टल्ली हो चुके थे. भाई- बेहन, भाई- बेहन, भाई- बेहन... एक दूसरे के नशे का पान कर रहे थे... प्यार कर रहे थे....
दीदी के मूँह से निकल रही आवाज़ों को मैं उनके उपर अपने होंठ रख के शांत कर रहा था, लेकिन कुछ देर बाद इस की किसको परवाह थी. अच्छा हुआ मम्मी पापा को हमारी कराहने की, गुर्राने की, और धीरे धीरे रोने की आवाज़ें सुनाई नही दी.
दीदी किसी ठंडी स्प्रिंग की तरह टाइट होने लगी, दीदी की हर मांसपेशी सिकुड़ने लगी, दीदी काँप रही थी, शेक कर रही थी- जब तक कि वो झड नही गयी. दीदी ने एक गहरी साँस ली और अपने शरीर से मेरे को एक जोरदार झटका मारा, दीदी के हिप्स अपने आप आगे पीछे होकर बार बार सिंकूड़ते और फिर खुल जाते, बार बार, बार बार, कयि बार मेरे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अपने अंदर लेने की कोशिश करते. दीदी की चूत की दीवार मेरे लंड को टाइट्ली जकड़े हुए कभी फैल जाती और कभी सिंकूड जाती, चूत ने गरम गरम पानी छोड़ना शुरू कर दिया, जो मेरी स्किन पर बह रहा था. दीदी ने अपना चेहरा मेरी गर्दन में घुसा दिया और धीरे धीरे सिसक कर रोने लगी.
दीदी ने फिर मुझे चौंका दिया, मेरे सिर को अपनी तरफ खींच के दीदी ने मुझे जबरदस्त किस किया, आज तक का सबसे दमदार. दीदी का सारा शरीर मुझे ज़्यादा से ज़्यादा अपने अंदर घुसाने की कोशिश कर रहा था. दीदी के पैर के दोनो पंजे मेरी गान्ड को चारों तरफ से घेर के मेरे लंड को, चूत के ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुसा कर रोके हुए थे. हालाँकि अब हम झटके और धक्के नही मार रहे थे, लेकिन दीदी के शरीर ने अभी भी मुझे जकड रखा था, और मुझे अपने ज़्यादा से ज़्यादा अंदर लेने की कोशिश कर रहा था. मेरी धड़कने बढ़ने लगी... मेरा लंड फूँकार मारने लगा... टट्टों के अंदर मेरी गोलियाँ उपर चढ़ आई, मैने तुरंत अपने आप को पीछे खींच के दूर किया, लंड बस बाहर निकला ही था कि मानो ज्वाला मुखी फट गया हो, लंड से निकलती धार ने दीदी की गीली गरम चूत के होंठों पर वीर्य उंड़ेल दिया. दीदी के पैर अभी भी मुझे लंड को चूत के अंदर घुसाने का इशारे कर रहे थे, लेकिन मुझे मालूम था कि मुझे ऐसा नही करना चाहिए, जैसे ही लंड से वीर्य की आख़िरी बूँद बाहर निकली, मैने दीदी को लंड को अपने अंदर ले जाने दिया – इस बार एक दम फिसल के बिना किसी रुकावट के गीली चूत के अंदर लंड फटाक से घुस गया.
एक दूसरे को बाहों में लिए, हान्फ्ते हुए, और कड़ी मेहनत के बाद आराम करते हुए, आज के इस दो शरीरों के मिलन के बारे में सोचने लगे.
गहराती हुई रात में, धीरे धीर हम नींद के आगोश में जाने लगे, दोनो शरीर अभी भी चिपके हुए थे. भाई बेहन एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे. भाई बेहन के शरीर दो प्यार करने वालों की तरह एक हो चुके थे...
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तान्या अपने दादाजी के फ्यूनरल जो पास में उनके गाँव में हुआ था, उस के नेक्स्ट डे वापस आ गयी, उसके मम्मी और डॅड दो हफ्तों के बाद सारे क्रिया करम कराकर लौटने वाले थे. तान्या ने मुझे फोन किया और उसके अपार्टमेंट में उस के साथ 2-3 रात सोने के लिए कहा, तान्या की बुआजी 2-3 दिन में उसके साथ रहने के लिए आने वाली थी, जब तक कि उसके मम्मी पापा लौट नही आते. मैं तुरंत तय्यार हो गया, मैने मम्मी पापा को इनफॉर्म किया कि मैं आज रात अपने दोस्त के घर ही रात में रुकुंगा, क्यों कि वो अकेला है और हम कंबाइंड स्टडीस करेंगे.
मैं जब मम्मी पापा के साथ ये सब बातें कर रहा था, दीदी वहाँ खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी. जब मम्मी पापा वहाँ से चले गये तो दीदी ने मुझ से पूछ के कन्फर्म किया, तान्या के यहाँ जा रहे हो?
मैने बस हां में सिर हिलाया
दीदी: एंजाय आंड हॅव फन, वैसे कल से मैं भी 3 दिनों के लिए अपने क्लासमेट्स के साथ स्टडी टूर पर जा रही हूँ. टेक केर.
मैं रात में खाना खाकर तान्या के घर रात को 10 बजे पहुँच गया, तान्या ने मुझे काफ़ी वॉर्म्ली रिसीव किया, और एक वेलकम किस भी दी. हम दोनो कुछ देर टीवी देखते रहे, कॉलेज की और फ्रेंड्स की बातें करते रहे. अभी मैं तान्या के साथ इतना ज़्यादा फ्रॅंक नही हुआ था कि हम सेक्स या रोमॅंटिक बातें कर सकें.
रात में करीब 12 बजे तान्या ने मुझे अपना गेस्टरूम दिखाया और मुझसे वहाँ सोने के लिए कहा. मुझे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन मुझे दीदी की सिखाई हुई वो सलाह याद आने लगी, कि लड़की के पीछे पड़े रहो, कभी ना कभी तो ज़रूर देगी. मैं गेस्टरूम में सो गया और तान्या अपने बेड रूम में.
रात में करीब 1:30 बजे मुझे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई दी और मेरी नींद खुल गयी. ठक ... ठक ... ठक ... ठक... मेरे कुछ समझ में नही आया ये कैसी आवाज़ें थी. मैं अब पूरी तरह जाग चुका था, मैं ध्यान लगाकर सुनने लगा, कि कहीं ये आवाज़ हवा की वजह से किसी चीज़ के अपार्टमेंट की दीवार से टकराने की तो नही है, लेकिन नही ये कुछ और ही आवाज़ थी.
ठक...ठक...ठक... ये आवाज़ अब ज़ोर से और अब थोड़ा जल्दी जल्दी होने लगी थी, मैं ठक... ठक.. की स्पीड पर ध्यान लगाने लगा. मैं बेड से उठा, अपनी आँखों को मसला और फिर डोर खोल के बाहर हॉल में आ गया. सारे अपार्टमेंट में बस मैं और तान्या ही थे, मैने फिर ध्यान लगा कर सुना, आवाज़ अब थोड़ी धीमी हो गयी थी, मैं किचन में गया, फ्रिड्ज से पानी की एक बॉटल निकाली और लाइट ऑन कर दी.
कुछ तो था जो मेरी समझ में नही आ रहा था, आवाज़ हालाँकि धीमी तो हो गयी थी... लेकिन फिर से... ठक...ठक...ठक...ठक... तेज हो गयी. ये सब हो क्या रहा था? मैने ज़्यादा अपने दिमाग़ पर ज़ोर ना डालते हुए, लाइट बंद की और अपने गेस्टरूम की तरफ चल दिया.
जब मैं तान्या के रूम के सामने से गुजरा तो आवाज़ उसके रूम के अंदर से आती हुई लगी. मेरे मूँह से निकला बेहनचोद....
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