RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी नीचे देख रही थी. मैने पहले इस पर ध्यान नही दिया, लेकिन दीदी मेरे लंड की तरफ देख रही थी, जो पूरा खड़ा होकर दीदी की तरफ पॉइंट कर रहा था. दीदी ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा, मुझे लगा कि तुम बहुत दिनों से अपने पर काबू रखे हुए हो, और सोचा क्यों ना तुम्हारी थोड़ी हेल्प कर दी जाए. लगता तो ऐसा है, जैसे तुम भी मुझे एक्सपेक्ट कर रहे थे. दीदी ने मेरे बॉडीवाश की बॉटल को अपने हाथ में ले लिया, और हंसते हुआ पूछा, साबुन लगाऊं तुम को?
मैने अपनी आँखें बंद कर ली और हल्की से सिसकी लेते हुआ कहा, दीदी आप मज़ाक तो नही कर रही ना?
फिर से हंसते हुए दीदी ने बॉटल में से थोड़े सा साबुन की ड्रॉप अपने दोनो हाथों के बीच लेकर उसको घिस घिस के झाग बनाने लगी.
दीदी: साची बोलूं तो मैं यहाँ आई ही इसलिए थी क्योंकि मुझे लगा तुम्हे किसी चीज़ की ज़रूरत है. थोड़ा झिझकते हुए दीदी ने मेरी तरफ देखा, और मेरी आँखों में आँखें डाल दी. फिर साबुन की बॉटल को नीचे रख दिया, और मुझे पीछे घूमने का इशारा किया.
ये बहुत विचित्र और पागलों जैसा लग रहा था, दीदी मेरी गर्दन और कंधों पर हाथ में आए साबुन को लगा रही थी. एक हाथ से मेरे एक कंधे को पकड़कर दूसरे हाथ से मेरे दूसरे कंधे पर साबुन मल रही थी. ऐसा मेरे होश में पहली बार हो रहा था कि कोई दूसरा मेरे को नहलाए, और वो भी कोई अंजान नही, बल्कि मेरी सग़ी बड़ी बेहन. लेकिन दीदी अच्छे से साबुन लगा रही थी. मैं सीधा खड़ा हुआ था, पानी मेरी छाती पर गिर रहा था, दीदी धीरे लेकिन रगड़ रगड़ के मेरी पीठ पर साबुन मल रही थी, दीदी का हाथ अब मेरी गान्ड की गोलाईयों पर से होता हुआ मेरे जांघों पर पहुँच गया था.
दीदी: अच्छा, अब घूम जाओ
हालाँकि मैने सुन लिया था, लेकिन मानो मेरे शरीर पेरलाइज़ हो गया था. जब मुझे होश आया तब तक घूम चुका था, मुझे कुछ याद नही, कब और कैसे. मेरी पीठ पर पानी गिर रहा था, और साबुन के झाग को धो रहा था, दीदी मेरे सामने नंगी खड़ी थी, दीदी के हाथों पर भी साबुन के झाग लगे हुए थे. दीदी मेरे और पास आई, कुछ ज़्यादा ही पास आ गयी. मैने थोड़ा बॉडीवाश अपने हाथ में लिया और अपनी गर्दन और कंधों पर मल के झाग बनाने लगा, गिरते हुए साबुन के झागों को दीदी मेरी छाती के साइड में और पेट पर मलने लगी.
फिर दीदी मेरे सामने घुटनों पर बैठ गयी.
दीदी ने थोड़ा बॉडीवाश की ड्रॉप हाथ में ली और मेरी जांघों और टट्टों पर मलने लगी, फिर अपने हाथ को दोनो टाँगों के बीच से पीछे की तरफ ले गयी और मेरी गान्ड पर साबुन भरा हाथ फिराने लगी. दीदी ने अपने फ्री लेफ्ट हॅंड को मेरी जाँघ पर रख दिया, और दूसरे राइट हॅंड को दोनो टाँगों के बीच घुसा रखा था, दीदी का चेहरा मेरे खड़े लंड से बस कुछ इंच की दूरी पर था. दीदी अपना हाथ अंदर की तरफ ले गयी, फिर मेरी जांघों के अन्द्रुनि तरफ और फिर उपर करते हुए दीदी ने मेरी बॉल्स को अपने हाथ में हल्के से पकड़ लिया. हल्के से दीदी ने लटक रही टट्टों की थैली को अपनी साबुन से चिकनी हुई उंगलियों से सहलाया, और फिर मेरे फूँकार मार रहे लंड की तरफ देखा, दीदी की इन हरकतों से लंड और ज़्यादा उग्र रूप ले चुका था. दूसरा हाथ भी दीदी मेरे लंड की तरफ ले आई. और फिर यकायक, हल्की सी सिसकी भरते हुए दीदी ने अपना मूँह खोला, अपनी आँखें बंद की, और अपने धधकते हुए होंठों के बीच मेरे नंगे लंड को भर लिया.
दीदी अपने मूँह में मेरे लंड को अंदर ले जाते हुए, अपनी जीभ मेरे सुपाडे पर घिस रही थी.
मेरे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर ले जाते हुए दीदी के होंठ मेरे लंड के बींचो बीच थम गये.
दीदी अब भी मेरे गोलियों से अपने साबुन से चिकने हाथों के साथ खेल रही थी, और मेरे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मूँह में ले जाने का प्रयास कर रही थी, जब तक की मेरा लंड दीदी के टॉन्सिल्स को छूने ना लगा.
शवर से निकलता पानी मेरी पीठ के उपर से बह रहा था, दीदी मेरे सामने बैठकर मेरे लंड को अपने मूँह में ज़्यादा से ज़्यादा अंदर ले जाने का प्रयत्न कर रही थी. साबुन की खुश्बू हवा में थी, और दीदी के पानी से भीगे हुए बाल दीदी की पीठ में लटो का रूप लेकर चिपके हुए थे. मेरे लंड की पूरी लंबाई तक, दीदी अपनी जीभ से मेरे लंड को चाट के, उसका स्वाद ले चुकी थी. अपने होंठों को थोड़ा पीछे करते हुए मेरे लंड को सुपाडे को अपनी जीभ के उपर लाते हुए दीदी उसको ऐसे चूसने लगी जैसे किसी लॉलीपोप को चूस रही हो. मेरे मूँह से गुर्राने की आवाज़ निकलने लगी, दीदी ने अपना चेहरा उठा के मेरी तरफ देखा, और फिर मेरी आँखों के सामने मेरे पूरे लंड को जड़ तक अपने मूँह के अंदर ले गयी.
ये सब मेरे लिए ज़रूरत से ज़्यादा था. मैं अब बहुत मज़े कर चुका था. मैने अपना लंड दीदी के मूँह में से निकाला और दीदी को उपर खींच के, अपने से चिपका के दीदी को जोरदार किस करने लगा. दीदी ने मेरी इस चिपकने का बराबर जवाब दिया, और मुझे दीदी को दीवार पर सटा का पूरा मौका दिया. मैं दीदी को दीवार से सटा के, उसके पूरे शरीर के हर भाग पर, जहाँ मेरा मन करे, हाथ फिराने लगा. मैं दीदी को भूखे शेर की तरह किस करते हुए दीदी की पानी से भीगी चूंचियों को अपने हाथों से दबाने लगा, और दोनो चूंचियों को आटे की तरह गूँथने लगा. मैं दीदी के ज़ोर ज़ोर से साँस लेने के कारण पंसलियों को फूलते और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर होते देख रहा था. मैने अपना एक हाथ नीचे लेजाकर दीदी के एक हिप्स को अपनी हथेली में भर के मसलना शुरू कर दिया, मैं हिप्स की गोलाईयों को ज़्यादा से ज़्यादा अपनी हथेली में भरने का प्रयास करने लगा. दीदी ने अपने हाथों से मेरी पीठ को जकड लिया, और अपने और ज़्यादा जितना करीब हो सके कर लिया, दीदी महसूस कर रही थी कि मेरा हाथ अब उसकी गान्ड की गोलाईयों से फिसल कर आगे आते हुए, झान्टो के ट्राइंगल पर होते हुए अब दीदी की चूत की तरफ बढ़ चुका है. मैं झान्टो की लकीर के साथ साथ अपने हाथ को दीदी की दोनो टाँगों के बीच आगे बढ़ाने लगा, आगे स्किन सॉफ्ट और थोड़ी गीली थी. मैने अपनी उंगलियाँ दीदी की स्वागत कर रही चूत के अंदर घुसा दी, और एक उंगली को हल्का सा मोड़ के चूत के दाने को सहलाने लगा, दीदी ज़ोर ज़ोर से साँसें लेने लगी, और उपर नीचे होते हुए मुझे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी. मेरा लंड दीदी के पेट के उपर दस्तक मार रहा था. और मैं दीदी की दोनो टाँगों के बीच, दीदी की चूत में ज़्यादा से ज़्यादा अपनी उंगलियों से आग लगाकर, जान बूझ कर अपने लंड को दीदी के पेट के उपर घिस रहा था.
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