RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी की आँखों में एक अलग ही चमक थी.
दीदी के रूम से अपने रूम में आने के बाद मैं सारी रात ये ही सोचता रहा.
सॅटर्डे सुबह मैं सो कर काफ़ी लेट उठा, सूरज की किरणों ने मेरे रूम को रोशन कर रखा था, मैने फिर से चादर ओढ़ ली. बड़ी ज़ोर से आ रही पेशाब ने मुझे बेड से निकलने पर मजबूर कर दिया, मैं बाथरूम में जाके फ्रेश हुआ, और अपने बाल थोड़े ठीक किए, दाँतों को ब्रश किया, फिर किचन में हल्का सा ब्रेकफास्ट करने को चल दिया.
घर में बड़ी शांति थी, मैने बाहर झाँक के देखा, बाहर पापा की कार नही थी, फिर मुझे याद आया मम्मी पापा को आज हमारे किसी रिश्तेदार के गृह प्रवेश में जाना था. दीदी का पता नही चल रहा था, वो कहाँ है, ये ढूँढने के लिए मैं सभी रूम देख चुका था, जब मैं अंडरग्राउंड स्टोर रूम की तरफ गया तो देखा कि वहाँ की लाइट जल रही है. मैं नीचे जाने के लिए सीढ़ियों पर उतरने लगा, मैने देखा दीदी पुराने कपड़ों को फोल्ड कर रही थी.
दीदी ने मुझ को देख के कहा, तो उठ गये महाराज...
मैने अपनी आँखें मसल्ते हुए कहा... हां उठ गया....
दीदी चुटकी लेते हुई बोली... बड़ी बढ़िया नींद आई होगी आज तो....
मैने भी शरारती लहजे में जवाब दिया... हां एक दम मस्त नीद आई आज...
दीदी मुस्कुराइ और फिर कपड़े फोल्ड करती रही. मैं दीदी को कुछ मिनटों तक देखता रहा और मन ही मन सोचता रहा कि दीदी कपड़े पहन कर भी कितनी सुंदर लगती है, दीदी ने सफेद पॅंट-शर्ट पहना हुआ था और अपने बालों का पोनीटेल बना रखा था. दीदी ने मेरी तरफ देखा और मुझे अपनी तरफ देखते हुए पाकर थोडा मुस्कुराइ, फिर कपड़े फोल्ड करने शुरू कर दिए. वो कुछ और कपड़े उठाने के लिए थोड़ा झुकी, मैं दीदी को देखता रहा.
मैं थोड़ा पास आकर वहाँ रखे एक बॉक्स पर बैठ गया.
दीदी सीधी खड़ी होकर अपनी एक पुरानी वाइट ब्रा को फोल्ड कर रही थी. मैने देखा कि वाइट ब्रा के कप्स पर छोटे छोटे पिंक फ्लवर बने हुए थे. मैने गुस्ताख़ी करते हुए पूछा, दीदी आपकी ब्रा का साइज़ कितना है? दीदी ने अचंभित होते हुए मेरी तरफ देखा, मुझे एहसास हुआ दीदी ठीक वैसे ही देख रही थी जैसे उसने 1-2 महीने पहले, यानी कि ये सब कुछ शुरू होने से पहले देखा होता, यदि मैने इस तरह को कोई सवाल पूछ होता.
दीदी फिर थोड़ा मुस्कुराइ और शरमाते हुए बोली, पता नही मुझे शरम क्यों आ रही है...
वाउ.., तुमको शरम आ रही है... मैने मुस्कुराते हुए कहा. दीदी ने मुझे शरमाते हुए देखा और फिर अपना मूँह दूसरी तरफ फेर लिया.
दीदी ने हंसते हुए अपना चेहरा अपने हाथों से छिपा लिया और फिर मेरी तरफ देखा. दीदी दो कदम मेरे पास आई , और वो ब्रा मेरे हाथ में दे दी. मैने वो ब्रा हाथ में पकड़ ली, दीदी वहीं पर खड़ी रही, मैने ब्रा के पीछे हुक्स के पास लगे छोटे से टॅग को देखा, उस पर लिखा था साइज़ 34.
साइज़ 34 , ठीक है बढ़िया है, क्यों दीदी? मैने उपर दीदी की तरफ देखते हुए पूछा.
दीदी ने अपनी भोहें चढ़ा कर मेरे हाथ से ब्रा ले ली, और बोली... ठीक है या नही ... तुम बताओ?
कुछ सेकेंड की शांति के बाद मैने दीदी की तरफ देखा, कुछ पल के बाद दीदी ने फिर से अपनी भोहें चढ़ा ली, शायद वो मेरे जवाब का इंतेजार कर रही थी.
सॉरी, मैने सोचा तुम.... मैं बोला
कुछ पल के बाद दीदी कन्फ्यूज़ होकर बोली... क्या सोचा?
राज : मैने सोचा कि आप मुझे वो खोल के दिखाओगी
दीदी के गाल गुलाबी हो गये और वो बोली, राज तुम पहले भी देख चुके हो...
राज: तो आप नही दिखाओगी?
दीदी ने थोड़ा झिझकते हुए इंतेजार किया, तब तक, जब तक लगे कि उनकी भी कुछ समझ में नही आ रहा. फिर दीदी ने एक लंबी गहरी साँस ली, और फिर अपनी शर्ट को उपर कर दिया. दीदी ने अपनी शर्ट अपनी चूंचियों से भी उपर चढ़ा ली. दीदी ने अंदर ब्रा नही पहन रखी थी, दीदी की नंगी चूंचियाँ देख के मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया. दीदी की चून्चियो को जैसे ही आज़ादी मिली तो दीदी के निपल्स खड़े होकर एक दम तन गये. दीदी ने फिर अपनी शर्ट नीचे कर ली.
हालाँकि दीदी की आँखों में चमक थी, लेकिन उनको जो कुछ हो रहा था उस का एहसास था, दीदी ने पूछा, तो ठीक है राज?
मैने दीदी की तरफ देखा और एक गरम मुस्कुराहट के साथ जोश में बोला, दीदी आप बहुत सुंदर हो, आप के वो दोनो एक दम पर्फेक्ट हैं.
दीदी मुस्कुराइ और फिर कुछ पुराने कपड़ों को फोल्ड करने लगी, फिर बोली, थॅंक्स राज, कितना अच्छा होता अगर भगवान मेरा सब कुछ ऐसा ही सुंदर बनाता.
मैने पूछा, दीदी आप कहना क्या चाहती हो?
दीदी ने बिना मेरी तरफ देखे हुआ कपड़े फोल्ड करते हुए बोला, मेरा मतलब था कि कितना अच्छा होता अगर मेरा पूरा शरीर ही सुंदर होता.
मैने एक पल दीदी की तरफ देखा और फिर धीरे से बोला, दीदी मैं आपका सब कुछ देख चुका हूँ, और आपका सब कुछ बहुत सुंदर है.
दीदी ने एक दम कपड़े फोल्ड करने बंद किए, और मेरी तरफ देखा.
दीदी: राज, तुम्हारे जैसा भाई अभी तक किसी बेहन को नही मिला होगा.
मैं मुस्कुराया और अविश्वास में अपने कंधे उँचका दिए.
दीदी कपड़ों को हाथ में लेकर बोली, पता नही क्यों आज सुबह जब मैं उठी तभी से मैं कुछ उदास थी. मैं अपने आप के बारे में मोटी, बदसूरत और ना जाने क्या क्या सोच रही थी. तुम्हारी बातों से मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा है, दीदी ने स्माइल करते हुए कहा. हालाँकि एक बात बता दूं कि तुमने मेरा सब कुछ अभी इतने गौर से नही देखा है.
मैं पिछले कुछ हफ्तों की रील अपने दिमाग़ में चलाने लगा, मेरे समझ में नही आया कि दीदी क्या कह रही है, मैने ऐसा क्या नही देखा है?
डॉली दीदी बिल्कुल चुप थी.
राज: दीदी बताओ ना, प्लीज़ घबराओ नही सब ठीक है
दीदी अपना होंठ दाँतों से काटते हुए उस बॉक्स के पास आई जहाँ पर मैं बैठा हुआ था. दीदी एक पल के लिए मेरे सामने खड़ी हो गयी, फिर अपने हाथ के अंगूठे को अपनी पॅंट की एलास्टिक में फन्साते हुए उसे धीर धीरे नीचे करने लगी. दीदी की पॅंट के साथ उनकी ब्लू पैंटी भी नीचे आ रही थी, दीदी की झान्टे अब दिखने लगी थी, अब पॅंट और पैंटी वहाँ पर आ चुकी थी जहाँ से जांघें शुरू होती हैं.
दीदी: मुझे नही मालूम...... दीदी थोड़ा हक्लाई और फिर जिस तरह वो मेरे सामने खड़ी थी थोड़ा नर्वस भी थी, क्यों कि दीदी की झान्टे अब सॉफ दिखाई दे रही थी. दीदी ने हिम्मत कर के पूछा, क्या मेरा ये सब भी उतना ही सुंदर है, उतना जितनी की मेरी बाकी शरीर.
मेरे को विश्वास नही हो रहा था कि दीदी ऐसे मुझे अपने प्राइवेट पार्ट्स दिखाएगी. मैं इस दृश्य को अपने दिमाग़ में संजोए जा रहा था, और मेरे दिमाग़ में इसकी वीडियो तय्यार हो रही थी. जो कुछ मैं देख रहा था, दीदी की हल्की हल्की झान्टे, और वो दोनो टाँगों के बीच झान्टो से सज़ा हुआ छोटा सा त्रिकोण. दीदी की दोनो टाँगों के बीच, चूत का आकार लेने को बेकरार नीचे के वो आउटर लिप्स, दीदी की स्किन जो क्रीस बनाकर चूत कर रूप ले रही थी, उस को देख रहा था, वो फूली हुई चूत और वो चूत के बाहर वाले लिप्स जो दीदी को एक बेहद आस्कर्षक लड़की बना रहे थे. दीदी की नाभि से थोड़ा नीचे से शुरू हुई झान्टे चूत को एक ट्राइंगल बना के ढकने का प्रयास कर रही थी, और फिर नीचे कुछ इंच की एक लकीर बना रही थी. दीदी ने अपनी झान्टे ट्रिम कर रखी थी, उनको एक जंगल का रूप देने से पहले ही काट दिया गया था, लेकिन चूत की वो लकीर झान्टो के बीच शुरू होती हुई सॉफ नज़र आ रही थी, लग रहा था कि वो कितनी सॉफ्ट है. दीदी के शरीर से निकलती हुई मादक गंध मुझे पागल कर रही थी.
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