RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
जिस तरह हम करीब आ चुके थे उसके बाद, दीदी के कंधों के उपर हाथ फिराने में अब और ज़्यादा मज़ा आ रहा था. ये वासना से भरा हुआ नही था, बस एक भाई का अपनी बेहन के लिए प्यार था. दीदी को भी ये बात पता थी.
मूवी के जब 2-3 सीन ख़तम हुए तब दीदी ने अपना सिर पीछे किया, (अब वो पहले से रिलॅक्स लग रही थी) और मुझसे पूछा, मेरे पैर के पंजे की भी मालिश कर दो.
मैने हां में सिर हिलाया, दीदी मेरे साथ मेरे 3 सीटर सोफे पर दूसरी तरफ बैठ गयी और मेरी गोदी में अपने पैर के पंजे को रख दिया. हालाँकि ये नया नही था लेकिन ऐसे वो कभी कभार ही करवाती थी. जब दीदी ज़्यादा स्ट्रेस में होती थी तभी अपने पैर के पंजों की मालिश करवाती थी. दीदी के पैर के पंजे बहुत नाज़ुक कोमल से बहुत सुंदर थे, मुझे उनको सहलाने में कोई आपत्ति नही थी. हम दोनो टीवी की तरफ देख रहे थे और मैं दीदी के पैर के पंजों को दबा दबा के, कभी पंजे की तो कभी दीदी के पैर की उंगलियों में अपनी उंगलियाँ घुसा के उनकी मालिश कर रहा था. दीदी को और ज़्यादा आराम देने के लिए, मैने दीदी के घुटनों तक उनकी पिंदलियों को हल्के हल्के दबा दबा के कुछ देर मालिश की. मैं दीदी के चिकने पैरों और दीदी की सुडौल पिंदलियों का स्पर्श सुख ले कर रोमांचित हो रहा था.
दीदी ने स्माइल करते हुए मुझसे पूछा, तो फिर कैसी रही तुम्हारी आज की डेट?
मैने कंधे उँचकाते हुए कहा, हां मज़ा आया, बढ़िया रही
मैं दीदी की पिंदलियों को हल्के हल्के आटे की तरह गूँथ रहा था, दीदी के मूँह से आहह निकल गयी. फिर दीदी खिलखिलाई और पूछा, तो आज किस ली या आज भी नही?
मैं फिर से दीदी के पंजों के निचले हिस्से, उनकी उंगलियों की मालिश करने लगा, और दीदी के पंजे के साथ खेलने लगा, दीदी के पैर के पंजे की उंगलियों को जॉइंट पर से थोड़ा धीरे से नीचे करता और फिर बीच के हिस्से को मसलता.
नही ऐसा कोई चान्स नही मिला, मैं बोला.
दीदी ने मेरी तरफ देखा, मैं दीदी के चेहरे पर आए निराशा के भाव को पढ़ पाया.
तुम खुश रहा करो राज, क्यों? दीदी ने पूछा,
मैने हां में सिर हिलाया. दीदी ने अपना पैर मेरे पास से दूर कर लिया और खड़ी हो गयी, फिर मुझे फ्लोर पर सोफे के पास लेटने को कहा.
देखो, जैसे तुम मेरी इतनी अच्छी सेवा करते हो, आज मैं भी तुम्हारी करती हूँ. दीदी मेरे साथ फ्लोर पर बगल में लेट गयी, लेकिन दीदी का सिर मेरे पैरों की तरफ था और दीदी के पैर मेरे सिर की तरफ.
दीदी मे मेरे पैर का पंजा पकड़ा और धीरे से उसकी मालिश करने लगी. ये देख मैं भी दीदी के पैर के पंजे को पकड़ के वहीं से शुरू हो गया, जहाँ से मैने सोफे पर बैठ के छोड़ा था.
मेरी ऐसी मालिश दीदी ने पहले कभी नही की थी, दीदी जिस तरह से मेरे पैर के पंजों के उंगलियों की मालिश कर रही थी उस से सारा तनाव ख़तम हो रहा था, और तान्या के साथ हुई निराशा को भूलने में ये मालिश बहुत मदद कर रही थी. मैं भी दीदी की उसी तरह प्यार से मालिश करने लगा.
थोड़ी देर बाद इतना ज़्यादा सुकून मिलने लगा कि मैने कुछ भी सोचना बंद कर दिया, बस दीदी के पैरो को सहला रहा था और मूवी देख रहा था. दीदी की आवाज़ सुन के मैं चौंका, मैने दीदी की तरफ देखा, दीदी के चेहरे पर कुछ अजीब से ही भाव थे. मैने उसे प्रश्न भरी निगाह से देखा और पूछा, कुछ कहा आपने?
दीदी: हां, मैने कहा कि मुझे कुछ कुछ हो रहा है, ऐसा बोल के दीदी थोड़ा शर्मा गयी
मैं भी मुस्कुराया और बोला, ओह्ह्ह सॉरी दीदी. मैं दीदी के पैर के पंजे को सहलाते हुए बोला, बस इतना सा करने से?
दीदी ने हां में सिर हिलाया और बोली, पहले तो आराम मिल रहा था, लेकिन अब कुछ अलग ही हो रहा है
मेरे समझ में नही आया कि क्या कहूँ, तो मैं बस थोड़ा मुस्कुराया और जहाँ मैं सहला रहा था वहाँ अब दबाने लगा.
दीदी ने खीजते हुए अपने होंठ भींचे और हंस कर डाँटते हुए बोली, राज नही मानोगे तुम. मैने कंधे उँचका के दीदी को चिढ़ा दिया.
मैने दीदी के पैर के पंजे को सहलाते हुए दीदी की तरफ देखा. दीदी ने मुझे देखा. पता नही मुझे क्या हुआ मैं दीदी के पैर के पंजे जिसकी उंगलियों पर गुलाबी रंग की नेल पोलिश लगी हुई थी, उसे अपने करीब लाके उसको चूमने लगा.
दीदी थोड़ा हँसी फिर जल्दी से बोली, राज !
मैने अपना काम जारी रखा और फिर छोटी वाली उंगली की एक चुम्मी ले डाली. दीदी ने अपना निचला होंठ दाँतों से दबाया और फिर आराम से अपने पंजा मेरे हवाले कर दिया. मैने एक और उंगली ली और उसे चूसने लगा, और अपनी जीभ को सबसे छोटी और उसकी पड़ोसी उंगली के बीच फिराने लगा. दीदी अब कराहने लगी थी, दीदी ने अपने पैरों की उंगलियों को और ज्याद फैला के दूर दूर कर दिया जिस से मैं उनके बीच आसानी से चाट सकूँ.
दीदी बोली, हे भगवान...., मैने अपनी जीभ उन नाज़ुक उंगलियों के संवेदन शील हिस्सों के बीच फिराना जारी रखा. बड़ा अजीब लग रहा था कि मैं अपनी बेहन के पैर की उंगलियों को मूँह में लेकर चाट रहा हूँ, लेकिन मुझे इस बात की खुशी थी कि ऐसा करने से दीदी को अच्छा लग रहा है.
मैने महसूस किया कि दीदी खिसक के मेरे और पास आ गयी है, दीदी का फेस मेरी पिंदलियों के पास था. दीदी की चूंचियाँ मेरी जांघों को दबा रही थी और मेरा लंड दीदी के पेट को दबा रहा था. मैने दीदी के पैर की उंगलियों का चाटना और चूसना जारी रखा, दीदी अपने पैर का पंजा आगे पीछे करती और कभी इधर उधर घुमा लेती फिर सीधा कर लेती.
कुछ देर बाद दीदी कुछ हिलने लगी, दीदी ने अपना पंजा मेरे मूँह से दूर किया और मेरे को हल्का धक्का देकर सीधा पीठ के बल लिटा दिया, और मेरे उपर आ गयी. दीदी ने मेरे दोनो कंधों के नीचे से अपने पैर निकाले और घुटनों के बल अपनी गान्ड मेरे चेहरे के ठीक उपर कर ली मैने भी अपनी बाँहों को सही पोज़िशन में कर लिया. मेरे चेहरे को दीदी के नाइट्गाउन के किनारे ने ढक रखा था, मुझे अपने चेहरे के कुछ इंच उपर दीदी की पैंटी दिख रही थी जिसमे फूली हुई चूत क़ैद थी.
दीदी ने एक गहरी साँस लेते हुए पूछा, सब लड़के किसी लड़की के साथ डेट से लौटने के बाद ऐसे ही मूड में रहते होंगे, क्यों राज?
मूवी के डाइलॉग्स की आवाज़ आ रही थी, दीदी के शरीर का उभार जो मेरे उपर था और दीदी की पैंटी के हर धागे को देखकर अब मेरी धड़कन तेज होने लगी थी. दीदी की चूत से निकल रही खुश्बू और मेरी नाक के नथुनो में घुस रही वो मादक खुश्बू और गर्माहट मुझे पागल कर रही थी. मैं अपने हाथ को बॉक्सर्स के अंदर डाल के अपने खड़े लंड को हिलाने लगा. मैं ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहा था और मेरे लंड को अपने हाथ से शांत करने का प्रयास कर रहा था, मुझे मालूम था कि दीदी ये सब देख रही है.
दीदी ने अपने दोनो हाथ मेरी कमर पे मेरी हिप्स के ऊपर रखे और मुझे अपने लंड को सहलाते देख अपनी गान्ड को मेरे चेहरे के उपर गोल गोल घुमा के मटकाने लगी, दीदी की पैंटी के अंदर फूली हुई चूत मेरी आँखों के सामने थी. मेरे लंड से निकली प्रेकुं की कुछ बूँदों ने मेरे बॉक्सर्स को गीला करना शुरू कर दिया था, मैं दीदी की पैंटी को घूर्ने लगा. दीदी ने मेरी कमर ज़ोर से पकड़ ली, बदले में मैने अपना दूसरा हाथ दीदी की नंगी जाँघ पर रख दिया.
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