RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
राज (धीरे से): मैने दीदी को कनखियों से देखा और पूछा, दीदी, आज थोड़ा हेल्प करोगी?
दीदी ने मेरी तरफ देखा और स्माइल के साथ धीरे से बोली, हां क्यों नही, आज कैसे करने का मूड है?
हर बार की तरह ना चाहते हुए भी मुझे जवाब देना पड़ा, मैं बोला, दीदी आपकी ये टाइट जीन्स, जो आपने पहन रखी है, जब आप झुकती हो तो......
दीदी (मूँह दबा के हंसते हुए धीरे से): जब मैं झुकती हूँ..., हुह, तो लगता है तुम और ज़्यादा अच्छे से देखना चाहते हो?
राज: शायद हां दीदी, मैं स्वीकार करते हुए बोला
दीदी: रूको मैं देखती हूँ, हम क्या कर सकते हैं
हम ने अपनी अपनी मॅगज़ीन्स बंद की, मम्मी पापा भी टीवी बंद कर के अपने बेड रूम की तरफ जा रहे थे, मैने और दीदी ने उनको गुड नाइट कहा. दीदी और मम्मी रुक के कुछ बातें करने लगी और मैं अपने रूम में चला गया और बेड पर जाके बैठ गया.
करीब 10 मिनिट के बाद दीदी डोर पर नॉक कर के मेरे रूम में आ गयी, दीदी ने अब भी वो ही ड्रेस पहन रखी थी.
दीदी: तो तुम को मेरी हेल्प चाहिए क्यों?
राज: ह्म..., करके मैने अपनी शर्ट और फिर जीन्स उतार दी, और अपने बेड पे बॉक्सर्स पहन के बैठ गया, लंड खड़ा होना शुरू हो चुका था.
दीदी ने मेरे बॉक्सर्स की तरफ देखा और बोली, लगता है तुम तो एकदम तय्यार हो, वो घूमी और गर्दन घूमाकर मेरी तरफ देखा और पूछा, तो तुम को ये जीन्स मेरे उपर अच्छी लगती है?
राज: हां दीदी, सच कह रहा हूँ, आप पर ये जीन्स बहुत अच्छी लगती है. जीन्स में दीदी की गान्ड के उभार सॉफ नज़र आते थे.
दीदी: तान्या से अच्छी या खराब? दीदी ने हंसते हुए कहा, मज़ाक कर रही हूँ, तुम कुछ मत जवाब दो.
दीदी अपनी जीन्स का बटन खोलकर अब उसकी ज़िप खोल रही थी
दीदी: ये जीन्स मैने शॉपर्स स्टॉप से सेल में खरीदी थी, ये कहते हुए दीदी ने जीन्स अपने हिप्स से नीचे करनी शुरू कर दी. जीन्स के नीचे होते ही दीदी की ग्रे पैंटी जिस पर पिंक स्ट्रिपेस थे दिखाई देने लगी, दीदी पर ये बहुत अच्छी लग रही थी.
दीदी को जीन्स उतारते देख मैं बोला, सेल में चाहे आपको सस्ती मिली हो, लेकिन ये फुल प्राइस का मज़ा दे रही है.
दीदी ने पीछे देखा और मुस्कुराइ. दीदी फिर से सीधी खड़ी हो गयी और अपने गोल गोल हिप्स पर हाथ फिराने लगी. दीदी अपना हाथ उपर पैंटी की एलास्टिक पर ले गयी, और पैंटी को धीरे धीरे नीचे करने लगी.
मुझे दीदी के हिप्स के बीच का क्रॅक दिखाई देने लगा, दीदी ने पैंटी इतनी नीचे कर दी कि अब दीदी के पूरे हिप्स नंगे हो गये.
दीदी: ये पैंटी भी मैने सेल में ही खरीदी थी, 3 पैंटी, एक पैंटी के प्राइस पर, ऐसा बोलते हुए दीदी ने अपनी पैंटी नीचे फ्लोर पर गिरा दी.
मैने मज़ाक में कहा: मुझे ये फुल्ली ऑफ वाला डिसकाउंट अच्छा लगा
दीदी ने पीछे देखा और अपनी भोहें चढ़ा के बोली, ये मज़ाक बहुत बेहूदा था, और फिर मुस्कुराइ.
हां शायद, मेरा ध्यान कहीं और ही है, मैं अपने लंड को बॉक्सर्स के उपर से ही सहलाता हुआ बोला. क्या मस्त गान्ड थी दीदी की, दीदी के हिप्स क्या मस्त गोलाइयाँ लिए हुए थे, एक दम कड़क बम्स थे, एक दम चिकने. मैं दीदी की नंगी गान्ड देख के मूठ मार रहा था और दीदी मुझे ऐसा करते हुए देख रही थी. जिस तरह मैं दीदी के घूर्ने को नज़रअंदाज कर रहा था उसी तरह दीदी भी मुझे कर रही थी. ये बेहद नाज़ुक स्तिथि थी कि हम इतना ज़्यादा सेक्सी माहौल बनाने के बाद भी ये कोशिश कर रहे थे कि इससे ज़्यादा आगे ना बढ़ें.
दीदी एक सेकेंड के लिए थोड़ा सा घूमी तो मुझे उनकी हल्की हल्की झान्टो के त्रिकोण की एक झलक मिल गयी, मेरे मूँह से आहह की आवाज़ निकल गयी.
दीदी: क्या हुआ राज?
राज: कुछ नही दीदी, बस थोड़ा सो झुक जाओ ना प्लीज़
जैसे ही मैने ये कहा दीदी थोड़ा आश्चर्य में पड़ गयी. दीदी ने अपने पैर चौड़ा रखे थे और मैं उनके बीच कुछ कुछ देख पा रहा था.
एक सेकेंड रूको, दीदी बोली और सीधे खड़े होते हुए घूमकर मेरी तरफ देख के हँसने लगी. दीदी ने अपने होंठ दाँत से दबा के मेरी तरफ आश्चर्य में सिर हिलाया, और बोली कैसे लड़के हो तुम, मेरे हाथ की तरफ देखते हुए बोली जिस से मैं लंड आगे पीछे कर रहा था. एक बात कहूँ राज.... अगर तुम मेरा सब कुछ देखने में इतना इंट्रेस्टेड हो तो मैं भी तुम्हारे उसको देखूँगी, बाहर निकालो उसको.
राज (दीदी की तरफ देखते हुए): मुझे कोई आपत्ति नही है, पक्का ना दीदी?
दीदी ने हां में सिर हिलाया, फिर थोड़ा नर्वस हो गयी कि कहीं इस बात को लेकर बाद में उसकी खिंचाई ना करूँ
दीदी सोच के बोली: क्या ये करना चाहिए?
कुछ क्षणों के लिए खामोशी छा गयी
मैं बोला पछताओगी दीदी आप
दीदी ने मेरी और मैने दीदी की तरफ देखा, और फिर मुस्कुराने लगे, थोड़ा शरमाते हुए
दीदी: क्या मैं उपर बेड पर आ जाउ?
मैं दीदी के लिए जगह बनाने के लिए घूमा, और बेड के दूसरी तरफ देखने लगा. दीदी बेड पर उपर आ गई, थोड़ा साइड की तरफ से जिस से मैं कुछ देख ना पाऊँ. दीदी बेड के दूसरे किनारे पर बैठ गयी और फिर मेरी तरफ घूमी, दीदी ने अपने दोनो घुटनों को जोड़ रखा था. ये बड़ा अजीब लग रहा था कि हम दोनो एक ही बेड पर बैठ कर एक दूसरे को अपनी बेहद पर्सनल चीज़ दिखाने जा रहे हैं.
तुमको ऐसा नही लगता जैसे हम फिर से छोटे बच्चों की तरह घर-घर खेल रहे हों? दीदी ने पूछा
मैं एक सेकेंड सोचा और बचपन की वो सारी यादें ताज़ा हो गयी जब हम घर-घर खेला करते थे.... और नाटक करते थे जैसे हम मम्मी पापा हों
हां दीदी, सही कह रही हो आप, वो सब आपको अब भी याद है, मैं हंसते हुए बोला
दीदी के गाल गुलाबी हो गये और वो हँसने लगी, फिर बोली.... आइ आम सॉरी राज, मुझे कुछ ज़्यादा ही उत्सुकता हो गयी थी. हम दोनो हँसने लगे जिस से माहौल थोड़ा लाइट हो जाए.
जब हम तोड़ा शांत हुए तो मैने पूछा, पहले मुझे देखना चाहोगी दीदी? दीदी ने वहीं बैठे हुए ही मेरी तरफ देखा, अपने घुटनों को बाहों में भरते हुए, अपने हाथ के अंगूठे के नाख़ून को दाँत से काटते हुए हां में गर्दन हिला दी. मैने अपने बॉक्सर्स को नीचे खिसकाना शुरू कर दिया, मैने अपने बड़े खड़े लंड के उपर से बॉक्सर को हटा दिया, और अपने बॉक्सर को पूरी तरह उतारने के लिए अपने हिप्स को थोड़ा उपर उठाया और फिर उतार के फेंक दिया. दीदी मेरे खड़े हुए 7 इंच ले लंड को आँखें फाड़ फाड़ के देख रही थी.
जब मैं थोड़ा पीछे होकर अपनी पीठ के सहारे बैठ गया, तो दीदी ने शरमाते हुए अपने नीचे की तरफ देखा. अपने दोनों घुटनों को जोड़े रखे हुए ही दीदी ने अपने दोनो पैरों को नीचे से करीब एक फुट फैला दिया. अब दीदी की गोरी गोरी नंगी जांघें मुझे दिखाई दे रही थी, और ज़्यादा नीचे गहराई में देखने पर, दीदी के नीचे वाले लिप्स थोड़ा छुपे हुए दिखाई दे रहे थे. मेरी दीदी की सब से प्राइवेट चीज़ अब मेरे सामने थी, नीचे वाले वो दो लिप्स दीदी का सबसे बड़ा ख़ज़ाना था, जो अब तक सब से छिपा हुआ था मेरे सिवाय. दीदी ने जब मेरे खड़े हुए लंड को देखा, मैं दीदी के उस नाज़ुक से द्वार की रखवाली करते ढंग से कटी हुई झान्ट के बालों को देर तक निहार रहा था.
करीब 2 मिनिट तक हम ऐसे ही चुप चाप और बिना हिले बैठे रहे, हालाँकि मेरे पूरे शरीर में उत्तेजना हो रही थी और मैं अपने कानों में अपने दिल की धड़कन के सिवा और कुछ नही सुन पा रहा था.
मैं दीदी की चूत को घूरते हुए अपने हाथ से फिर से अपने लंड को पकड़ के आगे पीछे करने लगा, दीदी मेरे हर झटके के साथ मेरी गोलियों को हिलते हुए देखकर अब भी अपने दाँत से नाख़ून काट रही थी.
कुछ देर बाद दीदी ने अपना गला थोड़ा खांस के सॉफ किया और फुसफुसाई, मैं थोडा और पास आऊँ क्या?
मैने हां में सिर हिलाया, थोड़ा मैं भी सर्प्राइज़ हुआ. दीदी खिसक के मेरे इतना पास आ गयी कि दीदी के पैर मेरे पैरो के पास आ गये, मैने अपने पैर थोड़ा फैलाए जिस से दीदी के पैर मेरे पैरो की पिंदलियों के नीचे आ गये.
दीदी ने फुसफुसा कर पूछा, अब ठीक है?
मैं इस सब में इतना खो गया कि मैने अपना लंड हाथ में लिया और दीदी की चूत को देखने लगा. मुझे दीदी की चूत अब सॉफ दिखाई दे रही थी, दो मोटे मोटे चूत के लिप्स, और उनके अंदर सलवट लिए हुए अंदर के छोटे छोटे लिप्स, जो बाहर वाली स्किन से बाहर निकले हुए थे. और दोनो पैरों के बीच झान्टो की वो क्यारी जो प्यार से ट्रिम की हुई थी और चूत को घेरे हुए बड़ी सेक्सी लग रही थी.
मेरी गोलियाँ और लंड पानी छोड़ने के लिए बेचैन होते जा रहा थे. मैं बस झड़ने ही वाला हूँ .... मैं दीदी से बोला. झूठी हँसी के साथ मैने पूछा, आप के उपर निकाल दूं पानी? मैने दीदी की तरफ देखा तो उस को अपने दाँत से से होंठ काटते हुए मेरी तरफ घूरते हुए पाया.
आज नही राज, दीदी ने धीरे से कहा.
दीदी का एक पैर मेरी पिंडली को छू रहा था, मैने एक लंबी साँस लेते हुए दीदी की लंबी टाँगों के बीच नीचे की तरफ देखा. दीदी ने अपना पैर उठाया और इतना आगे कर लिया कि दीदी के पैर का पंजा अब मेरे हाथ के काफ़ी पास आ गया. हम दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा, लेकिन दोनो ने कुछ भी कहना मुनासिब नही समझा.
दीदी के पैर का पंजा मेरी गोलियों को साइड से छूने लगा, जैसे ही दीदी ने थोडा ज़ोर से ऐसी सेन्सिटिव जगह दबाया, मेरे मूँह से आहह की आवाज़ निकल गयी.
इसके बाद जो हुआ उसके लिए हम दोनो शायद तय्यार नही थे. सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि मैं बिना कुछ सोचे अपने आप को रोक नही पाया, मैने दीदी के पैर को घुटने से पकड़ के उपर उठा दिया, फिर लंड पर अपने हाथ से एक दो जोरदार झटके मार के अपना सारा पानी दीदी के पैर के पंजे के उपर निकाल दिया. मेरे लंड से निकला हुआ पानी जो पिचकारी से मेरे हाथ, दीदी के पैर के पंजे के उपर से लुढ़क के मेरे बेड के उपर गिर रहा था, मेरा शरीर काँप रहा था, दीदी ये सब देख रही थी लेकिन वो अपनी जगह से हिली नही.
पानी की आख़िरी बूँद निकालने के बाद जब मैं थोड़ा शांत हुआ, तो मैने पास ही रखे टिश्यू बॉक्स में से 2-3 टिश्यूस निकाले (मैं हमेशा अपने कमरे में टिश्यू रखता हूँ, इसी काम के लिए) और प्यार से दीदी के पैर को पोंछ दिया, जब मैं पैर के पंजे के नीचे से पोंछ रहा था तो दीदी गुदगुदी होने के कारण हँसने लगी.
मैं दीदी का पैर नीचे रख के पीछे होकर बैठ गया. मुझे अपने नंगे होने का एहसास था लेकिन दीदी भी कपड़े पहनने की कोई जल्दी नही दिखा रही थी. मैने दीदी की तरफ देखा तो पाया कि वो मेरी तरफ ही प्यार से देख रही थी. मेरे को अपनी तरफ देखता पा के दीदी ने एक बड़ी सी स्माइल कर दी.
दीदी ने एक अंगड़ाई ली और ख़ुसी के साथ एक लंबी साँस ली. कुछ देर बाद साँस छोड़ते हुए बोली, ये सगे रिश्तों में ग़लत है.
मैं अचंभित होके बोला, दीदी...
उसने अपने कंधे उचकाए और थोड़ा मेरी तरफ देखा, फिर खड़े होकर अपने कपड़े पहनने लगी.
मैं दीदी को देख रहा था, किसी खूबसूरत लड़की को कपड़े पहनते देखने का आनंद ले रहा था, फिर मैं भी उठा और अपने कपड़े पहनने लगा.
जब हम दोनो ने कपड़े पहन लिए तो हम एक दूसरे के पास खड़े थे, बड़ा अजीब लग रहा था. दीदी ने फिर से अपना होठ दाँत से काटा, और मेरी तरफ देखा, मैने दीदी के माथे पर एक पप्पी ले ली और एक झप्पी भी ले डाली. सारे कपड़े पहन के इस तरह दीदी को झप्पी देना कुछ अजीब लगा ये सोच के कुछ देर पहले हम क्या कर रहे थे. इसलिए मैने फिर से दीदी के माथे पर पप्पी ली, और थोड़ा पीछे हो गया, दीदी मेरी तरफ देखे जा रही थी.
मैं रूम के डोर के पास पहुँचा तो दीदी डोर खोलने देने के लिए थोड़ा साइड में हो गयी, मैने डोर नही खोला बस दीदी की तरफ देखता रहा. जब दीदी ने देखा कि मैं डोर नही खोल रहा हूँ तो फिर मेरे चेहरे की तरफ देखा. मैं दीदी के पास आया, वो बिल्कुल नही हिली. मैं झुक के आगे बढ़ा और दीदी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए, दीदी ने भी मुझे किस करना शुरू कर दिया.
मेरे हाथ दीदी की शर्ट के अंदर दीदी की कमर को पकड़े थे, मैने दीदी को हल्का धक्का देकर दीवार से लगा दिया, और फिर किस करना लगा. मैं अपना शरीर दीदी के शरीर से चिपका के बहुत ज़ोर से किस कर रहा था. मैं दीदी की जीन्स का बटन खोलने लगा. दीदी अब और ज़ोर से साँसे लेने लगी, जब बटन खुला उस समय दीदी हाँफ रही थी. दीदी ने जीन्स उतारने में मेरी मदद की, और अपने पैरों से निकाल के फेंक दी, अब मेरे हाथ अब दीदी की पैंटी के अगले हिस्से पर घूम रहा था. दीदी अब कराह रही थी, मैं अपना हाथ पैंटी के अंदर डाल दीदी की झान्टो के उपर से सहलाने लगा, ऐसा करने से दीदी अब काँपने लगी.
मेरी उंगलियाँ अब दोनो पैरों के बीच जाके दीदी की चूत को सहला रही थी. जैसे ही मैने चूत के दाने को सहलाया, तब तक दीदी की पैंटी गीली हो चुकी थी, और दीदी अपने फिंगर्स को मेरी पीठ पर ज़ोर से गढ़ा रही थी, दीदी ने ऐसा पहले किसी को करने का मौका नही दिया था.
अगले 10 मिनिट तक मैं दीदी को कामुक तरीके से छूता और सहलाता रहा, दीदी को कांपता हुआ महसूस करता रहा, और दीदी की जीभ का अपनी जीभ से स्वाद लेता रहा, दीदी की चूंचियाँ मेरी छाती से दब रही थी. मेरी उंगलियाँ दीदी की जांघों के बीच सहला रही थी और दीदी के कराहने की आवाज़ों से पता चल रहा था कि दीदी क्या चाहती है. मैने दीदी को थोड़ा अपनी तरफ करते हुए, दीदी की चूत की दरार के उपर और आगे उंगलियाँ ले जाते हुए उस छेद को ढूँढने लगा, दीदी की जांघें अब काँप के हिलने लगी थी.
अब दीदी हिल हिल के अपनी चूत मेरी उंगलियों पर घिस रही थी, तभी गिरते गिरते बची और अपना पूरा बोझ मेरे हाथ पर डाल दिया, दीदी ने अपना चेहरा मेरी गर्दन में घुसा रखा था, और उनकी बाहें मेरे सिर के चारो ओर थी, और मैं दीदी को पकड़े उनकी उस कुँवारी जगह छू रहा था. कुछ सेकेंड्स बाद दीदी की चूत ने कई सारी अंगड़ायाँ ली, और अगर दीदी साँस ले पा रही थी तो थोड़ा गुर्राने की आवाज़ निकाल के अब एक दम ठंडी पड़ गयी. मुझे लगा मानो दीदी के पैरों में से जान निकल गयी हो, मैने तुरंत दीदी को संभाला और दीदी को फ्लोर पर गिरने से बचाया.
मैने दीदी के काँपते हुए और निढाल शरीर को उठा के बेड पे लिटाया. मैं दीदी के उपर आ गया, दीदी के माथे को अपनी उंगलियों से सहलाने लगा, और फुसफुसाते हुए कहने लगा, दीदी आप कितनी सुंदर हो..... विश्वास नही होता..... आप को पता नही है आप मुझको कितना अच्छी लगती हो...
थोड़ी देर बाद दीदी नॉर्मल साँसें लेने लगी और आँखें बंद करे हुए ही मेरी बातें सुन के मुस्कुराने लगी. दीदी ने फिर आँखें खोल के मेरी तरफ देखा और मेरे हाथ अपने माथे से हटा के उस पर एक किस ले लिया. दीदी ने मुझे नीचे खींच के मुझे अब तक की सबसे जोरदार और प्यारी झप्पी दी.
जब दीदी को लगा कि अब उठना चाहिए तो मैने दीदी की उठने में सहारा दिया और दीदी को अपने कपड़े सीधे करते हुए और जीन्स पहनते देखने लगा. मैने दीदी की एक झप्पी ली और एक बार फिर से हम ने किस किया, फिर दीदी मेरे कमरे से निकल के अपने रूम में चली गयी.
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