RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
हम एक दूसरे को गुदगुदी करने से रोकने का प्रयास करते हुए अठखेलिया कर हँसने लगे, अब मैने दीदी का एक हाथ अपने एक हाथ से पकड़ लिया और दीदी ने मेरा एक हाथ अपने हाथ से पकड़ लिया, जिस से हम एक दूसरे को गुदगुदी ना कर पायें. हम दोनो एक गहरी साँस ली और हँसने लगे, और खुशी से एक दूसरे की तरफ देखा. ज़ोर ज़ोर से साँसे लेते हुए हम हंस रहे थे, लेकिन तभी हम को एहसास हुआ कि हम किस अवस्था में हैं, दीदी की छातियाँ मेरे लंड को दबा रही थी. हम एक दूसरे की तरफ देख कर स्माइल करने लगे, लेकिन अब इस स्माइल की वजह कुछ और ही थी.
दीदी (थोड़ा हिम्मत करते हुए): राज, अगर तुम चाहो तो कुछ आगे बढ़ सकते हो..
राज (थोड़ा घबराते हुए) : सही में दीदी
दीदी ने हां में सिर हिलाया, और अपने होंठ को दाँत से काटती हुए कातिल अंदाज में बोली, प्लीज़...
मैने दीदी के बाँह को छोड़ दिया और दीदी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया. दीदी ने भी मेरा हाथ छोड़ दिया और अपनी बाहें मेरी पीठ के पीछे कर मुझे बाहों में ले लिया. मैने अपने को थोड़ा उपर उठाते हुए अपने लंड का दबाव दीदी के उपर बनाया. थोड़ा उपर उठकर दीदी ने मुझे अपनी बाहों मे और ठीक से लेते हुए, अपना सिर मेरे पेट पर रख दिया. मैने अपने लंड को एक उपर की तरफ उछाल मारा, जिस से वो दीदी की छातियों के बीच आ गया. दीदी की चूंचियों का एहसास निराला था, दीदी की दोनो चूंचियाँ बहुत मुलायम मुलायम थी.
मैं थोड़ा पीछे हुआ फिर उपर की तरफ धक्का लगाया. हम दोनो के शरीर पसीने से भीग हुए थे, दीदी ने मुझ को कस के पकड़ा हुआ था. मैने फिर से एक झटका मारा, हर झटके के साथ मेरा बॉक्सर थोड़ा थोड़ा नीचे होता जा रहा था. मैने इस बात की कोई परवाह नही की और हल्के हल्के झटके मारता रहा. मुझे लग रहा था कि मेरे लंड का सुपाड़ा बॉक्सर से बाहर निकलने लगा है, और दीदी के शरीर को हर झटके के साथ छू रहा है. मेरे लंड के शिश्न पर आई प्रेकुं की बूँदें और दीदी के पसीने ने सब कुछ चिकना कर दिया था. मैने दीदी के शरीर पर एक और घिस्सा मारा. दीदी अब ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी वो बहुत गरम हो चुकी थी, और पसीने से तर बतर. जिस तरह हम एक दूसरे से चिपके हुए थे उस की वजह से दीदी के बाल हम दोनों के शरीर से चिपकने लगे थे. दीदी की गरम गरम साँसों को मैं अपनी छाती पर महसूस कर रहा था. दीदी ने अपने होठों से मेरे को छाती पर किस किया, फिर एक बार और. जैसे ही मैने अपना लंड से दीदी की दोनो चूंचियों के बीच से घिस्सा मारा, दीदी ने भूकि आँखों से मुझे देखा और मेरी छाती पर किस करने लगी, दीदी के मूँह से हल्की हल्की आहह ऊओ की आवाज़ निकल रही थी.
मैने दीदी के सिर पर हाथ फिराया और उनके बालों के बीच अपनी उंगलियाँ घुमाने लगा. मैने दीदी को कराहते हुए सुना, ये अविश्वसनीय था.
मुझे लग रहा था कि अब मेरा पानी छूटने ही वाला है... अंदर से लावा मानो निकलने को तयार हो चुका था... लेकिन मैं रोक रहा था... मैं रोके रहा... दीदी फिर से थोड़ा कराही... बस अब निकलने ही वाला था... मैने दीदी को ज़ोर से पकड़ लिया.. मैने दीदी को सिर से अपनी जांघों की तरफ खींच लिया... दीदी फिर से कराही और धीरे से बोली... मेरे उपर ही निकाल दो राज...
एक दम मेरे वीर्य की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी और हम दोनो के उपर पानी की बौछार होने लगी, मेरे वीर्य ने दोनो को भिगो दिया. मेरा लंड वीर्य की धार पे धार छोड़े जा रहा था और दीदी आहह करते हुए अपनी छाती को मेरे लंड के उपर नीचे कर सहला रही थी, मैं दीदी को कस के पकड़े हुए था और हर पिचकारी के साथ गुर्रा रहा था. मेरे लंड ने मेरी छाती और दीदी की गर्दन के उपर अपनी बौछारें मारी थी, वो पानी अब बहकर मेरे पैरों के बीच से और दीदी के पेट के उपर से नीचे की तरफ बह रहा था. मेरे वीर्य की धार ने हम दोनो को भरपूर गीला कर दिया था, हम दोनो अब हाँफ रहे थे...
दीदी अब भी हाँफ रही थी, और थोड़ा काँप भी रही थी. बिना कुछ बोले, दीदी ने मेरी छाती पर किसी भूकि शेरनी की तरह किस करना शुरू कर दिया, मैने महसूस किया कि दीदी ने मेरी गीली छाती को किस करते हुए अपनी दोनो चूंचियाँ को अपने दोनो हाथों से पकड़ लिया है और उनको मसल रही है, वो किस करते हुए नीचे आ रही थी. जैसे ही दीदी की ठोडी ने मेरे बॉक्सर में से निकले सुपाडे को छुआ, दीदी ने तुरंत अपना चेहरा पीछे कर लिया और ज़ोर की साँस ली, और एक बार फिर से मेरी छाती पर किस कर लिया.
दीदी ने अपनी नज़रें उठा के मेरी तरफ देखा, मैं तो बस दीदी के मस्त शरीर के नज़ारे का दीवाना हो चुका था, दीदी के सारे बाल गीले हो गये थे, दीदी ने अपने दोनो हाथों से वीर्य से सनी अपनी दोनो चूंचियाँ पकड़ रखी थी, दीदी का माथा चमक रहा था...
हम दोनो एक दूसरे को देख के मुस्कुराए. ये मुस्कुराहट शायद कह रही थी हम को यहाँ पर रुक जाना चाहिए, लेकिन हमारा मन नही भरा था. मैने अपने बॉक्सर के एलास्टिक को उपर की तरफ खींचा, जिस से मैं अपने आप को ठीक से ढक सकूँ, और दीदी ने अपनी ज़मीन पर गिरी ब्रा उठा ली. मैने टेबल पर रखे टिश्यू बॉक्स से कुछ टिश्यूस निकाले और दीदी को दे दिए, दीदी ने दूसरी तरफ घूम के अपने आप को पोंच्छा, फिर अपनी ब्रा और टी-शर्ट पहन ली.
मैं जाकर अपने बेड पर बैठ गया, दीदी भी कुछ सेकेंड्स के लिए वहाँ बेड पर बैठी. हम दोनो के बीच खामोशी थी, शायद हम इस कॅरीबी का मज़ा ले रहे थे. आख़िर में दीदी उठी, और आगे बढ़कर मेरे को एक झप्पी दी. पीछे घूमकर एक स्माइल पास करते हुए दीदी मेरे रूम से बाहर चली गयी, और डोर को बंद कर दिया.
जिस तरह से दीदी मेरी शारीरिक ज़रूरतों का ध्यान रख रही थी, उस की वजह से मैं अब खुश रहने लगा था, कुछ दिन पहले मैं जिस डिप्रेशन से गुजर रहा था, वो अब नही था, जिस तरह से हम दोनो की बात चीत हुई थी उस से मुझे लगा कि दीदी को ऐसा नही लग रहा कि मैं उनका नाजायज़ फ़ायदा उठा रहा हूँ.
हालाँकि मेरी इच्छाओं की कोई सीमा नही थी. टान्या को कॉलेज में देख के मेरा लंड खड़ा हो जाता था, और कॉलेज से घर आने का मन ही नही करता था, जिस तरह वो मेरे जोक्स पर स्माइल करती थी और क्या बड़े बड़े मस्त मम्मे थे, ये सोच के कॉलेज से किसी तरह घर आते ही मूठ मारने का मन करता था. कल वो मस्त काली जीन्स पहन के आई थी और उस दिन वो बड़े गले वाली टाइट पिंक टी- शर्ट. मैं अपनी पूरी कोशिश कर रहा था कि उसका दीवाना ना हो जाऊं, और उसके साथ क्लास प्रॉजेक्ट्स में उसके ज़्यादा से ज़्यादा करीब रहकर ही खुश था, जिस से उस के बारे मैं ज़्यादा ना सोचूँ और डॉली दीदी के प्रति मेरे विचार कहीं बदल ना जायें. मैं दीदी की बहुत इज़्ज़त करता था, और उनके विश्वास को धोका देना मेरे लिए संभव नही था.
ये सब आसान नही था, लेकिन मैं कोशिश कर रहा था.
पिछला वीक डॉली दीदी के साथ अच्छा बीता, हमारी अपनी अपनी लाइफ में जो कुछ भी चल रहा था, हम एक दूसरे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताने का प्रयास करते, हम इस साथ का मज़ा ले रहे थे. एक दिन हम ने एक दम मूवी देखने का प्लान बनाया और मूवी देखने चले गये, हम दोनो ने एक साथ कोई मूवी थियेटर में पिछले कई सालो से नही देखी थी. बहुत अच्छा लग रहा हा कि घर में कोई तो है जो तुम्हारी देखभाल करता है. हम एक दूसरे का पहले से बहुत ज़्यादा ध्यान रखने लगे थे. केवल शारीरिक ही नही हम मानसिक तौर पर भी एक दूसरे के काफ़ी करीब आ चुके थे.
शनिवार की शाम को, मैने चाहा था कि दीदी मेरे पास हों जिस से मैं मूठ मार सकूँ, लेकिन मैने दीदी के साथ टीवी पर मूवी देखना बेहतर समझा. जब मूवी ख़तम हुई तब तक दीदी सो चुकी थी, मैं दीदी को गोद में उठाकर उनके रूम तक ले गया. रूम तक ले जाते टाइम मेरी गोद में दीदी जाग गयी, रूम में दीदी ने मेरे सामने अपनी पॅंट उतार के अपना पाजामा पहना और मेरे को दूसरी तरफ देखने को कहा. जब दीदी बेड पर लेट गयी तो मैने दीदी को चादर ऊढाई और दीदी के माथे पर एक चुम्मि ली, और रूम से बाहर आ गया.
सनडे की शाम को मुझे फिर से दीदी की ज़रूरत महसूस होने लगी. जैसे ही मम्मी पापा सोने अपने बेड रूम में गये, मैने दीदी से पूछा की दीदी बुरा तो नही मानोगी. हम दोनो टीवी देख रहे थे, लेकिन टीवी पर कुछ भी मजेदार नही आ रहा था, हम दोनो सिर्फ़ एक दूसरे के साथ रहने के लिए एक ही सोफे पर बैठे थे.
दीदी तुरंत तय्यार हो गयी और टीवी बंद कर दिया.
दीदी: तो फिर आज कैसे मारने का मूड है राज?
राज: आप हर बार मुझसे ये ही पूछती हो, और मुझे इस बारे कुछ भी कहना अच्छा नही लगता
दीदी : मुझसे कभी समझ में नही आता, कहाँ से शुरू करूँ, कुछ तो बोलो
राज: अगर आप चाहो तो आप अपने सारे कपड़े उतार दो, ये ठीक रहेगा, मैं ऐसा बोल के मुस्कुराया
दीदी ने अपनी भंवे उपर के मुझे देखा और हँसने लगी, मुझे यकीन है कि तुमको ये अच्छा लगेगा, थोड़ा रुक के दीदी आगे बोली, ऐसे देखना हर आदमी को अच्छा लगता है
मैं थोड़ा रुका, मैं ऐसा कुछ एक्सपेक्ट नही कर रहा था, मैने दीदी से पूछा. सच में दीदी? मैं तो मज़ाक कर रहा था
दीदी (चिढ़ाते हुए): हां, मुझे ऐसा लगता है, मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ, क्यों कि जिस तरह से तुम मुझे देखते हो... मैं ऐसा करूँगी तो तुम्हारा फेस कैसा होगा, ये मैं देखना चाहूँगी
वाह... क्या मस्त बातें चल रही थी
राज : देखा मैने मैने क्या मस्त आइडिया दिया है... (मज़ाक में)
दीदी (मुस्कुराइ, फिर कुछ सोचा): अगर तुम चाहो तो एक काम करते हैं.... मैं तुम्हे आज कुछ ऐसा दिखाउन्गी लेकिन उसके लिए तुमको मेरे रूम में आना पड़ेगा
मैं तुरंत तय्यार हो गया
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