RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो, मैने इतने दिनों से आप से बात नही की
दीदी ने अपने कंधे उचकाए, वो थोड़ा नाराज़ दिखी, फिर बोली, हां शुरुआत में तो मुझे बहुत गुस्सा आया, लेकिन मुझे लगता है मैं सब कुछ समझ रही हूँ
राज: दीदी, क्या हम को ये सब करना चाहिए?
दीदी कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन उन्होने अपने शब्दों को अपने मूँह में ही रोक लिया, अपने होठों को दबाते हुए दीदी ने एक गहरी साँस ली
दीदी: मुझे लगता है हम को इस बारे में बात कर लेनी चाहिए. तुम को कहीं डर तो नही लगता कि ये........ दीदी ने आगे कुछ नही बोला
मुझे पता था दीदी आगे क्या बोलना चाह रही है. लेकिन वो बोलना शायद जायज़ नही था, कुछ ऐसा जिसे हम दोनो एक दूसरे के सामने बोलना नही चाह रहे थे
राज: हां दीदी, मेरा मतलब ऐसा कुछ?
दीदी ने फिर से अपने कंधे उचकाए और मेरी तरफ देखा
दीदी (थोड़ा फुसफुसाते हुए): लेकिन मुझे लगता है कि हम ऐसा कुछ ज़्यादा ग़लत नही कर रहे, जहाँ तक मेरा सवाल है, मुझे लगता है कि हम सिर्फ़ थोड़ी सी मस्ती कर रहे हैं. और अगर हम एक सीमा के अंदर ये सब कुछ करें तो इसमे मुझे कोई बुराई नज़र नही आती, और आख़िर ये सब हम दोनो सहमति से कर रहे हैं
मैने भी अपने कंधे उँचका दिए
थोड़ी देर बाद ये सब कुछ अटपटा सा लगने लगा, मैने दीदी से पूछा, क्या आपको विश्वास होता है कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं?
दीदी (थोड़ा सहरमाते हुए): नही राज, नही होता
फिर से कुछ देर हमारे बीच खामोशी रही, फिर मैं बोला, दीदी, अगर हम दोनो को इस से कोई प्राब्लम नही है, और हम को ये सब करके अच्छा लगता है, तो फिर सब ठीक है
दीदी (अपनी आँखों को चढ़ाते हुए): क्या सब ठीक है?
राज (धीरे से) : नही शायद मैं कुछ ग़लत बोल गया
दीदी ने मेरी तरफ एक प्यार भरी स्माइल के साथ देखा, और मेरे सामने अपने घुटनों पर बैठ गयी, और मुझसे पूछा, आज रात क्या मूड है?
मैने दीदी की चमकती हुई आँखो की तरफ देखा और बोला, हां दीदी आज आपकी सख़्त ज़रूरत है
दीदी थोड़ा मुस्कुराइ, मैने दीदी के गुलाबी गालों को छूने से पहले दो बार सोचा और फिर अपने हाथों से दीदी के गालों को सहला दिया
दीदी: तो क्या चाहते हो? क्या मैं अपने कपड़े पहने रहूं?
राज (थोड़ा ज़ोर से): नही बिल्कुल नही
दीदी ने अपना निचला होंठ अपने दाँतों से काटते हुए, अपने हाथों से अपनी टी-शर्ट को अपने गले से निकाल के दूर फेंक दिया, दीदी ने आज क्रीम कलर की लेस वाली ब्रा पहनी थी. दीदी ने अपने बाल ठीक किए और मेरी तरफ देखा.
दीदी: तुम अपनी जीन्स उतारोगे या फिर?
मैने गुर्राते हुए अपनी जीन्स को बटन खोला और फिर ज़िप खोलने के बाद, दोनों टाँगों से खीच कर जीन्स को अपने से दूर कर दिया और कुर्सी पर बॉक्सर पहन के बैठ गया. दीदी थोड़ा मुस्कुराइ, फिर अपने घुटनो के बल मेरे सामने बैठ गयी. मैने अपना एक हाथ अपनी जांघों पर फिराया और फिर बॉक्सर के उपर से अपने लंड के उपर रख दिया. दीदी ने देखा और फिर से स्माइल किया, अब मैने अपने हाथ से अपने बॉक्सर के उपर से ही लंड को मसलना शुरू कर दिया और उसे आगे पीछे करने लगा, मैने दीदी के खूबसूरत शरीर की तरफ देखा और दीदी की मस्त चुचियों में खो गया.
जब दीदी ने मुझे अपनी ब्रा के तरफ देखते हुए देखा तो प्यार में हल्के से गुर्राई और फिर स्माइल कर दिया. मैं भी स्माइल कर बिना नही रह पाया. दीदी ने अपनी ब्रा के स्ट्रॅप्स को अपने कंधे से नीचे कर दिया अपनी बाहों को उनमे से निकाल लिया, ये सब करने की वजह से ब्रा के कप्स भी थोड़ा नीचे खिसक गये. मैने अपनी गर्दन हिलाई और दीदी के मस्त चुचों की गोलाईयों को देख के मस्त हो गया. इस गजब नज़ारे को देख के मैं लगातार बॉक्सर के उपर से ही अपने लंड को सहलाए जा रहा था. दीदी ने मेरी जांघों के बीच देखा और मुझे लंड सहलाते हुए देखने लगी. दीदी थोड़ा मुस्कुराते हुए थोड़ा सा और मेरी दोनो टाँगों के बीच आ गयी. दीदी की बाहें मेरी जांघों को छू रही थी, और दीदी की चूंचियों बस इतनी दूर कि अगर चाहूं तो उनको अब मैं अपनी हथेलियों में भर लूँ.
मैं दीदी की तरफ देख के मुस्कुराया और बॉक्सर के उपर से अपने लंड को आगे पीछे सहलाना जारी रखा, फिर मैने अपना हाथ बॉक्सर के अंदर डाल दिया, और अपने हाथ में लेके लंड को हिलाने लगा. मैने इस चीज़ की सावधानी बरती कि मेरा लंड बॉक्सर, के अंदर ही रहे, हालाँकि जिस तरह दीदी मेरी जांघों के बीच देख रही थी, वो भी मेरे लंड का दीदार करने को बेताब थी. मैने अपनी आँखें दीदी की चूंचियों के उपर घुमाई, और सोचा काश कितना अच्छा होता अगर दीदी ने ये ब्रा ना पहनी होती. लेकिन जो कुछ मैं देख पा रहा वो भी कुछ कम ना था, मैं उसी में आनंद लेने लगा.
दीदी: राज क्या तुमको मुझे ब्रा में देखना अच्छा लगता है?
राज (थोड़ा गुस्से में): दीदी, क्या तुमको मुझे मूठ मारते देखना अच्छा लगता है?
दीदी: मुझे लगता है तुम अपनी दीदी को और ज़्यादा नंगी देखना चाहते हो
राज (हंसते हुए) : हां दीदी, हे भगवान....
दीदी ने ज़्यादा कुछ ना कहते हुए, अपने दोनो हाथ पीछ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोल दिया, फिर एक हाथ से अपनी चूंचियों को छुपाते हुए ब्रा को पूरी तरह उतार दिया. दीदी अपनी छातियाँ दिखाने के लिए थोड़ा सा पीछे हुई.
मेरे मूँह से शब्द नही निकल रहे थे, मेरी सग़ी बड़ी बेहन ने मेरे सामने अपनी ब्रा उतारी थी ओए मेरे पैरों के बीच अपने मम्मों को अपने हाथ से छुपाए मेरे सामने घुटनों पर बैठी थी. मैं अगर कुछ बोलना भी चाहता तो मेरे पास शब्द नही थे. मैं दीदी के मस्त फिगर का दीदार कर के, दीदी के गोरे गोरे बदन के नशे में डूबने लगा.
दीदी: आज गुदगुदी करने की गुस्ताख़ी मत करना
राज (हंसते हुए): ह्म
मैं अपना हाथ बॉक्सर में से निकालने लगा, दीदी ने गौर से मेरी इस हरकत को देखा और थोड़ा डर गयी कि कहीं मैं फिर से गुदगुदी ना करने लगू.
दीदी: राज, मान जाओ, उस दिन के तरह नही प्लीज़
मैं दीदी की तरफ देख के बस प्यार में थोड़ा सा गुर्राया
दीदी अब स्माइल करने लगी लेकिन सो मुझे ऐसे देख रही थी मानो मुझे सावधान कर रही हो.
छोटा भाई होने के कारण दीदी की गुदगुदी करने में कोई बुराई नही थी, लेकिन जब खुद का लंड खड़ा हो तो ये अच्छा नही लगता. मैने दीदी की बाहों में नीचे से अपने हाथ डाल के, उनके आर्म्पाइट्स पर ले गया. दीदी हंस कर मुझे दूर हटाने का प्रयास करने लगी, इस बीच मुझे दीदी के निपल्स देखने का मौका मिल गया, दीदी थोड़ा हिली और कसमसाई, दीदी अपने हाथों से अपने छाती को ढके मुझसे दूर होने का प्रयास करने लगी. तभी दीदी ने अपने आप को मेरे उपर गिरा दिया, दीदी की छाती मेरी जांघों के बीच मुझे दबा रही थी, दीदी ने अपने हाथ बढ़ाकर मुझे मेरी आर्म्पाइट्स में गुदगुदी करनी शुरू कर दी.
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