RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मैं दीदी के चेहरे की तरफ देख के बोला, जैसा तुम चाहो दीदी और तुरंत अपना हाथ बॉक्सर के अंदर डाल दिया, और अपने लंड को हिलाने लगा. डॉली दीदी थोड़ा हँसी और अपने हाथ पीछे ले जाके अपनी ब्रा के हुक को खोला. एक हाथ से दीदी ने अपनी चूंचियाँ छुपा ली और दूसरे हाथ से ब्रा को अपनी बाहों से निकाल के मेरी तरफ पर फेंक दिया. मैं हंसा और ब्रा जो कि मेरी टाँग पर गिरी थी उसे वहीं पड़ा रहने दिया, और अपनी खूबसूरत दीदी को निहारने लगा जो कि मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में खड़ी थी, अपनी चूंचियाँ दीदी ने अपने एक हाथ से छुपा रखी थी जिस से मैं सब कुछ ना देख पाऊँ.
दीदी भी थोड़ा नर्वस थी, लेकिन ऐसा लग नही रहा था, दीदी ने मस्ती में अपनी गान्ड और कंधे हिला हिला के डॅन्स करना शुरू कर दिया. डॉली दीदी का लगभग नग्न शरीर देखकर मेरा हाथ बॉक्सर के अंदर लंड के उपर चल रहा था. दीदी बला की खूबसूरत लग रही थी, उनके पोनीटेल में बँधे बाल, उनके ब्रा में से निकलने को बेचैन चुचियाँ, दीदी के मस्त गोल गोल हिप्स मुझे मस्त कर रहे थे. दीदी मेरे पास आकर झुक गयी जिस की वजह से उनकी चूंचियाँ ब्रा में से और ज़्यादा बाहर निकल आई और उनका क्लीवेज देख कर मेरा लंड उफान मारने लगा. दीदी ने अपने दोनो हाथों से अब अपनी दोनो चूंचियों को पकड़ लिया और गान्ड हिला हिला के डॅन्स करने लगी.
दीदी अब घूम गयी और उनकी पीठ मेरे सामने थी, दीदी ने अपने हाथ अपनी चूंचियों पर से हटा लिए और अपने बालों में अपनी उंगलियाँ फिराने लगी, और फिर अपने कंधे के उपर से अपना सिर घूमाकर मेरी तरफ देखा, दीदी थोड़ा सा घूम भी गयी, जिसकी वजह से मुझे उनके एक गोरे गोरे, मुलायम मम्मों को साइड से देखने का मौका मिल गया.
दीदी: कैसा चल रहा है राज? (बड़ी मासूमियत के साथ दीदी ने पूछा)
मैने दीदी के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा, दीदी, आप लाजवाब हो
दीदी को शायद मेरा जवाब पसंद आया, और सो थोड़ा सा हंस दी. दीदी अपने बाल ठीक करने के बहाने हिलने डुलने लगी जिस से मुझे उनकी मस्त चूंचियों को साइड से और ज़्यादा देखने का मौका मिल सके.
मैं और ज़्यादा देखने के लिए बेकरार था, लेकिन जितना देखा था उतना देख के ही मेरा लंड अपना लावा उगलने को तय्यार था. मैं अपने लंड को और ज़्यादा घिसने लगा, क्योंकि दीदी दूसरी तरफ देख रही थी इसलिए मैने बॉक्सर की एलास्टिक को दूसरे हाथ से और ज़्यादा उपर कर दिया जिस से मूठ मारने में आसानी हो. दीदी के मस्त बदन का रस्पान करते हुए मैने अपने प्रेकुं को अपनी आंगालियों से सुपाडे के उपर फैला दिया.
जैसे ही दीदी ने अपने हाथ अपनी चूंचियों को पकड़ने के लिए बढ़ाए, ये सोच और देख के मुझ से बर्दाश्त नही हुआ और मेरे लंड ने ढेर सारे वीर्य की पिचकारी चला दी, जो कि मेरे पेट और छाती पर आकर गिरी.
जब दीदी मेरी तरफ घूमी और देख कर स्माइल किया तब तक मैं अपने बॉक्सर को ठीक कर चुका था, दीदी ने मेरे पेट और छाती पर पड़ी वीर्य की पिचकारियों को देखा तो अनायास ही दीदी के मूँह से निकल गया... हे भगवान.... लेकिन अब मैं बेशरम हो चुका था और मुझे इस बात का कोई फरक नही पड़ा.
दीदी ने अब उस को इग्नोर करते हुए मुझ से अपनी ब्रा माँगी, मैने नीचे से उठा कर दीदी की तरफ ब्रा बढ़ाई और फिर वापस दीदी से दूर अपनी तरफ खींच ली, दीदी ने अपने दोनो होंठ दांतो से दबाए और मेरी तरफ बढ़कर ब्रा के उपर झपट्टा मारने का प्रयास किया, लेकिन मैने तुरंत दीदी की ब्रा बेड की चादर के नीचे छुपा ली, और उसके उपर अपनी टाँगें रख दी.
दीदी धीरे से फुसफुसा, राज मेरी ब्रा दो
मैने दीदी की तरफ कुटिल मुस्कान के साथ देखा, लेकिन ब्रा नही दी. दीदी मेरे पास आकर बेड की चादर के नीचे से ब्रा निकालने का प्रयास करने लगी, लेकिन मैं उसको अपने टाँगों से दबाए रहा, जब दीदी ने बहुत ट्राइ किया तो मैने चादर को एक दम टाँगों को उठा लिया, एक दम हटाने के कारण दीदी मेरे उपर आ गिरी, मैं दीदी के गुदगुदी करने लगा.
दीदी हंसते हुए तुरंत संभली और मुझे धक्का दिया, इस बीच वो भूल चुकी थी कि वो मेरे सामने टॉपलेस है. कुछ सेकेंड के लिए, जैसे ही दीदी के हाथ अपनी चूंचियों के उपर से हटे, मैने उनके मस्त मम्मों का दीदार कर लिया, दीदी तुरंत संभली और अपनी खुली चूंचियों को अपने हाथों से ढक लिया, दीदी के गाल सुर्ख लाल हो गये थे.
मुझे हंसते हुए देखकर, दीदी ने मुझे एक हाथ से धक्का दिया, लेकिन मैं इस के तय्यार था, मैने तुरंत दीदी को कमर से पकड़ कर बेड पर लिटा दिया, और दीदी के उपर आ गया. कुछ सेकेंड्स को लगा जैसे हम एक बचपन वाले भाई बेहन की प्यार भरी लड़ाई लड़ रहे हैं, मैने दीदी की दोनो बाहों को दोनो तरफ उपर कर के पकड़ के लिटा रखा था. हम ने लड़ना बंद किया, हमारी साँसें अब भी ज़ोर ज़ोर से चल रही थी, और हम हंस रहे थे, लेकिन ये खेल जल्दी ही ख़तम हो गया जब हम दोनो को एहसास हुआ कि दीदी केवल पैंटी पहने मेरे नीचे नग्न लेटी हुई है, मेरी नंगी छाती उसकी चूंचियों को दबा रही थी और मेरा लंड बॉक्सर के अंदर से दीदी की पैंटी के उपर से दबाव डाल रहा था.
हम ने एक दूसरे की आँखों में आँखें डाल के देखा, कुछ सेकेंड मुस्कुराए और फिर मैने दीदी की बाहों को छोड़ दिया, और उठने लगा. दीदी ने मुझे रोका, और बोली, नही राज, अभी नही. मेरी पीठ को अपनी बाहों से जकड के अपने उपर लिटा कर झप्पी मारने लगी. मैने तुरंत दीदी की बात की अनुपालना की और दीदी के नीचे अपनी बाहें घुसा के, दीदी को अपने गले से ज़ोर से चिपका लिया, दीदी को अपने साथ, इतने करीब, इस अवस्था में पाकर ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत मिल गयी हो.
आख़िर में हम एक दूसरे से अलग हुए, मैं दीदी के उपर से हट गया, और दूसरी तरफ देखने लगा, जिस से दीदी अपनी ब्रा उठा सके, जब दीदी ये सब कर रही थी मैं उनकी हल्की हल्की हँसने की आवाज़ सुन पा रहा था.
मैं बोला ह्म्म्म्म
दीदी बोली राज, मुझे तुमने पूरा गीला कर दिया है अपने उस से. मुझे देखने को इशारा किया, मैने देखा दीदी सच कह रही है, दीदी की छाती, पेट सब कुछ मेरे वीर्य से सने हुए थे. दीदी की पैंटी पर भी गीला निशान था. दीदी ने अपना वाइट गाउन पहना और हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए. दीदी मेरे रूम से नहाने के लिए बाथरूम में चली गयी. मैं अपने बेड पर लेट कर आज हुई सारी घटनाओं की मूवी एक बार फिर से अपने दिमाग़ में चलाने लगा....
अगली सुबह कल सनडे की सुबह से बिल्कुल अलग थी, मेरे दिमाग़ में बस ये ही ख़याल आ रहे थे कि मैं और दीदी कितना ज़्यादा फिज़िकल होते जा रहे हैं. मैं शायद घबरा गया था, और कल रात अपनी गोलियों में से वीर्य की आख़िरी बूँद तक निकाल लेने के बाद, जो कुछ हम दोनो कर रहे थे, उस बात को सही ठहराना बड़ा मुश्किल हो रहा था.
मैने अपने आप से कसम खाई की अब मैं दीदी को मेरे साथ ये सब नही करने दूँगा, लेकिन मुझ में इतनी हिम्मत नही थी कि दीदी को ये बात बोल सकूँ, फिर मैने एक कागज के टुकड़े पर एक नोट बनाया उसमे लिखकर कल रात के लिए दीदी से माफी माँगी और लिखा कि आगे ऐसा हमें कुछ नही करना चाहिए, हम इस बारे में कभी और बात करेंगे.
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