RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी हँसी और मेरी कमर के उपर से दूर होते हुए उन्होने अपने चेहरा अपने हथेलियों से छुपा लिया और बोली, सॉरी राज, लगी तो नही
नही दीदी.... मैं तो बस... मैं आगे कुछ बोल नही पाया, मेरा दिमाग़ शायद अभी भी सो रहा था..
तो फिर ठीक है... अगर लगी नही तो... दीदी ने चिढ़ाया और मेरे उपर बैठ गयी.
दीदी मेरे लंड के उपर टाँगें चौड़ी कर के बैठी थी,
मैने कहा दीदी...
दीदी बस हां कहकर चुप हो गयी, मैने देखा दीदी मेरे को देख कर स्माइल कर रही ही, दीदी के स्माइल करने से मैने कुछ रिलॅक्स फील किया
राज: मम्मी और पापा कहाँ हैं?
दीदी: दोनो शॉपिंग करने बिग बाज़ार गये हैं, वहाँ कोई सेल चल रही है
मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था, हालाँकि दीदी और मेरे बीच में चादर थी, लेकिन वो मेरे खड़े लंड को महसूस कर पा रही थी. ना तो दीदी ने मेरे उपर से हटने की और ना मैने उनको हटाने की कोई चेष्टा की, दीदी वैसे ही मेरे उपर बैठी रही.
दीदी: आज कितना अच्छा मौसम है, कितनी अच्छी हवाल चल रही है, सब कुछ सुंदर लग रहा है
दीदी ने थोड़ा झुक कर विंडो के ब्लाइंड्स को टर्न कर के खोल दिया, अब हम दोनो बाहर का सब कुछ देख पा रहे थे
दीदी: अच्छा लग रहा है ना
राज: हां, तुमको भी मज़ा आ रहा है ना दीदी
दीदी ने अपने होठ तो दातों से बाइट करते हुए कहा, लगता है तुम अभी पूरी तरह से जागे नही हो, तुमको उठाना ही पड़ेगा, ऐसा कहते हुए दीदी ने अपना कुछ और वजन मेरे उपर डाल दिया
मैने दीदी के नीचे से निकलने का असफल प्रयास किया
दीदी ने स्माइल किया, और मेरे चेहरे को देखते हुए अपनी गान्ड को गोल गोल मेरे लंड के उपर घुमाने लगी. इस सब से मैं बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गया. क्या मस्त नज़ारा था मेरी सुंदर बड़ी बेहन मेरे लंड के उपर अपनी गान्ड घिस रही थी, सूरज की रोशनी रूम में आ रही थी और मैं लेट कर इन सब चीज़ों का आनंद ले रहा था
राज: हे राम
दीदी ने मेरे लंड को दबाना जारी रखा और वो मेरे लंड के उपर अपने आप को चादर के उपर से घिस रही थी, वो एक बारगी रुक गयी, मैने दीदी के चेहरे पर कुछ उत्सुकता देखी
दीदी: राज, तुम्हे अच्छा लग रहा है ना? मुझे पूछ लेना चाहिए था
राज: आअहह दीदी मुझे नही मालूम, थोड़ी देर और दीदी ...मैं बस झड़ने ही वाला हूँ...
दीदी ने हां में गर्दन हिलाई, और बोली बस थोड़ी देर, तो फिर मुझे करते रहना चाहिए. दीदी ने मुझे जीभ निकाल के चिढ़ाया और मेरे उपर थोड़ा और वजन डालकर घिसने लगी. मेरे मूँह से आहह... ऊहह की आवाज़ें निकल रही थी. कुछ सेकेंड्स के बाद मैने दीदी की जांघों को दोनो तरफ से पकड़ा और उनको अपने उपर खींचा, मेरा पानी निकल चुका था, मेरा बॉक्सर और चादर दोनो गीले हो गये थे, कुछ वीर्य की बूँदें मेरी जांघों पर बह रही थी...
दीदी ने खुशी से आहह की आवाज़ निकाली और मेरे उपर से उतर के मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी
कुछ देर बाद गाड़ी की आवाज़ सुन के हम समझ गये कि मम्मी पाप आ चुके हैं, दीदी तुरंत मेरे कमरे से भाग गयी. मैं भी तुरंत उठकर अपने आप को और अपने बेड को सॉफ करने लगा. हालाँकि मैने डोर बंद कर लिया था, लेकिन अपने गीले शॉर्ट में बैठने का कोई मतलब नही था
जल्दी से नहाने के बाद मैं नीचे पहुँचा तो देखा दीदी वहाँ पर पहले से से ही थी और मम्मी से बात कर रही थी, वो मुझ से ऐसे मिली जैसे आज सुबह हम दोनो पहली बार मिल रहे हो.
आज का दिन कुछ अलग ही था.
मेरे और दीदी के बीच जो कुछ भी चल रहा था, उसकी वजह से हमारे बीच काफ़ी नज़दीकियाँ आ गयी थी, हम दोनो एक दूसरे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा टाइम स्पेंड करने लगे, दोनो एक साथ घूमते, और हम गहरे दोस्तों की तरह हो गये थे. हम दोनो बचपन से काफ़ी करीब थे लेकिन इस सब के शुरू होने के बाद हमको पता चला कि हम दोनो एक दूसरे से कितना कुछ सीख सकते हैं और मज़े कर सकते हैं. उस हफ्ते दीदी ने एक बार कहा कि शायद हम एक दूसरे को कितना अच्छी तरह समझने लगे हैं. मैने भी दीदी के साथ अपनी सहमति जताई. जब आप किसी के साथ बहुत दिनों तक रहो तो हम कई बार कुछ ऐसा भी सोच लेते हैं जो कि असलियत में सच नही होता. हम एक दूसरे की ग़लत फ़हमियों को दूर कर चुके थे.
उसके अगले हफ्ते, हमारे संहझौते के मुताबिक, मुझे जब मूठ मारने का बहुत मन किया तो पॉर्न देखने की जगह मैं दीदी के पास गया, और पूछा, दीदी क्या आज रात मेरे कमरे में आओगी? दीदी आसानी से तय्यार हो गयी. मैं अपने रूम में आया, अपने सारे कपड़े उतारे और सिर्फ़ बॉक्सर में अपने बेड पर बैठकर मॅगज़ीन पढ़ने लगा. उस दिन बहुत गर्मी थी मेरे रूम का एसी भी ठीक से काम नही कर रहा था मैं टी-शर्ट उतार के सिर्फ़ बॉक्सर में बैठा हुआ था.
थोड़ी देर बाद, दीदी ने मेरे डोर पर नॉक किया, और दीदी मेरे रूम में अंदर आ गयी. आज दीदी ने वाइट कलर का गाउन पहना हुआ था, जिसमे सामने की तरफ बटन थे, दीदी ने अपने बालों का पोनीटेल बना रखा था. मैने अपनी मॅगज़ीन नीचे रखी और दीदी की तरफ देख कर मुस्कुराया, मैं बेड पर तकिये के सहारे बैठ गया.
दीदी (डोर लॉक करते हुए): राज, मैं तुम्हे आज एक सर्प्राइज़ दूँगी
राज: दीदी, सच में?
दीदी ने हां में सिर हिलाया और एक कुटिल मुस्कान से मेरी तरफ देखा. दीदी अपने गाउन के बटन खोलने लगी, सारे बटन खोलने के बाद उसको दोनो हाथों से पकड़ के मेरे सामने खोल दिया और ज़मीन पर गिरा दिया, अंदर दीदी ने विल्टी कलर की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी. ये नज़ारा देख के मैने एक गहरी साँस ली. क्या मस्त बदन था दीदी का, एक दम किसी मूर्ति की माकिफ़, एक दम पर्फेक्ट फिगर था, जैसे किसी शिल्पकार ने बिना किसी ग़लती किए कोई मूरत बनाई हो, दीदी की स्किन बिल्कुल गोरी और स्मूद थी. मैने जी भर के ये नज़ारा देखा, दीदी के गोरे गोरे लंबे लंबे पैर, उनकी मांसल जांघे, दीदी की पर्फेक्ट नेवेल, उनके मस्त उभार ली हुई ब्रा में क़ैद चूंचियाँ और सुरहिदार गर्दन. जो मैने देखा उसका वर्णन करना शायद मुश्किल है.
दीदी एक पोज़ बना के खड़ी हो गयी और मुझसे पूछा, कैसा लगा?
मेरे मूँह से कोई आवाज़ नही निकल रही थी, मैं हैरान होकर केवल अपनी गर्दन हिला पाया. दीदी ने अपने हाथ उठाए और उनको अपनी ब्रा के उपर फिराते हुए नीचे पेट को सहलाते हुए नीचे तक ले गयी और फिर उपर तक ले आई. दीदी अपने हाथों के अंगूठे अपनी ब्रा स्ट्रॅप्स में डाल के मेरे सामने पोज़ देती हुई खड़ी हो गयी.
मैं ये ब्रा भी उतार दूँगी राज जब तुम अपना हाथ अपने बॉक्सर के अंदर डालोगे, लेकिन मैं तुम्हे सब कुछ दिखाउन्गी नही, ओके?
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