RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी ने अपनी एक उंगली अपने शॉर्ट के अंदर घुसा दी, सामने से जहाँ से हल्की हल्की झान्टे दिखाई दे रही थी, दीदी ने उसे अंदर तक घुसा दिया. दीदी का वो हाथ जिस से उन्होने टी-शर्ट पकड़ रखी थी वो हिल रहा था, धीरे धीरे वो अपनी चूंचियों को सहला रही थी. मैने मूठ मारना जारी रखा. दीदी का शरीर चमक रहा था, शायद पसीने के कारण. दीदी अपनी उंगली से चूत के दाने को सहला रही ही, जिस की कल्पना मैं शॉर्ट के हिलने डुलने से अच्छी तरह कर पा रहा था.
दीदी ने मेरी तरफ देखा, उनके गाल गुलाबी हो रहे हे, हमारी आँखे मिली. मैं उस वक़्त स्खलित नही होना चाहता था, लेकिन मुझ से कंट्रोल नही हुआ और मेरे लंड ने ढेर सारा वीर्य पिचकारियाँ मार मार के उंड़ेल दिया. जैसे ही मेरे वीर्य की आख़िरी बूँद निकल रही थी, दीदी ने ज़ोर की आवाज़ निकाली आआआआअहह और दीदी का चेहरा एक दम सुर्ख हो गया. मैं अभी भी अपने लंड को सहला रहा था, दीदी भी अपनी चूत सहला रही थी. दोनों के पानी छोड़ने के बाद की एक दूसरे की चिकनाई युक्त सहलाने की आवाज़ें हम क्लियर्ली सुन सकते थे. हम एक दूसरे को आँख मिला कर तब तक देखते रहे जब तक दीदी ने एक लंबी साँस ले कर जोरदार पानी नही छोड़ दिया और एक लंबी साँस ली, दीदी ने अपने लिप्स पर जीभ फिराई और अपनी आँखें बंद कर ली.
दीदी ने टी शर्ट को नीचे कर दिया और अपना हाथ शॉर्ट्स में से बाहर निकाल लिया. दीदी कुछ सेकेंड्स के लिए बेड पर ही बैठी रही. फिर हम दोनो ने के दूसरे की तरफ देख के स्माइल किया. रूम में अब एक दम शांति थी, लेकिन इसमे प्यार की मादक खुश्बू आ रही थी.
दीदी, मैने बोलने की कोशिश की, लेकिन आगे कुछ ना बोल पाया, दीदी मेरे को देख के मुस्कुरा दी
गीले बॉक्सर में मुझे बहुत अनकंफर्टबल लग रहा था, मैं जैसे ही उठने लगा, दीदी ने मुझे रोक लिया.
दीदी: मुझे तुम्हारा ये गीला बॉक्सर देखकर बहुत खुशी हो रही है क्योंकि ये मेरी वजह से हुआ है.
फिर दीदी ने एक शरारती मुस्कुराहट से मुझे देखा. मैने अपने सारे कपड़े उठाए और दीदी की तरफ देखा, जिस तरह दीदी मुझे देख रही ही उस से लगता था कि वो नही चाहती कि मैं वहाँ से जाऊं.
राज: दीदी मैं चेंज कर लूँ, बस एक मिनिट में लौट के आता हूँ
दीदी ने हां में सिर हिला दिया. मैं थोड़ी देर में चेंज कर के फिर से दीदी के रूम में आ गया. हम काफ़ी देर बैठ के बातें करते रहे, ऐसा लग रहा था हमे एक दूसरे की कंपनी की ज़रूरत है. मैं आधी रात के बाद अपने रूम में जा के सो गया.....
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घड़ी का अलार्म लगातार बजे जा रहा था, मानो वो चाहता हो कि मुझे अब तक उठ जाना चाहिए था. मैने स्नऊज़ का बटन दबाया, और एक करवट ली.
सूरज की रोशनी खिड़की के ब्लाइंड्स में से थोड़ी सी कमरे में आ रही थी. कुछ मिनिट के बाद मेरी आँखों ने रोशनी के साथ अड्जस्ट किया और मैने अपने रूम में चारों तरफ देखा. जमहाई मारते हुए मुझे एहसास हुआ कि मेरा लंड खड़ा हुआ है, मानो ये बताने के लिए कि लड़का होने का क्या मतलब है. मैने एक अंगड़ाई ली और ओधी हुई चादर को हटा के बैठ गया.
मुझे बहुत अच्छी नींद आई थी और मैं बहुत फ्रेश फील कर रहा था. कुछ हफ्तों पहले की ही तो बात है कि मैं कैसे सेक्स के लिए फ्रस्टरेटेड हुआ करता था, मेरे दिमाग़ में बस सेक्स ही घुमा करता था. जब छोटा था तो मॅगज़ीन्स में ब्रा और पैंटी के एड देखना, पहली सॉफ्टकोर मॅगज़ीन दफ़ा 302 पढ़ना, फिर इंटरनेट पर देसीबाबा की हार्ड पॉर्न तस्वीरें देखना, लगता है इस सब से मुझे पॉर्न का अडिक्षन हो गया था. मुझे याद है जब मैने पहली बार डेबोनाइर मॅगज़ीन में एक पूरी नंगी लड़की की तस्वीर देखी थी. ये बहुत पुरानी बात है, जब एक दोस्त ने किसी विदेशी पॉर्न मॅगज़ीन में छपी एक गोरी विदेशी लड़की जो नहा रही थी उसकी फोटो दिखाई थी, उसके गुलाबी होठ थे, छोटी छोटी चूंचियाँ जिन पर पिंक निपल्स थे और हल्की हल्की ब्राउन झान्टे, जो इतनी बड़ी नहीं थी कि उसकी दोनो जांघों के बीच जा रही चूत की दरार को छुपा सके.
मैं अब पूरी तरह उठ चुका था और सब कुछ अच्छे से इमॅजिन कर पा रहा था कि मैं कैसे इतना ज़्यादा सेक्स के लिए फ्रस्टरेटेड हुआ करता था. सारी तस्वीरे और गंदी चीज़े जो मैं अपने जेहन में उंड़ेल रहा था उस की वजह से मेरे दिल और दिमाग़ इन चीज़ों के आदि हो चुके थे. मेरा पॉर्न देखना और मूठ मारना मेरी आदत में शुमार हो चुका था, इसका अंदाज़ा मुझे जब लगा जब मेरे शरीर ने कहा कि ये सब बहुत हो चुका. असलियत ये थी कि मैं इन सब चीज़ों में खो चुका था. पॉर्न देख के एग्ज़ाइट होना और फिर मूठ मारना.... शायद मैं ऐसा नही करना चाहता था. लेकिन ये सब मैं अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए करता था. मुझे अपने आप पर शरम आती थी कि मेरा कोई करीबी नही है, जिस के साथ मैं सब कुछ शेर कर सकूँ, मैं अपने आप को दुनिया से छुपाने की कोशिश करता. मैं ये सब लगातार करता चला आ रहा था, लेकिन इस सब से मुझे आत्म ग्लानि होती थी.
बस दो हफ्ते पहले की ही तो बात है, मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी, जब दीदी ने मुझे लॅपटॉप पर पॉर्न देखते हुए पकड़ा था. मेरी तो फट ही गयी थी, कितनी बेहूदा बात थी कि मेरी दीदी जो मुझे अपना प्यारा छोटा भाई समझती थी उनको मेरे व्यक्तित्व के इस चेहरे का पता चला था. मैं कितना बेचैन हो उठा था, लेकिन ये मेरे सुधरने की शुरुआत थी, मानो मर्ज का इलाज शुरू हुआ हो. मेरी बेहद खूबसूरत डॉली दीदी ने मुझे माफ़ कर दिया था और मेरी बाकी सब दुनिया से छुपी हुई अलग दुनिया में आकर मेरा हाथ पकड़कर अपनी उस दुनिया के ओर ले चली थी जहाँ मेरे लिए सिर्फ़ प्यार और दुलार था.
जब दीदी को असलियत मालूम पड़ी और मेरे लिए जो कुछ उन्होने करने का फ़ैसला लिया तो मुझे उतना ही सर्प्राइज़ हुआ था जितना कि जब दीदी ने मुझे पॉर्न देखते हुए पकड़ा था. किसी भी नज़रिए से ये ठीक नही था कि मैं पॉर्न अडिक्षन दूर करने के लिए अपनी सग़ी बड़ी बेहन को देख के मूठ मारू. हमारे भाई बेहन के रिश्ते में ये एक बहुत बड़ा बदलाव था. हम दोनो के बीच जो नज़दीकियाँ आ रही थी, वो भाई बेहन के रिश्ते में कुछ अजीब थी.
दीवार पर टॅंगी उस फोटो को देखकर मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी जो कि हमारी गोआ की फॅमिली ट्रिप के दौरान खींची गयी थी, इसमे मैं किसी बीच पर लहरों के बीच चहल कदमी करने के दौरान दीदी के मूँह पर पानी उछाल रहा हूँ.
मैने एक जमहाई ली और बेड से उतर के खड़ा हो गया, फिर सोचने लगा कि आज क्या करना है, तभी मेरे दिमाग़ में कुछ तुरंत कौंधा और मैने अपना मोबाइल फोन उठा के देखा कि आज तो सनडे है, मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया कि मैने अलार्म लगाया ही क्यूँ था, आज सनडे को इतनी जल्दी उठने की क्या ज़रूरत थी? मैं फिर से बेड पर लेट गया.
कुछ मिनिट बाद किसी ने डोर नॉक किया, मैने कहा हां......, मैने देखा डॉली दीदी अंदर झाँक रही है.
दीदी ने धीरे से कहा गुड मॉर्निंग, मैने तुम्हारा अलार्म सुन लिया था, क्या अलार्म ऑफ करना भूल गये थे? मैने हां में सिर हिलाया. दीदी अब कमरे के अंदर आ चुकी थी, अभी भी उन्होने कल रात वाले, छोटी सी टी- शर्ट और कॉटन शॉर्ट्स पहन रखे थे. दीदी ने पूछा क्या उठने का इरादा नही है?
इस से पहले कि मैं कुछ बोलता, दीदी हंसते हुए मेरे बेड पर आ गयी और मुझे गुद गुदि कर के हँसाने लगी, मैं दीदी की गिरफ़्त से निकलने की कोशिश करने लगा, मुझे डर था कि कहीं दीदी मेरा खड़ा हुआ लंड ना महसूस कर लें. मैने दीदी से कहा, दीदी प्लीज़ हटो ना, लेकिन शायद तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी और दीदी के फेस से पता चल रहा था कि उन्होने मेरे खड़े लंड को महसूस कर लिया है.
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