RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मेरी जीभ को मिली इतने जोरों से चूस रही थी कि मुझे अपनी जीभ खींच कर मिली के मुँह जाती सी महसूस हो रही थी। दर्द के कारण मैं छटपटाने लगा मगर मिली छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी मैंने मिली के एक होंठ को दांतों से काट लिया.. जिससे कि मिली ने छटपटा कर मेरी जीभ को छोड़ दिया और मुझसे अलग होकर मेरे कपड़े खींचने लगी।
मुझसे भी अब अपने शरीर पर कपड़े बर्दाश्त नहीं हो रहे थे इसलिए मैं जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।
अब की बार मैंने मिली को पकड़ कर जोरों से भींच लिया.. जिससे उनके दोनों उरोज मेरे सीने से पिस से गए और उनकी योनि मेरे उत्तेजित लिंग से चिपक गई।
तभी मिली मेरी कमर को जोर से पकड़ कर सीधी हो गई.. जिससे कि मैं भी उनके साथ-साथ खींचकर मिली के ऊपर आ गया और मिली का मखमली नर्म मुलायम शरीर मेरे भार से दब गया।
मिली के नर्म मुलायम उरोज अब मेरी छाती से दब रहे थे और मेरा उत्तेजित लिंग ठीक मिली की योनि पर लग गया था, जो कि मेरे लिंग को अपनी गर्मी का अहसास करवा रही थी।
मिली अब भी मेरे होंठों को जोरों से चूम चाट रही थीं। मगर मैं मिली के होंठों को चूसते हुए अब नाइटी के ऊपर से ही उनके दोनों उरोजों को भी सहलाने लगा था।
मिली ने ब्रा नहीं पहन रखी थी इसलिए नाइटी के ऊपर से ही मुझे उनकी मखमली नर्मी का अहसास हो रहा था। उनके चूचुक कठोर होकर अपनी मौजूदगी का अलग ही अहसास करवा रहे थे।
मिली के होंठों को छोड़कर मैं अब उनके गालों व गर्दन पर से होते हुए उनके उरोजों पर ऊपर आ गया और धीरे-धीरे उनके उरोजों को चूमने लगा। मगर मिली के उरोजों व मेरे प्यासे होंठ के बीच उनका ब्लाउज आ रहा था।
और तभी..
जैसे कि मिली ने मेरी मन की बात पढ़ ली हो.. उन्होंने एक ही झटके में ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपने दोनों उरोजों को आजाद कर दिया। ब्लाउज के बटन खुलते ही मैं भी उन पर ऐसे टूट पड़ा जैसे कि जन्मों के प्यासे को आज पहली बार कुंआ मिल गया हो।
मैं मिली के दोनों उरोजों को बारी-बारी से चूमने-चाटने लगा, साथ ही हाथों से उन्हें मसल भी रहा था।
मिली अब हल्का-हल्का कराहने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उनके दोनों चूचुक खड़े हो कर तन गए थे जो कि मेरे गालों पर चुभ से रहे थे, मैं भी मिली एक चूचुक को मुँह ने भरकर गप्प कर गया जिससे मिली के मुँह से सिसकी सी निकल गई और उसने मेरे सिर को अपने सीने पर जोरों से दबा लिया।
मैं भी मिली के चूचुक को अपनी जीभ व दांतों से कुरेद-कुरेद कर चूसने लगा। इससे मिली के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियां फूटने लगी।
मिली ने अपने पैरों को फैलाकर मुझे अपनी जाँघों के बीच दबा लिया और अपने नितम्बों को आगे-पीछे करके अपनी योनि को मेरे लिंग से रगड़ने लगी।
तभी मेरे दिमाग में मिली की योनि का ख्याल आया, मैं मिली के ऊपर लेटा हुआ था और मैं इस स्थिति में तो मिली की योनि को नहीं छू सकता था.. इसलिए मिली के उरोजों को चूसते हुए ही मैं थोड़ा सा खिसक कर मिली के शरीर पर से नीचे उतर गया, मैं अपना एक हाथ मिली के उरोजों पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुए उनकी योनि पर ले आया जबकि मेरा दूसरा हाथ अभी भी मिली के उरोजों को ही सहलाने में व्यस्त था।
नाइटी के ऊपर से ही मैंने मिली की योनि का मुआयना किया, मिली ने पेंटी पहन रखी थी, उनकी पेंटी योनि रस से भीग कर इतनी गीली हो चुकी थी कि मिली का नाइटी का कपड़ा भी योनिरस के कारण हल्का सा नम हो गया था।
नाइटी के ऊपर से ही मैं धीरे-धीरे मिली की योनि को सहलाने लगा.. जिससे कुछ ही देर में मिली की नाइटी का आगे का भाग.. जहाँ पर मैं उनकी योनि को सहला रहा था वो गीला होकर योनि से चिपक गया।
मिली की योनि को सहलाते हुए ही मैंने धीरे-धीरे उनके नाइटी को भी ऊपर खींचकर उनके पेट तक उलट दिया और अब मेरा हाथ मिली की नंगी योनि को छू गया।
जैसे ही मैंने मिली की नंगी योनि को छुआ.. मिली के मुँह से एक हल्की सीत्कार सी फूट पड़ी और स्वतः ही उनकी दोनों जाँघें एक-दूसरे से चिपक गई… मगर फिर जल्दी ही वो खुल भी गई।
मिली की योनि को निर्वस्त्र करने के बाद मैंने मिली के उरोजों को छोड़ दिया और धीरे-धीरे मिली के पेट को चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा।
मिली के पेट पर से होते हुए जैसे ही मेरे होंठ मिली की नंगी योनि के पास पहुँचे.. मिली ने ‘इईईई.. श्श्शशशश..’ की आवाज करके दोनों जाँघों को बन्द करके अपनी योनि को छुपा लिया।
मैंने भी बस योनि के ऊपरी भाग को एक-दो बार चूमा और फिर नीचे जाँघों की तरफ बढ़ गया क्योंकि योनि काफी गीली व चिपचिपी सी थी, उसमें से एक अजीब सी गंध भी आ रही थी।
उस समय मुझे नहीं पता था कि ये क्या था, इसलिए मैं सीधा मिली की मांसल भरी हुई जाँघों पर से होते हुए उनके कोमल पैरों पर पहुँच गया।
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