RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
अब वो सोच मे पड़ गई थी शायद फ़ैसला नही कर पा रही थी कि क्या करे उसके चेहरे पर उलझन वाले भाव थे और मैं उसे ही देखे जा रहा था और सोच रहा था कि मेरी बिगडेल ज़िद्दी बहन क्या फ़ैसला करेगी गान्ड देने का या चूत देने का या फिर मुझे रीना के पास भेजने का...
10 मिनट के आस पास हो चुके थे हमारे बीच चुप्पी छाए हुए ना मैं कुछ बोल रहा था ना मिली मैं जानता था कि ऐसे वक्त मे मिली को ज़्यादा छेड़ना ठीक नही था इसलिए मैं बगैर कुछ बोले बेड से उतरने लगा तभी मिली अपनी सोचो से बाहर आई और मुझे बेड से उतरता देख बोली "कहाँ जा रहा है"
"अपने बेड पर अब यहाँ मेरा क्या काम है तू तो कुछ जवाब दे ही नही रही है" मैं बोला
"तू रुक और बैठ यहीं मुझे थोड़ा सोचने दे" मिली बोली और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वापस बैठा लिया
मेरे मन मे एक उम्मीद जागी लेकिन मिली का फ़ैसला क्या होगा मुझे अभी भी समझ मे नही आया था
"राजू लोग पीछे से कैसे कर लेते है" थोड़ी देर बाद मिली बोली
"कैसे कर लेते है मतलब, तूने कल फिल्म मे देखा नही" मैने जवाब दिया
"अरे मेरा वो मतलब नही था मैं ये कह रही हूँ कि चूत मे तो पानी के कारण चिकनाई होती है इसलिए लंड आराम से अंदर चला जाता है लेकिन गान्ड तो पूरी सुखी होती है फिर वहाँ लंड कैसे घुसता है और क्या लंड रगड़ने से तकलीफ़ नही होती?" वो बोली
"ऐसा कुछ नही होता शुरू मे ही थोड़ा दर्द होता है बाद मे छेद बड़ा हो जाए तो कुछ तकलीफ़ नही होती जहाँ तक चिकनाई की बात है तो उसके लिए तेल या थूक का इस्तेमाल कर लेते है" मैं थोड़ी खुशी से बोला मुझे लगने लगा था कि अब मुझे मिली के पिछवाड़े की सैर करने को मिलने वाली है
"तू सच कह रहा है ना सच मे ज़्यादा तकलीफ़ नही होती ना" वो कुछ डरते हुए बोली
"मिली मैं तुझसे झूठ क्यों बोलूँगा तूने खुद ही तो फिल्म मे देखा है कि वो लड़की कैसे मज़े ले लेकर गान्ड मरवा रही थी यदि यकीन ना आए तो वो फिल्म एक बार और देखले" मैं मस्का मारते हुए बोला
"नही मैं देख चुकी हूँ लेकिन फिर भी डर लगता है कि कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए"
"अरे कुछ नही होता मैं कह रहा हूँ ना"
मेरी बात सुनकर मिली कुछ देर सोचती रही फिर बोली "देख राजू मैं तेरे साथ पीछे से करने को तैयार हूँ लेकिन तू कभी भी रीना के बारे मे बात नही करेगा और नही कभी मेरी चुत चोदने की डिमॅंड करेगा बोल मंजूर है"
अँधा क्या चाहे दो आँखे मैने झट से हामी भर दी और मिली से चिपक गया
"आरीए.अरी..ज़रा रुक तो अभी मैं तैयार नही हूँ और खाना खाने का भी टाइम हो गया है" मिली बोली
मैने टाइम देखा 12 बज चुके थे "तो फिर कब करेंगे" मैं बोला
"पहले खाना खा लेते है उसके बाद करेंगे जब तक मैं भी अपना मन पक्का कर लूँगी और खाना खाने से थोड़ी ताक़त भी आजाएगी तेरा लंड झेलने की" वो हँसते हुए मेरा लंड पकड़ कर बोली जो उसकी गान्ड मे घुसने के नाम से ही झटके मार रहा था
मिली हँसते हुए बेड से नीचे उतर गई लेकिन मेरा मूड अभी खाना खाने से ज़्यादा उसकी गान्ड मारने का था "खाना भी खा लेंगे यार पहले एक बार तो हो जाए" मैं बोला
"मैने कहा ना खाना खाने से ताक़त आएगी और वैसे भी मुझे बहुत भूख लगी है इसलिए प्लीज़ तू भी उठ और खाना खा ले" अब मिली थोड़ा गंभीर होते हुए बोली
मन मार कर मुझे भी उठना पड़ा उधर मिली अपने कपड़े उठाने लगी थी पहनने के लिए तभी मुझे शरारत सूझी "ठीक है मानी तेरी बात लेकिन आज खाना हम बगैर कपड़ो के ही खाएँगे एकदम नंगे हो कर" मैं बोला
"ये कैसी बात कर रहा है तू क्या नंगे होकर भी खाना खाया जाता है" वो बोली
"हमेशा नही खाया जाता लेकिन खास मौको पर चलता है" मैं बोला
"तो अभी कौन सा खास मौका है" वो भी चुहल करते हुए बोली ये बात अलग थी कि अब वो कपड़े पहनने की कोशिश नही कर रही थी
"आज मैं पहली बार तेरी गहराई को नापने जा रहा हूँ भले ही वो पीछे की क्यों ना हो तो खास मौका तो है ही और वैसे भी खाने के बाद तो कपड़े उतारना ही है तो बेकार मे ही पहनने उतारने की मेहनत क्यों करे" मैं उसकी पीठ से सटते हुए बोला
अब मेरा तना हुआ सख़्त लंड उसकी गान्ड की दरार से रगड़ खा रहा था उसकी गान्ड का स्पर्श अपने लंड पर होने से मैं बहुत उत्तेजित हो गया था मैने अपने एक हाथ से उसकी एक चुचि को मसलना शुरू कर दिया था और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसकी गान्ड की दरार मे उपर से नीचे घुमा रहा था
चुचि मसल्ने से मिली भी उत्तेजित हो गई थी और शायद गान्ड पर रगड़ होने से भी इसलिए उसके मूह से लगातार मादक सिसकारिया फुट रही थी जिससे मेरा लंड और भी फूलता जा रहा था अभी ऐसा करते दो तीन मिनट ही हुए होंगे कि मिली छिटक कर मुझसे दूर हो गई और बोली "बस राजू अब और नही पहले चल कर खाना खा बाकी उसके बाद करेंगे और हां खाना ख़तम होने तक तू मुझे हाथ भी नही लगाएगा समझा"
मिली के दूर हटने और उसकी बात सुनकर मेरा लंड झटके मारते हुए धीरे धीरे नीचे बैठने लगा था अब मैने भी सोच लिया कि मिली को ज़्यादा सताना ठीक नही है वरना वो बिदक भी सकती है
"ओक, चल पहले खाना ही खा लेते है" मैं बोला
अब हम दोनो बाहर आ गये थे मिली ने मेरी बात मानकर कपड़े नही पहने थे वो मेरे सामने चल रही थी और चलने से उसके भारी नितंबो मे होती थिरकन मेरे होश उड़ाए जा रही थी बड़ी मुश्किल से मैं अपने आपको रोके हुए था 'कोई बात नही सालो थोड़ी देर बाद ही कुचलता हूँ तुम्हे' मन ही मन मैं उसके नितंबो से बोला
मिली नंगे बदन ही खाना लगाने निकल चुकी थी और अब थाली परोसने वाली थी "चल मिली आज हम एक ही थाली मे खा लेते है" मैं बोला
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