Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
03-29-2019, 11:28 AM,
#36
RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
आंटी के साथ शुरूआत

कम्पार्टमेंट के सारे लोग लगभग सो चुके थे और पूरे डब्बे में अँधेरा हो चुका था। मैं मजे से गाने सुनता हुआ खिड़की से आती ठण्ड का मज़ा ले रहा था। तभी मेरे ठीक सामने आकर कोई बैठ गया। मैंने ध्यान से देखा तो पाया कि स्मिता आंटी अपने बर्थ से उठकर मेरे पास आ गई हैं और खिड़की से बाहर देख रही हैं।

उनके इतनी रात गये, इस वक्त और फिर इस तरह मेरे सामने आकर बैठने से मैं थोड़ा घबरा सा गया… मेरा घबराना लाज़मी था यारों…क्यूंकि मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि ऐसा कुछ हो जाये जिससे मैं आंटी और उनकी दोनों बेटियों की नजर से गिर जाऊ। 

मैंने बैठे हुए ही अपनी टाँगे सामने की तरफ फ़ैला रखी थीं। इस हालत में स्मिता आंटी भी मेरी तरह ही अपने पैरों को मेरी तरफ कर के अपनी टाँगे सामने की तरफ फ़ैला कर बैठ गईं। तभी अचानक बाहर से आई हल्की हल्की रोशनी में हमारी आँखें मिलीं और हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए। उनकी मुस्कान बहुत कातिल थी लेकिन कभी कभी मुझे उनकी मोहक मुस्कान के पीछे एक अजीब सा सूनापन दिखाई देता था।


“मुझे तो ट्रेन में नींद ही नहीं आती… कितनी भी कोशिश कर लूँ पर कोई फायदा नहीं!” आंटी ने धीरे से कहा और फिर से बाहर की तरफ देखना शुरू कर दिया।

“कोई बात नहीं आंटी, मुझे भी नींद नहीं आ रही है…इसीलिए गाने सुन रहा हूँ।” मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया।

आंटी ने अपना कम्बल अपने बर्थ पर ही छोड़ दिया था और उनको ठंड से अब थोड़ी थोड़ी कंपकपी होनें लगी थी तो मैंने अपने कम्बल को फैला कर उन्हें अपने पैरों को कम्बल के अन्दर कर लेने को कहा। । आंटी ने कम्बल के अन्दर अपने पैर डाल लिए और अपनी आँखें बंद करके ठंड का मज़ा लेने लगीं। उनके पैर मेरी उनकी तरफ वाली जांघ तक पहुँच रहे थे और बार बार मेरी जांघ से टकरा रहे थे। ठंड की वजह से उनके पैर बहुत ठन्डे हो चुके थे और मेरी जांघ से टकरा कर सिहरन पैदा कर रहे थे। मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वापस अपने काम में लग गया। गाने सुनते सुनते देर हो चली थी।

मैंने बाथरूम जाने की सोची और अपने बर्थ से उठा। बाथरूम जाकर मैं वापस अपने सीट पे लौटा तो पाया कि आंटी लम्बी होकर लेट गईं हैं और बिल्कुल सिकुड़ कर कम्बल अपने उपर डाल लिया है मानो बाकी की जगह मेरे लिए छोड़ रखी हो। उनका सर मेरी उलटी ओर था और पैर उस तरफ जिधर मैं बैठा हुआ था। आंटी अपना चेहरा खिड़की की ओर और पीठ अन्दर की ओर कर के करवट ले कर सोई हुई थी। मैं थोड़ी देर उधेड़बुन में रहा और फिर वैसे ही जाकर बैठ गया जैसे पहले बैठा था। आंटी को मेरे आने का एहसास हुआ तो वो उठने लगीं।

“कोई बात नहीं आंटी, आप लेटी रहिये… मैं बैठ जाऊँगा आराम से !” इतना बोलकर मैं उनके पैरों के बगल में बैठ गया और अपने पैरों को भी कम्बल से ढक लिया। अब मेरे पैर सीधे होकर आंटी की पीठ से टकरा रहे थे और उनके पैर मेरे कूल्हों से। हम ऐसे ही रहे और सफ़र का मज़ा लेते रहे।

वैसे आंटी तो मेरे मन में तब से बसीं थीं जब मेरा ध्यान रिंकी और प्रिया पर भी नहीं गया था। आंटी में एक अजीब सी कशिश थी जिसकी तरफ मैं खुद ब खुद खिंचता चला जा रहा था। उनकी मदमस्त कर देने वाली हर एक अदा का मैं दीवाना था। उनका बड़ा अन्डाकार चेहरा, बड़ी बड़ी चूचियाँ, उनके भरे हुये भारी भारी से चूतड़, उनका गदराया हुआ भरा-पूरा सुडौल बदन हमेशा मेरे होश उड़ा देता था। आंटी को देखते ही मेरी काम पीपासा जागनें लगती थी। न चाह कर भी मैं उनकी ओर खींचा चला जाता था। मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि यह खिंचाव किसी भी तरह से सही नहीं है और मैं जितना हो सके उतना खुदको कंट्रोल करने की कोशिश करता था लेकिन मुझे कई बार ऐसा लगता था कि यह आग शायद उस तरफ भी वैसी ही लगी है और आंटी कह भले कुछ नहीं पातीं पर वो भी मुझे उतना ही पसंद करती है और वो भी शायद यही चाहतीं हैं। 

लेकिन अब बात थोड़ी अलग थी, अब मैं एक तो प्रिया से प्यार करने लगा था और दूसरे रिंकी को भी चोद रहा था… एक आंटी के लिए मैं अब तक का पाया कुछ भी खोना नहीं चाहता था। मैं अब भी असमंजस में था कि मुझे आंटी की तरफ हाथ आगे बढ़ाना चाहिए या नहीं… लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

थोड़ी देर के बाद आंटी ने करवट ली और सीधी हो गईं। अब जगह की थोड़ी सी किल्लत हो गई, मैंने एक तरकीब निकाली और अपने पैरों को मोड़कर पालथी मार ली और धीरे से आंटी के पैरों को उठा कर अपनी दोनों जांघों के बीच में रख लिया। यानि अब आंटी का पैर सीधा मेरे उस के ऊपर था और वो निश्चिन्त होकर सीधी लेटी हुईं थीं। आंटी ने कहा था कि उन्हें ट्रेन में नींद नहीं आती, लेकिन अभी जो मैं देख रहा था वो बिल्कुल अलग था। आंटी नींद में सो रही थीं। शायद थक चुकी थीं इस लिए सो गईं…

ट्रेन के हल्के झटकों की वजह से उनका पैर मेरे नटवरलाल को धीरे धीरे सहला रहा था। मैं चोदू इस स्पर्श से ही गरम होनें लगा था और मेरे शेर नें धीरे धीरे अपना सर उठाना शुरु कर दिया। मैं कोशिश कर रहा था कि अपने साहबजादे को काबू में कर सकूँ लेकिन लंड है कि मानता नहीं… नारी का स्पर्श और वो भी सीधे मर्द के लंड पर उसको नियंत्रणहीन कर ही देता है

मैं असहज हो गया था, इस बात को सोच कर कि कल ही मैंने उनकी दोनों राजकुमारियों का सील भंग किया था और आज मेरा लंड उनके लिए खड़ा हो गया था कहीं न कहीं मुझे आत्मग्लानि हो रही थी… लेकिन आप सब समझ सकते हो कि इस स्थिति में कहाँ कुछ समझ आता है। मेरे हाथ सहसा ही आंटी की टांगों पे चले गए और न चाहते हुए भी मैंने उनके पैरों को सहलाना शुरू कर दिया। आंटी कि साड़ी इतनी उठ चुकी थीं कि मेरे हाथ उनकी सुडौल पिंडलियों पर घूम रहे थे।

वो नर्म और चिकना एहसास मेरी तृष्णा को और भी भड़का रहा था, मैंने थोड़ा आगे खिसक कर अपने हाथों को आगे बढ़ाया। मैं अपने होश में नहीं रह गया था और बस वासना से वशीभूत होकर उनके घुटनों तक पहुँच गया। घुटनों के थोड़ा ऊपर मेरी उँगलियों ने उनकी जांघों का पहला स्पर्श किया और मेरे मुँह से एक हल्की सी सिसकारी निकल पड़ी। आगे खिसकने की वजह से आंटी के पैरों का दबाव मेरे लंड पे कुछ ज्यादा ही हो गया था और मेरे अकड़े हुए लंड ने उनके पैरों से जद्दोजहद शुरू कर दी थी। मन कर रहा था कि अपने हाथ बढ़ा कर उस जन्मभूमि का स्पर्श कर लूँ जहाँ से निकली उनकी बेटियों का अभी कल ही सूरापान किया था मैंने।

मैंने डरते डरते हाथ आगे बढ़ाये… गला सूख रहा था और नज़रें चारों तरफ देख रही थीं कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा

उँगलियाँ थोड़ा आगे खिसकीं और उनकी जांघों के ऊपरी हिस्से तक पहुँचने ही वाली थीं कि अचानक से ट्रेन रुक गई… कोई स्टेशन आया था शायद.. मैंने झट से अपने हाथ बाहर खींच लिया और सामान्य होकर बैठ गया। आंटी भी हिलने लगीं और उठ कर बैठने लगीं। मैं डर कर सोने का नाटक करने लगा। आंटी ने अपने पैर मेरे जांघों के बीच से निकला और बर्थ से उठ कर बाथरूम की तरफ बढ़ गईं। मैं अब भी वैसे ही बैठा था। मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ… मन में सवाल आ रहे थे कि क्या आंटी सब जान रही थीं… क्या वो जानबूझ कर ऐसे पड़ी थीं…??

खैर जो भी हो..ट्रेन चल पड़ी और दो मिनट के बाद आंटी वापस आ गईं। वापस आकर आंटी ने मुझे हिलाया, जगाया, “कितनी देर बैठा रहेगा, थोड़ा सा लेट जा वरना तबियत ख़राब हो जाएगी। चल तू अपना सर मेरी गोद में रख कर लेट जा.. और हाँ अपना ये गानों का डब्बा मुझे दे दे…मैं भी थोड़े गाने सुन लूं !” आंटी ने बड़े ही प्यार से मेरे हाथ पे सर फेरते हुए मुझे सीधा लेटने को कहा और खुद अपने पैरों को मोड़कर पालथी मार ली.

“नहीं आंटी, आप रहने दो गोद में सर रख कर मुझे नींद नहीं आएगी। मैं अपना सर इस तरफ़ कर लेता हूँ, आप बैठ जाओ।” मैंने बहाना बना कर मना कर दिया। हालाँकि मन तो मेरा भी कर रहा था कि मैं उनकी गोद में सर रख कर सो जाऊँ और उनकी चूत पर अपना सर रगड़ दूँ। लेकिन इस बात का भी डर था कि कहीं मेरा उतावलापन सब गड़बड़ न कर दे… अगर आंटी ने कोई बखेड़ा खड़ा कर दिया तो फिर इज्ज़त तो जाएगी ही साथ ही साथ प्रिया से भी दूर हो जाऊंगा… 

इस ख्याल से मैंने यही उचित समझा कि उन्हें दूसरी तरफ बिठा कर खुद एक तरफ होकर सो जाऊँ। और मैंने ऐसा ही किया, आंटी को बैठने दिया और फिर अपनी टांगों को उनकी तरफ करके लेट गया। आंटी ने पालथी मर रखी थी इसलिए मेरे पैर उनकी जांघों के नीचे दब गए थे। मुझे थोड़ी सी परेशानी होने लगी… अगर मेरे मन में प्रिया का ख्याल न होता तो शायद मैं जानबूझकर अपने पैरों को उनकी जांघों के नीचे दबा देता और उनकी नर्म मुलायम जांघों का मज़ा लेता… लेकिन मैं उस वक़्त हर तरह से खुद को उन भावनाओं से दूर रखने की कोशिश में लगा था।

मैंने अपने पैरों को थोड़ा सा हिलाकर ठीक करने की कोशिश की और इस कोशिश में आंटी को थोड़ा झटका लगा। आंटी ने अपने हाथों में पड़ा आईपॉड नीचे रखा और कम्बल को हटा कर मेरे पैरों को जबरदस्ती अपनी गोद में रख लिया। मैं भी बिना किसी बहस के अपने पैरों को वहीं रखकर लेटा रहा। आंटी ने फिर से कम्बल से खुद को और मेरे पैरों को अच्छे से ढक लिया और वापस से गानों की दुनिया में खो गई…

थोड़ी देर के बाद मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे आंटी अपनी कमर को हिला रही हैं जिससे मेरे पंजे उनके पेड़ू (योनि के ऊपर का हिस्सा) को दबा रहे है। मैं थोड़ी देर रुक कर यह जानने की कोशिश करने लगा कि यह जानबूझ कर किया जा रहा है या ट्रेन के चलने की वजह से ऐसा हो रहा है। मुझे कुछ भी समझ नहीं आया और मैं फिर से अपनी आँखें बंद करके लेटा रहा और ट्रेन के हिचकोले खाने लगा।

मेरे पंजे अब भी उस नर्म और गुदाज़ जगह का लुत्फ़ उठा रहे थे। लाख कोशिश के बावजूद मैं फिर से गरम होने लगा और मेरे ‘नवाब’ ने अपना सर उठाना शुरू कर दिया। लंड में तनाव आते ही मेरे पंजे अपने आप उस जगह को खोदने से लगे। मुझे एहसास हुआ कि आंटी की साड़ी उस जगह से अलग है जहाँ मेरे पंजे लगे थे और इसी कारण उनके मखमली चमड़े का सीधा सा स्पर्श मैं अपने तलवों पर महसूस कर रहा था।

थोड़ी देर में ऐसा लगा मानो आंटी उठने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन उनकी कोशिश इतनी शांत और स्थिर थी जैसे वो मुझे नींद से जगाना नहीं चाहती हों। उन्हें क्या पता था कि मैं तो जग ही रहा हूँ…

आंटी पूरी तरह नहीं उठीं, उन्होंने धीरे से मेरे पैरों को उठाकर आहिस्ते से बगल में रख दिया और फिर ऐसा लगा जैसे वो अपने हाथों से अपने पैरों को नीचे से ऊपर की तरफ खुजा रही हों…काफी देर से पैरों को मोड़कर बैठने की वजह से शायद उनके पैरों में झनझनाहट आ गई होगी। मैंने अपना ध्यान हटा लिया और आँखें बंद करके प्रिया की यादों में खो गया। तभी आंटी ने अपने पैर वापस से मोड़ लिए और पहले की तरह मेरे पैरों को उठा कर अपनी गोद में रख लिया।

आंटी की गोद में जैसे ही मेरे पैर पहुँचे, मेरे मुँह से सहसा ही निकल पड़ा ‘हे प्रभु….; ।

आंटी ने अपनी साड़ी को अपने पैरों से ऊपर कर लिया था और अपनी जांघों को नंगा करके मेरे पंजे वहां रख दिए थे। एक सुखदायी गर्माहट और कोमलता ने मुझे सिहरा दिया और मेरा बदन काँप सा गया… इस कंपकपी में मेरे पैरों की उंगलियाँ हरकत कर गईं और मेरे अंगूठे ने उस स्वर्गद्वार को छू लिया था जिसके बारे में मैं बस सिर्फ कल्पना ही करता था वो भी डरते डरते…

उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था और उनकी चूत बिल्कुल रोम विहीन थी.. इसके साथ ही मेरे अंगूठे को लसलसेपन और चिकनेपन का एहसास हुआ…

“हम्म्म्म…..!!” यह एक सिसकारी थी जो कि आंटी के मुँह से निकली थी। चलती ट्रेन के शोर में भी मैंने यह कसक भरी आवाज़ सुन ली…

मेरे अंगूठे ने उनके उस हिस्से को छू लिया था जिसके छूने पर बड़े से बड़ी पतिव्रताएं भी अपना संयम खो बैठती हैं और अपनी चूत में लंड डलवा लेती हैं… उनके दाने को मेरे अंगूठे ने रगड़ सा दिया था।
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का - by sexstories - 03-29-2019, 11:28 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,549,264 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,806 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,252,798 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 947,282 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,682,145 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,104,305 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,991,335 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,188,324 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,081,067 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,553 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)