Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
03-29-2019, 11:27 AM,
#33
RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
“हाँ आआ अन्न… मैं गई जान…मेरे चूत से कुछ निकल रहा है…हाँ…और तेज़ी से मारो…और पेलो… और पेलो… तेज़… तेज़…तेज़… चोदो… चोदो… और चोदो… आऐईईई… ओह्ह्ह्हह्ह.. माँ…मर गई…सोनूऊऊउ !” प्रिया बड़ी तेज़ी से अपनी गांड हिलती हुई झड़ गई और अपने हाथों को सीधा कर के बिस्तर पे पसर सी गई।

मैं अब भी उसे पेले जा रहा था… मैंने उसकी कमर को अपनी तरफ खींच कर ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा और मस्ती में मेरे मुँह से भी अनेकों अजीब अजीब आवाजें निकलने लगीं। मैं भी अपने फ़ाइनल दौर में था।

“ओह्ह्ह्ह… मेरी जान… और चुदवा लो… और चुदवा लो… तेरी चूत का दीवाना हूँ मैं… मेरा लंड अब कभी तुम्हारी चूत को नहीं छोड़ेगा… हाँ… और लो …और लो… मैं भी आ रहा हूँ… हम्म्म्म… ओह मेरी रानी… चुद ही गई तुम्हारी चूत…और लो…” मैं प्रिया को पूरी तरह अपने कब्जे में लेकर अपना लंड उसकी चूत में पेलता रहा और बड़बड़ाता रहा। 

प्रिया लम्बी लम्बी साँसें लेकर मेरा साथ दे रही थी और अपनी गांड को धकेल कर मेरे लंड से चिपका रही थी।

“ऊहह्ह्ह्ह… ह्म्म्म… ये लो मेरी जान…” मैं जोर से बकने लगा। मुझे यह ख्याल था कि मुझे अपनी धार अन्दर नहीं छोड़नी है वरना मुश्किल हो जाएगी।

मैंने झट से अपना लंड बाहर निकला और उसे अपने हाथों से तेज़ी से हिलाने लगा। प्रिया की चूत से जैसे ही लंड बाहर आया वो घूम गई और मुझे अपना लंड हिलाते हुए देख कर मेरे करीब आ गई और मेरा हाथ हटा कर उसने मेरे लंड को थाम लिया और एक चुदक्कड़ खिलाड़ी की तरह मेरे लंड की मुठ मारने लगी.. साथ ही साथ एक हाथ से मेरे अण्डों को भी दबाने लगी।

मेरा रुकना अब नामुमकिन था। प्रिया ने अपनी मुट्ठी को और भी मजबूती से जकड़ लिया और लंड को स्ट्रोक पे स्ट्रोक देने लगी।
“आआअह्ह… आअह्ह्ह…आअह्ह्ह… प्रिया मेरी जान… ह्म्म्म…आअह्ह्ह्ह !” एक तेज़ आवाज़ के साथ मेरे लंड से एक तेज़ धार निकली और मेरे लंड का गाढ़ा गाढ़ा सा रस प्रिया की चूचियों पर छलक गया। न जाने कितनी पिचकारियाँ मारी होंगी मैंने…मज़े में मेरी आँखें ही बंद हो गई थीं…

प्रिया अब भी लंड को हिला हिलाकर उसका एक एक बूँद निकाल रही थी और उसे अपने बदन पे फैला रही थी।

जब लंड से एक एक बूँद पानी बाहर आ गया तो मैं बिल्कुल कटे हुए पेड़ की तरह बिस्तर पे गिर पड़ा और लम्बी लम्बी साँसें लेने लगा। प्रिया भी मेरे ऊपर ही अपनी पीठ के बल लेट गई और आहें भरने लगी।

हम काफी देर तक वैसे ही पड़े रहे, फिर प्रिया धीरे से उठ कर बाथरूम में चली गई। मैं अब भी वैसे ही लेटा हुआ था।

जब प्रिया बाहर आई तो बिल्कुल नंगी थी और शायद उसने अपनी चूत को पानी से साफ़ कर लिया था। लेकिन वो मेरे पास आकर थोड़ी बेचैन सी दिखी तो मैं झट से उठ कर उसके पास गया और उसकी बेचैनी का कारण पूछने लगा।

तभी प्रिया ने शरमाते हुए बताया कि उसकी चूत पर पानी लगते ही बहुत ज़ोरों से जलन हो रही है। उसकी चूत के अन्दर तक जलन की तेज़ लहर सी उठ रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ कर ऊपर वाले बेड पे बिठा दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा।

अचानक से प्रिया की नज़र नीचे चादर पे गई जहाँ ढेर सारा खून गिरा पड़ा था। उसने चौंक कर मेरी तरफ देखा और अपना मुँह ऐसे बना लिया जैसे पता नहीं क्या हो गया हो।

मैं उसकी हालत समझ गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसकी आँखों में आँखें डाल कर उसे समझाने लगा- जान, डरो मत, यह तो हमारे प्रेम की निशानी है… ये तुम्हारे कली से फूल और आज से मेरी बीवी बनने का सबूत है।” मैंने उसे बड़े प्यार से कहा।

प्रिया ने मेरी बातें सुनकर अपना सार मेरे कंधे पे रख दिया और उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े।

“इतना प्यार करते हो मुझसे…” प्रिया ने बस इतना ही पूछा…लेकिन मैंने जवाब में बस उसके होठों को चूम लिया।

फिर मैंने अपने आलमारी से कोकोनट ऑइल निकाल कर उसे दी और कहा कि अपनी चूत में लगा लो, आराम आ जायेगा।

उसने मेरी तरफ देखा और अचानक से मेरे कान पकड़ कर बोली, “अच्छा जी, चूत तुम्हारी है और तुम्हारे ही लंड ने फाड़ी है…तो ये काम भी आप को ही करना होगा ना?”

मैं हंस पड़ा और बोला “हाँ जी, चूत तो मेरी ही है लेकिन उसे फाड़ा तो आपके लंड ने है…तो अपने लंड को कहो कि हमारी चूत में घुस कर दवा लगा दे !”

“ना बाबा ना…अगर इसे कहा तो ये दवा लगाने के बहानें फिर से शुरू हो जाएगा।” यह कहकर प्रिया ने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर मरोड़ दिया।

इतनी देर के बाद लंड अब ढीला पड़ चुका था लेकिन जैसे ही प्रिया ने उसे छुआ कमबख्त ने अपना सर उठाना चालू कर दिया। प्रिया यह देख कर हंसने लगी और मैं भी मुस्कुराने लगा। मैंने प्रिया को वहीं बिस्तर पर लिटा दिया और फिर अपनी उँगलियों पे कोकोनट ऑइल लेकर अच्छी तरह से उसकी चूत में लगा दिया और फिर आखिर में उसकी चूत को चूम लिया।

“हम्म्म्म…उफ्फ्फ सोनू ऐसा मत करो… वरना फिर से…” इतना कह कर प्रिया ने अपनी नजर नीचे कर ली और मुस्कुराने लगी।

मैं जल्दी जल्दी बिस्तर से नीचे उतरा और अपनी निक्कर और टी-शर्ट पहन ली और प्रिया के कपड़े उसे देते हुए कहा, “जान, जल्दी से कपड़े पहन लो काफी देर हो चुकी है। तुम्हारी मॉम तुम्हें ढूंढते हुए कहीं यहाँ आ जाये।”

मेरी बात सुनकर प्रिया हंसने लगी और अपने कपड़े मेरे हाथों से लेकर पहनने लगी। फिर मैंने जल्दी से नीचे पड़ी चादर को उठाया और उसे बाथरूम में रख दिया। प्रिया अपनी किताबें समेट रही थी। किताबें लेकर प्रिया दरवाज़े की तरफ बढ़ी लेकिन उसकी चाल में लड़खड़ाहट साफ़ दिख रही थी। हो भी क्यूँ ना…आखिर उसकी सील टूटी थी। मैं पीछे से यह देख कर मुस्कुराने लगा और मुझे दोपहर की रिंकी वाली बात याद आ गई।

सच पूछो तो मुझे अपनी किस्मत पर थोड़ा गर्व हो रहा था। एक ही दिन में दो दो चूतों की सील तोड़ने का मौका जो मिला था मुझे …

प्रिया ने पलट कर मुझे एक स्माइल दी और मेरी तरफ चुम्मी का इशारा करके दरवाज़े से बाहर निकल गई और सीढ़ियाँ चढ़ कर अपने घर में प्रवेश कर गई।

मैं दरवाज़े पे खड़ा उसे तब तक देखता रहा जब तक उसने दरवाज़ा बंद नहीं कर लिया और मेरी नज़रों से ओझल न हो गई। पता नहीं क्यूँ लेकिन दो दो कसी कुंवारी चूतों का शील भंग करने के बाद भी मुझे सिर्फ और सिर्फ प्रिया का ही ख्याल आ रहा था। शायद मुझे सच में प्रिया अच्छी लगने लगी थी। शायद मै उससे प्यार करनें लगा था। 

इसी ख्याल से खुश होकर मैं अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करके लाइट बंद किये बिना ही बिस्तर पे गिर कर आँखें बंद कर अभी अभी बीते पलों को याद करने लगा। अपने जीवन का अब तक का सबसे अच्छा वक़्त बिताकर मैं फूला नहीं समां रहा था। प्रिया के जाने के बाद मैंने भी अपने बिस्तर को थाम लिया और थक कर चूर होने की वजह से लेटते ही नींद के आगोश में समां गया। आँखे बंद होते ही मेरे जेहन में वो कामुक सिसकारियाँ गूंजने लगीं जो रिंकी और प्रिया के मुँह से निकलीं थीं। मेरे होंठों पे बरबस एक मुस्कान सी आ गई और मैं मुस्कुराता हुआ सो गया। 

दोनों बहनें बेमिसाल थीं। एक से बढ़ कर एक थीं। लेकिन दोनों में बहुत अन्तर था। बड़ी वासना की देवी थी और छोटी प्रेम की। जो मजा रिंकी को भोगनें में था वह मजा शायद प्रिया को भोगनें में नहीं था। रिंकी अपनीं जिन्दगी का हर कदम सोच समझ कर और नाप-तोल कर उठाती थी जबकि प्रिया में समर्पण था। रिंकी शरीर की भुख के हाथों मजबूर थी प्रिया दिल के हाथों बेबस थी। रिंकी मेरे साथ शायद सेक्स का आनन्द लूटना चाहती है जबकि प्रिया मुझसे शायद सच्चा प्यार करती है। आज मुझे पक्का भरोसा है कि राजेश ने अगर रिंकी के बजाय प्रिया पर डोरे डाले होते तो शायद प्रिया उसके झाँसे में कभी न आती। रिंकी को मेरे और प्रिया के रिश्ते के प्रति अन्दर ही अन्दर सौतिया डाह भले हो पर कोई एतराज नहीं था लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि अगर किसी दिन प्रिया के सामनें मेरे और रिंकी के रिश्ते का भाँण्डा फूटा तो तूफान आ जायेगा।
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RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का - by sexstories - 03-29-2019, 11:27 AM

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