RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
मेरी उलझन की सुलझन और प्रिया की कॉलेज रवानगी
मैंने राहत भरी सांस ली, मेरी उलझन दूर हो गई थी। मैं इस बात से खुश था कि मुझे डरने की कोई जरुरत नहीं है क्यूंकि अब रिंकी और मैं दोनों एक दूसरे का राज़ जान गए थे।
तभी प्रिया अपने कमरे से नहाकर बाहर आई और दरवाज़े के पास से ही मुझे आँख मार दी। आज उसके चेहरे पे एक अलग ही ख़ुशी झलक रही थी और आँखे चमक रही थीं। उसके बाल गीले थे और उनसे पानी की बूँदें टपक टपक कर उसके टॉप को भिगो रही थी।
क़यामत लग रही थी वो लाल रंग के टॉप और काले रंग की शलवार में! दिल में आया कि अभी जाकर उसको अपनी बाहों में ले लूँ और उसके होंठों को चूम लूँ। पर मैंने अपने जज्बातों पे काबू किया और चुपचाप उसे एक प्यारी सी स्माइल देकर नाश्ता करने लगा। अब तक सारे जने खाने की मेज पे आ गए थे और हम सब एक दूसरे से बातें करते हुए अपना अपना नाश्ता ख़त्म करने लगे। नाश्ते के बीच में हम सबने अपन अपना प्रोग्राम शेयर किया।
नेहा दीदी और आंटी अपने पहले से बनाये हुए प्लान के अनुसार थोड़ी देर में बाज़ार जा रही थीं, प्रिया अपने कॉलेज और रिंकी ने कहा कि वो अपनी सहेली के घर जाएगी कुछ काम से और थोड़ी देर में वापस आ जाएगी। मैंने यह बताया कि राजेश अभी थोड़ी देर में आएगा और हम दोनों को यूनिवर्सिटी की तरफ जाना है कुछ किताबें खरीदने के लिए। हम सब अपने अपने प्रोग्राम की तैयारी में लग गए। नेहा दीदी और आंटी सबसे पहले तैयार होकर बाज़ार के लिए निकलने लगीं। उनके जाने के बाद प्रिया नीचे उतर आई और मेरे कमरे में आकर मुझसे पीछे से लिपट गई। मैं अचानक से इस तरह से लिपटने से चौंक पड़ा पर जब प्रिया ने पीछे से मेरे गालों को चूमा तो मैं खुश हो गया और उसे अपनी तरफ मोड़ कर उसको जोर से अपनी बाहों में भर लिया।
उसने वही लाल टॉप पहना हुआ था, लेकिन नीचे शलवार की जगह डेनिम की एक स्कर्ट पहन ली थी। बालों को खुला छोड़ रखा था और होंठों पे सुर्ख लाल लिपस्टिक लगा ली थी। चेहरे पे हल्का सा मेकअप।
कुल मिलकर पूरी कामदेवी लग रही थी। चूचियों को ब्रा में कैद किया था उसने जिसकी वजह से उसकी चूचियाँ हिमालय की तरह खड़ी हो गईं थीं। जब उसे मैंने अपने सीने से लगाया तो उसकी प्यारी चूचियों ने मेरे सीने को प्यार भरा चुम्बन दिया और मुझे अन्दर तक सिहरन से भर दिया।
मैंने अपने हाथ बढ़ा कर उसकी चूचियों पे रखा और प्यार से सहला दिया। उसने मस्ती में आकर अपनी आँखें बंद कर लीं और लम्बी लम्बी साँसें भरने लगी।
मेरे दिमाग में यह ख्याल था कि उसे कॉलेज जाना है इसलिए मैंने उसकी चूचियों को दबाया नहीं वरना उसके टॉप पे निशान पड़ जाते और उसे शर्मिंदगी उठानी पड़ती। इस बात का एहसास उसे भी था और मेरी इस बात पे उसे प्यार आ गया और उसने एक बार फिर से अपने होंठों को मेरे होंठों पे रख दिया और लम्बा सा चुम्बन देकर मुझसे विदा लेकर निकल गई।
मैं उसे बाहर तक जाते हुए देखता रहा और हाथ हिलाकर उसे टाटा किया। मेरा मन बहुत खुश था, मैं अपनी किस्मत पे फख्र महसूस कर रहा था कि प्रिया जैसी चंचल और शोख हसीना मेरी बाहों में आ चुकी थी और वो मेरी छोटी छोटी बातों से मुझसे बहुत प्रभावित रहती थी।
प्रिया के जाने के बाद मैं अपने कमरे में बैठ कर अपने दोस्त राजेश का इंतज़ार करने लगा। मैं जानता था कि आज तो वो दुनिया की हर दीवार तोड़ कर जल्दी से जल्दी मेरे घर पहुँचेगा और अपनी अधूरी प्यास पूरी करेगा।
मैं मन ही मन कभी प्रिया कभी रिंकी के बारे में सोच सोच कर मुस्कुरा रहा था और कंप्यूटर पे अपनी मनपसंद साइट्स चेक कर रहा था। अभी थोड़ी देर ही बीता था कि मेरे मोबाइल पे राजेश की कॉल आई। मैंने उठाकर हेलो किया तो दूसरी तरफ से राजेश बोला।
"सोनू, मेरे भाई...एक हादसा हो गया है।"...राजेश ने हड़बड़ाते हुए कहा।
"क्या हुआ राजेश?"...मैंने भी हड़बड़ा कर पूछा।
"यार, मेरे मामा जी का एक्सीडेंट हो गया है और मुझे अभी तुरंत अपने मम्मी पापा के साथ आजमगढ़ जाना पड़ेगा। मैं आज नहीं आ सकूँगा। तू अकेले ही किताबें लेने चले जाना।" राजेश ने एक सांस में ही सब कुछ कह दिया।
उसकी आवाज़ में मुझे एक दर्द और चिंता का आभास हुआ। मैंने उसे हिम्मत देते हुए कहा,"कोई बात नहीं मेरे दोस्त, तू घबरा मत, मामा जी को कुछ नहीं होगा। तू आराम से जा और वहाँ पहुँच कर मुझे फिर से फोन करना।" मैंने इतना कहा और राजेश ने फ़ोन रख दिया। मैं थोड़ी देर के लिए उसके मामा जी के बारे में सोचने लगा और भगवान् से प्रार्थना करने लगा की सब कुछ अच्छा हो।
अपनी इसी सोच में बैठे बैठे थोड़ी देर के बाद मुझे एक आहट सुनाई दी। मैंने नजर उठा कर देखा तो रिंकी मुस्कराते हुये हुए मेरी तरफ देख रही थी। वो अभी अभी सीढ़ियाँ चढ़ कर मेरे कमरे के सामने पहुँची थी। उसने सफ़ेद रंग का सलवार सूट पहना हुआ था और लाल रंग का दुपट्टा लिया हुआ था। बिल्कुल अप्सरा लग रही थी। मैंने नज़र भर कर उसकी ओर देखा और एक ठण्डी आह भरी।
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