RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
राजेश ने अब अपने हाथो को रिंकी के हाथों से छुड़ाया और अपनी दो उँगलियों से चूत के होठों को फैलाया और देखने लगा। बिल्कुल गुलाबी और रस से सराबोर चूत की छोटी सी गली को देखकर राजेश भी अपना आप खो बैठा और अपनी पूरी जीभ अंदर डाल कर उसकी जीभ चुदाई चालू कर दी। ऐसा लग रहा था मानो राजेश की जीभ कोई लंड हो और वो एक कुंवारी कमसिन चूत को चोद रही हो।
"ह्म्म्म्म...ओह राजेश, यह क्या हो रहा है मुझे...??? ऊउम्म... छोड़ो मुझे, प्लीज़ मुझे छोड़ दो, अब बस, अब और नहीं प्लीज़ । अब बस करो प्लीज़...... अब बस, राजेश अब रूक जाओ" रिंकी के पाँव अचानक से तेजी से कांपने लगे और उसका बदन अकड़ने लगा।
मैं समझ गया कि अब रिंकी की चूत का पानी छूटने वाला है।
"आःह्ह्ह...आआह्ह्ह...आःह्ह्ह...ऊम्म्म्म.... अब बस……अब बस……..अब बस करो प्लीज़...आऐईईई... उई" और रिंकी ने अपना पानी छोड़ दिया और पसीने से लथपथ हो गई। उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो उसने कई कोस की दौड़ लगाई हो।
राजेश अब भी उसकी चूत चाट रहा था। इन सबके बीच मेरी हालत अब बर्दाश्त करने की नहीं रही और इस लाइव ब्लू फिल्म को देखकर मेरा लावा बाहर निकल पड़ा।
"आःह्ह्ह्ह्ह...उम्म्म...” एक जोर की सिसकारी मेरे मुँह से बाहर निकली और मेरे लंड ने ढेर सारा लावा निकाल दिया।
मेरी आवाज़ ने उन दोनों को चौंका दिया और दोनों बिल्कुल रुक से गए। रिंकी ने तुरंत अपना शर्ट नीचे करके अपनी चूचियों को ढका और अपनी स्कर्ट नीचे कर ली। राजेश इधर उधर देखने लगा और यह जानने की कोशिश करने लगा कि वो आवाज़ कहाँ से आई।
मुझे अपने ऊपर गुस्सा आया लेकिन मैं मजबूर था, आप ही बताइए दोस्तो, अगर आपके सामने इतनी खूबसूरत लड़की अपनी चूचियों को बाहर निकाल कर अपनी स्कर्ट उठाये और अपनी चूत चटवाए तो आप कैसे बर्दास्त करेंगे। मैंने भी जानबूझ कर कुछ नहीं किया था, सब अपने आप हो गया। मै कुछ पीछे हट कर छुप गया।
रिंकी थोड़ी डर सी गई, दौड़ कर और रसोई की बगल वाले बाथरूम में चली गई और बाथरूम में घुसकर अपनी साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी। राजेश भी तड़पता हुआ उसके पीछे दौड़ा। फिर मैंने देखा कि राजेश कलाईयों से उसका हाथ पकड़ कर करीब करीब खींचते हुये उसे बाहर ले आ रहा था।
एक बार फिर से उसने रिंकी को अपनी बाहों में भर लिया। रिंकी अब भी उस खुमार से बाहर नहीं आई थी। वो भी राजेश से लिपट गई। मैं अब तक थोड़ा सामान्य हो चुका था लेकिन आगे का दृश्य देखने की उत्तेजना में मेरा लंड सोने का नाम ही नहीं ले रहा था।
"नहीं राजेश, प्लीज़ अब तुम चले जाओ। शायद सोनू हमें छुप कर देख रहा था। मुझे बहुत शर्म आ रही है। हाय राम, वो क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में!”
“ऊईईई... छोड़ो ना... !!" रिंकी ने राजेश की बाहों में कसमसाते हुये कहा। रिंकी का काम तो पूरा हो चुका था लेकिन राजेश का अभी बाकी था और मै जानता था कि राजेश उसे इस तरह छोड़नें वाला नहीं है।
“अरे मेरी जान, मैंने तो पहले ही तुम्हे बताया था कि हमारे मिलन का इन्तेजाम सोनू ने ही किया है, लेकिन वो नीचे अपने कमरे में है...। अब तुम मुझे और मत तड़पाओ" राजेश ने याचना भरी आवाज़ में रिंकी से कहा।
"ओह्ह्ह्ह...राजेश, अब तुम्हे जाना चाहिए...उम्म्मम...बस करो...आऐईई…उई!!!!" रिंकी की एक मदहोश करने वाली सिसकारी सुनाई दी और मैंने फिर से अपनी नजरें उन दोनों पर गड़ा ली थीं । मेरा एक हाथ लंड पर ही था।
राजेश ने फिर से रिंकी की चूचियों को बाहर निकाल रखा था और उन्हें अपने मुँह में भर कर चूस रहा था। राजेश ने अपना एक हाथ रिंकी की चूचियों से हटाया और अपने पैंट के बटन खोलने लगा। उसने अपने पैंट को ढीला कर के अपने लंड को बाहर निकाल लिया। बाथरूम की हल्की रोशनी में उसका काला लंड बहुत ही खूंखार लग रहा था। राजेश ने अपने हाथों से रिंकी का एक हाथ पकड़ा और उसे सीधा अपने लंड पर रख दिया। जैसे ही रिंकी का हाथ राजेश के लंड पर पड़ा उसकी आँखें खुल गईं और उसने अपनी गर्दन नीचे करके यह देखने की कोशिश की कि आखिर वो चीज़ थी क्या।
"हाय राम..." बस इतना ही कह पाई वो और आँखों को और फैला कर लंड को देखा और उस पर से इस तरह अपना हाथ हटा लिया जैसे उसके हाथों में बिजली की करन्ट लग गई हो ।
राजेश पिछले एक घंटे से उसके खूबसूरत बदन को भोग रहा था इस वजह से उसका लंड अपनी चरम सीमा पर था और अकड़ कर लोहे की सलाख के जैसा हो गया था।
राजेश ने एक बार फिर से रिंकी का एक हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रख दिया। राजेश ने रिंकी की तरफ देखा और उसकी आँखों में देखकर उसे कुछ इशारों में कहा और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर आगे पीछे करने लगा। रिंकी को उसने अपने लंड को सहलाने का तरीका बताया और फिर वापस अपने हाथों को उसकी चूचियों पर ले जाकर उनसे खेलने लगा।
रिंकी के लिए यह बिल्कुल नया अनुभव था, उसने राजेश के लंड को ऐसे पकड़ रखा था जैसे उसे कोई बिलकुल अजीब सा नया नया खिलौना मिल गया हो और उसके हाथ अब तेजी से आगे-पीछे होने लगे।
राजेश ने अब रिंकी की चूचियों को छोड़ दिया और उत्तेजना में अपने मुँह से आवाजें निकलने लगा, "हाँ मेरी जान, ऐसे ही करती रहो... मेरे लंड को खुशी से पागल कर दो...और हिलाओ... और जोर से हिलाओ... बस हिलाती जाओ”।
“हम्मम...ऊम्म्म्म"
रिंकी ने अचानक अपने घुटनों को मोड़ा और नीचे बैठ गई। नीचे बैठने से राजेश का लंड अब रिंकी के मुँह के बिलकुल सामने था और उसने लंड को हिलाना छोड़ कर उसे ठीक तरीके से देखने लगी। शायद रिंकी का पहला मौका था किसी जवान लंड को देखने का।
रिंकी ने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करना शुरू किया और एक हाथ से राजेश के लटक रहे दोनों अण्डों को पकड़ लिया। अण्डों को अपने हाथों में लेकर दबा दबा कर देखने लगी। रिंकी का हाथ राजेश के लंड को जन्नत का मज़ा दे रहा था, उसने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी।
"हाँ रिंकी...मेरी जान...उम्म्मम...ऐसे ही, ऐसे ही करो, बस करती जाओ ...बस अब मैं रिसनें ही वाला हूँ...उम्म्म."
राजेश अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया था और किसी भी वक्त अपने लंड की धार छोड़ने वाला था। राजेश का बदन पूरी तरह से तन गया था।
"ओह्ह्ह्ह...ह्हान्न्न...बस... म्म् म्म् मैं गया, ओह मैं, मैं गया..."
रिंकी अपने नशे में थी और मज़े से उसका लंड पूरी रफ़्तार से हिला रही थी। रिंकी की साँसें बहुत तेज़ थीं और उसकी खुली हुई चूचियाँ हाथों की थिरकन के साथ-साथ हिल रहीं थीं।
मेरा हाल फिर से वैसा ही हो चुका था जैसा थोड़ी देर पहले हुआ था। मेरा लंड भी अपनी चरमसीमा पर था और कभी भी अपनी प्रेम रस की धार छोड़ सकता था। मैं इस बार के लिए पहले से तैयार था और अपने मुँह को अच्छी तरह से बंद कर रखा था ताकि फिर से मेरी आवाज़ न निकल जाए।
"आआअह्ह्ह...हाँऽऽऽऽ ऊउम्म्म्म... हाँऽऽऽ..." इतना कहते ही राजेश ने अपने लंड से एक गाढ़ा और ढेर सारा लावा सीधा रिंकी के मुँह पर छोड़ दिया।
रिंकी इस अप्रत्याशित पल से बिल्कुल अनजान थी और जैसे ही उसके मुँह के ऊपर राजेश का लावा गिरा, अपनें आप उसकी आँखें बंद हो गईं लेकिन उसने लंड को नहीं छोड़ा और उसे हिलाती रही।
लगभग तीन बार राजेश के लंड ने लावा छोड़ा और रिंकी के गुलाबी गालों और उसके मस्त मस्त होठों को अपने वीर्य से सराबोर दिया।
जब राजेश का लंड थोड़ा शांत हुआ तब रिंकी अपनी आँखें ऊपर करके राजेश को देखने लगी। फिर दोनों खड़े हो कर फिर से बाथरूम में चले गये। रिंकी दूसरी तरफ करके अपन मुँह धो रही थी और राजेश पीछे से शायद उसकी चूचियाँ दबा रहा था। उनके दुबारा बाथरूम में जाते ही मैं बेडरूम से निकल कर सीढ़ियों पर आ गया और वहाँ से छिप कर उनको देखने लगा।
"अब हटो भी... सोनू कहीं हमें ढूंढता ढूंढता ऊपर न आ जाये। तुम जल्दी से नीचे जाओ मैं चाय लेकर आती हूँ।" रिंकी ने राजेश को खुद से अलग किया और अपने टॉप को नीचे करके अपनी ब्रा का हुक लगाया और अपनी पैंटी को भी अपने पैरों में डाल कर अपने बाल ठीक किये।
"रिंकी, मेरी जान...अब यह सुख दुबारा कब मिलेगा??" राजेश ने वापस रिंकी को अपनी बाहों में भरने की कोशिश करते हुए पूछा और उसे चूम लिया। ।
"पता नहीं, आगे की आगे सोचेंगे...जब हम यहाँ तक पहुँचे हैं तो आगे भी कभी न कभी पहुँच ही जायेंगे..." उसने राजेश की बात का उत्तर देते हुये कहा।
मैं रिंकी का यह जवाब सुनकर मैं सोच में पड़ गया कि हो न हो, रिंकी ने इन पलों का शायद बहुत मज़ा लिया था और वो आगे भी बढ़ना चाहती है... यानि अगली बार वो लंड अंदर लेने के लिए भी पूरी तरह से तैयार थी। सच कहते हैं लोग...औरत अपने चेहरे के भावों को अच्छी तरह से मैनेज करने में हम मर्दों से बहुत ज्यादा सक्षम होती है।
रिंकी ने अपने चेहरे से कभी यह महसूस नहीं होने दिया था कि वो अन्दर से इतनी गरम और इतनी सेक्सी हो सकती है। मैं तो यह सब देख कर दंग रह गया था और मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मैंने अभी अभी एक मस्त ब्लू फिल्म देखी हो।
खैर मैंने जल्दी से अपने आप को सम्भाला और सीधा नीचे भागा। मैं इतनी तेजी से नीचे भागा कि एक बार तो मेरे पैर फिसलते–फिसलते रह गए। मैं सीधा अपने बिस्तर पर गया और लेट गया, मैंने अपने हाथों में एक किताब ले ली और ऐसा नाटक करने लगा जैसे मैं कुछ बहुत जरुरी चीज़ पढ़ रहा हूँ।
राजेश दौड़ कर नीचे आया और सीधा मेरे कमरे में घुस गया। उसने मेरी तरफ देखा और सीधा मुझसे लिपट गया। लिपटे-लिपटे ही उसने मेरे कानों में थैंक्स कहा और यह पूछा कि कहीं वो मैं ही तो नहीं था जिसकी आवाज़ ऊपर आई थी।
अनजान और नासमझ बनते हुये मैं खुद ही राजेश पूछने लगा कि क्या हुआ...?
राजेश ने कहा कुछ नहीं और वापस जाकर सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया जहाँ वो पहले बैठा था। उसके चेहरे पर एक अजीब सी विजयी मुस्कान थी। मैं भी अपने दोस्त की खुशी में बहुत खुश था। रिंकी के पैरो की आहट ने हमें सावधान किया और हम चुप होकर बैठ गए और रिंकी अपने हाथों में चाय की प्यालियाँ लेकर कमरे में दाखिल हुई।
रिंकी बिल्कुल सामान्य थी और ऐसा लग रहा था मानो कुछ हुआ ही नहीं था। वो अपने चेहरे पर वापस अपनी वही रोज वाली मुस्कान के साथ मेरी तरफ बढ़ी और मुझे चाय देने लगी। मैंने उसकी आँखों में देखा और वापस चाय की तरफ ध्यान देते हुए एक हल्की सी मुस्कान दे दी जो मैं हमेशा ही देता था।
उसने राजेश को भी चाय दी और अपनी चाय लेने के लिए वापिस मुड़ी। रिंकी जैसे ही मुड़ी, उसके विशाल नितंबों ने मेरा मुँह खोल दिया। आज मैंने पहली बार रिंकी को इस तरह देखा था। उसके मोटे और गोल विशाल कूल्हों को मैं देखता ही रह गया।
मेरी इस हरकत पर राजेश की नज़र चली गई और वो मेरी तरफ देखने लगा...रिंकी के जाते ही राजेश ने मुझसे दोबारा वही सवाल किया," सोनू, मैं जानता हूँ मेरे भाई कि वहाँ ऊपर तू ही था, तू ही था न?" मैंने राजेश के आँखों में देखा और धीरे से आँख मार दी।
"साले...मुझे पता था..." राजेश बोलकर हंस पड़ा और मुझे भी हंसी आ गई...
हम दोनों ने एक दूसरे को गले से लगा लिया और जोर से हंसने लगे...तभी रिंकी हमारे सामने आ गई अपने हाथों में चाय का कप लेकर और हमें शक भरी निगाहों से देखने लगी। अब तक तो रिंकी को यह नहीं पता था कि मैंने सब कुछ देख लिया था लेकिन हमें इतना खुश देखकर उसे थोड़ी थोड़ी भनक जरूर आ रही थी कि हो न हो यह मेरी ही आवाज़ थी जो ऊपर सुनाई दी थी...
इस बात का एहसास होते ही रिंकी का चेहरा शर्म से इतना लाल हो गया कि बस पूछो मत। इतना तो वो उस वक्त भी नहीं शरमाई थी जब राजेश ने उसकी चूत को अपने जीभ से चोदा था...
रिंकी की नज़र अचानक मुझसे लड़ गई और वो शरमाकर वापस जाने लगी...
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