RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
दीदी और आंटी का शॉपिंग को जाना और राजेश और रिंकी की मुलाकात
अचानक मुझे राजेश और रिंकी की मुलाकात की बात याद आ गई, मैंने राजेश को कह तो दिया था कि मैं इन्तजाम कर लूँगा लेकिन अब मुझे सच में कोई उपाय नज़र नहीं आ रहा था।
अब जब कि मै वापस अपने आपे में लौटने लगा तो तभी मेरे दिमाग में बिजली कौंधी और मुझे एक ख्याल आया। मैंने फिर से अपने आप को अपने बिस्तर पर गिरा लिया और अपने कोचिंग इन्सटिट्यूट में भी फोन करके कह दिया कि मैं आज नहीं आ सकता। मैं वापस बिस्तर पर इस तरह गिर गया जैसे मुझे बहुत तकलीफ हो रही हो। थोड़ी ही देर में मेरी दीदी मेरे कमरे में आई। उसने मुझे बिस्तर पर देखा तो घबरा गई और पूछने लगी कि मुझे क्या हुआ। मैंने बहाना बना दिया कि मेरे सर में बहुत दर्द है इसलिए मैं आराम करना चाहता हूँ।
दीदी मेरी हालत देखकर थोड़ा परेशान हो गई। असल में आज मुझे दीदी को शॉपिंग के लिए लेकर जाना था लेकिन अब शायद उनका यह प्रोग्राम खराब होने वाला था। दीदी मेरे कमरे से निकल कर सीधे आंटी के पास गई और उनको मेरे बारे में बताया। आंटी और सारे लोग मेरे कमरे में आ गए और ऐसे करने लगे जैसे मुझे कोई बहुत बड़ी तकलीफ हो रही हो।
उन लोगों का प्यार और उनकी इतनी परवाह देखकर मुझे अपने झूठ बोलने पर बुरा भी लग रहा था लेकिन कुछ किया नहीं जा सकता था। दीदी को उदास देखकर आंटी ने उनको हौंसला दिया और कहा कि सब ठीक हो जायेगा, तुम चिंता मत करो।
दीदी ने उन्हें बताया कि आज मुझे उनके साथ शोपिंग के लिए जाना था लेकिन अब वो शॉपिंग के लिए नहीं जा सकेगी। मैंने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की और मांगने लगा कि आंटी दीदी के साथ शॉपिंग के लिए चली जायें। भगवान ने मेरी सुन ली। आंटी ने दीदी को कहा कि उन्हें भी काफी कुछ खरीदारी करनी है तो वो भी उनके साथ में चलेंगी। जाते जाते आंटी ने रिंकी को कालेज जाने से मना कर दिया और मेरा ख्याल रखने के लिए कह दिया। रिंकी ने भी कहा कि वो नहा कर उपर ही आ जायेगी और अगर मुझे कुछ जरुरत हुई तो वो ख्याल रखेगी। अब दीदी और मेरे दोनों के चेहरे पर मुस्कान खिल गई। दीदी क्यूँ खुश थी ये तो आप समझ ही सकते हैं लेकिन मैं सबसे ज्यादा खुश था क्यूंकि दीदी और आंटी के जाने से घर में सिर्फ मैं और रिंकी ही बचते थे। प्रिया तो पहले ही कालेज जा चुकी थी।
करीब एक घंटे के बाद दीदी और आंटी शॉपिंग के लिए निकल गईं। मैं खुश हो गया और राजेश को फोन करके सारी बात बता दी। दीदी और आंटी को गए हुए आधा घंटा हुआ था कि राजेश मेरे घर आ गया और हम दोनों ने एक दूसरे को देखकर आँख मारी।
“सोनू मेरे भाई, तेरी दोस्ती का यह एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूलूँगा।” राजेश बहुत भावुक हो गया और उसनें फिर से वही कल शाम वाली बात दोहरा दी।
“अबे यार, मैंने पहले भी कहा था न कि दोस्ती में एहसान नहीं होता। और रही बात आगे की तो ऐसे कई मौके आयेंगे जब तुझे मेरी हेल्प करनी पड़ेगी।” मैंने मुस्कुरा कर कहा।
“तू जो कहे मेरे भाई!” राजेश ने उछल कर कहा।
राजेश की बेसब्री पर मुझे आश्चर्य हो रहा था, किसी और लड़की के लिये इतना आतुर उसे आज से पहले मैनें और कभी नहीं देखा था। इसका कारण शायद रिंकी की बला की खुबसूरती थी और उसका जादू राजेश के सर चढ़ कर बोल रहा था। ऐसा लगता था जैसे शिकारी आज खुद शिकार बन गया है।
हम बैठ कर इधर उधर की बातें करने लगे लेकिन राजेश की नजरें तो कहीं और थीं, तभी हम दोनों को किसी के सीढ़ियाँ चढ़ने की आवाज़ सुनाई दी। हम समझ गए कि यह रिंकी ही है। मैं जल्दी से वापस बिस्तर पर लेट गया और राजेश मेरे बिस्तर के पास कुर्सी लेकर बैठ गया।
रिंकी अचानक कमरे में घुसी और वहाँ राजेश को देखकर चौंक गई। वो अभी अभी नहाकर आई थी और उसके बाल भीगे हुए थे। रिंकी के बाल बहुत लंबे थे और लंबे बालों वाली लड़कियाँ और औरतें मुझे हमेशा से आकर्षित करती हैं। उसने एक झीना सा टॉप पहन रखा था जिसके अंदर से उसकी काली ब्रा नज़र आ रही थी जिनमें उसने अपने गोल और उन्नत उभारों को छुपा रखा था। मेरी नज़र तो वहीं टिक सी गई थी लेकिन फिर मुझे राजेश के होने का एहसास हुआ और मैंने अपनी नज़रें उसके उभारों से हटा दी।
रिंकी थोड़ा सामान्य होकर मेरे पास पहुँची और मेरे माथे पर अपना हाथ रखा और मेरी तबीयत देखने लगी। उसके नर्म और मुलायम हाथ जब मेरे माथे पर आये तो मैं सच में गर्म हो गया और उसके बदन से आ रही खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया था। अगर थोड़ा देर और उसका हाथ मेरे सर पर होता तो मुझे सच में बुखार आ जाता। मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया और उसे बैठने को कहा।
रिंकी ने एक कुर्सी खींची और मेरे सिरहाने बैठ गई। राजेश ठीक मेरे सामने था और रिंकी मेरे पीछे इसलिए मैं उसे देख नहीं पा रहा था। मैंने ध्यान से राजेश की आँखों में देखा और यह पाया कि उसकी आँखें चमक रही थीं और वो आँखों ही आँखों में इशारे कर रहा था, शायद रिंकी भी उसकी तरफ इशारे कर रही थी। राजेश बीच बीच में मुझे देख कर मुस्कुरा भी रहा था और तभी मैंने उसकी आँखों में एक आग्रह देखा जैसे वो मुझ से यह कह रहा हो कि हमें अकेला छोड़ दो।
उसकी तड़प मैं समझ सकता था, मैंने अपने बिस्तर से उठने की कोशिश की तो राजेश भाग कर मेरे पास आया और मुझे सहारा देने लगा। हम दोनों ही बढ़िया एक्टिंग कर रहे थे।
मैंने धीरे से अपने पाँव बिस्तर से नीचे किये और उठ कर बाथरूम की तरफ चल पड़ा, “तुम लोग बैठ कर बातें करो, मैं अभी आता हूँ।” इतना कह कर मैं अपने बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचा और धीरे से पलट कर राजेश को आँख मारी। राजेश ने एक कुटिल मुस्कान के साथ मुझे वापस आँख मारी। मैं बाथरूम में घुस गया और उन दोनों को मौका दे दिया अकेले रहने का।
मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और कमोड पर बैठ गया। पाँच मिनट ही हुए थे कि मुझे रिंकी की सिसकारी सुनाई दी। मेरा दिमाग झन्ना उठा। मैं जल्दी से बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचा और दरवाजे के उपरी हिस्से में लगे काँच के लोअर में से कमरे में देखने की कोशिश करने लगा।
“हे भगवान !!” मेरे मुँह से निकल पड़ा। मैंने जब ठीक से अपनी आँखें कमरे में दौड़ाई तो मेरे होश उड़ गए। राजेश ने रिंकी को अपनी बाहों में भर रखा था और दोनों एक दूसरे को इस तरह चूम रहे थे जैसे बरसों के बिछड़े हुए प्रेमी मिले हों। मेरी आँखे फटी रह गईं। मैंने चुपचाप अपना कार्यक्रम जारी रखा और उन दोनो ने अपना।
राजेश ने रिंकी को अपने आगोश में बिल्कुल जकड़ लिया था। उन दोनों के बीच से हवा के गुजरने की भी जगह नहीं बची थी। रिंकी की पीठ मेरी तरफ थी और राजेश उसके सामने की तरफ। दोनों एक दूसरे के बदन को अपने अपने हाथों से सहला रहे थे।
तभी दोनों धीरे धीरे मेरे बिस्तर की तरफ बढ़े और एक दूसरे की बाहों में ही बिस्तर पर लेट गए। दोनों एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे। उनके बिस्तर पर जाने से मुझे देखने में आसानी हो गई थी क्यूंकि बिस्तर ठीक मेरे बाथरूम के सामने था।
राजेश ने धीरे धीरे रिंकी के सर पर हाथ फेरा और उसके लंबे लंबे बालों को उसके गर्दन से हटाया और उसके गर्दन के पिछले हिस्से पर चूमने लगा। रिंकी की हालत खराब हो रही थी, इसका पता उसके पैरों को देख कर लगा, उसके पैर उत्तेजना में काँप रहे थे। रिंकी अपने हाथों से राजेश के बालों में उँगलियाँ फेरने लगी। राजेश धीरे धीरे उसके गले पर चूमते हुए गर्दन के नीचे बढ़ने लगा। मज़े वो दोनों ले रहे थे और यहाँ मेरा हाल बुरा था। उन दोनों की रासलीला देख देख कर मेरा हाथ न जाने कब मेरे पैंट के ऊपर से मेरे पप्पू पर चला गया पता ही नहीं चला। मेरे पप्पू ने अपना फन फैला कर फूफकारें मारना शुरू कर दिया था और इतना अकड़ गया था मानो अभी बाहर आ जायेगा। मैंने उसे सहलाना शुरू कर दिया।
उधर राजेश और रिंकी अपने काम में लगे हुए थे। राजेश का हाथ अब नीचे की तरफ बढ़ने लगा था और रिंकी के झीने से टॉप के ऊपर उसकी गोल बड़ी बड़ी चूचियों तक पहुँच गया। जैसे ही राजेश ने अपनी हथेली को उसकी चूचियों पर रखा, रिंकी में मुँह से एक जोर की सिसकारी निकली और उसने झट से राजेश का हाथ पकड़ लिया। दोनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा और फ़ुसफ़ुसा कर कुछ बातें की। दोनों अचानक उठ गए और अपनी अपनी कुर्सी पर बैठ गए।
मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि अचानक उन दोनों ने यह सब रोक क्यों दिया। कितनी अच्छी फिल्म चल रही थी और मेरा लावा भी निकलने ही वाला था।
“खड़े लंड पर धोखा!” मेरे मुँह से निकल पड़ा।
मैं थोड़ी देर में बाथरूम से निकल पड़ा और राजेश की तरफ देखकर आँखों ही आँखों में पूछा कि क्या हुआ।
उसने मायूस होकर मेरी तरफ देखा और यह बोलने की कोशिश की कि शायद मेरी मौजूदगी में आगे कुछ नहीं हो सकता था। मैं समझ गया और खुद भी मायूस हो गया।
मैं वापस अपने बिस्तर पर आ गया और इधर उधर की बातें होने लगी। तभी मैंने रिंकी की तरफ देखा और कहा, “रिंकी, अगर तुम्हें तकलीफ न हो तो क्या हमें चाय मिल सकती है?”
“क्यूँ नहीं, इसमें तकलीफ की क्या बात है। आप लोग बैठो, मैं अभी चाय बनाकर लती हूँ।” इतना कह कर रिंकी ऊपर चली गई और चाय बनाने लगी। जैसे ही रिंकी गई, मैंने उठ कर राजेश को गले से लगाया और उसे बधाई देने लगा। राजेश ने भी मुझे गले से लगाकर मुझे धन्यवाद दिया और फिर से मायूस सा चेहरा बना लिया।
“क्या हुआ साले, ऐसा मुँह क्यूँ बना लिया?”
"कुछ नहीं यार, बस खड़े लंड पर धोखा।” उसने कहा और हमने एक दूसरी की आँखों में देखा और हम दोनों के मुँह से हंसी छूट गई।
“अरे नासमझ, तू बिल्कुल बुद्धू ही रहेगा। मैंने तेरी तड़प देख ली थी इसीलिए तो रिंकी को ऊपर भेज दिया। आज घर में कोई नहीं है, तू जल्दी से ऊपर जा और मज़े ले ले।” मैंने आँख मारते हुए कहा।
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