RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
कथा आरम्भ - चुलबुली और मादक प्रिया
रात के खाने का वक्त हो चला था सो थोड़ी देर में प्रिया आई और मुझे उठाया और बोली “ सोनू भैया, चलो माँ बुला रही है खाने के लिए!”
मैंने अपनी आँखें खोली और सामने प्रिया को मीनी येलो स्कीन टाइट शाँर्टस और छोटे ढ़ीले ढ़ाले खुले गले के पतले पिंक टाँप में देखकर मै अचानक से हड़बड़ा गया और फिर से बिस्तर पर गिर पड़ा।
“सम्भल कर भैया, आप तो ऐसे कर रहे हो जैसे कोई भूत देख लिया हो। जल्दी चलो, सब लोग आपका इंतज़ार कर रहे हैं खाने पर!” इतना बोल प्रिया दौड़ कर वापिस चली गई।
मैं देख रहा था कि जैसै जैसै दिन गुजरते जा रहे थे प्रिया के घर पर पहनें जाने वाले कपड़े तंग, छोटे, भड़कीले और उत्तेजक होते जा रहे थे। यूँ तो प्रिया को घर पर पिछले दो तीन महीनों से मैं रोज ही तंग कपड़ो में देख रहा था लेकिन आज उसने कपड़े रोज के मुकाबले कुछ ज्यादा ही तंग भड़काऊ और उत्तेजक पहन रखे थे। अचानक मेरी नज़र उसकी गोरी गोरी नंगी जांघो और उसके छोटे छोटे अनारों पर पड़ गई थी और झीने से टॉप के अंदर से मुस्कुराते हुए उसके टकोरों को देखने के बाद से तो अनचाहे ही मेरा मन बेकाबू हुआ जा रहा था। फिर अचानक ही मेरे मुरलीधर ने सलामी दे दी, यानि कि मेरा वो एकदम से खड़ा हो गया। प्रिया को देख कर आज ऐसा पहली बार हआ था। मुझे अजीब सा लगा, लेकिन फिर यह सोचने लगा कि शायद रिंकी और राजेश के बारे में कल्पना कर मेरी हालत ऐसी हो रही थी कि मैं प्रिया को देखकर भी अनायास उत्तेजित हो रहा था।
खैर, मैंने अपने पप्पू को अपने हाथ से मसला और उसे शांत रहने की हिदायत दी। फिर मैंने हाथ-मुँह धोए और उपरी मंजिल पर पहुँच गया जहाँ सब लोग खाने की मेज पर बैठे मेरा इन्तजार कर रहे थे।
सब लोग पहले से ही खाने की टेबल पर बैठे थे और मैं भी जाकर प्रिया की बगल वाली कुर्सी पर बैठ गया, मेरे ठीक सामने वाली कुर्सी पर रिंकी बैठी थी। आज पहली बार मैंने उसे गौर से देखा और उसके बदन का मुआयना करने लगा। उसने लाल रंग का एक पतला सा टॉप पहना था और अपने बालों का जूड़ा बना रखा था। सच कहूँ तो उसकी तरफ देखता ही रहा मैं। उसके सुन्दर से चेहरे से मेरी नज़र ही नहीं हट रही थी। उसकी तनी हुई बड़ी बड़ी गोल गोल चूचियों की तरफ जब मेरी नज़र गई तो मेरे गले से खाना ही नीचे नहीं उतर रहा था। इतने दिनों मे आज यह पहली बार था कि इन दोनों बहनों ने मेरे मन में तुफान मचा दिया था।
इन सबके बीच मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे दो आँखें मुझे बहुत गौर से घूर रही हैं और यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि मैं क्या और किसे देख रहा हूँ।
मैंने अपनी गर्दन थोड़ी मोड़ी तो देखा कि रिंकी की मम्मी यानी स्मिता आंटी मुझे घूर रही थीं। मैंने अपनी गर्दन नीचे की और जैसे तैसे चुपचाप खाना खाकर नीचे चला आया।
वापस आ कर मैंने अपने कपड़े बदले और एक छोटा सा पैंट पहन लिया जिसके नीचे कुछ भी नहीं था। मै अपने कमरे में रात में कभी अंडरवियर नहीं पहनता था। एक तो मुझे अपने रामलला का खुलापन अच्छा लगता था और दूसरे पोर्न देखते समय उसे सहलाना और मसलना आसान हो जाता था। मैं अपना दरवाज़ा बंद ही कर रहा था कि फिर से प्रिया अपने हाथों में एक बर्तन लेकर आई और बोली “सोनू भैया, यह लो मम्मी ने आपके लिए मिठाई भेजी है”।
मैं सोच में पड़ गया कि आज अचानक आंटी ने मुझे मिठाई क्यूँ भेजी। खैर मैंने प्रिया के हाथों से मिठाई ले ली और अपने कंप्यूटर टेबल पर बैठ गया। मेरे दिमाग में अभी तक उथल पुथल चल रही थी। कभी प्रिया के छोटे छोटे अनार तो कभी रिंकी की बड़ी-बड़ी गोल-गोल तनी और भरी हुई चूचियाँ मेरी आँखों के सामने घूम रही थी। मैंने कंप्यूटर चालू किया और इन्टरनेट पर अपनी फेवरेट पोर्न साईट खोलकर देखने लगा।
|