Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 12:04 PM,
#69
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
वो बेचारी तो भीड़ में से बाहर निकलने का तरीका ढूंढ़ रही थी और मैं सोच रहा था की भगवान इसकी कैसे भी मिल जाए......

उसने देखा की ऐसे वो भीड़ में जगह नहीं बना पाएगी तो वो वहीँ पर खड़े खड़े मुड गयी.......

और अब मेरे सामने था उसकी कमर........बेचारी ने बस की छत पर लगा डंडा पकड़ रखा था......जिस के कारन उस के पेट पर से साड़ी हट गयी थी.....उसका नंगा पेट मेरे चेहरे से कुछ इंच की दुरी पर था.....और आखिरकार वो बंगालन थी.....तो नाभि दर्शना साडी पहनना तो उसका कर्त्तव्य था..........उसकी नाभि इतनी सेक्सी थी......की एक ही पल में मुझे तब्बू की याद आ गयी.

बिलकुल तब्बू के जैसा हल्का सा मांसल पेट था....और उसके बीचोबीच बिलकुल गोल और सुडोल.......किसी अंधे कुंए के जैसी उसकी नाभि......अभी तक तो मेरे अन्दर का जानवर अंगड़ाई ले रहा था मगर अब तो वो पापा रंजीत की तरह " एएह....." करने लगा. 

मैं मज़े से उसकी नाभि की गहराई अपनी आँखों से नापे जा रहा था की उसने छत पर डंडा छोड़ कर मेरी सीट के पीछे लगी रेलिंग पकड़ ली.. 

.........भेन्चोद.......साला.....क्या नाभि थी.....उसके मम्मे मेरे सर पर हलके हलके टकरा रहे थे.

आज घर से निकलते हुए शायद उपरवाले का नाम लिया था.....इसीलिए आज वो भी मुझे पुरे मज़े करा रहा था.......

उपरवाला भी मूड में था........बस वाले ने स्टाप पर बस रोकने के लिए ऐसा ब्रेक मारा की मेरा चेहरे सीधा मैडम के पेट से जा टकराया और अनजाने में ही उनकी नाभि पर मेरे होटों से एक चुम्मा पढ गया. उसके ढाई ढाई किलो की मम्मे मेरे सर पर आ गए. मैंने मौका ताड़ा और अपने हाथ आगे बड़ा कर उनकी गांड पर जमा दिए और ऐसा दिखाया मानो मैंने ऐसा बैलेंस बनाने के लिए किया.

बस रुकी......लोग उतरने लगे.....मगर मेरे लिए समय रुक गया था........मैडम के मम्मे मेरे सर पर टिके हुए ..........मेरे होंट उनकी नाभि पर लगे हुए......और मेरे हाथ उनकी विशाल गुन्दाज़ गांड को पकडे हुए........

स्वर्ग तो यहीं जमीं पर है प्यारे.......

स्वर्ग तो यहीं जमीं पर है प्यारे.......और अप्सरा मेरे पास है प्यारे.....

मैडम इतनी हट्टी कट्टी थी की मेरे हाथ जो उनकी विशाल गांड पर जमे थे पूरी तरह से खुल चुके थे............मेरा बाँहों का घेरा पूरा खुलने के बाद ही मैडम का कटी क्षेत्र यानि कमर मेरी बाँहों में आ पाई थी. सही में ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ के ही देता है और आज के दिन तो शायद सेक्स के भगवन कामदेव का मूड हो गया था की लल्ला की लुल्ली को मज़े कराना है इसीलिए स्वर्ग से इस मुजस्सिमे को मेरी बाँहों में भेज दिया.

बस पूरी तरह से रुक चुकी थी, और सटासट भीड़ उतरे जा रहा थी और मेरा पापी मन बार बार येही कह रहा था की मादरचोदो धीरे धीरे उतरो, थोड़ी देर इस हसीना का स्पर्श सुख और लेने दो मगर यह तो होना ही नहीं था........मैडम मेरी बाँहों में कसमसाई और मैं तुरंत उनकी गांड पर से हाथ हटाकर पीछे हो गया और इधर उधर देखने लगा मानो कुछ भी नहीं हुआ......

मैडम धीरे से बस के पैसेज में सरकती हुयी गयी और मैं उनके जांघों के रगड़ मेरे कन्धों पर लेता रहा......काश की उनकी जांघों और मेरे कन्धों के बिच ये कपडे न होते तो उनकी गदराई मोटी मोटी जांघें मेरे कन्धों पर होती और उनकी ..............च......च........च........चूत.........मेरे होटों के ठीक सामने खिले हुए फूल की तरह होती.........जाने क्यों मुझे यकीं था की मैडम की मुनिया बिलकुल खिले हुए कमल के फूल जैसी होगी.............इतना सोचने में तो मेरे बाबुराव ने जंग का ऐलान कर दिया और सटाक से खड़ा हो गया....... इतना कड़क हो गया की जींस में उसका दम घुटने लगा.........मैंने इधर उधर करके अडजस्ट किया तो बाबुराव के सुपाड़े पर रगड़ लग गयी, मेरे मुंह से आह निकल गयी और मैडम को बस की चिल्ल पो में भी मेरी आह सुने दे गयी.......मैंने जींस के अन्दर हाथ डाल कर बाबुराव को अडजस्ट किया और उनका निचे देखना हुआ........ हैरानी से उनकी ऑंखें फ़ैल गयी.......मैंने फटाफट अपने हाथ बाहर निकाला मगर जींस में से भी खड़ा हुआ हमारा सिपाही नहीं चूका और उसने जींस में दबे दबे ही ठुनकी मार कर मैडम को सलाम ठोक दिया.......ओह shit .......

मैडम का चेहरा एक सेकंड के लिया तो बिलकुल लाल हो गया...मैंने गोरे रंग की लड़कियों को गुस्से और शर्म में लाल होते तो देखा था मगर किसी सावली बंगालन को लाल होते पहली बार देख रहा था........हे कामदेव भगवान.......मैं आपको 11 रूपये का प्रसाद चड़ाउंगा.....बस इसकी एक बार दिलवा दो......... 

मैडम ने अपनी नज़रे बस के गेट की और कर ली और पासेज में आगे बढ़ गयी.........उनके हर कदम पर उनकी गांड के गोले ऊँचे और निचे हो रहे थे और उसी के साथ मेरा लंड भी ऊँचा निचा हो रहा था. 

मेरी गांड की फटफटी धीरे धीरे चलने लगी थी........मैडम मेरे ही कॉलेज में पढ़ने वाली है और उन्होंने मुझे मेरी जींस में हाथ डाले हुए देख लिया और वहां तक भी ठीक था मगर इस कमीने बाबुराव ने भी उनको ठुनकी सलाम दे दिया..........अब मैडम क्या सोचेगी..

यह सब सोचते सोचे भी मैं उनकी गांड से नज़रे नहीं हटा पा रहा था.....ऐसा लग रहा था मानो उनकी गांड में एक चुम्बक है जो मुझे खिंच रहा है........फटती हुयी गांड की फटफटी पर मेने क्लच दबा रखा था.........मैडम बस से निचे उतरने लगी

मगर अचानक वो पलटी और उन्होंने सीधा मेरी आँखों में देखा और धीरे से मुस्कुरा दी.......

क्लच छूट गया और लंड की डुगडुगी दौड़ पड़ी......

कामदेव भगवान.........तुस्सी ग्रेट हो.
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