RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मैं भी हंसने लगा.....मैंने कहा, "क्या चाची आप भी.........आप को लगता है की मैं वैसे लडको से दोस्ती करूँगा ? "
"नहीं रे लल्ला....क्या पता........ज़माना ख़राब है, वैसे तू ऐसा करने का सोचता भी तो उसको पहले ही मैं तुझे सुधार देती"
मैंने भोला बन के पूछा...."कैसे चाची......."
"वो तो लल्ला अगर ऐसा कुछ होता तो तुझे पता लग ही जाता", चाची ऑंखें नचाती हुयी बोली.
"बताओं ना चाची.....देखो आप और मैं दोनों दोस्त जैसे ही तो है." मैंने जिद की.
"अरे लल्ला....क्या बताऊ तुझे.......औरत त्रिया चरित्र से हर मर्द से मनचाहा काम करा सकती हैं"
"त्रिया चरित्र ???? ये क्या है.....कोई दवाई है क्या ?", मैंने भोला बन के पूछा.......
ऐडा बन के पेड़ा खाने में तो अपन भी उस्ताद है.
"अरे लल्ला......त्रिया चरित्र मतलब........मतलब ........औरत जो अपने रूप और नखरो से किसी से कुछ भी करा लेती है ना.......उसको कहते हैं त्रिया चरित्र", चाची ने समझाया.
फास्ट बोलर के ओवर ख़तम.........स्पिन चालू. अपना बल्ला भी तैयार हो गया.
मैंने फिर कुरेदा, "चाची ......रूप और नखरे से क्या ? मतलब की...क्या करा ले ?
"अरे लल्ला, कुछ भी करवा सकती है औरत.....आदमी को ज़रा सा इशारा करते है उसके दिमाग का सारा खून वहां से, नीचे चला जाता है, औरत की बातों के आगे अच्छे अच्छे हर मान लेते है", चाची ने गुगली मारी.
"अच्छा चाची....अगर मैं ऐसे लडको से दोस्ती कर लेता, जो लडको को ही पसंद करते हैं तो क्या करती आप ?" , मैंने भी पूछ लिया.
चाची ने अपनी टांगो के बीच में खुजाते खुजाते कहा.
"अरे लल्ला......जो भी करती बस तुझे यह समझा देती की लडको के साथ वो बात नहीं जो एक औरत के साथ है",
अब मैंने भी अपनी नज़रे चाची की टांगो के बीच लगा दी. "चाची......अ अ आप ने वो साफ़ किया की नहीं......."
"क्या रे लल्ला.......", चाची ने ऑंखें तरेरी.
"व व व वोही......वो .....बाल......"
चाची ने धीमे से मुस्कुरा कर ऑंखें सिकोड़ कर सर हिला दिया.
हाय रे.....साला इतने में तो अपने पुरे बदन में सन सनन साय साय होने लगी.
"त त त तो च च चाची........फिर आपकी य य यह ख ख ख खुजली.......की दवाई कैसे काम करेगी.......?
चाची ने ठंडी सांस भरी, "अरे तो अब मैं क्या करू......मुझे बहुत डर लगता है.....ऐसे कैसे साफ़ करू......साफ़ करने के चक्कर में ब्लेड से कट लग गया तो....?"
तभी चाची के खेत के चारो तरफ, उजाड़ बंगले के बगीचे जैसे झाड़-झुरमुट उगा हुआ था. चाची ने कभी नीचे के बाल साफ़ किये ही नहीं थे.
"अरे क्या चाची.....आप भी.......रेज़र से थोड़ी साफ़ करते हैं. हेयर रिमूविंग क्रीम आती है, वो लगा लो. १० मिनट में सब साफ़."
"हे भगवान.....क्या क्या चीज़े आने लगी हैं.........बिलकुल साफ़ हो जायेगा ???"
"हाँ चाची......एकदम साफ हो जाता है....और एक दम चिकनी स्किन हो जाएगी..........आपके गाल जैसी"
"चल हट बदमाश........."
मगर उन्होंने हलके से अपने गालो को सहलाया और जायजा लिया की बाल साफ़ होने के बाद उनकी मुनिया कैसी चिकनी लगेगी.
चाची की आँखों में देखकर ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने पी रखी हो.
ठंडी सांस ले कर बोली, "ठीक है लल्ला.....कल क्रीम ला देना.....अभी तो बहुत रात हो गयी....."
"च च चाची अ अ आप बोलो तो मेरे पास रखी हैं........वो क्रीम...", मैंने कहा.
"हाय राम......तुझे क्या काम उसका ? ", ऑंखें गोल गोल कर के उन्होंने पूछा.
"च च चाची........म म म मुझे वहां पर बाल पसंद नहीं......साफ़ रखो तो ख ख ख खुजली भी नहीं होती.......इ इ इसलिए"
चाची उठी और बोली, "चल .....दे दे...."
मैं अपने रूम में गया.......बाथरूम में जाके ट्यूब उठाई.....चाची मेरे पीछे पीछे वहां तक आ गयी थी.....मैं पलटा तो एकदम से हम टकरा गए......
मेरा सीना सीधा चाची के बिने ब्रा में कैद मम्मो से जा टकराया.......साली ये ब्रा क्यों नहीं पहनती. मेरा टी शर्त का कपडा भी पतला था. मुझे उनके खड़े हुए निप्पल महसूस हो गए थे. साली ........मस्ती इसको भी चढ़ रही थी.
चाची एकदम से पीछे हुयी उनका बेलेंस बिगड़ा, मगर मैंने थाम लिया. वो संभाली और बोली,
"लल्ला.....बहुत ताकत आ गयी रे तुझ में......., ला वो क्रीम दे दे......"
मैंने ट्यूब उनको दिया और बताया की इसको अच्छी तरह से फैला कर चारो तरफ लगा लो...........
"अरे यह बीच में लग गयी तो जलन ......तो नहीं होगी.......? मैं तो पहले ही खुजली से मरी जा रही हूँ"
मेरी आवाज़ कांपने लगी थी, "नहीं चाची......ब ब ब बीच में मत लगाना, आप तो साफ़ कर लो.....आपकी खुजाल मिट जाएगी"
चाची ने मुझे निहारा और बोली, "ठीक है बाहर जा........तेरे बाथरूम में ही कर लेती हूँ........मेरे बाथरूम में कपडे पड़े है और वहां पर कांच भी नहीं है"
मेरी कनपटी पर हथोड़े पड़ने लगे..........मुंह सुख गया.......
मेरे बाथरूम में दरवाजा टेड़ा होने से सिटकनी नहीं लगती थी.
"जा.......मेरे कमरे से मेरा टोवेल ले आ.",
मैं चाची के कमरे में गया, उनकी अलमारी खोली. इधर उधर देखा, टोवेल दिखा ही नहीं. नीचे ही नीचे के खाने में देखा तो.......
चाची की ब्रा और पेंटी पड़े थे. और वही पर टोवल था, मैंने टोवल उठाया और तभी मुझे एक ब्रा दिखी, चटक लाल रंग की........
बिलकुल जैसी सनी लिओनी को पहने देखा था. वो लिफ्टर ब्रा थी, मगर उसका मटेरिअल पूरा नेट का था.
आर पार.......अगर चाची इसको पहन ले तो ऐसा क़यामत लगे की............चाची कौन सी सनी लिओनी से कम हैं ...........
मैंने ब्रा उठा ली, इतना नरम मटेरिअल था जैसे मखमल हो......टोवेल और ब्रा ले कर आया
(पेंटी नहीं, क्यों की चाची पेंटी तो पहन ही नहीं रही थी. )
चाची तो बाथरूम के बहार ही खड़ी थी. मैंने सोचा की चाची को बोल दू,
"चाची.....वो....दरवाजे की सिटकनी ख़राब है....."
"हाय राम.......ख़राब क्यों है...? अब क्या करे....? तू रूम से बाहर जाके बैठ "
मैंने हिम्मत की....और कहा..."चाची, म म म मुझे कम्प्यूटर पर काम करना है.......अ अ आप कर लो.....मैं......."
"अच्छा .......???", चाची ने मुझे घुरा.
फिर कुछ सोच कर बोली....."ठीक है लल्ला.....तू कम्प्यूटर पर काम कर ले.....मगर तांका झांकी मत करना", चाची ने ऑंखें दिखा कर कहा.
मैंने मन ही मन सोचा की चाची आप जाओ तो सही.......फिर देखते है.
चाची के सामने मैंने भोले बच्चे जैसा सर हिलाया और कम्प्यूटर ऑन कर लिया. कुर्सी खिंची और बैठ गया.
चाची ने टोवेल उठाया, अचानक ब्रा उसमे से गिर गयी, चाची ने ब्रा को देखा फिर मुझे.
"क्यों रे लल्ला.....ये क्या उठा लाया ?", उन्होंने ब्रा हाथ में हिलाते हुए पुछा.
"व व वो चाची......आप ही ने तो कहा था.....लाने को"
"अरे ....मैंने कब कहा की अंगिया भी लाना ?"
"व व व वो चाची .....म म मैंने सोचा की .....आप ने पहनी नहीं है......तो शायद अब पहनोगी"
ये बोलते ही मैंने अपनी जुबान कट ली......शीट....ये क्या बोल दिया.
चाची ने ऑंखें बाहर कर के पुछा, "क्यों रे बेशरम.......तुझे कैसे पता लगा की मैंने.......अंगिया नहीं पहनी", चाची का चेहरा थोडा लाल हो गया.
मेरी फटफटी.......चल निकली......
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