RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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तभी मेरा मोबाइल बजा, मैं और चाची जैसे नींद से जागे. इतनी रात को कौन उंगली कर रहा था ? मैंने फ़ोन देखा.....
पिया का था. मेरी गांड फटी की अगर चाची ने पूछा की कौन है तो क्या बोलूँगा.
मैंने फ़ोन उठाया , "हाँ बोल..". मेरे ऐसे उत्तर से शायद को सकपका गयी, "ह ह ह हेलो, शील ?"
वाह रे ऊपर वाले, कभी मैं इस लड़की से बात करने समय हकलाता था, और आज यह मुझसे बात करने में हकला रही हैं.
मैंने कहा, "क्या हुआ भाई, सोया नहीं क्या अभी तक".
थी तो पिया भी शातिर, एक सेकंड में माजरा समझ गयी, " अरे कोई बैठा है क्या तुम्हारे पास ?". मैंने कहा, "हाँ यार, बस चाची के साथ बैठा था, गप्पे मार रहा था"
ऐसी गप्पे ही मारने को मिल जाये तो इंसान "दूसरी चीज़े मारने की क्यों सोचे ?? "
चाची ने इशारो से पूछा की कौन है, मैंने ऐसे ही चुतिया बनाया और पिया से बोला, "और बोल, पढाई वगेरह ठीक चल रही है"
"अरे मत पूछो, तुम्हारे जाने के बाद से फिर वोही हालत हो गयी, कुछ समझ नहीं आ रहा. मेरा मन आज तो पढ़ने का भी नहीं हो रहा.", वो बोली.
उसका यह कहना हुआ और मुझे उसका नरम और गरम हाथ का स्पर्श याद आ गया, हाय रे......वो सांड नवजोत नहीं आता तो क्या पता कुछ और होता.
यह सोचते ही ठरक जगी और सिग्नल खड़ा हो गया. साली जींस इतनी टाईट होती है की कोई ध्यान से देखे तो लंड क्या गोटे भी नाप ले. और वो ही काम चाची कर रही थी. मैंने सर उठाया और चाची को देखा तो उनकी टेडी नज़ारे मेरे तने हुए तम्बू पर ही थी. पहले ही पिया की हरकत याद करके मेरा हाल बुरा था उसके ऊपर से चाची की टेडी नज़ारे क़यामत ढा रही थी. धीरे धीरे उनके चेहरे पर वो ही मंद मंद मुस्कान आ गयी. उधर पिया जाने क्या बोले जा रही थी. मैंने कहा, "क्या ? क्या बोला ?"
वो एक दम चुप हो गयी.
मैंने कहा, "हेल्लो ....? आर यु देयर ? "
वो धीरे से बोली, "मैं तुम से बात कर रहू हूँ और तुम्हारा ध्यान ही नहीं हैं, अगर बिजी हो तो कोई बात नहीं"
"अ अ अरे ....क क कुछ नहीं यार...तू बोल ना"
"नहीं, मुझे बात नहीं करनी"
"अरे क्या हुआ" मैंने पूछा. उसका जवाब आये उसके पहले चाची मुझे घुर रही थी.
मैंने सोचा की पहले इसको कल्टी कर दू . नहीं तो चाची को शक हो जायेगा.
" .....अच्छा सुन, मैं तुझे कॉल करता हूँ...थोड़ी देर में.", मैंने उसको पुचकारने की कोशिश की.
"नहीं मत करना, फोन भाई के पास रहेगा.......".
जैसे किसी ने भरे बाज़ार में मेरी पेंट उतार ली हो. मेरी आवाज़ एक दम बंद हो गयी.
फिर मैंने कहा, "अ अ अच्छा.....त त त तो..... ठ ठ ठीक है नहीं क क करूँगा."
अचानक फ़ोन उसके खिलखिलाने की आवाज़ से गूंज उठा, वो जोर जोर से हंस रही थी और मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की हुआ क्या ????
" अरे बुद्धू......फोन मेरे पास ही रहेगा, बिलकुल दिल से लगा के रख्खा है ....तुम फ्री हो कर फोन कर लेना..........तुम कितना डरते हो भाई से ......", और फिर जोर जोर से हंसने लगी.
साली .......इसको तो मैं रगड़ रगड़ के..........
मैंने बाय बाय करके फोन रखा
"कौन था लल्ला....."
"कोई नहीं चाची......दोस्त है"
"दोस्त या दोस्तनी ?"
"न न न नहीं चाची दोस्त है......."
"अच्छा .......आवाज़ तो लड़की की लग रही थी"
"न न नहीं चाची व् वो उसकी आवाज़ पतली है"
"लल्ला......पतली आवाज़ वाले दोस्तों से यारी करने से अच्छा हैं की लड़कियों से ही कर ले", कहकर वो भी खिलखिलाने लगी.
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