RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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चाची टेडी मुस्कान के साथ बोली, "तेरी लुगाई खुश रहेगी और क्या........मैंने भी तुझे घी खिला खिला के सांड न बनाया तो बोलना.... "
मैंने भी जवाब फेंका, " कोनसा सांड, वो चाचा वाला.......जो दिन भर में 4 -5 गायों को ठोक देता था ? "
चाची ने जोर से मेरे कंधे पर हाथ मारा और बेशर्मो की तरह हंसने लगी.
मैंने सोचा चाची से पूछ लूँ की सुबह किस बात पर नाराज़ हो गयी थी.
मैंने कहा, "चाची......व व व वो......स स सुबह........आप गुस्सा हो गयी थी .......क्या हुआ ....?
चाची ने एक प् मुझे निहारा और फिर धीरे से बोली, "लल्ला......कल जो हो गया वो तो ठीक पर आज सुबह मैं तेरे कमरे में थी ये सब को पता था.....भाभी जी बाहर ही थी......कहीं अन्दर आ जाती तो......तू तो पूरा नादान ही है....मजाक हमेशा अच्छे नहीं लगते...."
साला......इसको कल रात की बात से दिक्कत नहीं......कहीं मेरी माँ हम दोनों को न पकड़ ले......इस डर से सुबह चाची गुस्सा हुयी.........चलो...मैंने भी ठंडी सांस ली.
मैंने सोचा की चाची से पूछ ही लूँ........की आखिर उनकी जांघ पर बने "बलमा" गोदने (tatoo) ..का क्या सीन है.
मैंने कहा, "चाची.....ए ए एक बात पुछु.....?"
चाची ने ऑंखें सिकोड़ कर मुझे देखा और बोली, "हम्म्म......पूछ ...."
"अ अ आप न न नाराज़ तो नहीं हो जाओगी ?
चाची ने मुझे टेडी नज़र से देखा और बोली, "नाराज़ होने की बात हुयी तो हो भी सकती हूँ.......बोल क्या बात है ?"
मेरी गांड फटी........मैंने कहा, "न न नहीं.....व व वो.....ऐसे ही......कुछ नहीं ......"
चाची ने अपनी आखें तरेरी और थोड़ी कड़क आवाज़ में बोली....." बता क्या बात है......? की करू तेरी शिकायत की तू हर रात जो कागज़ गंदे करता है....."
भेन्चोद यह कहाँ फंस गया.........
मैंने हिम्मत बटोरी, "व व व्वो.......आप नाराज़ मत होना.....प्लीज़..."
चाची ने गर्दन हिलाई......मैंने धीरे से कहा, "अ अ अ आपकी ज ज जांघ पर क्या लिखा है......."
अब तीर कमान से निकल गया था. मैं अपने गांड की फटफटी पर ब्रेक लगाये बैठा था......फट तो रही थी मगर मैं कंट्रोल कर रहा था.
चाची की आंखे फ़ैल गयी. बोली, "राम.....कितना बेशरम है रे लल्ला.......बेशरम भी है और हिरसु भी.....ताका झांकी करने से बाज़ नहीं आया न तू........"
गांड की फटफटी फुल स्पीड में निकल ली.........
मैं सकपकाया..... "न न नहीं....चाची.......म म म मैं......नहीं करता .......ताक झांक......व व वो तो .....म म मुझे ......दिखा था......क क कुछ लिखा......था......इ इसलिए पूछ लिया.............प्लीज़.......पापा से मत बोल देना.........प्लीज़...."
चाची ने फिर कातिल मुस्कान मारी....."अरे मैं नाराज़ नहीं हुयी......मगर मुझे लगा की तू कहीं बिगड़ तो नहीं रहा...इस लिए तुझे डांट देती हूँ......बेकार चीजों में दिमाग लगाएगा तो फिर अपनी लुगाई का ध्यान कैसे रखेगा....."
मेरी जान में जान आ गयी......मैंने कहा, "आप सिखाओगी तो सीख लूँगा की किस तरह ध्यान रखते है........"
चाची ने मेरी नाक पकड़ कर कहा, " समय आने पर सब सिखा दूंगी"
फिर वो उठी और बोली, "......चल मोमबत्ती अन्दर मेरे वाले कमरे में ले चल.......मुझे कपडे समेटने है. वहीँ मेरे पास बैठ कर बाते करना...मेरा काम भी हो जायेगा और मन भी बहलता रहेगा......"
बहुत शानी है.......पूरी बात ही गोल कर गयी.......मेरे दिमाग में कीड़ा कुलबुलाये जा रहा था की साला....यह जांघ पर लिखे बलमा का सीन क्या है.......
मैंने मोमबत्ती उठाई और चाची के रूम में चला गया, मोमबत्ती बेड के पास वाली टेबल पर रखी और बेड पर बेठ गया. चाची हाथ में धोये हुए कपडे लिए अन्दर आई और बेड के पास पटक कर निचे ही बैठ गयी. मोमबत्ती की टिमटिम रोशनी से पुरे रूम में अलग ही नज़ारा बन रहा था. अब मुझे समझ मे आया की केंडल लाइट डीनर इतना रोमांटिक क्यों होता है. मोमबत्ती की लो धीरे धीरे हिल रही थी और पुरे रूम में परछाईया बना रही थी. चाची का चेहरा भी मोमबती की टिमटिमाती रोशनी में बहुत ही मादक और सेक्सी लग रहा था.
कीड़ा कुलबुलाने लगा.......
मैंने पूछा, "चाची.......सब लोग कब तक आयेंगे....?"
चाची ने ठंडी सांस ली, "राम जाने लल्ला......भाभी कह रही थी की संगीत और नाच गाना है......अभी आधे घंटे पहले तो गए ही है.......अभी तो पहुंचे ही नहीं होगे.......12 -1 तो बज ही जाएगी......राम....अँधेरे में 4 घंटे क्या करेंगे......मरी इस गर्मी में तो नींद भी नहीं आएगी.....गाँव होता तो साड़ी खोल कर छत पर जाके लेट जाती.....यहाँ तो.... "
मैंने सोचा चाची आप तो बस साड़ी खोल दो.....बाकि मैं संभाल लूँगा.....ये सोच कर मुझे हंसी आ गयी.....
"क्यों रे......आज बहुत हंसी छुट रही है.......क्या हुआ ?", चाची ने मुस्कुराते हुए पूछा.
मेरी चोरी पकड़ी गयी, "न न नहीं......म म..मैं ....वो......कुछ नहीं चाची....."
अचानक चाची की नज़र मेरी शर्ट के पॉकेट पर पड़ी. "यह क्या लल्ला......तेरी जेब में क्या है.....?"
मैंने नज़र झुका कर देखा. पिया ने जाते जाते मुझे "डेरी मिल्क सिल्क" दी थी. मैंने जेब में रख ली थी.....मोमबती की रोशनी में नीले रंग का रेपर चमक रहा था.
मैंने उसे बाहर निकला, पूरी नरम हो गयी थी......मैं समझ गया की यह तो पिघल गयी......
चाची बोली, "वाह रे लल्ला.....बचपना अभी तक गया नहीं तेरा.......टॉफी चोकलेट लिए घूमता है......राम....कोनसी चोकलेट है"
मैंने कहा, "डेरी मिल्क सिल्क". चाची उछली, "अरे वोही जो चाट चाट कर खाते है........टीवी पर दिखाते हैं न........ला मुझे भी चखा न......."
नेकी और पूछ पूछ........चाची चाटने चाहे तो मैं कैसे मना कर सकता हूँ.
चाची ने रेपर खोला......चोकलेट सच में पिघल चुकी थी.......जैसे ही अन्दर का रेपर खोला........चोकलेट का एक कतरा उसमे से निकल कर निचे गिरने लगा......चाची ने झट अपने मुंह खोला और टप से अपने मुंह में ले लिया......थोड़ी चोकलेट उनके होटों पर भी लग गयी.
एक और कतरा गिरा सीधा उनके सीने पर......जहाँ ब्लाउस शुरू होता है बस उसके १ इंच ऊपर.........चाची ने अपने होटों पर लगी चोकलेट जुबान फेर कर साफ़ की.
अब "डेरी मिल्क सिल्क" तो "डेरी मिल्क सिल्क" है. पिघल तो चुकी ही थी .........जो रेले निकलना शुरू हुए.......चाची चाटे जा रही थी मगर चोकलेट भी टपके ही जा रही थी. दो तिन बार उनकी साड़ी पर गिर गयी...........चाची ने लालच छोड़ा और पास में पड़ी प्लेट में चोकलेट रख दी......
देखने लायक सीन हो गया था, चाची अपने दोनों हाथ फैलाये बैठी थी.....दोनों हाथों में चोकलेट लगी थी.....थोड़ी सी चाची के होटों पर और होटों के किनारे लगी थी और एक बेशरम चोकलेट की बूंद उनके उभारो के सल से 1 इंच ऊपर पड़ी इठला रही थी.
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