RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
मैं उठ के खड़ा हो गया रानी भी मेरे पास आकर खड़ी हो गई और अपनी बाहों का हार मेरे गले में पहना के चूम लिया मुझे!
‘थैंक्स अंकल जी, आज मैं तृप्त हुई!’ वो बोली और अपना सिर मेरे सीने पर रख दिया.
मैंने भी उसे अपनी बांहों में बांध लिया प्यार से… कुछ देर हम दोनों यूं ही दीन दुनिया को भूले हुए एक दूजे से लिपटे खड़े रहे.
फिर शालिनी की आवाज ने हमें चौंकाया- अरे, अब आप लोग संभल भी जाओ. घड़ी तो देखो, आठ बीस हो गए!’
शालिनी कमरे में आ गई थी.
रानी शर्माते हुए मेरी बाहों से निकल के दूर खड़ी हो गई.
हम दोनों अभी नंगे ही थे किसी ने भी खुद को छिपाने का जतन नहीं किया.
‘आय हाय ये तो देखो… चुदाई का रस भाभी की जाँघों पर से बह रहा है. अब पौंछ भी लो भाभी अपनी चूत और टाँगें! तुम्हारी सासू माँ आती ही होंगी अब!’ शालिनी बोली.
रानी ने झेंप कर पास में रखा तौलिया उठाया और अपनी चूत अच्छे से पौंछ ली और ब्लाउज पहन कर साड़ी अच्छे से बाँध ली और मेरे पास आकर मेरा लंड भी तौलिये से अच्छे से पौंछ दिया और गीला तौलिया बिस्तर के गद्दे के नीचे छिपा दिया.
‘थैंक्स अंकल जी. आप मुझे हमेशा याद रहोगे! कोशिश करूंगी पालम पुर आने की!’ रानी मुझसे बोली.
‘जरूर आना बहू रानी, मैं हमेशा इंतज़ार करूंगा तुम्हारा!’ मैंने भी गंभीरता से कहा.
‘चुद लीं न अच्छे से भाभी जी?’ शालिनी रानी को चिकोटी काटते हुए बोली.
‘हाँ मेरी प्यारी ननद रानी, चुदवा ली. मस्त मज़ा आ गया. अब तू भी जा ऊपर और रात भर चुदवा अपने अंकल से!’ रानी शालिनी का बूब मसलते हुए बोली.
‘रानी, एक बात कहूँ?’ मैं बोला.
‘हाँ अंकल जी, कहिये न?’ वो बोली.
‘देखो बहूरानी, तुम्हारे बारे में शालिनी ने मुझे सब कुछ बता दिया है. मैंने भी तुम्हारे बारे में काफी सोचा है. इस तरह यहाँ घुट घुट के जीने का कोई मतलब नहीं है. तुम पढ़ी लिखी हो सुन्दर हो, तुमने एम बी ए कर रखा है, तुम्हारी उम्र भी अभी कोई ज्यादा नहीं, तेईस चौबीस की ही होगी तुम… यहाँ अपने टैलेंट को यूं बर्तन मांज के रोटी बना के बर्बाद करने का कोई अर्थ नहीं है. मेरा विचार है कि तुम अपने मायके चली जाओ और जैसे बने अपने नाकारा पति से तलाक ले लो और कोई अच्छी जॉब ट्राई करो. आजकल ढेरों जॉब्स निकल रहीं हैं. इससे तुम्हारा जीवन सुखी हो जाएगा.’ मैंने उसे समझाया.
‘अंकल जी, आप सही कह रहे हैं. मैं अभी साढ़े चौबीस साल की ही हूँ, मैंने भी यही सब सोच रखा है लेकिन कुछ कहने करने की हिम्मत ही नहीं होती. अब आपने हिम्मत बंधाई है तो जल्दी ही किसी बहाने मम्मी के पास चली जाऊँगी फिर लौट के नहीं आना है इस घर में. जॉब के लिए बैंक या रेलवे में ट्राई करूंगी!’ वो विश्वास से बोली.
तभी रानी की सास की आवाज बाहर से आई, वो दरवाजा खोलने के लिए चिल्ला रही थी.
मैं और शालिनी दबे पांव वहाँ से निकल लिये.
तो मित्रो, अब आगे लिखने के लिई कुछ शेष नहीं है. हाँ अगले दिन मैं वापस पालम पुर आ गया और ज़िन्दगी फिर से अपनी तरह चलने लगी.
जैसा कि मैंने पहले ही लिखा है कि नवम्बर में दीवाली थी सो शालिनी दीपावली कि छुट्टियों में घर आई, एक दिन मौका मिलते ही हम लोग कहीं दूर एकांत में मिले भी. वो भी पहले की तरह सलवार कुर्ता पहन के आई थी. सलवार की सिलाई भी पहले की तरह ही उधड़ी हुई थी.
निपटने के बाद मैंने रानी के बारे में पूछा तो वो बोली- आपका बीज जम गया है और वो अब प्रेगनेंट है और बहुत खुश रहती है और हाल फिलाहल तो वो अपने मायके चली गई है. मुझसे कह के गई है अब कभी नहीं लौटेगी भोपाल.
मित्रो, इन बातों को कई वर्ष बीत चुके हैं. शालिनी का विवाह भी हो चुका और दो बच्चे भी हैं उसके अब. जब भी पालम पुर आती है तो मुझसे ‘मिल’ कर ही जाती है. उसका स्नेह प्यार अभी भी पहले जैसा ही है.
रानी के बारे में भी उसने एक बार फोन पर बताया था कि उसे जुड़वां बेटे हुए थे और उसने अपने नाकारा पति से तलाक लेकर एक प्रतिष्ठित बैंक में जॉब करनी शुरू कर दी थी और अब दूसरी शादी भी कर ली है और बहुत खुश है.
यह सब जान कर मुझे अच्छा लगा और संतोष भी हुआ कि चलो अब रानी का जीवन भी सुखमय हो गया.
तो मित्रो, यह सेक्सी कहानी आपको कैसी लगी. अपने विचार मुझे जरूर नीचे लिखे
samapt
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