RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
मेरी झांटें तक भीग गईं उसके रस से… मैंने घड़ी की ओर देखा साढ़े सात हो चुके थे, अब मैं भी जी तोड़ कोशिश कर रहा था कि जल्द से जल्द मेरी भी छूट हो जाय लेकिन लंड तो लोहे की गर्म रॉड की तरह हो रहा था और झड़ने की फीलिंग अभी दूर दूर तक नहीं थी.
जल्दी झड़ने के लिए मैंने पोज चेंज किया और अपने हाथ पैरों के सहारे थोड़ा सा ऊपर उठ गया. अब सिर्फ मेरा लंड ही उसकी चूत में था बाकी मेरे शरीर का कोई अंग उससे स्पर्श नहीं कर रहा था. मैंने इसी पोज में उसकी चूत को ठोकना शुरू किया तो रानी फिर से जोश में आकर मेरे लंड से अपनी चूत लड़ाने लगी और मिसमिसा कर अपने दूध खुद ही मसलने लगी.
फिर उसने मेरे गले में हाथ डालकर मुझे झुका लिया और मेरे होंठ काटने लगी ‘हाय राजा, चोदो मुझे… मस्त चुदाई करते हो आप! बेरहमी से फाड़ो मेरी बुर आज! पता नहीं फिर लंड कब मिले मुझे, अच्छी तरह से चटनी बना दो चूत की! हाँ हाँ… और जोर से… जल्दी जल्दी… मैं फिर से झड़ने पे आ रही हूँ… हाय रे!
ऐसे बड़बड़ाते हुए उसके मुंह से किलकारियाँ निकलने लगीं. मैं नहीं चाहता था कि वो फिर से जल्दी झड़ जाए इसलिए मैंने पोज बदलने की सोची.
‘रानी, मेरी जान. चल अब तू घोड़ी बन जा फिर चोदता हूँ तुझे’ मैंने कहा और रानी को फर्श पर खड़ा करके उसे बेड पर झुका दिया
और लंड फिर से चूत में पेल के ताबड़तोड़ धक्के देने लगा, नीचे उसके मम्में झूला झूलने लगे जिन्हें मैंने मुट्ठी में भर के खूब अच्छे से मसल दिया.
फिर मैंने रानी की चोटी अपने हाथ में लपेट के खींच ली जिससे उसका मुंह ऊपर उठ गया और पूरी बेरहमी से चोदने लगा.
‘आह अंकल जी, धीरे… अब इतने बेरहम भी न बनो मेरे साथ!’ उसके मुंह से कराह निकली.
लेकिन मैं उसे अनसुना करके अपनी ही धुन में लंड पेलता रहा. मैं जोर का धक्का मारता तो लंड घुसने के साथ साथ मेरी जांघें उसके नितम्बों से टकराती और चट पट की आवाजें निकलतीं. ऐसे चोदने से उसकी चूत बुरी तरह पनियाँ के पानी छोड़ने लगी जो उसकी जाँघों पर से नीचे बहने लगा.
मैं इसी पोज में धक्के लगाने के साथ साथ उसकी पीठ को चूमता हुआ हिप्स पर चांटे भी मारता जा रहा था जिससे वो और उत्तेजित हो हो कर कमर हिला रही थी.
‘अब छोड़ो अंकल जी. मैं थक गई ऐसे में… मुझे लिटा लो और फिर दम से चोदो मुझे. लेकिन जल्दी जल्दी करना, मैं बस झड़ने के करीब ही हूँ!’
मैंने उसे छोड़ दिया और बिस्तर पर ही औंधा लिटा के उसके दोनों पैर बेड के किनारे लम्बाई दायें बाएं फैला दिये इस तरह वो उल्टी T के आकार में हो गई, उसके पेट के आगे का हिस्सा बिस्तर पर था और दोनों पैर पलंग की पाटी पर दायें बाएं फैले थे, उसकी गांड अच्छे से उभर आई थी और चूत का छेद भी एक रुपये के सिक्के के बराबर खुला हुआ दिख रहा था.
मैंने चूत पर लंड टिका के पेल दिया और उसकी पीठ चूमते हुए उसके कंधे पकड़ के चोदने लगा. यह पोज मुझे बहुत पसंद है, इसमें लंड भी अच्छा टाइट जाता है चूत में और धक्के मारने में
लड़की के हिप्स का सपोर्ट भी मिलता है जिससे आनन्द और बढ़ जाता है.
इस तरह मैं उसे लगातार चोदता रहा. जल्दी ही मैं झड़ने की कगार पर आ गया और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियाँ छूटने लगीं.
‘हाय अंकल.. मैं फिर से आ गई. कितना अच्छा लग रहा है आपका भी साथ साथ झड़ना… ऐसे ही झड़ते रहो मेरी चूत में… अभी लंड बाहर मत निकालना. लंड का पानी अच्छे से मेरे गर्भाशय में जाने दो, मेरी गोद हरी हो जायेगी.’ उसने कहा.
मैं भी उसके ऊपर यूं ही पड़ा रहा, उसकी चूत संकुचित हो हो कर लंड से वीर्य की एक एक बूँद निचोड़ती रही.
जब लंड पूरी तरह से निचुड़ गया तो उसकी चूत अपने आप सिकुड़ गई और लंड महाराज भी मुंह लटकाये बाहर आ गए.
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