RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
वो मेरे खड़े-पड़े लंड पर ऊपर से नीचे तक फुर्ती से चूत को रगड़ने लगी और चूत का दाना लंड पर घिस घिस कर अपनी कमर और तेज तेज स्पीड से चलाने लगी मैं समझ गया की अब ये झड़ने पे आ गई है.
बस आधा मिनट ही और बीता होगा कि वो मुझ पर हाँफते हुए ढेर हो गई और मुझे अपनी बाहों में कस लिया साथ में अपनी चूत मेरे लंड पर पूरी ताकत से दबा दी उसने!
मैंने एक बात नोट की कि वह झड़ने में ज्यादा समय नहीं लेती थी, बस पांच छः मिनट की रगड़ाई या चूत चुसाई और वो एक्सट्रीम पर आ जाती थी.
‘क्या हुआ स्वीटी? रुक क्यों गईं’
‘बस अंकल, मैं तो आ गई जोर से… अब मेरे बस का कुछ भी नहीं है. ऐसी ही लेटी रहने दो मुझे!’
‘लेकिन अभी मेरा पानी तो निकला ही नहीं ना’ मैंने शिकायत की.
‘मैं थक गई, अब मैं कुछ नहीं कर सकती. बस ऐसे ही लेटी रहने दो मुझे!’ वो बोली और अपनी चूत एक दो बार रगड़ी मेरे लंड पे और फिर शान्त होकर लेटी रही.
मुझे झड़वाने की कोशिश में शालिनी जैन मेरे लंड पर अपनी चूत रगड़ने लगी लेकिन वो बहुत जल्दी झड़ जाती थी तो मैं तो नहीं झड़ा लेकिन वो झड़ गई.
करीब पांच सात मिनट वो यूं ही मुझसे चिपकी मेरे ऊपर पड़ी रही, उसके दिल की धक् धक् मैं साफ़ सुन पा रहा था.
फिर उसका बदन कुछ रिलैक्स हुआ और मेरे ऊपर से उतर कर वो मेरी बगल में लेट गई और अपनी एक जांघ मेरी कमर से लपेट कर मुझे अपनी ओर खींच लिया.
‘शालिनी…’ मैंने उसे चूमते हुए कहा.
‘हाँ अंकल जी?’
‘स्वीटी रानी, मेरा तो अभी हुआ ही नहीं. ये तो चीटिंग है ना!’
‘जो करना हो अब आप ही करो, मेरे से घिस लो अपना पेनिस और निकाल लो पानी, कल मैं आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी!’
‘तो ठीक है, तू चित लेट जा अब!’ मैंने कहा.
वो करवट लेकर पीठ के बल सीधी चित लेट गई.
‘स्वीटी मैं चूत पर लंड रगडूंगा अब… चूत की गर्मी से जल्दी ही मेरा भी हो जाएगा!’
‘नहीं अब वहाँ नहीं. मेरे बूब्स में दबा के कर लो चाहो तो!’
‘नहीं बूब्स में नहीं, चूत पर ही करने दो. इसकी गर्मी से जल्दी झड़ जाऊंगा.’
‘नहीं वहाँ नहीं. मुझे डर लग रहा है!’
‘अरे डर कैसा? अभी तुम मेरे ऊपर आके चूत रगड़ रहीं थी मेरे लंड पर, अब मैं तुम्हारे ऊपर आके चूत पर लंड रगडूंगा, सेम बात हुई ना!’
‘ठीक है अंकल जी. लेकिन ऊपर ही ऊपर. मेरे अन्दर मत घुसा देना कहीं!’
‘ठीक है बेबी तू निश्चिन्त रह… अगर मुझे तेरी मर्जी के बिना चोदना होता तो अभी तक तू चुद चुकी होती मुझसे!’
‘ओह थैंक्स अंकल, देटस सो नाईस ऑफ़ यू!’ वो बोली और पैर खोल के चित लेट गई.
फिर मैं पोजीशन ले के उसके पैरों के बीच में आ गया. लंड काफी देर से खड़ा तो इस कारण पेट के निचले हिस्से में हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था अब, पानी जितनी जल्दी निकल जाय उतनी ही जल्दी बैठ जाएगा ये, तभी आराम मिलेगा.
यही सोचते हुए मैंने लंड से उसकी चूत पर तीन चार बार चपत लगाईं और उसके दोनों पैर ऊपर उठा कर घुटने उसके पेट की तरफ मोड़ दिए और एक तकिया उसकी कमर के नीचे लगा दिया जिससे उसकी चूत और अच्छे से मेरे सामने उभर गई.
‘स्वीटी बेटा, अब तुम चूत को खोल दो अच्छी तरह से!’
मेरी सुनकर उसके चेहरे पर लाज की लाली दौड़ गई लेकिन उसने अपनी चूत के दोनों होंठ पूरी तरह से खोल दिए मेरे लिए और अपना मुंह दीवार की तरफ करके परे देखने लगी. पहले तो मैंने उसकी चूत में दो उंगलियाँ घुसा के अच्छी तरह से अन्दर बाहर कीं जिससे उसकी चूत के रस से मेरी उंगलियाँ गीलीं हो गईं. फिर मैंने वही चिकनाहट अपने सुपारे पर चुपड़ ली और लंड को उसकी चूत की दरार में लम्बवत रख के रगड़े लगाने लगा.
शालिनी अभी भी अपनी चूत फैलाये हुए थी और मैं लंड को सटासट उसकी चूत की दरार में चलाये जा रहा था. फिर मैंने लंड का हल्का सा दबाव चूत पर बनाया और स्पीड से लंड का सुपारा चूत के चीरे में चलाने लगा.
ऐसे करने से उसकी चूत बहुत ज्यादा पनिया गई और चूत रस बह बह कर बिस्तर भिगोने लगा.
उधर शालिनी भी बेचैन होने लगी और अपना सिर दायें बायें हिलाने लगी.
फिर उसने बिस्तर की चादर अपनी मुट्ठियों में जकड़ ली और अपनी कमर बार बार ऊपर उचकाने लगी. जिससे मुझे थोड़ी असुविधा होने लगी, साथ में ये भी लगा कि अगर निशाना जरा सा चूका तो लंड सीधा चूत में घुस जायेगा.
लेकिन मैं बड़े ही एहितयात से सावधानी से रगड़े मारता रहा, मेरा प्रयास था कि जल्द से जल्द मैं झड जाऊं और मुक्ति पा लूं!
लेकिन सुबह ही मैंने बीवी को चोदा था इसलिए झड़ने में देर लग रही थी.
उधर शालिनी की बेचैनी बढ़ती जा रही थी और अब अपना निचला होंठ दांतों से दबाये मिसमिसाते हुए नीचे ऊपर खिसकने लगी और खुद चूत को उठा उठा के लंड से लड़ाने लगी और फिर उसे न जाने क्या सूझा कि उसने मेरा लंड अपने हाथ से कसके पकड़ लिया और सुपारा चूत के छेद पर दबाने लगी.
‘अरे ये क्या कर रही हो स्वीटी. छोड़ो लंड को. नहीं तो चूत में घुस जाएगा. छोड़ो इसे!’
‘तो घुसा ही दो अब. मुझे बहुत बेचैनी हो रही है. कब से कोशिश कर रही हूँ कि मेरा भी पानी छूट जाय लेकिन नहीं हो रहा!’
‘नहीं, लंड को घुसाने से तो तुम्हारा कुंवारापन छिन जाएगा.’
‘तो छीन लो न अंकल जी… मुझे नहीं रहना कुंवारी अब. मेरा सब कुछ तो देख, छू लिया आपने अब बचा ही क्या है, बस नाम के लिए कुंवारी हूँ, मुझे नहीं रहना कुंवारी अब; कुंवारी चूत का क्या मैं अचार डालूंगी. ऐसे तो तड़प तड़प के मैं पागल हो जाऊँगी. आप तो जल्दी से अपना लंड घुसा के धक्के मारो चूत में नहीं तो मैं जोर से काट लूंगी आपको!’ वो मिसमिसा कर बोली.
‘नहीं शालिनी, तुमने मुझे भगवान् की कसम दी है. मैं तुम्हें चोद नहीं सकता, मुझे पाप का भागी मत बनाओ. थोड़ा सब्र रखो मैं कोशिश कर ही रहा हूँ, तुम भी जल्दी ही झड़ जाओगी.’
‘अरे अंकल. भाड़ में गई कसम… मैं वापस लेती हूँ अपनी कसम… भगवान् से माफ़ी मांग लूंगी. आप मेरी कसम से मुक्त हो. आप तो जल्दी से फक करो मुझे. लंड घुसा के कुचल दो इस चूत को आज!’
‘ठीक है स्वीटी… फिर से सोच लो, बाद में मुझे दोष मत देना!’
‘ओफ्फो, सोच लिया है सब. फक में नाऊ प्लीज!’
मैं शालिनी को जिस मुकाम पर लाना चाहता था, वहाँ वो आ चुकी थी और खुद लंड मांग रही थी अपनी चूत में…
मैंने तुरन्त उसके दोनों पैर उठा कर उसी को पकड़ा दिए और उन्हें ऊंचा उठाये रखने को बोला. उसने भी झट से अपने दोनों हाथ अपनी जाँघों के नीचे डाल के टाँगें ऊपर उठा लीं.
अब उसकी चूत किसी प्यासी बुलबुल की तरह मुंह बाये मेरे लंड को तक रही थी.
मैंने अपनी उंगलियाँ उसके चूतरस में भिगो कर सुपारे को तर किया फिर इसे उसकी चूत के छेद पर टिका दिया और चमड़ी पीछे खींच कर सुपारे को दबा के उसकी बुर में भर दिया.
‘हाय अंकल जी, धीरे!’ वो डरते हुए बोली.
‘डरो मत स्वीटी बेटा… धीरे धीरे ही चोदूँगा तुम्हें, प्यार से लूंगा तुम्हारी!’ मैंने उसे तसल्ली दी.
और फिर उसके दोनों मम्में मुट्ठी में दबोच के लंड को धकेल दिया उसकी चूत में. चूत की मांसपेशियाँ अपनी पूरी लिमिट तक फैल गईं और लगभग एक तिहाई लंड चूत में दाखिल हो गया.
उम्म्ह… अहह… हय… याह… वेदना के चिह्न उसके चेहरे पर उभरे, साथ में उसने मुझसे छूटने की कोशिश में पीछे खिसकने का प्रयास किया. लेकिन मैं उसे कस के दबोचे रहा और पूरी ताकत से एक धक्का और मार दिया.
‘ओई मम्मीं रे… मर गई. आह निकाल लो अंकल इसे मुझे नहीं करवाना आपसे. छोड़ो मुझे!’ उसकी आँखों में आंसू आ गये और वो मुझसे छूटने की भरपूर कोशिश करने लगी.
हालांकि उसकी चूत कोई सील बन्द कली तो नहीं थी जैसे कि उसने खुद बताया था कि वो कोई चीज घुसा के हस्तमैथुन करती रहती है.
लड़की जब अपने हाथों से हस्तमैथुन करती है तो कण्ट्रोल खुद उसके हाथ में रहता है वो खुद को दर्द नहीं होने देती लेकिन लंड की बात अलग होती है. मोटे कठोर लंड का प्रहार चूत की नसों को अधिकतम सीमा तक पसार देता है जिससे खिंचाव और दर्द होता है चूत को.
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