RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
सलवार नीचे से निकल चुकी थी लेकिन उसकी चूत के ऊपर अभी भी अटकी हुई थी. उसकी चूत के दर्शन अब होने ही वाले थे, मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई वो नज़ारा मेरे सामने अब आने ही वाला था जिसकी कल्पना कर कर के न जाने कितनी बार मैंने मुठ मारी थी, कितनी ही बार मैंने इसी चूत की सोच सोच के अपनी बीवी को चोदा था. मैंने एक गहरी सांस ली और थोड़ा रुक गया.
मित्रो लड़की के बूब्स के बाद उसकी चूत ही ऐसा अंग है जिसे देखने छूने की हसरत हम सभी की होती है.
मैंने आँखें बंद करके उसकी सलवार उतार कर एक तरफ फेंक दी और उसके दोनों घुटने पकड़ कर पेट की तरफ मोड़ कर जांघें दायें बाएं फैला दीं. फिर आँखें खोल कर उसकी चूत को निहारा.
‘वाह…’ मेरे मुंह से अपने आप ही निकल गया.
शालिनी की सेक्सी चुत फूली हुई कचौड़ी की तरह गुदगुदी और उभरी हुई सी थी, चूत के दोनों होंठ आपस में चिपके हुए थे और बीच की दरार में से रस सा रिस रहा था. उसकी चूत पर छोटी छोटी रेशमी झांटें थी जो मुझे बेहद पसन्द हैं.
मित्रो, पिछले एक दो वर्ष से चूत के बारे में मेरी पसन्द बदल गई है. पहले मुझे चिकनी क्लीन शेव्ड चूत पसन्द हुआ करती थी लेकिन अब मुझे झांटों वाली चूत ज्यादा सेक्सी ज्यादा मनोहर लगती है. झांटें छोटी छोटी हों जिनमें से चूत के लिप्स की स्किन भी दिखती रहे, ज्यादा घनी नहीं!
नेट पर पोर्न देखने के मामले में भी मैं काली झांटों वाली लड़की ज्यादा प्रेफर करता हूँ.
लड़की की भग (चूत) अगर मुग्ध भाव से देखो, निहारो तो भग का सौन्दर्य, इसका ऐश्वर्य विलक्षण होता है, आप इसे एकटक देखते रहिये आपको अनजाना सा अलौकिक आनन्द मिलेगा. लेकिन इस नज़र से कम लोग ही चूत का दर्शन कर पाते हैं. ज्यादातर लोगों अनुसार चूत ‘मारने’ के लिए होती है बस… उनके पास वो सौन्दर्य बोध वो दृष्टि ही नहीं होती जो उन्हें चूत के मनोहारी रूप के दर्शन करा सके.
ओह सॉरी मित्रो, मन भी कहाँ इन दार्शनिक बातों में भटक गया लिखते लिखते!
‘शालिनी बिटिया, अपनी चूत खोल के तो दिखा जरा!’ मैंने कहा.
पहले तो उसने इन्कार में सिर हिलाया लेकिन बाद में शर्माते हुए अपने दोनों हाथ अपनी चूत पर रखे और हौले से पट खोल दिए.
चूत के भीतर रसीले लाल तरबूज जैसा नजारा था. उसकी चूत की नाक पेन्सिल जितनी मोटी कोई आधा पौना इंच लम्बी थी जिसकी टिप पर उसका दाना मटर के दाने जितना बड़ा था जो उसके अत्यधिक कामुक और चुदासी होने का ऐलान कर रहा था.
चूत के दाने के नीचे कुछ गहराई सी थी जिसमें से उसका चिपका हुआ छेद दिख रहा था जिसमें लंड घुसाते हैं. उसकी चूत के छेद और नीचे गांड के छेद में मुश्किल से दो अंगुल का फासला रहा होगा. चूत की कुल लम्बाई या चीरा कोई तीन चार अंगुल के बीच रही होगी. हाँ उसकी चूत के होंठों की रंगत सांवली सी थी जैसी कि अपनी भारतीय लड़कियों की होती ही है.
कोई लड़की जब इस तरह अपने दोनों हाथों से अपनी चूत खोल के सामने लेटती है तो वो सीन गजब का सेक्सी लगता है.
मैंने बरबस ही झुक कर उसकी चूत को धीरे से चूम लिया और दरार को नीचे से ऊपर तक चाटा, कई कई बार चाटा और समूची चूत को मुंह में भर लिया और झिंझोड़ डाला.
आनन्द के मारे शालिनी के मुंह से किलकारी निकल गई. फिर ऊपर हाथ ले जाकर उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और चूत का दाना, वो छोटा सा भागंकुर अपनी जीभ से टटोलने लगा और इसे अपनी मुंह में लेकर चूसा और चूत की गहराई में जीभ घुसा कर प्यार से, बहुत ही निष्ठा पूर्वक उसकी शर्बती चूत चाटने लगा.
वो बेचारी इतना सब कैसे सहन कर पाती, बदले में वो अपनी चूत उठा उठा कर मेरे मुंह पे मारने लगी.
अब मैं अपनी नाक चूत की गहराई में रगड़ता हुआ चाटने लगा.
मुश्किल से एक ही मिनट बीता होगा की वो आ गई… भलभला कर झड़ गई.
‘हाय अंकल…’ वो इतना ही बोल पाई और अपनी जांघें ताकत से मेरे सिर पर लपेट दीं और झड़ने लगी.
चूत रस का नमकीन स्वाद मेरे मुंह में आ गया. करीब दो तीन मिनट तक वो यूं ही मेरे सिर को अपनी चूत पर जांघों से दबोचे रही फिर धीरे से पैर खोल दिए और चित लेट के गहरी गहरी साँसें लेने लगी.
मैं उसकी जांघ पर सर रखे हुए लेटा रहा.
‘अंकल जी, मेरे पास आओ!’ उसकी आवाज बदली बदली सी थी जैसे किसी कुएं के भीतर से बुला रही हो.
मैं ऊपर खिसक कर उसके पहलू में लेट गया और उसे अपने सीने से लगा लिया. वो मासूम अबोध किशोरी सी मुझसे चिपक गई और अपनी अंगुली से मेरी छाती पर जैसे कुछ लिखती रही.
‘क्या लिखा मेरे सीने पर?’ मैंने उसका सिर प्यार से सहलाते हुए पूछा
‘ऊं हूँ!’
‘बता ना?’
‘म्मम्म कुछ नहीं…’ वो बोली और मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
‘कैसा लगा ये सब?’ मैंने उसे चूमते हुए पूछा
‘बहुत अच्छा बहुत ही प्यारा प्यारा. जब आप मेरी उसको चाट रहे थे तो जैसे मेरे बॉडी में फूल ही फूल खिल गये थे, सारे बदन में रंगीन फुलझड़ियाँ सी झर रहीं थीं. मैंने सोचा भी नहीं था कि ये सब इतना मस्त मस्त लगेगा!’ वो बोली.
‘और अब कैसा लग रहा है?’
‘लग रहा है मैं बहुत हल्की फुल्की सी हो गई हूँ. मेरे भीतर से कुछ बह के निकल गया है जो मुझे हरदम बेचैन किये रहता था.’ उसने बताया.
मेरा लंड खड़े खड़े कपड़ों के भीतर अब दुखने सा लगा था. एक बार तो मन किया कि ये मेरी बाहों में नंगी ही तो पड़ी है, मैं भी कपड़े उतार के पूरा नंगा हो जाऊं और टांगें खोल के लंड पेल दूं इसकी चूत में… बुरा मानेगी तो मान जाय मेरी बला से. मेरी तमन्ना तो पूरी हो ही जायेगी.’
‘लेकिन नहीं, मेरी अंतरात्मा ने मुझे झिड़का ऐसे विचार पर इसके अलावा मैंने उससे वादा किया था कि उसे चोदूंगा नहीं. अतः उसे जबरदस्ती चोदने का विचार मैंने दिमाग से झटक दिया.’
‘अच्छा शालिनी बेटा, अब मैं चलता हूँ, तीन बजने वाले हैं. तुम्हारा भाई भी आने वाला होगा अब!’ मैंने उससे अलग होते हुए कहा.
‘इतनी जल्दी मत जाओ अंकल जी. भाई तो छह साढ़े छह तक ही आयेगा. अभी बहुत टाइम है अपने पास!’ वो मुझसे लिपटते हुए बोली.
‘तुझे ट्रीटमेंट दे तो दिया है. अब जाने दो मुझे!’
‘अभी दिल नहीं भरा. वन्स इस नॉट एनफ. आई नीड मोर. अंकल, लिक मी अगेन प्लीज!’
‘प्लीज अंकल जी एक बार और वैसे ही कर दो ना प्लीज!’
‘क्या वैसे कर दूं. साफ़ साफ़ बोल ना?’
‘मेरी वेजाइना को लिक कर दो जैसे अभी किया था!’
‘वेजाइना नहीं, इसे चूत कहते हैं. बोलो चूत?’
‘धत, मैं नहीं बोलती गन्दी बात!’
‘तो मत बोलो. मैं भी चला अपने घर. अब अपने हाथ से कर लो जो करना है!’
‘नहीं अंकल जी. मेरे अच्छे अंकल. मैं अभी नहीं जाने दूंगी.’ वो मेरे ऊपर लेट गई और मुझे अपने पैरों और हाथों से जकड़ लिया और धीमे से मेरे कान में फुसफुसा कर बोली- अंकल जी, मेरी चूत चाटो न फिर से!
‘देखो शालिनी. मेरा लंड भी काफी देर से खड़ा है इससे मेरे पेट में हल्का सा दर्द भी होने लगा है. अब कल आऊंगा.’
‘अंकल जी मैं आपको पेनकिलर दिए देती हूँ. बस एक बार और चाट दो, मेरी आपको मेरी कसम!’
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