RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
‘मेरे पास आ के बैठो न शालिनी!’ मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने नजदीक सटा लिया और उसके गले में बांह डाल कर हौले से उसका बायाँ गाल चूम लिया.
उसका बदन हौले से कांपा और उसने मुझसे दूर हटने का प्रयास किया लेकिन मैंने उसे थामे रखा और उसकी गर्दन पर एक चुम्मा जड़ दिया.
‘मत करो अंकल जी ऐसे. मुझे डर लग रहा है!’
‘अरे बेटा, डरने की क्या बात है. अब जिस काम के लिए मुझे बुलाया है वो तो मुझे ठीक से करने दो न… देखो शालिनी, अगर तुम ठीक से कोआपरेट करोगी तो सब कुछ अच्छे से होगा, तुम्हें भी अच्छा लगेगा और मुझे भी. नहीं तो अभी भी समय है तुम चाहो तो पीछे हट सकती हो, मैं वापस चला जाता हूँ. भूल जाना इन बातों को!’
मैंने शालिनी जैन को समझाया- बेटी, डरने की बात नहीं है. जिस काम के लिए मैं आया हूँ, वो मुझे ठीक से करने दो… अगर तुम कोआपरेट करोगी तो सब कुछ सही होगा, तुम को भी अच्छा लगेगा और मुझको भी!
उसने सहमति में सिर हिला के मुझे ग्रीन सिग्नल दिया पर मुंह से कुछ न बोली.
उसकी सहमति पाकर मैंने फिर से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपने से लिपटा लिया उसे और धीरे धीरे उसकी पीठ सहलाने लगा. मेरी हथेली उसकी कमर से लेकर ऊपर गर्दन तक फिसलती रही, बीच में कहीं कोई अवरोध महसूस नहीं हुआ, मतलब साफ़ था कि वो ब्रा नहीं पहने थी.
उसके शरीर की तपन मुझमें गजब की मस्ती भरने लगी और मैंने उसकी गर्दन के पिछले भाग पर अपने होंठ जमा दिए और वहाँ चूमने लगा. फिर कान के नीचे और फिर कान की लौ अपने होठों में दबा ली मैंने और उसे जीभ से छेड़ा.
बस इतने से ही उसके बदन ने झुरझुरी ली और लगा कि उसका रोम रोम तन गया.
उसके कान की लौ चुभलाते हुए मैंने उसका दायाँ स्तन कुर्ते के ऊपर से ही अपनी हथेली से ढक दिया, विरोध स्वरूप उसका हाथ मेरे हाथ पर आया और दूर हटाने को लड़ने लगा, हाथापाई करने लगा, पर जीत मेरे ही हाथ की होनी थी और हुई भी… जीत की ख़ुशी कुछ यूं जैसे मैंने वो क्षेत्र, वो प्रदेश, वो अंग जीत लिया हो. फिर जैसे मालिकाना हक़ से मैंने अपना हाथ कुर्ते के भीतर घुसा कर उसका नग्न स्तन दबोच लिया, लगा जैसे कोई फूलों का गुच्छा पकड़ लिया हो, फिर बहुत ही हौले से स्तन को दबाया. फिर दूसरे वाले को भी दबाया, मसला.
रुई के फाहे जैसे सुकोमल स्तन जैसे थरथरा कर रह गये, आनन्द की लहरें उनमें हिलौरें लेने लगीं और उसके निप्पल या चूचुक पहली बार उत्तेजित होकर कड़क हो गये जिन्हें मैं अपनी चुटकी में ले के प्यार से यूं उमेठने लगा जैसे घड़ी में चाभी भरते हैं.
‘अंकल जी बस!’ उसके मुंह से अस्फुट से स्वर निकले.
उसका यूं कहना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी. पहली बार वो किसी मर्द के पहलू में यूं बैठी थी और मर्दाना हाथ उसकी कामनाओं को जगा रहे थे. उसका बदन पहली बार नये नये तजुर्बों से गुजर रहा था नई नई अनुभूतियाँ उसके तन मन में बिजलियाँ चमका रहीं थी.
अंकल जी, ये सब करने की बात नहीं हुई थी. आप चीटिंग कर रहे हैं!’
‘नहीं स्वीटी, ये चीटिंग नहीं है, उसी क्रिया का पार्ट है!’
‘नहीं… आप तो वही ट्रीटमेंट दे दो जिसकी बात हुई थी, और कुछ मत करो!’
‘अरे वही सब तो कर रहा हूँ जो तुम्हें उस वीडियो में दिखाया था, शुरुआत तो ऐसे ही होती है न!’
‘लेकिन मुझे पता नहीं कैसा कैसा लग रहा है और घबराहट सी भी हो रही है.’
‘देखो शालिनी बेटा, तुम किसी बात का टेंशन मत लो. जो हो रहा है उसे होने दो और एन्जॉय करो. अपना तन और मन पूरी तरह से मुझे सौंप दो, फिर देखना बहुत जल्दी तेरे मुंहासे गायब हो जायेंगे जैसे कभी थे ही नहीं!’
‘ठीक है अंकल जी. तो फिर जल्दी जल्दी कर लो जो जो करना है!’ वो बोली.
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