RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
‘स्वीटी, मैं तुम्हारी बात का मतलब समझ नहीं पा रहा थोड़ा खुल के कहो ना?’ मैंने बात बनाई.
‘अंकल जी, वो उस दिन आप वेजाइना लिकिंग के फायदे बता रहे थे न जैसे उस विडियो में दिखाया था आपने…’
‘अच्छा अच्छा वो वाला वीडियो जिसमें वो लड़की दादा जी से चटवाती है… हाँ हाँ तो?’
‘अंकल जी, मैं तीन दिनों तक दिन में अकेली रहूँगी. मम्मी पापा शादी में गये हैं और गुड्डू भैय्या स्कूल चला जाया करेगा. आप चाहो तो आ जाना मेरी वेजाइना ट्रीट करने के लिए अगर आपके पास थोड़ा टाइम हो तो…’ उसकी आवाज में कम्पन और थरथराहट साफ़ झलक रही थी.
‘जरूर आऊंगा बिटिया रानी. भगवान ने चाहा तो तुम्हारे मुंहासे हमेशा के लिए चले जायेंगे. बोलो, कितने बजे आऊं?’
‘अंकल जी, गुड्डू भैय्या सुबह नौ बजे स्कूल चला जाता है स्कूल के बाद वो कोचिंग पढ़ के शाम को साढ़े छह तक घर लौटता है, इस बीच आप कभी भी आ जाना!’
‘ठीक है शालिनी… मैं दोपहर में किसी टाइम आ जाऊंगा, आने के पहले तुम्हें मिस्ड कॉल दूंगा.’ मैंने खुश होकर कहा.
‘थैंक यू अंकल जी. मैं इंतज़ार करूंगी. आप भूलना नहीं!’ उसने जल्दी से कहा और फोन काट दिया.
तो साथियो और सहेलियो मेरी कहानी उस मोड़ तक आ चुकी है जहाँ से आगे मेरी तमन्ना पूरी होने वाली है. कमसिन कली शालिनी का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के आगोश में होगा, अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो!
अगले दिन मैं शालिनी से मिलने को तैयार हुआ. सबसे पहले मैंने सुबह की चाय के बाद अपनी बीवी को पकड़ के एक बार रगड़ रगड़ के चोद डाला. वो न न करती रह गई कि सुबह सुबह ये क्या सूझी मुझे.
अब उसे क्या बताता कि मुझे क्या सूझ रही थी. एक बार की चुदाई के बाद सेकंड राउंड की चुदाई में बहुत टाइम लगता है मुझे इसीलिए एक बार बीवी को चोद लिया था कि अगर शालिनी चोदने को मिली तो उसे अधिक से अधिक देर तक बिना झड़े चोद सकूं.
उसके बाद मैंने अपनी झांटों को कैंची से कुतर कर नाखून जितना कर लिया. छोटी छोटी खूंटे सी उगी झांटें अगली की चूत में जो रगड़ का मज़ा देती हैं उसकी बात ही अलग है.
घर से निकल कर मैं ऑफिस अपने समय से पहुँच गया. थोड़ी देर काम करके बहाना बना के बाहर निकल लिया और शालिनी को मिस्ड कॉल दी.
अपनी बाइक मैंने ऑफिस में ही खड़ी रहने दी और रिक्शे से शालिनी के घर से थोड़ी दूर उतर गया.
लोगों की नज़रों से छुपते बचते मैं शालिनी के घर के सामने जा पहुँचा और घंटी बजाने को हाथ ऊपर किया. मैं घंटी बजा पाता उससे पहले ही शालिनी ने दरवाजा खोल दिया. जाहिर था वो टकटकी लगाए मेरी ही बाट जोह रही थी.
‘नमस्ते अंकल जी!’ वो बोली.
‘नमस्ते शालिनी बिटिया, कैसी हो?’ मैंने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा.
‘ठीक हूँ अंकल जी!’
मैंने उस गौर से देखा. वो थोड़ी असामान्य और घबराई सी लग रही थी. जिस काम के लिए उसने मुझे बुलाया था वैसे में उसकी घबराहट स्वाभाविक ही थी. साधारण सा सलवार कुर्ता पहन रखा था उसने, मम्में भी दुपट्टे से ढक रखे थे, बाल पोनी टेल स्टाइल में बंधे हुए थे. कुल मिलाकर जैसे आमतौर पर लड़कियाँ घर में सिंपल तरीके से रहती हैं उसी तरह से लगी वो मुझे…
मेरे कहने का मतलब मुझसे मिलने की चाह में उसने कोई किसी तरह का बनाव सिंगार या मेकअप वगैरह नहीं किया था.
मुझे अच्छी लगी ये बात.
‘बैठिये अंकल जी. मैं पानी लाती हूँ!’
‘अरे ये चाय पानी वगैरह रहने दो, फिर कभी पी लूंगा. अभी तो जिस काम के लिए आया हूँ, वो शुरू करते हैं!’
मेरी बात सुनकर उसने सिर झुका लिया और चुप खड़ी रह गई.
‘इधर आ मेरे पास बैठ!’ मैंने सोफे पर बैठते हुए कहा तो वो हिचकते हुए मुझसे दूरी बना कर बैठ गई.
‘अंकल जी, मुझे बहुत डर लग रहा है. कुछ होगा तो नहीं न मुझे?’
‘होगा, होगा क्यों नहीं. अरे तेरे ये मुहाँसे मिट जायेंगे देख लेना और मज़ा ही ऐसा आयेगा कि तुझे अभी तक नहीं आया होगा!’
मेरी बात सुनके वो चुप रह गई.
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