RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
मैं प्लेट से पुलाव खाता हुआ मन ही मन खयाली पुलाव पकाता हुआ बार बार उसकी जाँघों के जोड़ को निहार रहा था जहाँ उसकी जीन्स के नीचे पेंटी होगी और उसके भीतर रोमावली से आच्छादित उसकी कुंवारी योनि या बुर या चूत कुछ भी कह लो, होगी.
‘कहाँ ध्यान है अंकल जी. बड़ी गहरी सोच में हो?’ शालिनी ने मुझे टोका.
‘कुछ ख़ास नहीं बिटिया, कुछ फ्यूचर की प्लानिंग कर रहा था.’ मैंने खुद को थोड़ा गंभीर जताने का जतन किया.
‘ओके अंकल जी, ये अच्छी बात है. मेरी शुभकामनाएं!’ वो हंस कर बोली.
अब उसे क्या अंदाजा था कि मैं उसकी चूत के ख्यालों में खोया उसे देखने, चूमने, चाटने और चोदने की प्लानिंग कर रहा था; और वो मुझे इसी के लिये विश कर रही थी.
‘थैंक्स शालिनी, सो नाईस ऑफ़ यू!’ मैंने प्रत्यक्षतः मुस्कुरा के कहा.
बातचीत का सिलसिला यहीं रोकना पड़ा क्योंकि मेरा कोई परिचित हाय हेल्लो करने आ पहुँचा. मैंने जैसे तैसे उससे पिंड छुड़ाया. इसी बीच शालिनी की सहेली भी अपना खाना खत्म कर बाय करके निकल ली.
अब मैं और शालिनी आमने सामने थे.
मैंने उसे बड़े गौर से देखा क्योंकि इतने नजदीक से देखने का मौका पहले कभी नहीं मिला था. वैसे भी मोहल्ले की कोई कन्या जिसका नाम ले ले के हम सब मुठ मारते हैं या अपनी बीवी को उसी कामिनी का ध्यान लगा के चोदते हैं तो उसे इतने नजदीक से देखने बतियाने का मौका सालों में ही कभी आ पाता है.
अतः मैंने इस मौके को ‘वन्स इन द लाइफ टाइम अपोर्चुनिटी’ मान कर इस्तेमाल करने का फैसला किया. लेकिन कुछ कहने या बात करने का ओर छोर समझ नहीं आ रहा था.
मैंने शालिनी की तरफ प्यार से देखा वो तो अपनी प्लेट से दही बड़े खाने में मगन थी.
मैंने पहले जब भी उसे देखा था तो पोनी टेल स्टाइल में बंधे बाल और वही स्कूल की यूनिफार्म लेकिन आज उसका नजारा ही अलग था. आज उसके बाल खुले खुले घने घनेरे कन्धों और पीठ पर बिछे पड़े थे और उसके जिस्म से एक मस्त मस्त भीनी भीनी सुगंध के झोंके रह रह के उठ रहे थे. जरूर उसने कोई परफ्यूम लगा रखी थी. उसके चेहरे पर बहुत ही हल्का सा मेकअप था लेकिन उसके गालों पर मुहाँसों ने दस्तक देनी शुरू कर दी थी और हल्के हल्के चिह्न उसके गालों पर उभर आये थे.
यह मेरे लिए अच्छा संकेत था. लड़की के मुंह पर मुहाँसे आने का मतलब वो चुदासी होने लगी है. उसकी चूत को लंड से चुदने की चुदास सताने लगी है. उसके इसी वीक पॉइंट को मैंने एनकैश करने का मन बना लिया और उसे नजर गड़ा कर देखने लगा.
वो तो अपने दही बड़ों को चटखारे ले ले के खा रही थी, उसे क्या पता कि मेरे तन मन में क्या चटखारे चल रहे थे. मैं उसे लगातार देखे जा रहा था मुझे पता था कि अभी कुछ ही देर बाद उसकी नज़र मेरी तरफ उठेगी.
हुआ भी वैसा ही…
‘सॉरी अंकल जी, दही बड़े इतने टेस्टी हैं कि मैं तो भूल ही गई थी कि आप मुझसे बात कर रहे थे.’
‘अर्रे… आप तो खाली प्लेट लिए खड़े हो. आपके लिए लेके आऊँ दही बड़े?’ शालिनी बड़ी मासूमियत से बोली.
‘चल, ले आ!’ मैंने कहा.
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