RE: bahan ki chudai बहन की इच्छा
ऊर्मि दीदी के जा'ने के बाद में उस'के जवान बदन को याद कर के और उस'की कुच्छ पुरानी ब्रेसीयर और पैंटी हमारे अलमारी में पडी थी, उस'का इस्तेमाल कर के में मूठ मारता था और मेरी काम वासना शांत करता था. दीदी हमेशा त्योहार के लिए या किसी ख़ास दिन की वजह से मायके यानी हमारे घर आती थी और चार आठ दिन रहती थी. जब वो आती थी तब में ज़्यादा तर उस'के आजू बाजू में रहता था. में उस'के साथ रहता था, उस'के साथ बातें करता रहता था. गये दिनो में क्या क्या, कैसे कैसे हुआ ये में उसे बताता रहता और उस'के साथ हँसी मज़ाक करता था. इस तरह से में उस'के साथ रहके उसको काम वासना से निहाराता रहता था और उस'के गदराए बदन का स्पर्श सुख लेता रह'ता था.
शादी के बाद ऊर्मि दीदी कुच्छ ज़्यादा ही सुंदर, सुडौल और मादक दिख'ने लगी थी. उस'की ब्रेसीयर, पैंटी चुपके से लेकर में अब भी मूठ मारता था. उस'की ब्रेसीयर और पैंटी चेक कर'ने के बाद मुझे पता चला के उनका नंबर बदल गया था. इसका मतलब ये था के शादी के बाद वो बदन से और भी भर गयी थी. अगर बहुत दिनो से ऊर्मि दीदी मायके नही आती तो में उस'से मिल'ने पूना जाता था. में अगर उस'के घर जाता तो दो चार दिन या तो एक हफ़्ता वहाँ रहता था. उस'के पती दिनभर दुकान'पर रहते थे. खाना खाने के लिए वो दोपहर को एक घंटे के लिए घर आते थे और फिर बाद में सीधा रात को दस बजे घर आते थे. दिनभर ऊर्मि दीदी घर में अकेले ही रहती थी.
जब में उस'के घर जाता था तो सदा उस'के आसपास रहता था. भले ही में उस'के साथ बातें करता रहता था या उस'के किसी काम में मदद करता रहता था लेकिन असल में मैं उस'के गदराए अंगो के उठान और गहराइयों का, उस'की साड़ी और ब्लाउस के उपर से जायज़ा लेता था. और इधर से उधर आते जाते उस'के बदन का अनजाने में हो रहे स्पर्श का मज़ा लेता था. उस'के कभी ध्यान में ही नही आई मेरी काम वासना भरी नज़र या वासना भरे स्पर्श! उस'ने सप'ने में भी कभी कल्पना की नही होगी के उस'के सगे छोट भाई के मन में उस'के लिए काम लालसा है.
शादी के बाद एक साल में ऊर्मि दीदी गर्भवती हो गयी. सात'वे महीने में डिलीवरी के लिए वो हमारे घर आई और नववे महीने में उसे लड़का हुआ. बाद में दो महीने के बाद वो बच्चे के साथ ससुराल चली गयी. बाद में तीन चार साल ऐसे ही गुजर गये और उस दौरान वो वापस गर्भवती नही रही. वो और उस'का पती शायद अप'ने एक ही लडके से खुश थे इस'लिए उन्होने दूसरे बच्चे के बारे में सोचा नही.
इस दौरान मेने मेरी स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई ख़तम की और में एक प्राइवेट कम्प'नी में नौकरी कर'ने लगा. कॉलेज के दिनो में कई लड़कियो से मेरी दोस्ती थी और दो तीन लड़कियो के साथ अलग अलग समय पर मेरे प्रेम सम्बन्ध भी थे. एक दो लड़कियो को तो मेने चोदा भी था और उनके साथ सेक्स का मज़ा भी लूट लिया था. लेकिन फिर भी में अप'नी बहन की याद में काम व्याकूल होता था और मूठ मारता था. ऊर्मि दीदी के बारे में काम भावना और काम लालसा मेरे मन में हमेशा से थी. मेरे मन के एक कोने के अंदर एक आशा हमेशा से रहती थी के एक दिन कुच्छ चमत्कार होगा और मुझे मेरी बहेन को चोद'ने को मिलेगा.
में जैसे जैसे बड़ा और समझदार होते जा रहा था वैसे वैसे ऊर्मि दीदी मेरे से और भी दिल खोल के बातें कर'ने लगी थी और मुझसे उस'का व्यवहार और भी ज़्यादा दोस्ताना सा हो गया था. हम दोस्तो की तरह किसी भी विषय'पर कुच्छ भी बातें कर'ते थे या गपशप लगते थे. आम तौर पे भाई-बहेन लैंगिक भावना या काम'जीवन जैसे विषय'पर बातें नही कर'ते है लेकिन हम दोनो धीरे धीरे उस विषय'पर भी बातें कर'ने लगे. हालाँ'की मेने ऊर्मि दीदी को कभी नही बताया के मेरे मन में उस'के लिए काम वासना है. यह तक के मेरे कॉलेज लाइफ के प्रेमसंबंध या सेक्स लाइफ के बारे में भी मेने उसे कुच्छ नही बताया. उस'की यही कल्पना थी के सेक्स के बारे में मुझे सिर्फ़ कही सुनी बातें और किताबी बातें मालूम है.
सम'य गुजर रहा था और में 22 साल का हो गया था. ऊर्मि दीदी भी 30 साल की हो गयी थी. ऊर्मि दीदी की उम्र बढ़ रही थी लेकिन उस'के गदराए बदन में कुच्छ बदलाव नही आया था. मुझे तो सम'य के साथ वो ज़्यादा ही हसीन और जवान होती नज़र आ रही थी. कभी कभी मुझे उस'के पती से ईर्षा होती थी के वो कितना नसीब वाला है जो उसे ऊर्मि दीदी जैसी हसीन और जवान बीवी मिली है. लेकिन असलीयत तो कुच्छ और ही थी.
|