RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 37
मैं सो गया अपने अंदर एक रोमांच को महसूस करके की कल क्या होगा....
जब सुबह मेरी आँख खुली...
पहली बार ऐसा हुआ की जब में जागा तो मुझसे पहले सब जाग चुके थे सब मुझे चारो ओर से घेर सावलिया नजरों से घूरते हुए, दिया, सिमरन, गुंजन, सुनैना, निरज, मोम, मासी सब घेर थे मुझे।
मुझे कुछ देर विस्वास न हुआ की ये सच है या सपना और में सपना समझ कर फिर से आंखें मूंद लि, लेकिन अब कुछ छींटे पानी की बून्द के मेरी ऊपर गिरे मैंने आँखें खोली और वही नजारा फिर से आँखों के समने ।
"नहीं यार ये सपना नहीं है ये तो हकीक़त है पर क्यों सब के सब मुझे घेरे है"?
इतना सोच ही रहा था की माँ....
"क्यों बेटा तेरे पैरो का दर्द कैसा है"?
"अब समझा मेरे पौन की दर्द के वजह से ऐसा है पर मुझे माँ के सब्द में वयंग क्यों नज़र आ रहा है"?
मैं इतना सोच ही रहा था की नीरज भैया....
"बेटू कल यूट्यूब पर एक फैंटास्टिक घटना अपलोड हुए है और व्यूज देख तक़रीबन 12 घंटे में 5 लाख"
मैं..... भैया थोड़ा बाथरूम हो के आउ फिर देखता हूं।
नीराज भैया.... बेटू देख ले शायद बाथरूम जाने की जरूरत ही न हो ।
"अब ये क्या पहली है और ये सब मुझे घूर क्यों रहे है नहीं डायरेक्टली पूछता हू"
तभी सिमरन बोली.... देख ले वीडियो बेटू, ये बार बार जो तू अपने खेलों में गुम हो जाता है इसे देखने के बाद तू कंही गुम ना हो पायेगा।
मैं..... पहले बात क्या है कोई बताएगा (झुंझलाते हुए) ।
माँ और मस्सी दोनों मेरे सर पर हाँथ फेरने लगी और माँ अब बोलते हुए....
"क्या बेटा हम सब पर गुस्सा आ रहा है"
अजीब द्विधा में सब फँसा के रखे है, सब टॉन्ट कर रहे है ये तो मामला कुछ ज्यादा ही सीरियस लग रहा है भलाई इसी में है जैसे बोल रहे है वैसा करते जाऊं नहीं तो इतने घूरते चेहरे...
इतने में अब गुंजन दी बोली वो भी वयंग करते हुए...
"देखो हमारा राहुल फिर सपनो में चला गया"
मैं.... दिखाओ नीरज भैया नहीं तो आप लोगों की पहेली से में पागल हो जाऊंगा ।
नीराज भैया ने मुझे वो वीडियो दिखाया और अचानक ही मेरे हाँथ से फ़ोन छूट गायी।
ये वीडियो कल शाम में किसी ने सूट की थी जब में ग्राउंड में दौड़ रहा था किसी पागल की तरह तरह, यूट्यूब पर भी अपलोड कर दिया था ।
मेरे तो पैरो तले से जमीन खिसक गयी और भगवन से..
"हय भगवन में समझ गया की में आप से मिलने नहीं आता हूँ इसलिए आप मुझे झटके पर झटका दे रहे हो। आप भी कम बदमाश नहीं हो। अब इनको में क्या जवाब दूं"।
दिया, अब उसने ने भी बोला...
"भैया मेरा प्यार भैया यूँ बार बार गायब न हो हम सब है, यंही है"
तूझे तो मौका मिलना चाहिए अपना मुंह खोलने को इतना सोच में घूरा दिया की तरफ पर भूल गया की और भी लोग है ।
फिर गुंजन दि....
"बड़ी प्यारी आँखें है बेटू जरा हमें भी तो दिखा "
हो गया अब कुछ नहीं हो सकता एक चुप तो दूसरा शुरू और दुसरे चुप तो तीसरा मुझे अपने बचाव में कुछ कहना ही होग, पर क्या?...
तभी मासी कुछ बोलने को होती है तो में...
"अब प्लीज मुझे यूँ सब मत घेरो बाथरूम जाने दो बहुत जोर की आई है" (बड़ी विनती भरे शब्दों में बोला)
पर उनके हाव-भाव में कोई परिवर्तन नहीं ।
अबतक में जिस पोजीशन में लेटा था मेरा पैर सैम पोजीशन में था पर जैसे ही उठने को हुआ लड़खड़ा कर गिर गया और कराह... उठा दर्द भरी आवाज़ में..
"बाप रे मर गया"
दोनो जांघें सूज चुकी थी और पैर जमीं पर रखे नहीं जा रहे थे ।
अब सब के सब गुस्से भरी निगाहों से देख रहे थे ।
तभी नीरज भैया ने मुझे सहारा देकर बाथरूम ले गए कुछ देर में मैं बाथरूम से फुर्सत होकर दिवार के सहारे बिस्तर तक आया ।
अभी भी सब अपनी जगह बने थे फर्क सिर्फ घूरने में था पहले सिर्फ घूर रहे थे अब गुस्से से सब देख रहे थे । की तभी सिमरन के स्वर गूंजे उस माहौल में और शांति को भंग करते हुए....
"माँ मुझे माफ़ कर दो मुझे इसके दिल्ली आने की कहानी आप सब को पहले ही बता देनी चाहिए थी पर इसके मोह ने मुझे बताने नहीं दिया"....
लो अब तो पुराने पन्ने भी पलटने लगे मैंने भीख मांगने वाली नज़रों से देखा सिमरन की ओर पर सिमरन....
"नहीं बेटू तू जानता नहीं कितना बोझ है मेरे ऊपर पता है वो 2 दिन मैंने किस चिंता में काटे थे जब तू गायब हो गया था । ऐसे मत देख तेरी नाराजगी मंजूर है पर इस राज पर से पर्दा उठाना ही पडेगा"
दीदी का इतना बोलना और सब एक टक निगाहें दीदी पर और अब सिमरन शुरू....
"कहानी के पहले भाग में मेरी फीलिंग रूही के प्रति से लेकर ग्राउंड की घटना और ग्राउंड से आने के बाद मेरा बिलखते हुए रोना, फ्रेंड के साथ मौत की घटना की प्लानिंग और मेरा दिल्ली आना"।
सब बस चुपचाप मुझे देखते हुए लेकिन दिया अब मेरे समर्थन में....
"भाइया आप से उम्मीद नहीं थी की इतना ड्रामा आप ने क्रिएट किया सिमरन दी के साथ मिलकर लेकिन चलो आप के दिल को धक्का लगा था तो समझ सकती हूँ पर कल क्या हुआ था
"
ओर फिर दूसरों को समर्थन के इरादे से...
"क्यों सही कहा ना मैंने"
अब माँ से न रहा गया और दिया को काफी गुस्से से डाँटते हुए.....
"चुप भैया की चमची उसके साथ इतना कुछ हो गया हमें पता नहीं और देखो इस बित्ते भर की लड़की को अपने भाई को सही बता रही है"
बेचारी दिया रोनी सी सूरत हो गयी मेरे तरफ से बोलने के कारण ।
अब चूंकि बात मेरी दोनों बहनो पर आ गयी थी और सब उन दोनों को कोस रहे थे इसलिए अब मैं अपनी चुप्पी तोड़ते हुए......
"सुनो आप लोग, आप इन्हे क्यों डांट रहे है....
लेकिन माँ का गुस्सा वो तो जैसे आज किसी की सुनने ही नहीं वाली । मुझे बीच में रोकते हुए...
"देखा दीदी (मासी को इंडीकेट करते हुए) तीनों को देखा बड़ी बोलती है उसकी गलती है, छोटी कहती है कोई बात नहीं दिल को धक्का लगा था और ये शैतान बोल रहा है की इन्हे क्यों डांट रहे हो मुझे कहो जो कहना है मैं तो कुछ हूँ ही नहीं इनकी " ।
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए....
"ऐसे ही कुछ दिन पहले मार पीट में अपना सर फुड़वा लिया था और अगले दिन ये सिमरन इसको नाचने के लिए डिस्को भेज दी । तीनो अपने में ही खिचड़ी पकाते है मुझे तो कुछ मालूम ही नहीं होता । मैं जब मर जाऊं तो करते रहना अपनी मन मानी"
माँ के इस तरह के रिएक्शन से जंहा सिमरन और दिया रोने लगी वंही मेरा दिमाग ब्लॉक हो गया और अब मामला बहुत जायदा बिगड़ते देख नीरज भैया ने कमान सम्भलि। और नीरज भैया के लॉजिक को न मानना ये तो अच्छे अच्छों के बस की बात न थी.....
अब नीरज भैया माँ को थोड़ी ऊँची आवाज़ में.....
"मासी आप को क्या बुरा लग रहा है इनका आपस का प्यार या इन लोगों ने झूठ बोला है? और आप इतना क्यों ओवर रिएक्ट कर रही है आप को तो अभी ये चिंता सता रही है कि किस हालात मैं ये घर से दिल्ली निकला और इसे कुछ हो जाता तो?
कुछ रुकते नीरज भैया फिर बोले लेकिन बड़े प्रेम से....
देखो इनके बीच का प्यार और सोचो कि क्या बीती होगी सिमरन पर, दो दिन जब राहुल का कोई अता-पता नहीं था । बेचारी के गले से खाना भी नहीं उतरता होगा।
अब रही बात सिमरन के झूठ की तो आप मुझे बताओ कि अगर ये अपनी बात वो भी रोते हुए जिसका रोना कोई नहीं देख सकता आप को पहले बताता तो क्या आप नहीं झूठ बोलती?
वाह! क्या गूगली मारी है नीरज भैया ने अब माँ बिलकुल नार्मल होते हुए....लेकिन नीरज ।
फिर नीरज भैया बीच में टोकते हुए....
अभी नहीं मासी अभी पूरी बात होने दो । तुम्हे मालूम है दो दिन पहले सुनैना ने इसे क्या-क्या कहा फिर पूरी कहानी बतायी। कोई दूसरा होता तो पलट कर देकता भी नहीं पर ये राहुल है, हिरा है मेरा भाई, इसने जब देखा की सुनैना हम भाई बहन के बीच नहीं बैठी है तो सुनैना को उल्टा मना कर लाया और यह जाता कर कि, कोई बात नहीं उसके मुंह से गलती से वो शब्द निकले थे ।
और सुनो जब हम सब लगे थे अपने अपने अरमानो में की इंगेजमेंट में ऐसा करना है वैसा करना है अरे इसकी अपनी माँ तक नहीं समझ पायी की सुनैना कितनी बड़ी तकलीफ मैं है, फिर नीरज भैया ने वो कहानी भी बताई वीडियो क्लिप वाली , इस लड़के ने 2 घंटे में पूरी प्रॉब्लम सॉल्व कर दी, और जैसे जैसे नीरज भैया ये बात बताते गए उनके आंखों से और साथ साथ सब के आँखों से आंसू आ गए ।
मैं तो हैरान सुनैना की तरफ देखा तो सुनैना ने मेरे सवालों का जवाब देते हुए....
राहुल ने मना किया था किसी को ये बात नहीं बताने पर जब पुलिस स्टेशन से हम बाहर आये तो मुझे बहुत रोना आया और मैंने पूरी कहानी नीरज भैया को बता दी ।
सब के सब रो रहे थे और सब के सब हैरान क्योंकि इतनी बड़ी बात हो गयी और किसी को पता तक न चली ।
आंशुओं के साथ सबका गुस्सा और मेरे झूठ बोलने का मामला भी खत्म हो चूका था । पर एक बात से हैरान हम सब अब भी थे जो नीरज भैया की बातों में इतना खोये थे की ध्यान ही न दिया...
मेरे रूम के गेट पर चौहान एंड फैमिली खड़ी थी और उन सब के आंखों में भी आंसू थे बस लाल को छोड़ कर उसे तो शायद पता भी न था की क्या हो रहा है।
मोहित अंकल ने लाल को बाहर भेज दिया खेलने अब रंजना आंटी , मोहित अंकल और परिधि ने हमें ज्वाइन किया।
मेरे पूछने पर पता चला की मोहित अंकल उस समय से खड़े हमारी बात सुन रहे है जब माँ मेरे सर फूटने की बात कर रही थि, आने का कारण ये था की उन्होंने ने भी वीडियो देखा और सोचा की मैं जवाब क्या देता इसलिए खुद चले आये रंजना आंटी के साथ इसका क्लैरिफिकेशन देने ।
अब रंजना आंटी ने सूरु की कहानी....
कैसे मेरा और परिधि का प्लान बना सब को सरप्राइज देने का चूँकि न तो हमें (मिस्टर एंड मिस चौहान) पता था की ये दोनों यही इंगेजमेंट अटेंड करने आ रहे है और न ही आप को पता था की राहूल को हम जानते हैं इसलिए ये 5 बजे पर ही पिक अप करने आ गया परिधि को और वंहा से दोनों 7 बजे इंगेजमेंट में पहुंचते जब हमारी फॅमिली पहुँच चुकी होती ।
अब पूरी कहानी की कैसे मैंने परिधि के कहने पर हुक लगाया और कैसे वो अचानक से पैर फस्ने की वजह से गिरि, मुझे परिधि को सँभालते हुए देखना और चांटा मार् कर मुझे घर से भगाना ।
राहुल के घर से जाने के बाद मैं अपनी बेटी पर बहुत गुस्सा थी और मेरा वयवहार देख कर ये मुझ से ज्यादा गुस्सा मैं की मैंने बिना जाने क्या किया।
परिधि रो रही थी और चिल्ला रही थी और मैं भी इसे ग़ुस्से में खरी खोटी सुना रही थी की तभी अचानक इसके मोबाइल पर राहुल का मेसेज आया और परिधि बिलकुल शांत कुछ न बोली पर अब मुझे उसका चुप रहना किसी सांप डसने के बराबर था पर जैसे ही मैं कुछ बोलने को हुए परिधि ने मुझे अपना मेसेज दिखाया मेसेज का एक्सप्लेने करते हुए मेरे तो होश उड़ गए की जिसे मैंने इतना बेइज्जत किया वो ऐसा सोचता है मेरे आंसू न रुके फिर परिधि ने पूरी कहानी बतायी। मुझे पछतावा हो रहा था और मैंने मोहित को बताया उसे भी सब जानकर हैरानी हुए।
लेकिन जब हमने फ़ोन लगाया तो फ़ोन स्विच ओफ्फ्। मैं और मोहित बहुत परेशान हुए पर क्या कर सकते थे जबतक राहुल से बात न होती।
फिर परिधि ने हमें आप के पास भेज दिया ये बोलकर की.... माँ आप जाओ जो इतना सोच सकता है वो थपड वाली बात को दिल से नहीं लगा मैं मना कर ले आउंगी घर।
फिर इसने जीपीएस से इसकी ट्रैकिंग की और जब ग्राउंड पहुंची तो वीडियो वाला एक्ट चल रहा था ।
परिधि जब पहुंची तबतक राहुल बेहोश था इसने राहुल को हॉस्पिटल मैं एडमिट करवाया और जब डॉ से पूरी टाइम का डेटाइले ली तो एक टेंटेटिव टाइम पर आने का बोल कर आपको एक कहानी सुना दी ।
इतना ही नहीं कुछ देर बाद जब इसे होश आया तो भगा बाहर की इसे जल्द से जल्द इंगेजमेंट मैं पहुंचना है। बहुत प्यार करता है आप लोगों से । इतना भागने के बाद तो लोग 10 दिन तक उठ नहीं पाते बिस्तर से पर इंगेजमेंट में आया तो पता तक नहीं चलने दी की ये इतनी तकलिफ में भी है।
जब ये मेरे गले लगा तो मैं बता नहीं सकती की मुझे कितनी सुकून मिला आत्मा का बोझ हल्का हो गया इतना ही नहीं, मालूम है यह क्या केहता है... आंटी अगर आप को बुरा लगा हो तो एक चांटा और मार लीजिए पर नाराज न हो जाएये।
अरे मोहित जी से तो अच्छे अच्छे बात नहीं कर पाते पर इस लड़के कद इतना बड़ा है की हम इस से बात नहीं कर पाते ।
फ्रेंड्स सारे गिले शिकवे दूर, सारे गम दूर आँखों मेंआंसू तो थे पर ख़ुशी के।
पर इन सब बातों से मुझे बहुत सुकूं था की चलो मेरे झूठ का तो अंत हुआ पर एक राज और था पर वो राज ही रहे तो अच्छा था ।
अब होना क्या था सब लोग मुझ पर गर्व मेहसूस कर रहे थे पर मैं तो नीरज भैया का आभारी था की हमेसा मेरे साथ और मेरे लिए खड़े रहे ।
फ्रेंड्स 2 घंटे बीत चुके थे बातों बातों में अब मासी सभा को भंग करते हुए सबको हॉल मैं चल्ने को कहा और मोहित अंकल एंड फॅमिली को खाना खा कर जाने को बोलने लगी जिसे रंजना आंटी (परिधी'की माँ) ने सहर्ष स्विकार किया।
सब चले गए बाहर मुझे आराम करने को बोल कर लेकिन मैंने परिधि को इशारा किया की प्ल्ज़ कुछ देर और बैठो अच्छा लग रहा है लेकिन चली गयी परिधि बिना कोई रिएक्शन दिए और कुछ देर बाद मेसेज आया....
बेस्ट ऑफ लक फॉर डेट भला मैं कबाब में क्यों हड्डी बनु ।
ओह हो बातों बातों मैं तो मुझे कल के बड़े मैं ध्यान ही नहीं रहा । अब क्या करू ?
क्या करूँ मैं अब?......
कहानी जारी रहेगी......
|