RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 27
मैं वापस अपने कमरे में आ कर यू ही लेटा था यही रात के 10 बजे होंगे....
तभी रूम की बेल बजी मैंने सोचा परिधि होगी और दरवाजा खोला सामने अंकल और आंटी थे ।
मैं चोंकते हुए.... अंकल आंटी आप इस समय कुछ काम था तो मुझे बुला लिया होता ।
आंटी.... नहीं बेटा हमने सोचा कि कल तुम चले जाओगे इसीलिए तुमसे बातें करने आ गए ।
अंकल.... अगर तुम्हे सोने जाना है तो कोई बात नहीं ।
मैं... क्या अंकल यदि मैं लाल होता तो क्या आप ऐसे बोलते ? आपका तो हक है मैं सोया भी रहू तो जगा कर काम बताने का
आंटी.... राहुल तुम फ़िल्म ज्यादा देखते हो न ।
मैं... क्यों आंटी ?
आंटी... नहीं तुम्हारे डायलॉग फिल्मी है । और फिर सब हँसने लगे ।
हमलोग आपस मे बात करते रहे बातों बातों में मैंने अंकल से पूछा... " अंकल ना तो मैने लाल की कोई हेल्प की किडनैपर्स से बचाने में और न तो कोई ऐसा काम की आप जो शहर की इतनी बड़ी हस्ती होकर मुझे अपने घर ले आए ।
मेरी बातों से अंकल , आंटी थोड़ा मुस्कुराते हुए...
" बेटा हमारी जिंदगी मैं कई ऐसे लोग आते है जिन्हें हम ढंग से परख नहीं पाते । यह दौलत ,यह शोहरत क्या है कुछ भी नहीं अगर आपके पास आपके चाहने वाले नहीं । मित्र नही आपका अपना परिवार नहीं "
" तो अब रही बात तुम्हारी की क्यों तुम यहाँ हो? तो सुनो तुम अपनी बेवकूफी और इंसानियत की वजह से यहाँ हो ।
मैं बड़े आश्चर्य से अंकल को देख रहा हूं था । अंकल ने बात को आगे बढ़ाते हुए....
" बेवकूफी यह कि तुम ऐसी हालात मैं घर से अकेले निकले जब तुम्हें अपना होश तक नहीं था । कुछ लोगों ने तुम्हे मेरे बच्चे को देखने को कहा और तुमने बिना सोचे समझे जिम्मेदारी उठाई । और अब जब तुम्हे देश के सबसे खतरनाक पुलिस स्कॉड सवाल कर रहे थे तो तुम बिन घबराए जवाब देते रहे बिना किसी बात की परवाह किए । लाल को उनके पास नहीं रहने देना चाहते थे वो भी बिना कुछ जाने कुछ पल की मुलाकात में " ।
" और यही से तुम्हारी इंसानियत शुरू होती है । मेरा लड़का बेहोश था तुमनें उसे सहारा दिया अपने कंधे का । कुछ लोग उसे तुमसे पहले ही अलग कर रहे थे पर तुमनें उसे केवल पुलिस के हाथों ही छोड़ा । जब तुमने मुझे यहां देखा तो तुमने पहचान लिया कि मैं कौन हूं पर मेरा पूरा परिवार स्टेशन पर मौजूद था वो तुम्हें कुछ याद नहीं । तुमने तो स्टेशन पर मुझे ऐसे नजर अंदाज किया जैसे तुम्हारे लिए कोई राह चलता आदमी " ।
कुछ देर रुक कर फिर बोलना शुरू किया....
" मैं जब पुलिस स्टेशन पहुचा तो तुम बेहोश थे पर जब तुम्हारे बारे में उनलोगों ने बताया कि इतना टॉर्चर के बाद तो लोग चिल्लाते है पर तुम मुस्कुराते रहे उनके हर डंडे पड़ने के बावजूद । मेरा कालेज जल उठा तुम्हारी हालत देख कर , मुझे बहुत पछतावा हुआ तुम्हारी इस हालत पर और सच कहूं तो उस वक्त मुझे अपने बेटे तक से नफरत होने लगी थी कि उसकी वजह से एक सच्चे आदमी की यह हालत हुई " ।
और अंत मे.... मुझे माफ़ कर दो बेटा मेरी वजह से तुमनें बहुत परेशानी उठाई ।
मैंने अपना बनावटी गुस्सा दिखाते हुए....
" मैं आप कौन है? कोई नहीं । तो मैं अभी जा रहा हूँ अपनी मासी के घर " ।
अंकल... क्या हुआ बेटा नाराज क्यों हो गए कोई गलती हुई क्या ?
मैं... क्या अंकल नाराज नहीं होऊ तो क्या ? आप बार बार माफी क्यों मांगते हो अपना कहते हो फिर एक पल में पराया कर देते हो ।
मेरी बात खत्म होते ही अंकल आंटी हँसने लगे । फिर हम उस रात बहुत देर तक बातें करते रहे । और अंत मे सबने एक दुसरे को गुड़ नाईट बोला और सोने चले गए ।
अब जब मैंने नार्मल था तो नींद भी नॉर्मलली खुली लेकिन रुटीन टाइम से थोड़ा लेट । अभी 5 : 30 हो रहे थे फिर मैंने अपना ट्रैक सूट पहना और पास के ग्राउंड पर पहुंच गया अपने रूटीन एक्सरसाइज करके 8 बजे वापसी हुई ।
इस ग्राउंड से वापसी के समय मुझे फिर ग्राउंड वापसी और रूही की याद आई पर अब मैं बहुत मायूस नहीं था क्योंकि कहि ना कहि मुझे लगने लगा था कि शायद मेरा एकतरफा प्यार था जो रूही को सता रहा था यदि मेरे ना मिलने से वो खुश है तो यही सही बस वो खुश रहे ।
यही सब सोचते मैं घर पहुंचा । अब तक सभी लोग जाग चुके थे , मैंने सभी लोगों को गुड़ मोर्निंग विश किया फिर ऊपर अपने कमरे में चला आया ।
कुछ देर सॉन्ग सुने फिर फ्रेश होने चला गया । जब लौटा तो मुझे कल का परिधि का मेरे रूम में आना याद आया । मैंने सोचा थोड़ा परिधि का हाल समाचार लिया जाए और चल दिया परिधि के रूम की ओर ।
मैं जब उसके रूम में पहुंचा तो रूम खुला था पर परिधि नहीं थी । मैंने सोचा शायद नीचे नाश्ते पर मेरा इंतजार कर रही होगी और मैं नीचे चल पड़ा । परिधि का अब भी कोई पता नहीं, मैं थोड़ा निराश हुआ फिर सोचा....
" चलो ठीक है कोई काम में होगी "
अब नास्ता भी हो गया और समय भी बीतता जा रहा था । 11 बजे तक जब मुझे परिधि नहीं दिखी तो अंत में मैं आंटी के पास गया पता करने , पर आंटी ने जब बताया कि वो अपने अंकल के पास आज सुबह ही चली गई । मैं थोड़ा निराश हो गया पर आंटी ने जब मुझे ऐसे देखा तो हँसते हुए बोली.... तुम्हारे लिए मैसेज छोड़ कर गई है ।
मैं उत्सुकता से... क्या आंटी ।
आंटी... बोल के गई है 2 दिन मे आ जाएगी और हाफ डे का सफर पूरा करेगी । और उसके बेड पर तुम्हारे लिए कुछ रखा है जाकर कलेक्ट कर लेना ।
अब मैं थोड़ा हल्का फील कर रहा था । मैं अब जा रहा था परिधि के रूम , पर कदम अचानक रुक से गए । आंटी के आंख में आंसू थे पता नहीं किस बात के । मैं आंटी के पास गया अपने हाथों से आंसू पोछे फिर पूछा... क्या बात है आंटी ।
आंटी.... कुछ नहीं बेटा बस ऐसे ही दिल भर आया ।
मैं.... बेटा भी कहती हो और बताती भी नहीं ।
आंटी..... नहीं राहुल मैं चाह कर भी बात नहीं कर सकती क्योंकि परिधि ने साफ मना किया है । अगर उसे मालूम हो गया तो मेरी बच्ची फिर से टूट जाएगी ।
मैं बहुत गंभीर होते हुए.... ठीक है आंटी मत बताइये क्योंकि यह विश्वास की बात है ।
आंटी.... बेटा मेरी एक बात मानोगे ।
मैं... क्या आंटी ?
आंटी.... " तुमसे मिलने के बाद बहुत दिनों बाद मैंने अपनी बच्ची को दिल से खुश होते हुए देखा है , अपना दुख वो कभी किसी के पास नहीं रोई आज तक अंदर ही अंदर बहुत दुख समेटे है । कल मोहित ने जब परिधि को इतना खुश होते हुए देखा तो रह नहीं पाए और मुझे फ़ोन करके बताए । ( रोते हुए ) बहुत अच्छा लगा कल अपनी बच्ची को खुश देख कर । प्लीज हमेशा कांटेक्ट में रहना " ।
मैंने दोनो हाथों से उनके आंसू पोंछे फिर.... आंटी मैं हमेशा आप लोंगो के कांटेक्ट में रहूँगा ।
आंटी के चेहरे पर एक धीमी से मुस्कान आई और मुझे जाकर अपना सामान लेने को बोला ।
और मैं उत्साह के साथ चल पड़ा परिधि के कमरे की ओर की आखिर रखा क्या है परिधि ने मेरे लिए....
कहानी जारी रहेगी......
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