RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 5
दिया ने वो बोला जो मैं कभी सोच भी नहीं सकता था और मैं बिल्कुल स्तब्ध रह गया।
दिया यू ही बातों - बातों में....... " भैया जब में चॉकलेट दे रही थी तो तुमनें क्या सोच कर नहीं लिया "
मैंने कहा .... ऐसी कोई बात नहीं है मैं कुछ सोच रहा था और तूने अचानक से दे दी तो गलती से रिएक्शन हो गया।
दिया.... झूठ मत बोलो आप पीछे देख रहे थे ( रूही की ओर इशारा करते हुए ) उस लड़की को और जब मैंने चॉकलेट दी तो एटीट्यूड दिखा रहे थे।
उसने जो भी समझ कर बोला सच्चाई तो यही थी , इतना सुनते ही मुझ पर जैसे बॉम्ब गिर गया हो मैं तो जम ही गया ।
मेरी परेशानी को शायद सिमरन समझ गई इसीलिए दिया को डाँटते हुए कहा .... "तुझे समझ नहीं आता कब क्या बोलना चाहिए " और खरी खोटी सुनाई ।
दिया .... हाँ डाँट लो छोटी हु न सच बात को ऐसे ही दवा दोगे।
सिमरन ..... दिया गलत बात , तुम्हें थोड़ा सोच कर बोलनी चाहिए बात , चलो रूही से सॉरी बोलो और राहुल से भी ।
यू तो उसका मन नहीं था क्योंकि वो अपनी बात पर भरोसा था फिर भी...... सॉरी भैया मजाक से कह दिया , सॉरी आपको भी रूही जी अगर आपको मेरी बात का बुरा लगा हो तो ।
रूही .... अरे नहीं दिया कोई बात नहीं थोड़ा बहुत मजाक तो माहौल को हल्का करता है, मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगा।
हम करीब 3 बजे तक वही बैठे रहे बाते करते हुए आपस में कि तभी माँ का फ़ोन आया । वो हम सब के बारे में जानकारी लेकर वहां से लौटने का निर्देश देती हैं शायद उनकी किट्टी पार्टी भी समाप्त हो गई थी । माँ की बात मानते हुए हम सब वापस लौट आए।
सबसे पहले रूही और किरण को छोड़ कर वहाँ से माँ को अपने साथ लिया फिर रास्ते में सोनल को छोड़ते हुए हम अपने घर वापस आ गए।
घर वापस होने के बाद कुछ खास नहीं होता हाँ पर आज जिस लड़की ( रूही ) से मिला वो बहुत ही खास थी और मैं उसीके ख्यालों में खोया हुआ था।
दिन अब यूँ है बीत रहे थे चूंकि में किरण को ट्रेनिंग देता था इसीलिए अक्सर उसके घर जाया करता था, जहाँ मेरी मुलाकात रूही से हो जाया करती थीं।
अब मैं और रूही एक दूसरे से नॉर्मलली मिलते थे अबतक मेरी हिम्मत नहीं हुई थी यह पूछने के लिए कि क्या हम फ्रेंड्स है। बस मन ही मन उसे चाहता रहता था। मैं दिल ही दिल प्यार के बारे में सिमरन, दिया , सोनल और किरण को हल्की भनक थी। दिन यूँ ही बीत रहे थे और रूही के प्रति मेरा आकर्षक दिन ब दिन बढ़ता जा रहा था । हमारी जब कभी मुलाकात होती तो वो मुझसे बाते करती और मैं उसका प्यारा चेहरा बड़े गौर से देखा करता ।
यूँ तो दिल के अरमान किसी सागर से कम नहीं थे पर मैं उसके एक झलक का प्यासा था । मैं शुरू से ही बहुत ज्यादा बातें नहीं कर पाता था किसी बाहरी लड़की से इसलिए मेरी बहुत ज्यादा रूही से ज्यादा बात नहीं हुई थी , क्योंकि वो बहुत बात करती थी ।
धीरे धीरे मेरा एक तरफा प्यार परवान चढ़ने लगा था और इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह था कि में बाहरी दुनिया से कुछ दिनों से कट चुका था ।
सुबह रूटीन वेक अप फिर ग्राउंड , ग्राउंड से किरण का घर , और फिर वहाँ से अपने घर ।
अपने घर में भी सीधा अपने कमरे में दिन भर ना किसी से बात करना ना घर में सबके साथ बैठना बस अपनी ही दुनिया में खोए रहना ।
एक दिन की बात है मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था यही कोई 3 pm हो रहे थे कि सामने से सोनल और दिया मेरे रूम में आती हुई नजर आई ।
मैं .... क्या बात है देवियों आज भाई की कैसे याद आई ।
दिया ..... तुम तो रहने ही दो भैया तुम्हे किसी से क्या मतलब ।
अबतक दोनो मेरे पास आकर बैठ चुकी थी।
मैं ..... क्या हुआ सोनल दिया आज इतने गुस्से में क्यों है।
सोनल ने कोई जवाब नहीं दिया बस मेरी तरफ देखी और रोने लगी।
हमारी गुड़िया अचानक रोने लगी और बात क्या थी अबतक उसका कोई ज्ञान नहीं था और मैं चिंतित हो गया।
मैं ..... क्या बात है बता मुझे ऐसे क्या बात हो गई कि हमारी गुड़िया रोने लगी।
दिया .... भैया वो सोनल वो ...
मैं .... यह वो यह वो क्या है यह सब सीधे सीधे बोल क्या हुआ है ।
दिया ..... भैया सोनल को एक लड़का परेशान कर रहा है ।
मैं कुछ सोच कर सोनल की तरफ देखते हुए..... अरे लड़के तो ऐसे ही कमेंट पास करते रहते है इग्नोर करो इनको,तुम दोनों हो ही इतनी खूबसूरत इसलिए तो पीछे पड़े हैं ऐसे कमेन्ट को कॉम्प्लिमेंट समझो ।
दिया ..... ( चिढ़ते हुए ) वो कमेंट्स नहीं बहुत गंदे कमेंट्स करते हैं जो आज तक हमने नहीं बताई पर आज तो हद ही हो गई।मुझे अब बहुत चिंता हो उठी मेरी गुड़िया रोते हुए और ऊपर से पहले से कुछ लड़के उन्हें परेशान कर रहे थे।
मैं .....क्या हुआ ।
दिया और सोनल एक दूसरे को देख रहे थे फिर सोनल ने धीमे से रोती हुई ...... भैया उसने मुझे यहाँ पकड़ा ( अपने सीने की तरफ इशारा करते हुए ) ।
" आह ।।। कौन है कहाँ मिलेगा वो जल्दी बताओ "
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