RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
नंदू गहरी साँसे लेता हुआ निशि पर पड़ा हुआ था और अचानक निशि ने कुछ ऐसा कहा की नंदू चोंक गया
''भैय्या ....आप माँ के साथ भी ऐसा करना चाहते हो ना...उन्हे भी आप...आप चोदना चाहते हो ना...??''
उसकी बात सुनकर नंदू को समझ नही आया की वो क्या कहे...बस उसके ऊपर से उतारकर वो साइड में हो गया.... जिस राज को उसने आज तक किसी को नही बताया था वो उसकी बहन को कैसे पता चल गया...
अब शायद उसके रिश्तो के मायने एक बार फिर से बदलने वाले थे.
*********
अब आगे
**********
अपनी बहन के सामने उसके दिल के राज तो खुल ही चुके थे,
दोनो अब दो बदन एक जान भी हो चुके थे, ऐसे में वो निशि से कोई भी बात छुपाना नही चाहता था...
और अंदर से वो यही चाहता था की निशि को ये बात पता चले और वो उसकी माँ को चोदने में मददगार साबित हो
वो उन दोनो के साथ इतना खुल जाए की घर में रहकर जब चाहे किसी को भी चोद सके
और एक दिन ऐसा भी आए की दोनो को एक ही बिस्तर पर नंगा लिटा कर चोद सके..
इस नयी सोच के आते ही उसके दिमाग़ में पिक्चर सी चलने लगी, जिसमें दोनो माँ बेटियाँ उसे अपने हुस्न की दावत खिला रही थी.
उस मुंगेरी लाल को अपने सपनो की दुनिया में खोया देख निशि फिर से बोली : "बोलो भैय्या ...आप माँ को भी चोदना चाहते हो ना...''
उसने मुस्कुराते हुए निशि के नंगे बदन को देखा और बोला : "हाँ मेरी जान....और ये इच्छा आज या कल से नही बल्कि बरसों से है मेरे दिल में ....और तुम्हारा साथ मिला तो ये काम भी जल्द ही कर लूँगा...''
उसका इतना कहना था की निशि गुस्से में बिफर पड़ी : "आपने मुझे समझ क्या रखा है, मैं भला क्यों चुदाई करवाने में हेल्प करूगी आपकी.... जिस तरह की इच्छा आपके मन में माँ के लिए है वैसी ही मेरे दिल में आपके लिए है, और वो भी बरसों से, और अब आप सिर्फ़ मेरे हो...सिर्फ़ मेरे...मेरे अलावा किसी और के बारे में सोचना भी नही समझे...वरना मैं तो हाथ से जाउंगी ही , आपके हाथ किसी और को भी नही लगने दूँगी, चाहे वो मेरी माँ ही क्यों ना हो....''
वो बोलती जा रही थी और नंदू अपने खुले मुँह से उसकी बाते सुनकर हैरान बैठा था...
उसे तो एक प्रतिशत भी नही लगा था की वो इस बात का विरोध करेगी,
बल्कि उसे तो निशि से मदद मिलने की पूरी उम्मीद थी,
ऐसे में वो उसके इस रूप को देखकर यही सोचने पर मजबूर हो गया की अब करे तो क्या करे...
माँ की तरफ जाता है तो ये भी हाथ से निकल जाएगी,
और इसने अगर किसी को इस बात के बारे में ज़रा भी बता दिया तो उसकी और उसके पूरे परिवार की गाँव भर में जो बदनामी होगी, उसके बाद वो वहां रहने के काबिल भी नही रहेंगे...
ये सोचते ही उसके चेहरे पर पसीना आ गया.
वो बोला : "पर....पर निशि ....ये जो हम कर रहे है...ये...ये भी तो गलत है.....फिर वही सब माँ के साथ करने में भला...''
निशि फिर से फुफकारती हुई बोली : "मैने कह दिया ना भैय्या, आप सिर्फ़ मेरे बारे में ही सोचोगे...और यही आपके लिए अच्छा रहेगा.....क्या सही है और क्या गलत ये मैं नही जानती, जानती हूँ तो बस इतना की आप पर मेरे सिवा किसी का भी हक नही है...समझे''
और इस धमकी के बाद वो नंदू को उपर से नीचे तक घूरकर देखती हुई खड़ी हुई और नंगी ही उठकर अपनी गांड मटकाती हुई बाथरूम में घुस गयी...
और पीछे बैठा रह गया नंदू जिसे अब भी विश्वास नही हो पा रहा था की उसकी बहन ने वो सब कहा है उससे.
अंदर जाते ही निशि के चेहरे की स्माइल देखने वाली थी, बड़ी मुश्किल से उसने अपनी हँसी को रोक के रखा था नंदू के सामने, जो बाथरूम में आते ही उसके चेहरे पर आ गयी..
ये सब जो उसने अपने भाई से कहा था वो उसने सिर्फ़ 5 मिनट पहले ही सोचा था....
नंदू ने जिस गर्मजोशी के साथ उसकी चुदाई की थी, और उसे वादा किया था की उसे रोज सुबह उठकर चोदेगा , रात को सोने से पहले अपना लंड उसकी चूत में पेलेगा, ये उसे अंदर तक आनंदित कर गया था...
पर फिर उसने सोचा की इन सबके बीच उसकी माँ भी तो है,
जिसपर नंदू कब से अपनी नज़रें गड़ाए बैठा है,
उस दिन पिंकी के साथ जब वो खेतो में गयी थी तो वो कितनी बेशर्मी से अपने लंड को निकाल कर मसल रहा था और दूर खड़ी उसकी माँ वो सब नही देख पा रही थी, जो उन दोनो ने देख लिया था...
और अब अगर नंदू उसके बाद माँ को भी रिझाकर चोदने में कामयाब हो जाता है तो उसके पल्ले तो कुछ भी नही पड़ेगा....
जो चुदाई के वादे उसने अभी कुछ देर पहले तक किए थे वो सब पानी में बह जाएगे क्योंकि माँ भी तो बरसो से प्यासी है, उसे भी तो अपने जिस्म की आग को बुझाने के लिए नंदू के लंड का पानी दिन रात चाहिए होगा,
ऐसे में उसके हिस्से तो कुछ भी नही आएगा....
और एक बार लंड खायी लड़की इतनी भी भोली नहीं रहती की वो इतनी आसानी से अपने हिस्से का मजा किसी और को लेने दे, लंड एक ऐसा पेचकस है जो चूत में घुसकर दिमाग के सारे पेच खोल देता है , और यही निशि के साथ भी हुआ था, और ये सब सोचकर ही उसने ये ड्रामा किया था अपने भाई के सामने...
पर अंदर ही अंदर निशि ये अच्छी तरह से जानती थी की वो नंदू को ज़्यादा दिनों तक रोक कर नही रख पाएगी क्योंकि उसके सामने ना सही वो उसकी पीठ पीछे तो ज़रूर माँ को चोदने की कोशिश करेगा...
और हो सकता है की अगले 10-15 दिनों में वो उन्हे चोद भी डाले...
बस इतने ही दिन उसके लिए बहुत थे,
दिन रात चुदने के लिए,
उसके मोटे लंड को लेने के लिए,
अपनी प्यास उसके लंड से बुझाने के लिए...
पिंकी के साथ रह-रहकर इतनी चालाकी तो वो सीख ही चुकी थी,
और उसे पता था की जब वो ये बात पिंकी को बताएगी तो वो भी उसे शाबाशी दिए बिना नही रह सकेगी...
अपनी इस छोटी सी कामयाबी पर उसे बहुत गुमान हो रहा था,
यही सब सोचते-2 वो मंद-2 मुस्कुराए जा रही थी और शावर के नीचे खड़ी होकर अपने बदन को रगड़ कर सॉफ कर रही थी....
दोनो भाई बहन के प्यार का मिश्रण उसकी चूत से निकल कर नाली में जाने लगा
नंदू भी अपने कपड़े पहन कर नीचे उतर गया और नहा धोकर अपने बिस्तर पर जाकर सो गया...
पर नींद तो उसकी आँखो से कोसो दूर थी,
रह रहकर उसे निशि की बातें और उसकी धमकियाँ याद आ रही थी...
उसकी बहन ने जो हालात उसके सामने पैदा कर दिए थे उसमें वो फँस सा चुका था,
पहली बार वो अपने आप को किसी और के इशारों पर नाचता हुआ महसूस कर रहा था.
निशि नहा धोकर पिंकी के घर की तरफ निकल गयी....
और वहां जाकर उसे अपनी अक्लमंदी से भरी बातों को मिर्च मसाला लगा कर सुना डाला...
पिंकी कुछ देर तक तो अवाक सी होकर उसे देखती रही...
शायद उसे निशि से इस अकल्मंदी से भरी चाल की उम्मीद नहीं थी.
पिंकी : "साली...तू तो बड़ी चालू निकली....मुझे तो लगता था की...''
निशि : "यही ना की मुझमें तेरे जितनी अक्ल नही है.... हे हे...पर तेरे साथ रहकर इतना तो मैं सीख ही गयी हूँ ....''
पिंकी उसके सामने सुपीरियर बने रहना चाहती थी इसलिए उसने उसकी इस चाल में भी कमी निकाल दी.
पिंकी : "वैसे नो डाउट की तूने चाल अच्छी चली पर तुझे पता भी है इसमें तेरा ही नुकसान है...''
निशि : "नुकसान....मेरा...मुझे तो लगा था की इसमें फ़ायदा ही फायदा है....नंदू भाई सिर्फ़ मुझे ही अपने मोटे लंड से चोदेगे...दिन रात....सुबह शाम...जब मैं चाहूँ तब....''
पिंकी : "वो तो सही है...पर तूने जिस तरह की कंडीशन रखी है, उसमें तुझे अब नंदू की चुदाई में कोई पैशन नज़र नही आएगा...क्योंकि अपने पार्ट्नर को अगर तुम डरा कर रखोगे तो वो तुम्हे सैक्स में वो मज़ा नही दे पाएगा जो वो बिना डरे दे रहा था...''
उसकी बात सुनकर निशि एक गहरी सोच में डूब गयी....
उसने मन में सोचा की बात तो वो सही कह रही है..
पर बेचारी ये नही सोच पाई की ये बात भला कर भी कौन रहा है जो आजतक खुद चुदी नही है...
पर फिर भी निशि को पिंकी की बातें हमेशा तर्क से भरी लगती थी,
वो जिस तरह से प्लानिंग करके हर काम करती थी उन्हे पूरा होने के बाद उसे भी उतना ही मज़ा मिलता था जितना उस काम को सोचने में मिलता था.
पिंकी : "तूने कल रात को नंदू से चुदाई करवाई....और आज सुबह फिर से .... और अब उसे तूने अपनी धमकी के डर से दबा दिया है, अगली बार जब वो तेरी चूत की कुटाई करेगा तो उसमें वो पैशन , वो उत्तेजना नही होगी जो पहली दो बार में थी...मेरी बात पर विश्वास नही है तो आज रात ही देख लियो...''
निशि बेचारी अंदर से डर गयी....
बड़ी मुश्किल से तो नंदू उसके हाथ लगा था, और अपनी चालाकी से उसे अपने शिकंजे में दबाए रखने की चाहत में वो अब उसे खोना नही चाहती थी...
इसलिए वो लगभग कांपती हुई सी आवाज़ में बोली : "नही नही....मैं ऐसा बिल्कुल नही चाहती पिंकी....मु..मुझे...तो इस चुदाई में कोई कमी नही चाहिए....तू प्लीज़ बता ना, मेरी हेल्प कर...क्या करू मैं ....''
इस बार पिंकी के चेहरे पर जो मुस्कान आई वो ऐसी थी जैसे दुनिया भर की अक्ल उसके पास ही है...
निशि को अपने सामने फिर से भोंदू बना देखकर उसे अंदर से खुशी हो रही थी,
भले ही इसके पीछे उसका कोई फायदा या पहले से सुनिश्चित किया हुआ इरादा नही था
पर जिस अंदाज से निशि ने अपनी बड़ाई करते हुए वो शेखी बघारी थी, वो बस उसे चकनाचूर करना चाहती थी...
भले ही दोनो बचपन से दोस्त थे पर इंसानी फ़ितरत होती है ना, अपने आप को ऊँचा रखने की चाहत , वही पिंकी में थी जो उससे ये सब करवा रही थी...
पिंकी : "देख...इसके लिए जो मैं कहूं वो तुझे करना पड़ेगा....''
निशि : "हाँ यार, तू बोल तो सही...''
पिंकी : "देख, तूने उसे अपनी माँ से तो दूर कर दिया है, इसलिए उन्हे दोबारा पेश करने की कोशिश करेगी तो वो समझ जाएगा की तेरी बातो में दम नही है...इसलिए तुझे उसे कोई और लालच देना पड़ेगा ताकि उस लालच में फंसकर वो तेरी पहले जैसी चुदाई भी करे और तेरा नुकसान भी ना हो...''
निशि : "वो कैसे...''
पिंकी : "तू नंदू को मेरे बारे में कहकर फँसा....उसे लालच दे की वो अगर सिर्फ़ तुझे ही चोदता रहेगा तो तू उसकी मेरे साथ चुदाई में मदद करेगी....''
निशि की आँखे गोल हो गयी....
एक पल तो उसे लगा की पिंकी वो सब सिर्फ़ अपने फायदे के लिए ही कर रही है पर कुछ देर पहले जो पिंकी ने कहा था वो बात भी उसे सही लगी थी....
इसलिए उसने वो विचार अपने दिमाग़ से झटक दिया की वो सिर्फ़ अपने लिए ही ये सब कर रही है...
वैसे भी उन दोनो में पहले से ही डिसाइड हो चुका था की निशि पहले अपनी भाई से चुदवायेगी और फिर पिंकी लाला से...
निशि तो चुदवा ही चुकी थी, इसलिए अब पिंकी का नंबर था लाला से चुदवाने का...
और बाद में तो दोनो ने डिसाइड कर ही रखा था की आपस में एक दूसरे के पार्टनर्स यानी लाला और नंदू से भी चुदवा ही लेंगे...
तो इस तरह से देखा जाए तो पिंकी को लाला से चुदाई करवाने के बाद नंदू का लंड तो वैसे ही मिलने वाला था...
ऐसे में वो भला अपने आप को बीच में डालकर क्यो अपनी दोस्त को दुश्मन बनाएगी...
इसलिए इन सब बातो को विराम देते हुए उसने पिंकी की बात मान ली...
पिंकी : "देख, वैसे तो इसमें मुझे कोई लाभ नही मिलने वाला है, मेरा मतलब है, मिलेगा तो सही , आज नही तो कल वो मेरी भी लेगा (ये कहते हुए उसके गाल लाल हो गये..), पर तुझे अब नंदू के सामने मुझे चारे के रूप में इस्तेमाल करना होगा ताकि वो मेरे लालच में तेरी पहले जैसी चुदाई करता रहे...इसके 2 फ़ायदे होंगे, पहला तो ये की उसका अपनी माँ की तरफ से ध्यान हट जाएगा और दूसरा ये की जब तक उसका मेरी चुदाई करने का मौका आएगा (यानी लाला से उसकी चुदाई के बाद), तब तक हम दोनो आपस में काफ़ी खुल चुके होंगे, जैसे अभी हम लाला से खुले हुए हैं ...और तब हमें भी आपस में चुदाई करने में ज़्यादा परेशानी नही होगी...''
पिंकी की ये बात सुनकर निशि का चेहरा खिल उठा...
क्योंकि पिंकी के अनुसार वो उसे सिर्फ़ उपर -2 से ही मज़े देगी...
यानी नंदू के लंड की मलाई पर सिर्फ़ उसका ही हक होगा...
पिंकी की इस बात में उसे दोनो का ही फ़ायदा दिख रहा था....
अब वो भी सोच रही थी की चाहे जो भी है, पिंकी आख़िर पिंकी ही है..
पर अभी तो नंदू से पहले पिंकी के दिल में लाला के नाम की धुन बज रही थी....
क्योंकि निशि की चुदाई की कहानियां सुनकर उसकी चूत का बुरा हाल हो रहा था...
अब उसकी चूत का भी सिर्फ़ चुसाई या रगड़ाई से काम नही चलने वाला था,
उसे भी अपने अंदर एक मोटा लंड चाहिए था....
एक मर्द का लंबा लंड,
लाला का लंड.
इसलिए दोनो अपने अगले कदम, यानी पिंकी की लाला से चुदाई करवाने की प्लानिंग करने लगी..
|