Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:27 PM,
#79
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
रात को नाज़िया की चूत का बाजा बजाने के बाद आज सुबह वो फिर से अपने आप को तरो ताज़ा महसूस कर रहा था....

रोजाना की तरह वो नहाते हुए अपने कसरती लंड पर सरसो के तेल की मालिश कर रहा था, जिसमें नहाकर उसका रामलाल ऐसे दमक उठा जैसे आज लौण्डे की शादी होने वाली है...

लाला ने तेल की धार रामलाल के चेहरे पर मारी और कराहते हुए बोला : "अहह......... रामलाल...तेरी किस्मत तो दिन रात चमकती ही जा रही है, शबाना के बाद नाज़िया और अब पिंकी और निशि भी लाइन में लगी है.....इन दोनो की मारने में तो कसम से बड़ा मज़ा आने वाला है.......ख़ासकर पिंकी की... उसे देखकर तो तेरी नसें भी अकड़ जाती है.....कसम से, एक दिन ऐसा भी आएगा जब तू एक-2 करके दोनो की चूत में घुसेगा, तब असली मज़ा मिलेगा जिंदगी का...''

लाला खुद से और रामलाल से बाते करता हुआ इतना उत्तेजित हो गया की उसके हाथ बिजली की तेज़ी से अपने लंड पर चलने लगे...



वो तो आख़िरी मौके पर जाकर उसने रोक लिया वरना उसके लंड का रायता वहीं फैल जाना था.
और आज के दिन वो ऐसा करना नही चाहता था...
वैसे भी , जब से उसे इन कमसिन लौंडियों का साथ मिला है तब से उसने मूठ मारनी बंद ही कर दी थी...
और आज तो होली का मौका था, अपने लंड की पिचकारी वो बिना किसी की चूत में घुसाए वेस्ट नही करना चाहता था, इसलिए उसने अपना हाथ वापिस खींच लिया और अपनी मुट्ठ की मैराथन को विराम लगाया.

कुछ ही देर में नहा धोकर वो दुकान पर आकर बैठ गया...
थोड़ा बहुत धंदा भी तो देखना था, वरना इस चूत मराई के चक्कर में उसकी गांड मराई हो जानी थी.

करीब आधे घंटे तक वो ग्राहको को समान बेचता रहा...
रंग भी रखे थे उसने दुकान पर जिनकी बिक्री आज बड़े ज़ोर शोर से हो रही थी...
अपनी दुकानदारी में वो इतना खोया हुआ था की उसे पिंकी और निशि के आने का भी आभास नही हुआ...
वो दोनो जब वहां पहुँची तो लाला की दुकान पर करीब 8-10 लोग खड़े थे...
उन्हे निपटाते हुए जैसे ही लाला की नज़र पिंकी पर पड़ी तो वो वही जम कर रह गया...
और रहता भी क्यों नही, आज होली का मौका था और जैसा उसने सोचा था ठीक वैसा ही हो रहा था उसके साथ, जिनके बारे में सोचकर वो सुबह अपने रामलाल को मसल रहा था वो दोनो उसके सामने खड़ी थी,
और आज तो उनके हुस्न में चार चाँद लगे हुए थे, दोनो के चेहरे गुलाल से रंगे हुए थे, और टाइट टी शर्ट में उनकी ब्रा भी गीली होने की वजह से चमक रही थी...जिससे दोनो और भी ज़्यादा सैक्सी दिखाई दे रही थी...



कुछ देर में ही लाला ने उन दोनो को छोड़कर सबको निपटा दिया ,
अकेले होते ही लाला की ज़ुबान से चाशनी बरसने लगी

''आओ आओ.... मेरी राजकुमारियों ... आज तो दोनो के बदन इतने सख़्त दिख रहे है की मन कर रहा है की इन्हे दबोच कर सारा रस निकाल दूँ ....''

पिंकी थोड़ा आगे झुकी, जिसकी वजह से उसकी टी शर्ट के अंदर से उसकी क्लिवेज दिखाई देने लगी,
और बोली : "लाला, कसम से, तेरी यही बाते तो हमें तुम्हारी तरफ खींच लाती है....इन संतरो का सारा रस तुम्हारा ही तो है, अब इसे दबोच कर निकालो या चूस कर निकालो, सब तुम्हारे उपर ही है...''

पिंकी ने जिस अंदाज से ये बाते कही थी, लाला के लंड की पिचकारी निकलते-2 बची....
साली दिन ब दिन हरामी होती जा रही है, अपनी बातो से ही किसी का भी पानी निकलवा दे, ऐसा चालु माल बनती जा रही थी ये पिंकी तो...

पिंकी की देखा देखी, निशि भी लाला का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करते हुए बोली : "सही तो कह रही है ये पिंकी लालाजी, जब से आपके हाथ लगे है, इन निगोडे संतरों में अजीब सी कुलबुली मची रहती है, मन तो करता है की पूरा दिन खुद ही दबा कर इन्हे आराम पहुँचती रहूं , पर आप के होते हुए हम ये काम क्यो करे भला, इसलिए चले आए...''

उन दोनो की मंशा सॉफ थी, आज वो पूरी तरह से लाला की धोती में बवाल मचाने आई हुई थी....

पर लाला को एक बात पिछले कुछ दिनों से खटक रही थी, और वो ये की पहले तो वो खुद ही अपनी तरफ से लाला को उकसाती रहती थी, पर जब से लाला ने उन्हे चोदने की बात मन में पक्की की थी तब से ही वो सिर्फ़ उपर के मज़े लेकर निकल जाती थी....
हालाँकि इसी बीच लाला के लंड को एक और कुँवारी चूत यानी नाज़िया का स्वाद मिल चुका था और अपनी तरफ से वो भी थोड़ा धीरे ही चल रहे था, पर लाला को भी पता था की अपनी तरफ से उन्हे इतना भी ढीला नही पड़ना है की इन कमसिन लड़कियों पर जो उन्होने मेहनत की है, उसका फल कोई और ले जाए...
इसलिए अब वो किसी भी कीमत पर उन्हे चोदना चाहता था.

पर लाला को इस बात का आभास नही था की निशि और पिंकी के बीच किस तरह की मांडवाली हुई है....
वैसे तो दोनो ही लाला को अपनी चूत देने वाली थी, पर पहले निशि को नंदू से मरवानी थी और उसके बाद पिंकी का नंबर आने वाला था लाला के साथ और इस बारे में वो दोनो एकदम अडीग थी...और लाला को ये बात बताने का तो कोई मतलब ही नहीं था.

पर आज उनके हाव भाव से लाला को अंदाज़ा हो रहा था की शायद वो आज ही का दिन है जिसमें रामलाल एक और कुँवारी चूत के खून को चख सकता है...

लाला उन दोनो की बात सुनकर मुस्कुरा दिया और धोती में अपना हाथ डालकर अपने लंड को मसलते हुए बोला : "आज तो लगता है होली सही ढंग से मनानी पड़ेगी...''

इतना कहते हुए उसने अपने सामने खड़ी पिंकी के झूल रहे स्तनों को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया...
उसने चिहुंकते हुए सामने पड़ा गुलाल का पेकेट उठाया और उसे खोलकर लाला के उपर उछाल दिया...
पिंकी की देखा देखी निशि ने भी रंग उठाया और भागकर काउंटर के अंदर की तरफ आ गयी और वो रंग लाला पर उडेल कर उन्हे पूरा रंगीन बना दिया..
ऐसा करते हुए दोनो किलकारियां मार कर हंस भी रही थी...

जब लाला ने देखा की दोनो उसपर हावी हो रही है तो उसने अपने कुर्ते की बाजुए उपर की और अपने हाथ में एक रंग का पेकेट उठा लिया...दोनो सहेलिया लाला से बचने के लिए अंदर घर के बीच बने आँगन की तरफ दौड़ गयी... लाला भी किसी गली के गुंडे की तरह मुस्कुराता हुआ उनके पीछे-2 अंदर घर में आ गया और आने से पहले उसने अपनी दुकान का शटर भी गिरा दिया...
आज वो इन हिरनियों से अच्छी तरह से होली खेल लेना चाहता था.

पर अंदर आते ही लाला को लेने के देने पड़ गये....
पिंकी ने बाथरूम से एक पानी की बाल्टी उठाई और उसे खींच कर लाला के चेहरे पर उडेल दिया...
लाला का पूरा शरीर गीला हो गया और गीले कपड़ो में उसकी धोती में खड़ा हुआ काला नाग सॉफ दिखाई देने लगा...

लाला संभला और उसने रंग का पेकेट खोलकर उन दोनो के चेहरो पर रगड़ना शुरू कर दिया...
दोनो क़हक़हे लगाती हुई लाला से लिपट-2 कर रंग लगवाने लगी..
जैसे-2 लाला के हाथ उन दोनो के चेहरो और जिस्मो पर फिसल रहे थे, माहौल में थोड़ी और रंगिनियत आने लगी...
उनका हँसना और कसमसाना कम होने लगा और दोनो के मुँह से लाला के हाथ लगने से हर बार एक मीठी सिसकारी निकलने लगी...
लाला को तो पता ही था की उसके स्पर्श का जवान जिस्म पर क्या असर होता है, इसलिए उसे देर नही लगी अपने हाथो को और भी ज़्यादा सटीक जगहों पर लगाने में ...
यानी अब वो अपने हाथ उन दोनो के स्तनो पर घुमा रहा था....
अपने हाथ वो उनकी टी शर्ट में घुसा कर उनके मुम्मों को बुरी तरह से मसल रहा था

टी शर्ट में कसी हुई मोसम्मियों को मसलने में आज कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था लाला को...
लाला ने पास पड़ा पानी का पाइप उठाया और नल चला कर उसका पानी उन दोनो पर फेंकने लगा....
जैसे-2 दोनो के जिस्म भीगते जा रहे थे, उनका हुस्न पारदर्शी होता जा रहा था...
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:27 PM

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