Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:21 PM,
#40
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
नाज़िया जब उनके करीब आई तो सबसे पहले उसने पहले की गयी ग़लती की माफी माँगी ताकि अब उनके बीच में कोई दूरी ना रहे...
पिंकी तो पहले से ही वो सब बाते भूल चुकी थी इसलिए जल्द ही पुरानी बातो को दरकिनार करके तीनो सहेलियां खिलखिलाकर एक दूसरे से बाते करने लगी..



वो तीनो उठकर स्कूल के पीछे बने एक छोटे से बगीचे में जाकर बैठ गये...
घने झाड़ के पीछे छुपकर, जहाँ बैठकर अक्सर वो स्कूल के पीरियड्स गुल किया करते थे...

उनकी बातें वहां भी जारी रही...
और जैसा की पहले हुआ करता था, कुछ ही देर में पिंकी ने बातो का रुख़ सैक्स की तरफ मोड़ दिया...
और इस बार नाज़िया उन बातो को सुनकर भागी नही और ना ही शरमाई ...
बल्कि बड़े ही चाव से उसकी रसीली बातो को सुनकर उनका स्वाद लेने लगी..

पिंकी : "यार...ये साली जवानी जब से आई है ना, पूरे बदन में एक अजीब सी हरारत होती रहती है दिन भर...मन करता है की नंगी होकर बिस्तर पर लेट जाऊ और कोई जोशीला मर्द आकर मुझे उपर से नीचे तक मसल डाले...अपने सख़्त हाथो से मेरी छातिओ को...मेरी गांड को...मेरी जाँघो को और चूत को ज़ोर से दबाए और उनमें हो रहा मीठा दर्द बाहर खींच निकाले...''

निशि ने उसकी बात पर सहमति जताते हुए कहा : "हाँ यार.....मुझे भी आजकल ऐसी फीलिंग होती रहती है....कल तो क्लास में भी एकदम मेरी मुनिया में से अचानक ही गर्म पानी निकलने लगा... मैथ्स वाले टीचर के सामने ही, उनके बारे में ही सोचकर, और फिर उनकी आँखो से बचकर, मैने अपनी मुनिया को ज़ोर से रगड़ा...तब जाकर शांत हुई वो निगोडी...वरना मैं तो पागल सी हो रही थी...मन कर रहा था की भरी क्लास में सारे कपड़े निकाल कर नंगी हो जाऊँ और पूरी क्लास के लड़के लड़कियां मेरे नंगे शरीर से खेले...मेरी मुनिया को चूसे ...और अपने गरमा गरम पेशाब से मुझे नहला डाले...''

उन दोनो की ये गरम बातें नाज़िया के जवान जिस्म पर क्या प्रभाव डाल रही थी ये दोनो अच्छे से जानती थी....
और वो कहते है ना, एक दूसरे की बाते सुनकर अपने दिल की बाते भी निकल ही जाती है...
वही हो रहा था नाज़िया के साथ भी....

वो भी बेचैनी से अपनी छाती पर चमक रहे निप्पल को रगड़ती हुई बोली : "हाँ यार...तुम दोनो ठीक कह रही हो....परसो मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था....मैने किसी को चुदाई करते हुए देख लिया...और उन्हे देखकर मेरा पूरा शरीर जल सा रहा था....मेरी जाँघो के बीच अंगारे से जल रहे थे...उंगलिया डाली अंदर तो ऐसा लग रहा था जैसे झुलस जाएगी...पर वो नज़ारा था ही ऐसा की मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल सा हो रहा था...मैने अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और भरी दोपहरी में नंगी होकर अपनी चूत को ज़ोर-2 से मसला...और तब तक मसला जब तक वो नदी की तरह बह नही गयी...''



उसकी बाते सुनकर पिंकी और निशि के बदन तपकर लाल से हो गये...

पिंकी ने उसकी जांघो पर अपने हाथ रखे और उन्हे धीरे-2 मसलने लगी...
और बोली : "पूरी बात बता ना नाज़िया...किसे देखा तूने...अच्छे से बता ना...ऐसे मज़ा नही आता...''

नाज़िया सकुचा रही थी...
शायद अपनी माँ की बदनामी के डर से वो उन्हे बोल नही पा रही थी..

पिंकी ने उसे आँखे चुराते देखा तो वो निशि से बोली : "चल निशि ..ये तो आधी अधूरी बातें कर रही है...हम एक दूसरे से कोई बात नही छुपाते...और इसे देख, कितने नखरे कर रही है...जब छुपाना ही है तो बताया क्यों ..और ऐसा करना ही था तो हमारे पास आई ही क्यो...हमसे दूर ही रह अगर ये सब करना है तो...''

इतना कहकर उसने निशि का हाथ पकड़ा और दोनो उठकर चल दी..

''रूको.......मेरा वो मतलब नही था.....वो ...वो मुझे बस.....बदनामी का डर था....इस...इसलिए....नही बता रही थी...''

नाज़िया के मुँह से ये सब सुनकर दोनो की आँखे चमक उठी...
एक पल के लिए तो उन्हे लगा की वो खुद ही चुद चुकी है,
और किसी और की चुदाई को देखने का बहाना कर रही है...

वो दोनो तुरंत वापिस बैठ गयी और बोली : "किसकी बदनामी नाज़िया....हमसे छुपाने की कोई ज़रूरत नही है री...हम किसी को नही बताएँगे ...अपने माँ -बाप की कसम...हाँ ...''

दोनो सहेलियो ने तुरंत कसम खा डाली, ताकि नाज़िया को उनपर विश्वास हो जाए...
और वो हो भी गया.

वो बोली : "ठीक है....ये बात हम तीनो के बीच ही रहनी चाहिए....समझे...''

निशि : "हाँ ...हाँ ..समझ गये....अब बता...किसे देखा तूने....''

नाज़िया ने सकुचाते हुए कहा : "लाला को.....''

लाला का नाम सुनते ही दोनो की आँखे फटी की फटी रह गयी...
इस साले लाला ने इस नन्ही सी चूत को भी नही बख़्शा ....
साला हरामी कुत्ता...

वो दोनो अपनी ही अटकलें लगाकर लाला और नाज़िया की चुदाई के बारे में सोच रही थी की नाज़िया ने आगे कहा : "अपनी अम्मी के साथ....''

उसके ये शब्द एक बार फिर बॉम्ब बनकर दोनो के कानों में गिरे...

उसकी अम्मी तो उनकी नजरों में पहले से ही रंडी का खिताब पा चुकी थी.

यानी, लाला ने नाज़िया की अम्मी, शबाना को चोदा ...

और ये सब नाज़िया ने अपनी आँखो से देखा...

पिंकी : ''ओह्ह ....तो लाला ने तेरी अम्मी को चोदा ....मुझे लगा की उसने तुझे पेल दिया...''

उसकी बात पर निशि खिलखिलाकर हंस पड़ी...
और बोली : "हे हे....लाला का लंड देखा है ना तूने....इसकी मुनिया की तो धज्जिया उड़ा देगा वो अपने रामलाल से...''

नाज़िया दोनो के हंसते हुए चेहरे देखकर ये जानने की कोशिश कर रही थी की उन्होंने लाला का लंड कब देख लिया...
अभी तक तो वो खुद को ही खुशनसीब समझ रही थी पूरे गाँव में जिसने इतनी कम उम्र में लाला का हथियार देख लिया था...
पहले अपनी माँ की चूत में घुसते हुए..
और बाद में उसकी दूकान पर जाकर खुद भी मजे लेकर आयी थी वो.

पिंकी उसे देखकर बोली : "ऐसे फटी आँखो से क्यो देख रही है मुझे....लाला के बारे में तो आधा गाँव जानता है...और हम दोनो तो ख़ासकर...''

इतना कहकर दोनो एक दूसरे के हाथ पर ताली मारकर फिर से हँसने लगी...
नाज़िया इस वक़्त खुद को चूतिया सा बना महसूस कर रही थी...
उन दोनो के सामने अपने आप को बहुत छोटा सा फील किया उसने...
पर उसने अपनी और लाला के बीच वाली बात उन्हें तब भी नहीं बतायी।

फिर पिंकी बोली : "और मैने तो तेरी माँ को भी चुदते हुए देखा है....''

बेचारी नाज़िया का चेहरा देखने लायक था...
वो हकलाते हुए बोली : "कब....किसके साथ...लाला के..?''

पिंकी ने मुस्कुराते हुए ना में सिर हिलाया और धीरे से बोली : "किसी और के साथ....वो है ना नरेश, गाँव के बाहर जिसका खेत है...वही...कल ही तो देखा...मैं जब लाला के साथ दूसरे गाँव गयी थी...तो हम दोनो ने मिलकर देखा...छुपकर...''

और इतना कहकर उसने शुरू से अंत तक की सारी चुदाई गाथा उसे कह सुनाई...
जिसे सुनकर एक पल के लिए तो नाज़िया को विश्वास ही नही हुआ था...
पर ये विश्वास तो उसे तब भी नही हुआ था जब उसने अपनी अम्मी को लाला के सामने घोड़ी बनकर चूत मरवाते देखा था...

पर अंदर से वो भी जानती थी की ये सब वो उसके लिए ही तो कर रही है...
वरना और कौन है जो उसकी पढ़ाई और घर का खर्चा चलाएगा...

पिंकी और निशि ने अपने और लाला के बीच हुए मज़े के बारे कुछ नही बताया...

उसे सोच में डूबा देखकर पिंकी ने उसे समझाते हुए कहा : "अरे , अब तू किस सोच में पड़ गयी....ये सब तो होता रहता है....एक बात याद रखियो मेरी...एक बार इस चुदाई का चस्का लग जाए ना, तो इंसान किसी की फ़िक्र नही करता...फिर चाहे वो मर्द हो या औरत, ये खुजली दोनो को उठती है....हाँ , ये अलग बात है की हम लड़कियां इसे ज़्यादा दिखा नही पाती और ये मर्द साले ठरकी बनकर अपनी हवस दिखाते फिरते है....अगर अंधेरे कमरे में पूछा जाए तो लड़कियां बाजी मार लेंगी टाँगो के बीच होने वाली खुजली को लेकर...''

निशि ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई और बोली : "पिंकी सही कह रही है....लाला और वो नरेश जैसे मर्द इसी वजह से तो इतने मज़े लेते रहते है...और तुम्हारी अम्मी और हम जैसी बेचारी लड़कियां छुपकर ये काम करती फिरती है...फिर भी बदनामी का डर बना रहता है...''

नाज़िया उन दोनो के चेहरे गोर से देख रही थी और ये जानने की कोशिश कर रही थी की वो आख़िर कहना क्या चाहती है...

पिंकी समझ गयी उसके दिल की उलझन को...
और वो बोली : "और इसलिए हमने फ़ैसला किया है की आज से हम अपनी लाइफ को पूरा एंजाय करके जियेंगे...शादी के बाद तो हमारी लाइफ वैसे भी एक खूँटे से बँधकर रहने वाली है...बाद में भी ये सब हो सकता है पर तब मामला रिस्की होता है , अभी के लिए कम से कम कोई ज़्यादा कहने वाला नही है...घर वालो को तो हम संभाल ही लेंगे...बोलो क्या कहती हो नाज़िया...अगर तुम हमारे इस गेंग में रहना चाहती हो तो आज से तुम्हे हमारी जैसी सोच ही रखनी पड़ेगी...यानी हमे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने मज़े के बारे में ही सोचना है...वो कैसे मिलते है...किससे मिलते है, ये सोचकर हमे अपनी जवानी खराब नही करनी ....अगर तुम साथ हो तो बता दो...वरना अभी वापिस जाकर वही बोर सी जिंदगी जियो....''

दोनो दिल थामकर उसके चेहरे को देखने लगे...
नाज़िया ने अपनी हिरनी जैसी आँखे थोड़ी देर के लिए बंद की और फिर अपने गुलाबी होंठ खोलकर बोली : "अगर वो बोर लाइफ जीनी होती तो तुम्हारे साथ यहाँ आती ही क्यो....''

उसका ये कहना था की पिंकी और निशि का चेहरा खिल उठा और दोनो ने अपनी बाहें उसके इर्द गिर्द डालकर उसे हग कर लिया....
और अचानक पिंकी ने वो किया, जिसके बारे में नाज़िया तो क्या निशि ने भी नही सोचा था...

पिंकी ने नाज़िया के होंठो पर अपने होंठ रखे और उन्हे ज़ोर-2 से चूसने लगी....



एक लड़की से पहली बार किस्स करवा रही नाज़िया तो सकपका सी गयी...
पर उसे धीरे-2 उस किस्स में मज़ा आने लगा...

वो भी उसके चेहरे को पकड़कर उसका जवाब देने लगी...
और अचानक नाज़िया को अपने बूब्स पर निशि के हाथो का एहसास हुआ...
उसने जब देखा की पिंकी ये सब करे बिना नही मानेगी तो उसने भी इस खेल में उतरना सही समझा...
आज तक उसने पिंकी का हमेशा साथ दिया था...
आज भला पीछे कैसे रह जाती...

वहां ये सब करने में नाज़िया की गांड पहले तो फट रही थी...
पर अंदर से एक रोमांच भी मिल रहा था की ऐसे खुल्ले में वो इस तरह की गंदी वाली बात कर रही है......

उसे इन सबमे काफ़ी मज़ा मिल रहा था..
ख़ासकर पिंकी से किस्स करवाकर.

उसके होंठो से निकलकर एक मिठास उसके अंदर जा रही थी और उसे भी लग रहा था की वैसी ही मिठास पिंकी उसके मुँह से खींच भी रही है...
एक हाथ दे और एक हाथ ले...
इस लेन - देन में उसे बहुत मज़ा मिल रहा था.

इसी बीच निशि ने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए और उसकी ब्रा में क़ैद मुम्मो को अंदर से पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया...

एक आनंदमयी सिसकारी उसके मुँह से निकल पड़ी...
और वो उस आनंद को महसूस करते हुए घास पर लेट सी गयी...
घास में लेटने के बाद उसका सिर तो निशि की गोद में था...
और टाँगो के बीच पिंकी बैठी थी...
ऐसा लग रहा था जैसे आज दोनो मिलकर उसका रेप करने के चक्कर में है..

पिंकी ने अपनी 3 उंगलियाँ नाज़िया के मुँह मे डाली और जब वो अच्छी तरह से गीली हो गयी तो उन्हे नीचे लेजाकर उसकी स्कर्ट में घुसेड दिया...
और जो बात नाज़िया आज तक सबसे छुपाती आयी थी वो आज उन दोनो के सामने आ गयी...
वो बिना कच्छी के स्कूल आती थी हमेशा...

उसकी बिना कच्छी वाली चूत में पिंकी की उंगलिया घुसती चली गयी..



अपनी ही गर्म थूक में भीगी पिंकी की उंगली ने जब उसकी क्लिट को छुआ तो वो हुंकार सी उठी और उसका शरीर उपर हवा में उठने लगा...
जिसे निशि ने अपना मुँह उसके स्तनो पर लगाकर नीचे किया...
बटन खोलने के बाद कब उसकी ब्रा भी नीचे कर दी गयी थी बेचारी नाज़िया को इसका इल्म भी ना हुआ...



अपने शरीर को उन भूखी बिल्लियो से नुचवाती नाज़िया का ऑर्गॅज़म अपनी चरम सीमा पर जा पहुँचा...
और जल्द ही अपनी चूत की पिचकारी से उसने मीठे पानी के फव्वारे निकालने शुरू कर दिए...

''आआआआआआआआआआआअहह......ओह......उम्म्म्ममममममम....''

पिंकी ने बड़ी समझदारी से उसकी स्कर्ट को पहले से ही जाँघो से उपर तक चड़ा दिया था...
ताकि उसके रस में भीगकार स्कर्ट गीली ना हो...
पर जहाँ वो लेटी थी उसके नीचे की घांस चिपचिपी ज़रूर हो गयी.....
अब तो उसमे से जवानी के रस में डूबे फूल उगने वाले थे...



नाज़िया को प्यार का पाठ अच्छे से पढ़ाकर और उसे अपने गेंग मे मिलाकर दोनो काफ़ी खुश थी...

अब पिंकी को अपने इस गेंग की मदद से अपने मिलने वाले मज़े के बारे में सोचना था...
और वो तो पहले से ही डिसाईड था की वो मज़े लाला ही देगा...

इसलिए प्लानिंग करके उन्होने शाम को लाला की दुकान पर मिलने का निश्चय किया..

आज तो शायद लाला और उसके रामलाल को भी नही पता था की उसकी किस्मत में इतना बड़ा सर्प्राइज़ लिखा है.

हमेशा की तरह दोपहर के समय लाला का रामलाल अपना सिर निकाल कर पूरा खड़ा हुआ था...
और आज भी लाला अपना हाथ धोती में डालकर उसे रग़ड़ रहा था..

लाला के लिए तो वही सच्चा दोस्त था...जो उसकी खुशी में हमेशा खड़ा रहता था.

लाला बड़बड़ाता हुआ उससे बाते करने लगा : "अबे हरामखोर...कभी तो शर्म कर लिया कर...शाम होते होते तेरा सजना संवरना शुरू हो जाता है...आज तो सुबह से कोई तितली भी दिखाई नही दे रही....वो दोनो छोरियाँ भी अभी तक आई नही दुकान पर...पता नही कब तक इंतजार करना पड़ेगा...''

बेचारा रामलाल सिर्फ़ 2 बूँद मुँह से निकालने के अलावा कुछ और बोल ही नही पाया..
ऐसे ही लाला अगर उसे रगड़ता रहा तो जल्द ही उसने उल्टी कर देनी थी लाला की धोती में.

पर शायद लाला के दिल की पुकार पिंकी और निशि को सुनाई दे गयी थी....
दोनो अपनी-2 गांड मटकाती हुई उसकी दुकान की तरफ ही आ रही थी.

वो एक जोरदार रगड़ा मारकर रामलाल से बोला : "देख आ गयी वो दोनो हरी मिर्चे...अब तो दोनो को सुराही में उतार लिया है...आज तो तेरी मर्ज़ी चलेगी बेटा...जिसे चाहेगा वही तुझे चूसेगी...पर अब तो ये चूसम चुसाई बहुत हो गयी...जल्द ही इन्हे चुदाई का पाठ पढ़ाना पड़ेगा...''

वो ये बड़बड़ा ही रहा था की दोनो उसके सामने आकर खड़ी हो गयी..



पिंकी ने आते ही पूछा : "कैसे हो ??..''

उसके चेहरे से सॉफ पता चल रहा था की आज वो कैसी शैतानी करने के मूड में है..

लाला : "मैं तो ठीक हूँ ,,,तुम सुनाओ ...''

पिंकी खिलखिलाकर हंस दी और बोली : "अरे लालाजी...मैने आपने थोड़े ही पूछा....मैने तो रामलाल से पूछा...कैसे हो...''

और इस बात पर दोनो सहेलियां एक दूसरे के हाथ पर ताली मारकर हंस दी...
बेचारा लाला खिसियानी हँसी हंसता रह गया....



लाला समझ गया की दोनो ने एक दूसरे को लाला के साथ लिए मज़े के बारे में बता दिया है...
इसलिए अब इस बात को छुपाने का कोई फायदा नही था...
और ये बात लाला को और भी ज़्यादा उत्तेजित कर गयी की अब वो एक साथ दोनो से मज़े ले सकेगा...

कितनी बेशर्मी से पिंकी ने लाला के लंड के बारे में पूछकर उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर दिया था...
लाला के लिए पहले से ही उस शेर को अपनी धोती के पिंजरे में संभालना मुश्किल हो रहा था...
पिंकी की इस बात ने उसे और भी भड़का दिया...

लाला भी चालाक था...
उसने उतनी ही बेशर्मी से अपनी धोती को उपर उठाया और खड़े हुए रामलाल को बाहर निकाल कर दोनो के सामने पेश कर दिया

और बोला : "रामलाल के बारे में पूछ रहे हो तो सीधा उससे ही बात कर लो ना...''

दोनो के चेहरे एकदम से लाल पड़ गये....
हालाँकि दोनो को उसे देखने का अपना-2 एक्सपीरियेन्स पहले से ही था
पर एक बार फिर से लाला के लंड को ऐसे अपने सामने खड़ा देखकर दोनो की कच्छियां एकदम से भीग गयी...
निशि ने तो हाथ लगाकर अपनी चूत को रगड़ भी दिया
और सिसकारी मारकर बोली : "हाय लालाजी....ऐसे मत तरसाओ....हमने तो मज़ाक किया था...आप तो जान लेने पर उतारू हो गये...''
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:21 PM

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