RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
उसने उन दोनों का थोड़ा मनोरंजन करने की ठानी- “जोर से चोदो मुझे सुनील… बिल्कुल रहम मत करो… फाड़ दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से…” ये कहकर मनीषा ने सुनील की गाण्ड भींचते हुए उसकी गाण्ड में एक अँगुली घुसा दी।
“हरामजादी…” सुनील के मुँह से गाली निकली- “अगर ऐसा किया तो मैं झड़ जाऊँगा…”
कोमल के संयम का बांध टूट गया। हालांकि देखने में बहुत मज़ा आने लगा था, पर वो अपने हाँफते और काँपते पति को रंगे हाथों पकड़ने का मौका नहीं छोड़ना चाहती थी।
“क्या हुआ सुनील… घर पर मेरी चूत चोदकर मन नहीं भरता क्या…” कोमल ने अंदर घुसकर बिस्तर की ओर कदम बढ़ाते हुए सवाल किया। उसकी आवाज़ माहौल के विपरीत काफी शाँत स्वर में थी।
कोमल की आवाज़ सुनकर, सुनील को काटो तो खून नहीं। उसका जिश्म जैसे जड़ हो गया और धक्के बंद हो गये। उसका मुँह खुला का खुला रह गया जब उसने अपनी पत्नी और बेटे, दोनों को वहाँ नंगा खड़ा देखा। उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। शायद ये कोई सपना ही था।
“तुम्हें शायद मुझे देखकर आश्चर्य हो रहा है… प्रिय पति महाराज…” कोमल मुश्कुराई और बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गयी।
सजल को अपने पापा से डर लग रहा था और वो अपनी मम्मी के दो-तीन फीट पीछे ही खड़ा रहा।
“पर आश्चर्य तो मुझे होना चाहिये… है न… ये देखकर कि तुम मेरी पीठ पीछे क्या गुल खिला रहे हो…”
सुनील ने मनीषा की चूत से अपना तना हुआ लौड़ा बाहर खींच लिया। उसने बिस्तर पर बैठकर कुछ समय सोचकर अपनी आवाज़ को पाया- “पर तुम यहाँ पर क्या कर रही हो कोमल… और वो भी सजल के साथ… और फिर तुम दोनों नंगे क्यों हो…” वो अपनी आवाज़ में कठोरता पैदा करने की असफल कोशिश कर रहा था।
“मेरे साथ ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत करो…” कोमल उसे ऐसे नहीं बख्शने वाली थी, न वो अपने ऊपर कोई बात लेने वाली थी। सुनील उस समय उसी परिस्थिति में था जैसा वो उसे चाहती थी- “वो तुम हो जो गलत चूत में अपने लण्ड के साथ पकड़े गये हो… मैं नहीं…”
“ठीक है कि मैं पकड़ा गया हूँ और मेरे पास कोई सफाई भी नहीं है। पर सजल तुम्हारे साथ यहाँ क्यों आया है और तुम दोनों नंगे क्यों हो…” सुनील ने अपने नंगे बेटे की ओर देखते हुए पूछा।
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