RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“लौड़ा… गधे का चोदू लौड़ा…” कोमल चिल्लायी और फिर भक से झड़ गयी। कोमल की अँगुलियों ने उसकी भिनभिनाती क्लिट पर चिकोटी काटी। उसकी चूत उस मोटे लण्ड पर सिकुड़ गयी और उसके निप्पल कर्नल की चिकोटी काटती अंगुलियों में जलने लगे। कोमल चिल्लाई- “मुझे अपना वीर्य दे मादरचोद… इससे पहले कि मैं झड़ना बंद करूँ, अपना गाढ़ा वीर्य मेरी चूत में छोड़ दे। प्लीज़… छोड़ अपना वीर्य… अबबब… आआआहहह… आँआँआँ… ओंओंओं…”
“ये ले मेरा रस… छूट रहा है तेरी चूत में कुतिया… साली मर्दढ़ोर…” कोमल की दहकती चूत में अपने वीर्य की बाढ़ बहाते हुए कर्नल गुर्राया।
“हाँ मेरे चोदू… हाँ…” कोमल उछलती हुई बोली। कर्नल के लण्ड की आखिरी बूँद अपनी भूखी चूत से निचोड़कर सुखा देने के बाद तक कोमल का परमानंद बना रहा। जब वो कर्नल के ऊपर, आगे को गिरी तो कोमल ने अपनी जीभ कर्नल के मुँह में ठेल दी। उसे गर्व था कि उसने कर्नल को एक असली मर्द की तरह व्यवहार करने में मदद की थी और ये भी कि कर्नल ने अपने अदभुत लौड़े से उसकी चूत की सेवा की थी।
कर्नल मान कोमल के चूतड़ों को भींचता हुआ बोला- “अब तो तुम सजल को वापिस हमारे कालेज में भेजने के बारे में पुनः विचार करोगी… कोमल…”
कोमल ने हँसते हुए कर्नल के होंठों को फिर से चूम लिया- “नहीं… यह तय हो चुका है कि सजल इसी शहर में पढ़ेगा…” कर्नल की जीभ को चूसने के बाद कोमल फिर से बोली- “पर तुम जब चाहे मुझे चोदने के लिये आ सकते हो कर्नल…”
मनीषा ने कोमल को तैयार होकर अपने घर से निकलते हुए देखा। इसका मतलब था कि सुनील अब अकेला था। सजल को जाते हुए वह पहले ही देख चुकी थी। मनीषा सात साल से कोमल की पड़ोसन थी। इन सालों में उसकी कोमल से दोस्ती न के बराबर हुई थी। न ही उसे इसकी कोई इच्छा थी। हाँ, पर वह सुनील को अच्छे से जानने को बेहद उत्सुक थी। पर अभी तक सुनील ने उसे कभी लिफ्ट नहीं दी थी। पर पिछले कुछ दिनों में आये बदलाव को वह महसूस कर रही थी और उसे लग रहा था कि उसकी इच्छा-पूर्ति का समय आ गया था। आज शनिवार था और सुनील धूप सेंकने के लिये बाहर आने ही वाला होगा।
उसने अपने जिश्म और कपड़ों का मुआयना किया। उसने ब्रा नुमा छोटा सा ब्लाउज़, और हल्के नीले रंग की शिफान की साड़ी पहनी हुई थी और साथ ही काले रंग के बहुत ही ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने हुए थे।
मनीषा का पति उसे चार साल पहले छोड़कर चला गया था। और उसे दूसरा ऐसा कोई नहीं मिला था जिसको वो अपनाना चाहती - सुनील को छोड़कर। वो बेचैनी से सुनील का इंतज़ार करने लगी। जिन थोड़े मर्दों से उसने इन चार सालों में सम्बंध स्थापित किये थे वो बिल्कुल ही बकवास और बेदम निकले थे। उसे उम्मीद थी कि सुनील उसके मापदंड पर खरा उतरेगा।
जब उसने सुनील को बाहर निकलते देखा तो उसके दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं और चूत गरमाने लगी। उसकी चूचियां भी तनकर खड़ी हो गईं। मनीषा ने सुनील को थोड़ा समय दिया और फिर वो भी अपने आँगन में उतर गई।
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