RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
फिर तो उस जवान लड़के ने आव देखा न ताव और अपने लण्ड से जबरदस्त पेलाई शुरू कर दी। गहरे, लम्बे धक्कों की ऐसी झड़ी लगाई कि कोमल के मुँह से चूं तक न निकल पाई। कोमल जब झड़ी तो उसे लगा कि वो शायद मर चुकी है। उसका अपने शरीर पर कोई जोर नहीं है। उसकी चमड़ी जैसे जल रही है। उसकी चूचियों में जैसे पिन घुसी हुई हों। उसकी चूत की तो हालत ही खस्ता थी। सजल के मोटे लौड़े की भीषण पेलाई ने जैसे उसे चीर दिया था। उसके बाद भी वो मादरचोद लड़का पिला हुआ था उसकी चूत की असीमतम गहराइयों को चूमने के लिये।
उसने अपने होश सम्भालते हुए गुहार की- “दे मुझे यह लौड़ा, पेल दे, पेल दे, पेल दे… भर दे मेरी चूत, भर दे… भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से…”
सजल अब और न ठहर सका। और भरभरा कर अपनी मम्मी की चूत में झड़ गया। कोमल अपनी चूत को उसके लण्ड पर रगड़ती जा रही थी।
जब दोनों शांत हुए तो कोमल उसे चूमते हुए बोली- “मेरे शानदार चुदक्कड़ बेटे, काश हम लोग भाग सकते होते तो हम कहीं ऐसी जगह चले जाते जहाँ हम जितनी चाहते, चुदाई कर सकते…”
“तुमने अपना पर्स और सेल फोन रख लिये हैं न…” घर से बाहर निकलते हुए सजल से कोमल ने पूछा। सजल गर्मी की छुट्टियों में घर आया हुआ था। अभी वह अपने दोस्त से मिलने बाहर जा रहा था।
“चिंता मत करो मम्मी… मैं बच्चा थोड़ा ही हूँ…” सजल ने जवाब दिया।
“मेरा ख्याल है मैं तुम्हारा कुछ ज्यादा ही दुलार करती हूँ…” कोमल ने सजल को गले लगाते हुए कहा- “मुझे खुशी है कि तुम छुट्टियों में घर आ गये। मुझे तो लगा जैसे पिछले दो हफ्ते कटेंगे ही नहीं। मुझे यह भी खुशी है कि तुम अब यहीं रहकर इसी शहर में पढ़ोगे…” कोमल ने अपना शरीर सजल के शरीर से कस के सटा दिया। सजल के बड़े लण्ड का उभार कोमल की चूत पे चुभने लगा।
“मेरा ख्याल है कि मुझे अभी अपने दोस्त से मिलने नहीं जाना चाहिए…” सजल बोला जब उसे अपना लण्ड सख्त होता महसूस हुआ। कोमल के ब्लाउज़ के ऊपर के बटन खुले हुए थे और उसकी की चूचियों का नज़ारा सजल के टट्टों में खलबली मचाने लगा था।
“हुम्म्म… अब मुझे उकसाओ नहीं… फिर तुमने अपने दोस्त से मिलने का वादा भी तो किया है… चुदाई के लिये तो अब सारी गर्मियां हैं और अब तो तुम यहीं रहकर पढ़ोगे…” कोमल ने पीछे हटकर सजल को समझाया- “और इससे पहले कि मैं तुम्हें बिस्तर पे खींच लूँ… तुम चले जाओ…” कोमल ने हँसते हुए कामुक अदा से कहा।
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